Sunday, June 27, 2010

राममोहन पाठक, अमितांशु पाठक, किंशुक पाठक के खिलाफ मूर्ति चोरी की FIR दर्ज





-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, महात्मागांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के प्रोफेसर राम मोहन पाठक(RAM MOHAN PATHAK), उनके सगे बड़े पुत्र अमितांशु पाठक (आलोक मेहता के सम्पादकत्व में निकल रही नई दुनिया के वाराणसी संवाददाता) , छोटे पुत्र किंशु पाठक के खिलाफ ,जालसाजी करके मंदिर व उसकी प्रापर्टी खरीदने ,मंदिर से मूर्ति राधाकृष्ण की चोरी कर गायब करने,जालसाजी कर जान से मारने की धमकी देने के मामले में न्यायालय के आदेश पर वाराणसी के चेतगंज थाने में दिनांक 23-06-2010 को एफ.आई.आर. दर्ज हुआ है। जिसका नम्बर है- मु.अ.सं.167 / 10 धारा 379 / 419 / 506 ipc ps चेतगंज वाराणसी । बेसर देवी , पत्नी स्व. लालजी मिश्र, कबीर चौरा, वाराणसी ने यह मुकदमा और केस दर्ज कराया है। कई माह से पुलिस वाले केस दर्ज नहीं कर रहे थे तो बेसर देवी न्यायालय की शरण में गईं। न्यायालय के आदेश के बाद चेतगंज पुलिस ने यह रिपोर्ट दर्ज की ।
बेसर देवी ने जो तहरीर दी है उसमें है - ... प्रार्थिनी बेसर देवी ..... भवन सं...पुरानी टकसाल चेतगंज में विराजमान श्री ठाकुर राधाकृष्ण जी की सेवायत हैं। उपरोक्त मंदिर में देखरेख हेतु प्रार्थिनी ने अपने बहन के लड़के त्रिभुवन मिश्र पुत्र श्री विश्वनाथ मिश्र, निवासी ग्राम- गोविन्दपुर ,भीम चंडी, पोस्ट राजातालाब,थाना –रोहनियां, जिला –वाराणसी को देखरेख हेतु रखी थी। त्रिभुवन मिश्र... ने ......भगवान श्री ठाकुर राधाकृष्ण जी मूर्तियों,सिंहासन,मुकुट, पूजा-पाठ श्रृंगार की सामग्री चोरी कर गायब कर दिया साथ ही जालसाजी करके मंदिर मकान को बेच दिया। जिसमें त्रिभुवन ...एवं राममोहन पाठक पुत्र विश्वनाथ पाठक तथा अमितांशु पाठक व किंशु पाठक पुत्र राम मोहन पाठक , निवासी डी-6 / मुहल्ला –रानीभवानी की गली , वार्ड –दशाश्वमेध, थाना-दशाश्वमेध, शहर –वाराणसी ....तथा शंभुनाथ मिश्र ... की जानकारी में यह कृत्य किया गया है। अत: श्रीमान से अनुरोध है कि उपरोक्त सभी मूर्ति विग्रहों की चोरी कर गायब करने तथा म.न.सी.25/ 19 पुरानी टकसाल की ट्रस्ट प्रापर्टी को जालसाजी कर खरीद-फरोख्त करने , भ्रष्टाचार एवं जालसाजी करने एवं प्रार्थिनी को मयपरिवार जान से मारने के धमकी देने पर तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करने की महती कृपा की जाय । ताकि न्याय हो सके तथा मूर्ति विग्रहों को पुन: यथास्थान स्थापित कराकर पूजा-पाठ प्रारम्भ कराया जा सके।....

