Tuesday, March 23, 2010

नामवर सिंह, विभूति राय, कैलाश खामरे को अनिल चमड़िया मामले में अदालती नोटिस

- सत्ताचक्र -
म.गां.अं.हि.विश्व विद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति नामवर सिंह, कुलपति विभूति नारायण राय, कुलसचिव कैलाश खामरे को प्रो. अनिल चमड़िया मामले में अदालती नोटिस जारी हो गयी है।नागपुर के एक अदालत से ये नोटिस जारी हुई हैं, जो पिछले दिनो विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कार्यालय में रिसिव कराई जा चुकी हैं। कुलपति विभूति नारायण राय पर प्रो.अनिल चमड़िया को गलत तरीके से विश्वविद्यालय की नौकरी से निकालने का आरोप है। कुलपति के इस मनमानी का जिम्मेदार होने का आरोप कुलाधिपति नामवर सिंह पर भी है , सो उनको भी नोटिस दी गई है। कुलसचिव कैलाश खामरे तो वाया कुलपति वि.वि. का हर काम करते हैं सो उनको नोटिस दी गई है।
पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय के सारे कारनामे अब अदालत के सामने आयेंगे। उन्होंने जिस तरह से प्रो. अनिल चमड़िया को निकालने और उनके निकाले जाने से खाली हुए प्रोफेसर पद को भरने के लिए विज्ञापन निकालने की तेजी दिखाई है , वह सब अब अदालत के कटघरे में आ सकता है।

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Monday, March 22, 2010

जिस सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा पर चल रही विजिलेंस जांच, वह करेगा मैटरचोर अंकित के चोरी की जांच

-सत्ताचक्र-
प्रो.सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा ( Pro. S.S. KUSHVAHA) महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुछ समय कुलपति थे। कार्यकाल पुरा नहीं कर पाये। हटा दिये गये। लेकिन जितने दिन रहे उतने दिन में ही जो करम किये, उसकी जांच के लिए, खुद भी देश के खुफिया विभाग के आला अफसर रह चुके तबके राज्यपाल टी.वी. राजेश्वर को विजिलेंस जांच का आदेश देना पड़ा। उ.प्र. सतर्कता विभाग इसकी जांच कर रहा है। जांच अभी जारी है। कुलपति रहते प्रो.एस.एस.कुशवाहा पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उसमें से एक सबूत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) का निम्न पत्र (पत्रांक / Ref. कु.स. / 95 /2008) है-

जिसमें तबके कुलसचिव रमाशंकर राम ने खुद लिखा है-
..........................सम्पूर्ण चयन की कार्यवाही दोषपूर्ण एवं अनियमित है।.........


कुलसचिव द्वारा सतर्कता विभाग के पुलिस अधीक्षक को दिनांक 02-07-08 को लिखा उक्त पत्र पर क्लिक करके पूरा मैटर पढ़ा जा सकता है।
पत्र की शुरूआत इस प्रकार हुई है-
महोदय,
कृपया अपने पत्र संख्या-स.अ./ अनु-2-खुली-............................का संदर्भ लेने का कष्ट करें जो प्रो.एस.एस.कुशवाहा, पूर्व कुलपति, म.गां.काशी विद्यापीठ,वाराणसी के विरूद्ध खुली जांच से संबंधित है। अवगत कराना है कि आपके पत्र के मुख्य बिन्दु-1 एवं 4 के संबंध में अंतरिम तौर पर सूचना विश्वविद्यालय के पत्र संख्या-कु.स./ 9709 / 2008 दिनांक 05 मई,2008 ( छायाप्रति संलग्न सं-1) द्वारा प्रेषित की जा चुकी है।मुख्य बिन्दु -2 व 3 की सूचना निम्नवत है-
…………
........................................................................................................................................

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चोरगुरू ए.राय को लानेबचाने वाले वी.राय ने कदाचार क...

