sattachakra.com, july 02, 2011, 06.01am
... तो प्रोफेसरी पक्की
-रवींद्र त्रिपाठी
क्या आप हिंदी के लेखक हैं और रोजगार की तलाश में हैं? या आप हिंदी के पूर्व पत्रकार हैं और चाहते हैं कि और कुछ नहीं, तो कम से कम पत्रकारिता पढ़ाने का ही कहीं मौका मिल जाए। अगर इन सवालों का जवाब हां है, तो आपके लिए खुशखबरी है। आप वर्धा जाकर वहां के एक विश्वविद्यालय में ‘राइटर इन रेजिडेंस’ या पत्रकारिता के प्रोफेसर बन सकते हैं।
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साल-दो साल तक ठीक-ठाक पैसे मिलेंगे और रहने के लिए आवास की व्यवस्था भी होगी। इतना ही नहीं, शाम का भी इंतजाम रहेगा, हालांकि वर्धा की कानूनी शामें रसहीन होती हैं। लेकिन जैसे हरिशंकर परसाई की कहानी ‘इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर’ में एक भारतीय पुलिसवाला चांद पर भी पुलिस महकमे को भारतीय विशेषताओं से लैस कर देता है, वैसे ही एक पुलिस वाले ने गांधी और विनोबा की इस कर्मभूमि को अपने तरीके से रसभूमि बना दिया है। यह भारतीय पुलिसकर्मी की एक और खास उपलब्धि है, जिसे इतिहास में दर्ज किया जाना चाहिए।
खैर ये सारी बातें बाद में, फिलहाल इतना समझ लीजिए कि वहां रहते हुए जरूरी नहीं कि आप कुछ लिखें या पढ़ाएं ही। बिना लिखे या पढ़ाए भी आप वहां रह सकते हैं। बस इन परम पदों को पाने के लिए आपके पास एक खास तरह की पात्रता होनी चाहिए, इसके लिए सिर्फ लेखक या पूर्व पत्रकार होना 
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अवकाश प्राप्त और अवसरवादी वामपंथियों को भी वहां प्राथमिकता दी जाती है। अगर आपके पास देश में मार्क्सवादी क्रांति करने का जाली सर्टिफिकेट है, तो आपको जरूर प्राथमिकता दी जाएगी। वास्तविक वामपंथियों या मार्क्सवादियों के लिए वहां के दरवाजे बंद हैं। जाली सर्टिफिकेट वाले मार्क्सवादियों के लिए वहां आरक्षण की खास व्यवस्था है। अगर आपके पास पूर्व नक्सलवादी होने का जाली सर्टिफिकेट है, तो वरीयता भी दी जाएगी। हाल में वहां एक ऐसे व्यक्ति की प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई है, जिसके पास न केवल पूर्व नक्सलवादी होने का जाली सर्टिफिकेट है, बल्कि ‘बस्तर में बिस्तर’ का जायज सर्टिफिकेट भी है।
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पूर्व नक्सलवादी का जाली सर्टिफिकेट होने के अलावा इन पदों के लिए एक दूसरी पात्रता भी है। क्या आप कभी लेखन या आचरण के स्तर पर किसी ऐसे अभियान में शामिल रहे हैं, जो महिला-लेखन और लेखिकाओं को संदिग्ध या स्तरहीन मानता है। अगर आपका जवाब हां है, तो भी आपके लिए संभावनाएं ज्यादा हैं। समझ लीजिए कि आपकी सीट पक्की। अगर आपका जवाब न में है, तो समझ लीजिए कि आपके लिए वहां के दरवाजे बंद हैं।
अगर आपका लेखन महिला विरोधी नहीं भी रहा है, तो कम से कम आचरण जरूर वैसा होना चाहिए। क्या कभी आपने ऐसा कुछ किया है, जिसके आधार पर प्रमाणित कर सकें कि महिलाएं आपके लिए सिर्फ भोग्या है, और कुछ नहीं। या आप किसी तरह की चौर्यकला में निपुण हैं, तो भी आपकी प्रोफसरी पक्की।
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नोट- अमर उजाला, नई दिल्ली ,शनिवार ,2 जुलाई 2011 के सम्पादकीय, पेज 12 पर नीचे दायीं तरफ यह सामग्री छपी है ।इसको लिखने वाले रवींन्द्र त्रिपाठी, चोर गुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति छिनाली विभूति के यार हैं ।