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Friday, June 25, 2010

निशंक की कुर्सी खतरे में , तरूण विजय लगे बचाने में

-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की कुर्सी खतरे में है।उन पर भ्रष्टाचार के कई बड़े आरोप लगने से पहले से ही परवान चढ़ी भाजपा की तथाकथित सुचिता की असलियत और तेजी से उजागर हुई है। सो और बेपर्दा होने से बचाने के लिए निशंक को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मंत्रणा शुरू हो गई है। जिससे बेचैन निशंक ने आडवाणी के यसमैन तरूण विजय पासी से कहा है कि आपको राज्य में जीताकर राज्यसभा में भेजवाया अब आप आडवाणी जी, सुषमा जी, जेतली जी,रामलाल जी, सोनी जी, मदनदास जी से कह कर मुझे बचाइये। सूत्रो के मुताबिक निशंक ने पैरवी के लिए राज्य के उस उप प्रभारी डा.अनिल जैन को भी आगे किया है जिसकी घोषित –अघोषित कम्पनियों व धंधो को निशंक ने अति मोटा फायदा पहुंचाया है। लेकिन अनिल जैन जगह-जगह घूमकर अपने बचाव की कोशिश कर रहे हैं । सूत्रो के मुताबिक पिछले दिनो एक टी.वी. चैनल ने भी निशंक सरकार के भ्रष्टाचार का सप्रमाण खुलासा किया था। एक स्टिंग आपरेशन में अरबो रूपये की एक बड़ी डील का पर्दाफाश हुआ था। बीमार इकाइयों को पुर्नजीवित करने के लिए गठित बोर्ड (बीआइएफआर) के मार्फत अनिल जैन की तथाकथित परिजनों, रिश्तेदारों की कम्पनी को 400करोड़ रूपये लाभ पहुंचाने की कोशिश का मामला, दिल्ली के एक बिल्डर को सारे नियम कायदे ताक पर रखकर कई अरब रूपये की जमीन देने का मामला ,आदि निशंक के तथाकथित भ्रष्टाचार के प्रमाण हैं। जिनके दस्तावेज विरोधी दलो के नेताओं के यहां भी पहुंच गये हैं। सूत्रो के मुताबिक निशंक को अपने जैसे ही भ्रष्टाचार के आरोपियों तरूण विजय पासी और अनिल जैन पर पूरा भरोसा है कि दोनो अपने-अपने आकाओं से गुजारिश करके उनको ( निशंक) बचा देंगे। क्योंकि निशंक ने दोनो को ही खुब लाभ पहुंचाया है। मालूम हो कि तरूण विजय पांचजन्य में पत्रकार रहे हैं।वहां रहते उन्होंने खूब घोटाले किये, जिसकी सप्रमाण शिकायत संघ के ही लोगो ने तबके संघ प्रमुख सुदर्शन से किया।संघ प्रमुख ने बहुत दबाव बनाकर तरूण विजय को पांचजन्य से हटवाया, क्योंकि उनके आका लालकृष्ण आडवाणी कत्तई नहीं चाहते थे कि तरूण को हटाया जाय।जब तरूण को सुदर्शन के दबाव में हटा दिया गया तो आडवाणी ने उनको श्यामाप्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट का मोटी पगार पर निदेशक बनवा दिया। और जब सुदर्शन जी संघ प्रमुख पद से हट गये, मोहन भागवत संघ प्रमुख हो गये , भागवत ने गडकरी को भाजपा प्रमुख बना दिया तो आडवाणी ने नीतिन गडकरी को चांप कर अपने यसमैन तरूण विजय को भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद बनवा दिया। तरूण विजय का उत्तराखंड में बहुत से धंधे हैं ,कौड़ियों के भाव राज्य भाजपा सरकार से जमीन लेकर अपना इंजिनियरिंग कालेज आदि खोलवाये हैं। जिसमें राजनाथ सिंह , सुषमा स्वराज से लगायत बहुतों ने मोटी रकम दिया है। इसी तरह निशंक भी पत्रकार रहे हैं, कुछ-कुछ कवि भी हैं । सबको खुश रखकर अपना काम निकालने में विश्वास रखते हैं। अनिल जैन डाक्टर हैं ,उद्योगपति हैं, सर्वे एजेंसी भी चलाते हैं,वनवासी कल्याण के एक संघ के बड़े की कृपा से भाजपा के डाक्टर सेल में कुछ बने और उसके बाद उत्तराखंड के उपप्रभारी बना दिये गये। इनका नोएडा में कोई फैक्ट्री है या नहीं , अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्री रहते झारखंड में 2 माइन्स मिली हैं या नहीं यह तो अनिल जैन या इनके परिजन, रिश्तेदार या अघोषित पार्टनर ही बता सकते हैं।कुल मिलाकर ये सब के सब जिन्नाजपी स्वंभू सरदार लालकृष्ण आडवाणी के एक से एक नमूने हैं।