Saturday, March 20, 2010

आडवाणी मंडली अब शौरी को राज्य सभा सांसद नहीं बनाने के लिए अड़ी

शौरी के बजाय तरूण विजय को बनाने की जीद
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। लालकृष्ण आडवाणी और उनकी मंडली ने भाजपा के नये अध्यक्ष नितिन गडकरी की नई टीम में अपने आधारविहिन यसमैनो का बहुमत कराने और संजय जोशी को पदाधिकारी नहीं होने देने की जीद पुरी कराने के बाद अब अरूण शौरी को फिर से राज्य सभा सांसद नहीं होने देने के लिए अड़ी हुई है। सूत्रो के मुताबिक आडवाणी और उनकी मंडली की कोशिश अपने आधारविहिन कीर्तनी तरूण विजय को राज्य सभा सांसद बनाने की है। जिसके लिए आडवाणी ने पूरा जोर लगा दिया है। सूत्रो का कहना है कि तरूण विजय पर संघ का मुखपत्र पांचजन्य का संपादक रहने के दौरान कई तरह का घोटाले करने का आरोप सप्रमाण लगा था। पांचजन्य को प्रकाशित करने वाली संस्था व संघ से जुड़े एक पदाधिकारी ने इस घोटाले के बारे में बाकायदा एक पत्र लिखा था। जिसके चलते तबके संघ प्रमुख सुदर्शन ने कड़ा रूख अपनाया और तथकथित घोटालेबाज तरूण विजय को पांचजन्य के सम्पादक पद से हटवा दिया। लेकिन आडवाणी ने अपने इस चहेते कीर्तनी को तुरंत श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट का मोटे पगार पर निदेशक बनवा कर सुदर्शन को ठेंगा दिखा दिया। और अब उसी घोटाले के आरोपी को नितिन गडकरी की भाजपा का प्रवक्ता बनवाकर वर्तमान संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी ठेंगा दिखाया। और उससे भी आगे अब उसको राज्य सभा सांसद बनवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। इसके लिए अपने एक चहेते भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री को कहा है कि प्यारे तरूण को आप अपने राज्य से राज्य सभा में भेजिए।सूत्रो का कहना है कि आडवाणी किसी भी हालत में संजय जोशी और अरूण शौरी को पनपने नहीं देना चाहते हैं। दोनो ने ही आडवाणी के जिन्ना प्रलाप का कड़ा विरोध किया था । सो अब आडवाणी अपनी पूरी मंडली के साथ अड़कर दोनो को राजनीतिकपटल से हमेशा के लिए खत्म करने की शातिर चाल चल रहे हैं।

Thursday, March 18, 2010

अनैतिकता पोषक बेशर्म कुलपतियों का कदाचारी चोर गुरू प्रेम

-सत्ताचक्र गपशप-
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक पत्रकार के नाम पर विश्वविद्यालय बना है। एक महाजुगाड़ी कुटिल व्यक्ति राजनीतिको की चारण वंदना करके उस वि.वि. का कुलपति बना है। कहा जाता है कि जो मात्र एम.ए.किया है और वह भी 54 प्रतिशत से कम अंक से। वह शैक्षणिक कदाचारी चोरगुरूओं और उनके चेलो की जमात को प्रश्रय देने लगा है। काशी के एक राज्य वि.वि. के एक तथाकथित शैक्षणिक कदाचारी छोटे चोरगुरू को उसने एक सेमिनार व वाइवा में बुलवाया था। उसी वि.वि. के एक बड़े चोर गुरू को वह 19 मार्च 2010 को होनेवाली वि.वि.की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में बुलाया है । बड़ा चोर गुरू इस वि.वि. के एकेडमिक काउंसिल का सदस्य है। यह कुटिल कुलपति शैक्षणिक कदाचारी बड़े चोरगुरू के कदाचार के सारे कारनामे अच्छी तरह जान गया है।उसके बावजूद उसे बुला रहा है. उसको एकेडमिक काउंसिल से निकालने की कार्रवाई नहीं कर रहा है। ऐसे कदाचारियों के प्रश्रयदाता भ्रष्टाचार के आरोपी कुटिल कुलपतियो से किस शिक्षा की उम्मीद कीजिएगा। कहा जाता है कि इस भ्रष्टाचार के आरोपी कुटिल कुलपति को, पहले जब वह हरियाणा के विश्वविद्यालयों में था तो काशी के वि.वि. के चोरगुरूवे अपने यहां बुलाते थे और यह अपने यहां उन्हे बुलाता था। सो इन तथाकथित शैक्षणिक कदाचारियों की पहले से ही यारी है। सब मौसेरे भाई पत्रकारिता शिक्षा की ऐसी की तैसी कर रहे हैं। अब देखिए 19मार्च को बड़ा चोरगुरू एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पहुंचता है या नहीं। छोटा चोर गुरू भी रायपुर में एक भाजपा नेता के नाम पर बने पत्रकारिता वि.वि. में एकेडमिक काउंसिल का सदस्य है।उसको वहां सदस्य एक भ्रष्ट नौकरशाह से कुलपति बने कदाचारी ने बनाया है। जिसका टर्म 17 मार्च 2010 को पुरा हो गया है लेकिन राज्य भाजपा नेताओं की आरती कर एक टर्म और के जुगाड़ में है।उसने एक और भयंकर शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर को वि.वि. में रीडर हेड बनाया था । जो महाराष्ट्र में एक अनैतिक, सुरा, सुंदरा,सुंदरी लस्टी कुलपति के दिल में बैठ प्रोफेसर – हेड बन गया है।