60 प्रतिशत से कम अंक पर कामर्स और 70 प्रतिशत से कम अंक पर साइंस में एडमिशन नहीं

केन्द्रीय विद्यालयों में 11 वीं में 30 हजार छात्र अनचाहा विषय पढ़ने को मजबूर
10 हजार छात्रों का भविष्य अंधकारमय
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नये फरमान से लगभग 10 हजार से अधिक छात्रो का भविष्य अंधरकारमय हो गया है। सहायक आयुक्त पिया ठाकुर के हस्ताक्षर से दिनांक 16.06.10 को जारी सरकुलर ( F.11016/01/2010-KVSHQ/Acad/ ) के अनुसार
साइंस स्ट्रीम में उन्ही छात्रों का एडमिशन होगा जिनके कक्षा 10 वीं में प्राप्तांक 6 सीजीपीए यानी लगभग 60 प्रतिशत होगा । गणित में बी2 और विज्ञान में भी बी2 होगा ।यानी इन विषयों में 61 से 70 अंक होगा।
कामर्स स्ट्रीम में उन्ही छात्रो का नाम लिखा जायेगा जिनके कक्षा 10 वीं में प्राप्तांक 6 सीजीपीए यानी लगभग 60 प्रतिशत होगा। गणित में बी2 यानी 61 से 70 अंक होगा।
ह्यूमनिटीज स्ट्रीम ( मानविकी/ कला विषय) में 6 सीजीपीए यानी 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्रों का एडमिशन होगा।

इस नये फरमान के चलते केन्द्रीय विद्यालयों में 11 वीं कक्षा में विज्ञान( साइंस) विषय में उन्हीं छात्रो को प्रवेश दिया जा रहा है जिनका कुल प्राप्तांक 70 प्रतिशत व अधिक है।
वाणिज्य (कामर्स) विषय में उन छात्रो का नाम लिखा जा रहा है जिनके प्राप्तांक 60 प्रतिशत व अधिक हैं।

सूत्रो के मुताबिक केन्द्रीय विद्यालयों में इस वर्ष 10वीं में 55 से 59 प्रतिशत अंक पाने वाले लगभग 10 हजार छात्र हैं। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नये फरमान के चलते ये छात्र केन्द्रीय विद्यालय में वाणिज्य विषय नहीं ले सकते । इनको अब मजबूरी में कला वाला विषय पढ़ना होगा या वाणिज्य पढ़ने के लिए केन्द्रीय विद्यालय छोड़कर राज्यों के स्कूल में दाखिला लेना होगा। कई केन्द्रीय विद्यालयों में तो ह्यूमनिटीज स्ट्रीम ( मानविकी/ कला विषय) की पढ़ाई ही नहीं होती है, जैसे – केन्द्रीय विद्यालय,डी.एल.डब्लू., वाराणसी। यहां 59 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले बच्चे एडमिशन कराने के लिए दूसरे स्कूलों में धक्के खा रहे हैं। मोटी फीस व मोटे अघोषित डोनेशनी दान वसूलने वाले प्राइवेट स्कूल ( सीबीएससी सिलेबस वाले)इसका खूब फायदा उठा रहे हैं।
यही हाल विज्ञान पढ़ने के इच्छुक छात्रों का है। जिन छात्रों का कक्षा 10वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक आया है उनका केन्द्रीय विद्यालयों में विज्ञान में एडमिशन नहीं हो रहा है। ऐसे में 61 से 69 प्रतिशत तक अंक पाने वाले छात्र विज्ञान विषय से नाम लिखाने के लिए सीबीएससी सिलेबस वाले प्राइवेट स्कूलो के लूट के शिकार होने को मजबूर हो रहे हैं।

इस सरकुलर के पहले यह स्थिति नहीं थी। इसके पहले जो सरकुलर था उसके अनुसार 10वीं में कुल 55 प्रतिशत अंक और विज्ञान में 60 प्रतिशत, गणित में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्रों का एडमिशन 11वीं में विज्ञान वर्ग में हो जाता था।
इसी तरह कुल 55 प्रतिशत अंक और गणित में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र का एडमिशन वाणिज्य वर्ग में हो जाता था।
लेकिन इस साल से 70 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले को विज्ञान में और 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले को वाणिज्य में एडमिशन का नियम बनाकर लगभग 20 हजार छात्रो को विज्ञान की जगह वाणिज्य और लगभग 10 हजार छात्रो को वाणिज्य की जगह मानविकी / कला विषय लेने को मजबूर कर दिया गया है।

12वीं में 70 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र ही दे पायेंगे आईआईटी प्रवेश परीक्षा

-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय , दामोदर कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर 12वीं में 70 प्रतिशत व उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रो को ही आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने देने का नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। यदि यह हुआ तो 12वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले आईआईटी / इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं ।इससे गांवों व गरीब परिवार के छात्र सबसे ज्यादे प्रभावित होंगे। क्योंकि गांवों में तमाम अभावों के बीच बच्चे मेहनत करके पढ़ते हैं। किसी तरह से 60 – 65 प्रतिशत तक अंक ला पाते हैं । उ.प्र. , बिहार व अन्य कई राज्यों की बोर्ड परीक्षा व सिलेबस इतनी कठिन हैं कि छात्रों को अधिक अंक लाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इन बोर्डों से पास हुए 12 वीं के छात्रों को सीबीएससी से पास हुए छात्रों के अंक की बराबरी में लाना नाइंसाफी होगी। उ.प्र.व अन्य राज्यों के बोर्ड से सीबीएससी सिलेबस व परीक्षा बहुत आसान होती हैं। जिसके चलते सीबीएससी वाले छात्र अधिक अंक लाते हैं। ऐसे में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए 12 वीं में 70 प्रतिशत अंक का बैरियर लगा देने पर उ.प्र.,बिहार.पश्चिम बंगाल, राजस्थान, म.प्र.,उड़ीसा आदि राज्यों के गरीब छात्र आईआईटी में प्रवेश नहीं ले पायेंगे। दामोदर कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आईआईटी में एडमिशन सिर्फ इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर ही नहीं, बल्कि 12वीं के मार्क्स के आधार पर भी हो सकता है। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए बने पैनल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सिफारिश की कि आईआईटी में प्रवेश के लिए 12वीं के अंकों का 70 परसेंट वेटेज होगा और बाकी के 30 प्रतिशत अंकों के लिए पहले की तरह कॉमन इंट्रेंस टेस्ट होगा। इस 30 प्रतिशत मार्क्स के लिए छात्रों को ज्वाइंट इंट्रेंस टेस्ट देना होगा। ये टेस्ट साल में कभी भी लिया जा सकता है।हर साल जून में 12वीं के अंकों और इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर कट ऑफ लिस्ट बनेगी। इस लिस्ट के टॉप 40 हजार छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए एक और टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर आईआईटी में प्रवेश होगा। इस समय आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 4 लाख से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं।
सूत्रो के मुताबिक मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों का तर्क है कि आईआईटी के लिए कोचिंग के बढ़ते धंधे पर रोक लगाने के लिए यह पद्धति अपनाई जायेगी। जबकि कई शिक्षाविदों व तमाम सांसदों का कहना है कि इससे तो गरीब परिवार व गांवों के बच्चे आईआईटी प्रवेश परीक्षा दे ही नहीं पायेंगे। यह तो नियम इलीट परीवार, धनी परीवार के बच्चो के लिए लाभदायक होगा। गांवो व गरीब परिवार के बहुत से छात्र हैं जो 12 वीं में 55 से 65 प्रतिशत अंक पाये थे और आईआईटी व अन्य इंजिनियरिंग परीक्षाओं में पास हुए। दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू हो गई तो ऐसे छात्र तो इंनियरिंग की पढ़ाई ही नहीं कर पायेंगे। और इससे तो कोचिंग क्लास का धंधा और भी फलेगा-फूलेगा। कोचिंग वाले तो 9 वीं कक्षा से ही 12 वीं में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाने व आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने योग्य बनाने का लक्ष्य रख पढाने लगेंगे। शिक्षा का जितना बाजारीकरण हो रहा है कोचिंग का उतना ही मांग बढ़ रहा है, वह घटने वाला नहीं है। इसलिए उसके रोकने के नाम पर दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की योजना बनाना गांव व गरीब परिवार के छात्रो का हक मारना, उनके भविष्य से खेलवाड़ करना होगा।

Wednesday, June 23, 2010

क्या गडकरी की कृपा से जे.एस. राजपूत बनना चाहते कुलपति ?