Saturday, March 13, 2010

सोमरसी पुलिसिया कुलपति की एक और सुरूरी चाल

-सत्ताचक्र गपशप-
महात्मागांधी के नाम पर बने एक हिन्दी विश्वविद्यालय के सोमरसी पुलिसिया कुलपति ने एक शैक्षणिक कदाचारी व मैटर चोर को गोद में बैठा बचाने के लिए अपना सारा पौवा लगा दिया है। उसने एक्जक्यूटिव मेम्बरो में से कुछ को भ्रम में रख और कुछ सजातीय व अन्य को पटाकर एक दमदार व काबिल प्रोफेसर की नियुक्ति को एक्जक्यूटिव में ओ.के. नहीं कराया और उस बहाने कि एक्जक्यूटिव ने ओ.के. नहीं किया, नौकरी से निकाल दिया। और अब एक और चाल के तहत जल्दीबाजी में उस प्रोफेसर पद को भरने के लिए विज्ञापन निकलवा दिया है। जिसके लिए कुछ चोर गुरूओं ने भी झटपट अप्लाई कर दिया है। क्योंकि शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोरो के बीच सोमरसी पुलिसिया कुलपति बहुत ही प्रसिद्ध हो गया है। सब चोरवे कहने लगे हैं कि यह सोमरसिया पुलिसवाला ही शैक्षणिक कदाचारियों व चोरवों को बचा पायेगा । सो इसी के यहां इसी के तरह से जुगाड़ लगाकर नौकरी पाना ठीक रहेगा। लेकिन इस अंगूरीबाज पुलिसिया कुलपति के इस थानेदारी हरकत और उसके हर करमों पर मुहर लगाने वाले एक्जक्यूटिव कमेटी के ज्यादेतर जुगाड़ी, जातिवादी, पदलोभी सदस्यों की करतूतो से धीरे-धीरे सब लोग वाकिफ होने लगे हैं।एक हप्ते में इनसबों के असली आका भी जान जायेंगे।

Tuesday, March 9, 2010

एक “चोरगुरू” की धौंस: पूर्व सांसद ससुर,भाई जज,बड़े वकील,मैगसेसे एवार्डी हैं,देख लेंगे..