-सत्ताचक्रSATTACHAKRA-
जुगाड़ लगाकर न केवल अपने पद पाने बल्कि बेटी व दामाद को पद दिलवाने और सत्ता के साथ रंग बदलने की कला कोई जे.एस. राजपूत (J.S.RAJPUT) से सीखे। जब अर्जुन सिंह केन्द्रीय शिक्षा मंत्री थे तो उनकी परिक्रमा व वंदना कर जे.एस राजपूत मालदार पद पा गये। जब केन्द्र में भाजपा की सरकार आई तो वह डा. मुरली मनोहर जोशी की गणेश परिक्रमा करने लगे और सबसे बड़े भगवाई बन गये। इस दौरान एनसीईआरटी के निदेशक रहते इन्होने अपनी सगी बेटी को लाभ पहुंचाने से लगायत अन्य जो कर्म किये उसे आज भी लोग याद करते हैं। बेटी वाला मामला तुल पकड़ने लगा तो जुगाड़ लगवाकर उसको यूजीसी में मोटी पगार पर पक्की नौकरी लगवा दिया। सूत्रो के मुताबिक उसका और ग्रेड बढ़वाने के लिए तबके शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी तक से यूजीसी के अधिकारी के यहां फोन करवाया । लेकिन अधिकारी ने जब यह बताया कि उनकी जो डिग्री है उससे अधिक लाभ ,सेलरी व योग्यतावाला पद पहले ही दे दिया गया है,आप कहें तो पूरी फाइल लाकर दिखा दूं,,उसके बाद जोशी ने कहा था कि उनको तो कुछ और बताया गया है।इस तरह वाजपेयी सरकार के समय एनसीईआरटी के निदेशक रहते जे.एस. राजपूत ने खूब भगवा झंडा लहराया। भाजपा सरकार के बाद जब यूपीए-1 की सरकार बनी और अर्जुन सिंह फिर केन्द्रीय शिक्षामंत्री बने तो जे.एस राजपूत ने फिर उनके दरबार में हाजिरी लगाई। लेकिन इस बार अर्जुन सिंह को इनकी मौसम के हिसाब से रंग बदलने की काबिलियत का अच्छी तरह पता चल गया था। सो उन्होने इस बार इनको घास नहीं डाला। तो राजपूत ने अखबारों में उनके खिलाफ घुमाफिराकर लेख लिखना शुरू कर दिया। इधर एक कोई विदेशी पुरस्कार था जो जे.एस. राजपूत को मिलना था उसकी मंजूरी की फाइल शिक्षा मंत्रालय में धूल फांकती रही। इस बीच राजपूत ने अंदर-अंदर अर्जुन सिंह को प्रसन्न करने की सारी हिकमत, जुगाड़ लगा लिया लेकिन बात बनी नहीं। जब यूपीए-1 का कार्यकाल कुछ माह रह गया था तब अर्जुन सिंह के यहां जे.एस.राजपूत सपत्निक गये और सब कुछ क्लियर कर देने का आग्रह किये। राजपूत ने उनसे यह भी आग्रह किया आप यू.जी.सी.में मेम्बर बनवा दीजिए तो समझूंगा कि आपने माफ कर दिया । सूत्रो के मुताबिक अर्जुन सिंह ने पुरस्कार वाली फाइल तो क्लियर करा दी लेकिन यू.जी.सी. का मेम्बर नहीं बनवाया। यूपीए-2 में कपिल सिब्बल केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री हो गये तो जे.एस राजपूत कई माह तक उनकी प्रशंसा में लेख लिखते रहे। कई जगह से जुगाड़ लगवाए कि सिब्बल उनको कहीं कुलपति बनवा दें या उस रैंक में दिल्ली में ही कहीं निदेशक बनवा दें। लेकिन सिब्बल ने उनको तरजीह नहीं दिया तो मनमसोसकर अब फिर भाजपा नेताओं की परिक्रमा करने लगे हैं। सूत्रो के मुताबिक जे.एस.राजपूत एक वि.वि. के प्रोवाइसचांसलर के साथ 7 जून 2010 के लगभग नागपुर गये थे। वहां वह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिले। चर्चा है कि राजपूत अब गडकरी की कृपा से म.प्र.या छत्तीसगढ़ के किसी विश्वविद्यालय में कुलपति या भाजपाशासित राज्यों में किसी आयोग में मोटे मालदार पद पर तैनाती चाहते हैं।