-सत्ताचक्र गपशप-
भोपाल के एक पत्रकारिता वि.वि. में 55प्रतिशत से भी कम नम्बर से मात्र एम.ए. महाजुगाड़ी ने कुछ नेताओं,उनके पार्टी के पत्रकारो की गणेश परिक्रमा , कीर्तन करके कुलपति बनने के बाद,मीडिया के नो इंन्ट्री वाले कड़े पुलिसिया पहरे में बंद हाल में 8मार्च 2010 को एक बहुत खर्चिला, पत्रकारिता पर सेमिनार कराया। जिसमें कुछ शैक्षणिक कदाचारी चोर गुरूओं को भी बुलाया।सूत्रो के मुताबिक एक तथाकथित चोर गुरू काशी से भी गया। जो इन दिनो सभी चोर गुरूओं का तथाकथित स्वंयभू नेता बना हुआ है।ज्यादेतर चोर गुरू उससे इनदिनो दूरभाष से जुड़े हुए हैं। कह रहे हैं गुरू आगे बढ़ो, पर्दे के पीछे से हम तुम्हारे साथ हैं। सो चोर गुरूओं का यह नेता चाय से लगायत पान की दुकान तक पर खूब भांज रहा है। यह कि हम जैसे गुरूओं का शैक्षणिक कदाचार उजागर करने वालो को देख लेंगे , ए कर देंगे,वो कर देंगे। यह ऐसे ही भोपाल में भी सेमिनार में जुटे कुछ अपने प्रवृति, कर्म व मिजाज वाले मास्टरो के बीच बमबमा रहे थे। उसी समय उस चोर गुरू को दिल्ली के एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने सलाम ठोका। आग्रह किया कि आपसे बात करनी है, आपने मैटर चोरी करके अपनी जो डि-लिट.की शोध-प्रबंध लिखी है , उसको किताब के तौर पर छपवाया है , उस पर आपकी टिप्पणी लेनी है। इस पर उस तथाकथित चोर गुरू ने पहले तो इधर-उधर की हांक कर कन्नी काटनी चाही , लेकिन जब पत्रकार ने उनसे कहा कि आपसे कुछ सवाल करने हैं उसका जबाब दे दीजिए। उस समय बचने के लिए उस तथाकथित चोर गुरू ने कहा –ठीक है, आप 6 बजे के लगभग, मैं जहां ठहरा हूं उस होटल में आइये, बात करेंगे। उनके बताये समय पर पत्रकार पहुंचा। उनको बताया की आ गया हूं। लेकिन तथाकथित चोर गुरू दरवाजा खोलने को राजी नहीं। फिर धौंस देने लगे, मैं ....( पूर्व राज्य सभा सांसद व कांग्रेसी नेता) का दामाद हूं, मेरा एक भाई ..... में जज है, मेरा ... ...कोर्ट में वकील है, ...पाण्डेय (मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त) मेरे भाई हैं, ...। जिस पर पत्रकार ने कहा , यह तो और अच्छी बात है, तब तो आपको बिना किसी तीन-पांच के हमारे सवालो का जबाब दे देना चाहिए। सूत्रो के मुताबिक उसके बाद वह तथाकथित चोर गुरू और बमकने लगे । जिस वि.वि. में मास्टर हैं उसके कुछ अध्यापको व और कुछ लोगो के बारे में अशिष्ट शब्दो का प्रयोग करने लगे । इस पर पत्रकार ने कहा – आपने मैटर चुराकर डि-लिट. का शोध-प्रबंध लिखा है,उसको किताब के तौर पर छापा है, उस आधार पर नौकरी व प्रमोशन पाया है, इस बारे में आपका क्या कहना है ? इस पर तथाकथित चोरगुरू ने कहा- ये सब गलत है, मैने जहां से मैटर लिया है उसका संदर्भ दिया है। तब पत्रकार ने पूछा – आपने अपनी पुस्तक के फलां पेज पर संदर्भ दिया है कि मैटर फलां की किताब के फलां पेज से लिया है। जिस किताब के जिस पेज का सन्दर्भ दिया है उस किताब के उस पेज पर वह मैटर दिखाइये। इस सवाल पर तथाकथित चोर गुरू और बमक गये। सूत्रो के मुताबिक कहने लगे – चैनेल वाले कुछ लोगो के कहे में आकर मेरे पीछे पड़े हैं। सबको देख लूंगा। मेरे मित्र यहां आई.जी. हैं, उनको अभी बुलाता हूं।
पत्रकार ने कहा –अच्छी बात है, आई.जी . को बुलाइये , उनके सामने ही आपसे सवाल पूछूंगा , वह भी जान लें कि उनका मित्र कैसा है।
तथाकथित चोर गुरू ने तैश में कहा- आपका कैमरा तोड़ दूंगा।
पत्रकार ने कहा- मैं अपना काम कर रहा हूं। आपने साक्षात्कार देने, बात करने के लिए बुलाया है तो आया हूं। आप कैमरा तोड़ने की धमकी दे रहे हैं।
फिर तथाकथित चोर गुरू ने वि.वि. के कुछ लड़को को बुलाने की धमकी दी।
जिस पर पत्रकार ने कहा- आप जिसको बुलाना हो बुलाइये, मैं इस शहर का हूं।
इसके बाद तथाकथित चोर गुरू का चेहरा लटक गया।समझ गये कि धौंस –पट्टी नहीं चलने वाली। तब उन्होने कहा कि ठीक है कल सबेरे 10 बजे आइये। जिस पर पत्रकार ने कहा – कल का बहाना करके आप भाग गये तो। इस पर तथाकथित चोर गुरू ने कहा- पत्रकारिता वि.वि. में कल एक वाइवा लेना है, उसके लिए कल ( 9मार्च 2010) रहना है। देखिये धौंस –पट्टी दिखाने वाला तथाकथित चोर गुरू, आज पत्रकार से बात करता है या भाग जाता है।