Monday, June 21, 2010

जांच के भय से तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक की नई चाल,

CNEB के राजनीतिक सम्पादक से पूछे-भैया, कुलपति को भेजे पत्र पर हस्ताक्षर आप का ही है,आप भेजे हैं ?
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
CNEB न्यूज चैनल पर एक खोजपरक कार्यक्रम “चोरगुरू” की लगभग डेढ़ दर्जन कड़ियां दिखाई जा चुकी हैं।जिसमें सुनामधन्य पूर्व कुलपतियों,प्रोफेसरों,रीडरों, लेक्चररों के नकलचेपी कारनामो का पर्दाफाश किया गया। जिसमें यह भी दिखाया गया कि कैसे नकलची प्रोफेसरो,रीडरों, लेक्चररों, उनकी नकलकरके बनाई गई पुस्तकों को छापने वाले प्रकाशकों,सप्लायरों और इनको प्रश्रय व संरक्षण देने वाले कुलपतियों का रैकेट बन गया है।जिसके चलते विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में ऐसे अध्यपकों की नकचेपी पुस्तकों की प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रूपये की खरीद हो रही है।जिसमें लगभग 300 करोड़ रूपये कुलपतियों,अध्यापकों,कुलसचिवों, लेखाधिकारियों,पुस्तकालयाध्यक्षों के बीच घूस के तौर पर बंट जाने का आरोप है।
चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामों, उनकी पुस्तकों को छापने, सप्लाई करने वालो,उनकी पुस्तकें खरीदवाने वाले कुलपतियों के पूरे रैकेट की जांच कराने के लिए CNEB न्यूज चैनल ने राज्यपालों,मंत्रियों, कुलपतियों को लगातार सप्रमाण पत्र लिखा है। इस पत्र पर CNEB न्यूज चैनल के राजनीतिक सम्पादक प्रदीप सिंह का हस्ताक्षर है।
ऐसा ही एक-एक पत्र उ.प्र.के राज्यपाल और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति के यहां भी रिसिव कराये गये हैं। कहा जाता है कि राज्यपाल के यहां से संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र गया है।जिसमें मैटरचोरी करके पुस्तकें ,शोध-प्रबंध लिखने वाले प्रोफेसरों,रीडरों,लेक्चररों के नकलचेपी आदि कारनामों की जांच कराने का निर्देश है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के पत्रकारिता विभागों(इस वि.वि. के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता का दो विभाग चलता है, दोनो में ही एक ही डिग्री दी जाती है, दोनो के अलग-अलग हेड हैं) के प्रो.राममोहन पाठक और रीडर अनिल कुमार उपाध्याय के नकलचेपी कारनामो को CNEB न्यूज चैनल पर कई एपीसोड में दिखाया गया था। अब राज्यपाल के यहां से इस नकलचेपी आदि कारनामो की जांच कराने का दबाव पड़ रहा है तो कुलपति को जांच कराना ही पड़ेगा। सो कहा जाता है कि इससे प्रो.राममोहन पाठक की बैचैनी बढ़ गई है। सो वह अन्दर-अन्दर एक और शातिर चाल चलने का उपक्रम कर रहे हैं। चाल यह है कि राज्यपाल और कुलपति को जांच कराने के लिए पत्र लिखने वाले लोग यदि किसी तरह कह दें कि पत्र उनने नहीं लिखा है, पत्र पर उनका हस्ताक्षर नहीं है, किसी ने उनके लेटर हेड पर लिखकर भेज दिया है,तो सारा मामला उलट जायेगा। जांच के लिए घिसट रही फाइल रद्दी की टोकरी में चली जायेगी। तथाकथित चोर गुरूवे फिर सीना ठोककर वही कदाचार , धंधा करने लगेंगे।


इसी चाल के तहत जो उपक्रम हो रहे हैं उसका एक प्रमाण है सांसद हर्षवर्धन (तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक के रिश्तेदार ने सांसद हर्षवर्धन से क्या कहा) को किया गया फोन ।
दूसरा प्रमाण है CNEB न्यूज चैनल के राजनीतिक सम्पादक प्रदीप सिंह को 03जून2010 को किया गया फोन।
प्रदीप सिंह को फोन प्रो.राममोहन पाठक ने किया था।उन्होने कहा कि आपको कल भी फोन किया था ,उठाये नहीं।जिस पर प्रदीप सिंह ने कहा कि बताइये क्या बात है। राममोहन पाठक ने उनसे घुमाफिराकर पूछा कि कुलपति , राज्यपाल के यहां जो पत्र गया है उस पर आप का हस्ताक्षर है,आपने भेजा है।प्रदीप सिंह ने कहा - हां मैंने ही भेजा है, पहले भी मैंने ही भेजा था।


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Sunday, June 20, 2010

तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक के रिश्तेदार ने सांसद हर्षवर्धन से क्या कहा

-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
.प्र.के महाराज गंज लोक सभा संसदीय क्षेत्र के सांसद हर्षवर्धन का 20 जून 2010 को दोपहर 01 बजकर 03 मिनट पर फोन आया था।उनसे 05 मिनट 34 सेकेंड बात हुई। हर्षवर्धन ने बताया कि देवरिया(उ.प्र.) से किसी का फोन आया था। कह रहा था- दैनिक जागरण में पत्रकार हूं,एक साल पहले आपसे मिला हूं। ( हर्षवर्धन व उस व्यक्ति में जो बात हुई वह लगभग निम्न क्रम व शब्दों में थी)-
हर्षवर्धन- हां बताइये।
वह व्यक्ति- कोई आपके लेटर हेड का दुरूपयोग कर रहा है।मेरे एक रिश्तेदार हैं प्रो. राममोहन पाठक , उनके बारे में वाराणसी के एक अखबार में पूर्णकालीक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू वि.वि. ,वाराणसी से पूर्णकालीक पी.एच-डी करने,नकल करके पी.एच-डी. शोध –प्रबंध लिखने,काशीविद्यापीठ में पुस्तकालय प्रभारी रहते हाथ से तीन गुना दाम बढ़वाकर पुस्तकें खरीदवाने आदि की जांच कराने की मांग आपके लेटर हेड पर लिखकर कोई राज्यपाल आदि के यहां भेजा है।
हर्षवर्धन- देखिये मेरे लेटर हेड का कोई दुरूपयोग नहीं किया है। वह पत्र मैंने ही लिखा है। जिन घोटालों की जांच कराने के लिए लिखा गया है उसका प्रमाण है।उसमें कुछ गलत हो तो आप बताइये।
वह व्यक्ति- आपसे हम लोग मिलना चाहते हैं, आप कहां है?
हर्षवर्धन- मैं अभी सीतापुर की तरफ निकल गया हूं, कल लखनऊ पहुंचुंगा।
वह व्यक्ति- हम लोग आपसे मिलना चाहते हैं।

उक्त बात सांसद हर्षवर्धन और उनको फोन करने वाले व्यक्ति के बीच हुई।यह बात हर्षवर्धन ने खुद फोन करके , खोजपरक कार्यक्रम “चोरगुरू” बनाने वाली टीम के एक सदस्य से बताई।
जिस पर टीम के सदस्य ने हर्षवर्धन से कहा कि आप उस व्यक्ति से कहिए कि दिल्ली आ जाये, साथ में राममोहन पाठक को भी लाये। आपकी उपस्थिति में ही “चोर गुरू” कार्यक्रम बनाने वाली टीम सारे प्रमाण सामने रखकर राममोहन पाठक से आन कैमरा पूछेगी , राम मोहन पाठक उसे गलत साबित करें ।
इस पर हर्षवर्धन ने कहा कि ठीक है,दिल्ली पहुंचकर उनको संदेश देता हूं।