Monday, March 8, 2010

तथाकथित चोर गुरूवे भी पहुंचे प्रवचन देने मा.प.वि.वि.भोपाल

-सत्ताचक्र गपशप-
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि.,भोपाल में पुलिस के कड़े पहरे और मीडिया , जिसमें मा.प.वि.वि. के इलेक्ट्रानिक्स मीडिया विभाग कीटीम को भी कवरेज की इजाजत नहीं ,की नो इंट्री किलेबंदी में नये विवादास्पद कुलपति कुटियाला की अगुवाई में “मीडिया शिक्षा की नवीन दिशायें ” विषय पर आज 8 मार्च 20010 को सुबह 10 बजे से सेमिनार हो रहा है। जिसमें मोटे खर्चे पर 22 मीडिया शिक्षकों आदि को बुलाया गया है। जिसमें तथाकथित चोर गुरू – अनिल कुमार उपाध्याय भी हैं। जिन पर नकल करके शोध-प्रबंध / किताबें लिखने और अन्य शैक्षणिक कदाचार के आरोप हैं।.इसमें वह नन्द किशोर त्रिखा भी पहुंचे हैं जो इस वि.वि के लिए स्वच्छ छवि वाला , ईमानदार, योग्य, विद्वान कुलपति का नाम सुझाने वाली तीन ब्राह्मणो की बनी सर्च कमेटी के एक सदस्य थे। इस कमेटी ने कुलपति पद के लिए जो तीन नाम दिये थे उनमे कोई भी एटपार नहीं था । सबके सब महा जुगा़ड़ी, विवादास्पद। उसमें दो तो ब्राह्मण थे। जिसमें कुटियाला जो कुलपति हो गये हैं उनके बारे में कहा जाता है कि एम.ए. में प्रतिशत माशा अल्ला है। जुगाड़ उनकी मूल योग्यता रही है।दूसरे जिनका नाम सर्च कमेटी ने दिया था वे हैं राममोहन पाठक। जिनपर शैक्षणिक कदाचार से लगायत नकल करके पी.एच-डी का शोध प्रबंध लिखने आदि का सप्रमाण आरोप लग चुका है। कुछ लोग कहने लगे हैं कि ऐसे त्रिखा , कुटियाला, उपाध्याय और इनके तरह के लोग “मीडिया शिक्षा की नवीन दिशायें ” पर किस मुंह से प्रवचन करेंगे। क्या ये लोग मीडिया शिक्षा देने वाले शिक्षकों, कुलपतियों की जोड़ जुगाड़ से नियुक्ति के तथाकथित कदाचारी असली कारनामो के अपने अनुभव को बतायेंगे ? मीडिया शिक्षा की असली नवीन दिशा तो यही है। ऐसे तथाकथित कदाचारी,महाजुगाडी,गुटवाज,चोरगुरू क्या शिक्षा देंगे और मीडिया शिक्षा की कौन सी नवीन दिशायें दर्शायेंगे।

Monday, March 1, 2010

वीरेन्द्र सेंगर , आप भी संघियों का साथ देने लगे..-पु.कु.

चोरगुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति का एक और कारनामा

-सत्ताचक्र गपशप-
एक भयंकर जुगाड़ी,तथाकथित स्वलाभी जनपुलिसवादी स्वयंभू साहित्यकार पुलिसवाला, लालीपार्टिया जुगाड़ से एक विश्वविद्यालय का कुलपति बना। कुलपति बनने के बाद उसने एक भयंकर शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोर को प्रोफेसर नियुक्त कराया।और उसके बाद उसको इस तरह बचाने लगा जैसे कोई दरोगा अपनी सौन्दर्य रस,पदार्थ रस,चढ़ावा रस से लगायत हरचाहत पूरा करने वाले चहेते चोर को बचाता है।और नौकरी से बर्खास्त होने तक बचाता है।चोर की एक से बढ़कर एक चोरी के बारे प्रमाण बताकर उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहने पर पुलिसवाला जो कुछ कहता है उसका लब्बोलुआब होता है- लागी नाही छूटे रामा , चाहे जिया जाय। यही नहीं उनलोगो पर पुलिसिया अकड़ दिखाने की कोशिश करने लगता है जो लोग चोर को बचाने की उस पुलिसवाले के धतकरम के बारे में कुछ कहते हैं।

वीरेन्द्र सेंगर , आप भी संघियों का साथ देने लगे....:

ऐसे ही एक पुलिसिया कुलपति के तथाकथित धतकरमों और शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर को हरतरह से बचा, बढ़ा रहे कारनामो के खिलाफ दिल्ली के प्रगति मैदान में बीते माह लगे पुस्तक मेले में हस्ताक्षर अभियान चल रहा था। कुछ लोगो ने वरिष्ठ पत्रकार वीरेंन्द्र सेंगर से भी हस्ताक्षर करने के लिए आग्रह किया। वीरेन्द्र सेंगर ने हस्ताक्षर कराने वालो से पूरा विवरण पूछा कि मामला क्या है। पूरी बात जानने के बाद उन्होने उस पर हस्ताक्षर कर दिया।उनके साथी एक और वरिष्ठ पत्रकार ने भी हस्ताक्षर कर दिया। सूत्रो के मुताबिक इसकी सूचना मिलने पर उस महाजुगाड़ी, शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर प्रेमी पुलिसिया कुलपति ने वीरेन्द्र सेंगर को फोन किया। कहा- वीरेन्द्र जी, आप भी संघियों का साथ देने लगे । उनके कहे में आकर मेरे खिलाफ हस्ताक्षर कर दिया।
वीरेन्द्र सेंगर ने पूछा- आप किस संघी की बात कर रहे हैं, किस संघी के कहने पर मैंने हस्ताक्षर किया ?
पुलिसिया कुलपति ने कहा- राहुल देव .......।
इस पर वीरेन्द्र सेंगर ने जबाब दिया- जो लोग हस्ताक्षर करा रहे थे उसमें कोई भी संघ का कार्यकर्ता नहीं था। जो लोग भी हस्ताक्षर करा रहे थे वे जिस मुद्दे पर हस्ताक्षर करा रहे थे वह जायज था ,इसलिए मैंने उस पर हस्ताक्षर किया। रही बात राहुल देव की तो इससे राहुल देव का क्या लेना-देना है, वह तो हस्ताक्षर करा नहीं रहे थे?
पुलसिया कुलपति ने कहा- राहुल देव ने CNEB चैनल पर दिखाया ....................।
वीरेन्द्र सेंगर- राहुल देव ने CNEB न्यूज चैनल पर “चोरगुरू” कार्यक्रम में जो कुछ भी दिखाया है , दिखा रहे हैं उसे आप देखे हैं। उसमें जो कुछ भी दिखाया जा रहा है सब सप्रमाण दिखाया जा रहा है। आप पहले उसे देखिये । बिना देखे कुछ भी मत कहिए।आप जिस मैटर चोर को लाकर प्रोफेसर बनवाये हैं और बचाव कर रहे हैं उसके शैक्षणिक कदाचार के बारे में चैनल ने सप्रमाण दिखाया है, कई जगह छपा है। आपने अब तक उसकी जांच खुद क्यों नहीं की। आप तो बड़े पुलिस अफसर रहे हैं ।
पुलिसिया कुलपति- उससे पूछा था । उसने बताया कि इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध सामग्री को उतारकर किताबें लिखी है।
वीरेन्द्र सेंगर- उसने (शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोर) आपको बताया कि इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध मैटर को उतारकर किताबें लिखा है और आपने मान लिया। आप तो पुलिस में बड़े ओहदे पर रहे हैं, आप उसके कहे को ही सबकुछ मान करके अब तक उसका बचाव कर रहे हैं। इससे क्या संकेत जा रहा है। आपने अब तक खुद क्यों नहीं अखबारो मे छपे प्रमाण, चैनल आदि पर दिखाये प्रमाण को सामने रख कर उससे पूछा। आपने यह तो किया नहीं उल्टे लगातार उसका बचाव करते हुए, उन लोगो के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे हैं जो उस शैक्षणिक कदाचारी के कदाचार और उसको बचाने के आपके कारनामो को उजागर कर रहे हैं।देखिये, इस मुद्दे पर मैं आपके साथ नहीं हूं।
पुलिसिया कुलपति-आप मेरे मित्र हैं, मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी।
वीरेन्द्र सेंगर- मित्रता का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी गलत काम करते रहें, मैं आपकी तरफदारी करता रहूं। वैसे तो मैं आपका मित्र हूं ही , लेकिन आपके इस तरह के कार्यों का पक्षधर नहीं हूं। पहले आपके बारे में इस तरह की बातें नहीं जानता था। अब प्रमाण देखने के बाद , इस मुद्दे पर तो आपकी तरफदारी नहीं कर सकता।