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Friday, June 18, 2010

“ पिताजी (नामवर सिंह) ने काशी के ज्योतिषाचार्य चंद्रभान पाण्डेय से मेरी व अपनी जन्मपत्री बनवाई थी ” – विजय प्रकाश सिंह

- सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में सदानन्द शाही मास्टर हैं। पढ़ने –पढ़ाने के साथ-साथ वे साहित्य की थोड़ी बहुत धंधासेवा भी करते हैं।उनके सम्पादन में बनारस से “ साखी ” नामक एक अनियतिकालीन साहित्यिक पत्रिका निकलती है। जो उनके धंधासेवा का प्रमुख माध्यम है। “साखी” के ताजा अंक में विजय प्रकाश सिंह का अपने पिता नामवर सिंह के बारे में लेख छपा है। लेख है- “ पढ़ते फिरेंगे गलियों में इन रेख्तों के लोग ” ।
विजय प्रकाश सिंह के लेख पर उनके चाचा यानी नामवर सिंह के छोटे भाई काशीनाथ सिंह बहुत पिनपिनाये हुए हैं। जबकि लेख में काशीनाथ सिंह का कहीं कोई जिक्र नहीं है। काशीनाथ की नाराजगी पर एक शेर सटीक बैठता है-
वह बात जिसका सारे फसाने में जिक्र न था,
वह बात उनको बहुत नागवार गुजरी है ।
चर्चा है कि विजय प्रकाश सिंह के लेख का जबाब देने के लिए काशीनाथ सिंह ने भारत भारद्वाज (राय) को, “अपना मोर्चे ” पर लगाया है।
म.गां.अं.हि.वि..वर्धा के तथाकथित सेकुलर जातिवादी जनवादी पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण राय ने खुफिया पुलिसकर्मी रहे भारत भारद्वाज (राय) को, वि.वि.की पत्रिका “पुस्तक वार्ता” के सम्पादक पद पर नियुक्त किया है। नामवर सिंह इसी म.गां.अं.हि.वि..वर्धा के कुलाधिपति भी हैं।
दूसरी तरफ विजय प्रकाश सिंह का कहना है- मैं भी मुख में जुबान रखता हूं ...।
अब आगे-आगे- देखिये होता है क्या ...?
यहां प्रस्तुत है “साखी” में छपा विजय प्रकाश सिंह का लेख-
अवदान होता।अंत में, पिताजी के 83 वें जन्मदिन पर शतायु होने की शुभकामनाएं । ऐसे में मीर का एक शेर मौजूं है –
पढ़ते फिरेंगे गलियों में इन रेख्तों को लोग
आती रहेंगी याद ये बातें हमारियां ।

Tuesday, June 15, 2010

एंडरसन भोपाल से आने के बाद दो दिन दिल्ली रहा, उसे क्यों नहीं गिरप्तार की राजीव सरकार
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।यूनियन कार्बाइड का सीईओ वारेन एंडरसन भोपाल से म.प्र. सरकार की जहाज से दिल्ली आ गया, यहां दो दिन रहा, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला , उनकी चाय पी, गृहमंत्री पी.वी.नरसिंहराव से मिला , कहा जाता है कि उसने केन्द्र सरकार के सर्वोच्च व एक अन्य वी.वी.आई.पी को भी फोन करके धन्यवाद दिया।उसके बाद अपने चार्टर हवाई जहाज से अपने देश अमेरिका चला गया। केन्द्र की राजीव गांधी सरकार ने इस दो दिन में उसको गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? यदि 7 दिसम्बर 84 को एंडरसन को म.प्र. सरकार ने अपने जहाज से दिल्ली भेजा तो केन्द्र की राजीव सरकार ने उस जहाज को दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड क्यों करने दिया ? यदि लैंड करने दिया तो उससे उतरते ही एंडरसन को गिरफ्तार क्यों नहीं कराई? उसे उसके चार्टर विमान को दिल्ली हवाई अड्डे से अमेरिका के लिए उड़ान क्यों भरने दी ? सूत्रो के मुताबिक 7 दिसम्बर 84 को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित यूनियन कार्बाइड के वाताकुनूलित गेस्ट हाउस में गिरफ्तार करके भारी पुलिस सुरक्षा घेरे में रखे गये वारेन एंडरसन को तुरंत छोड़ने और वापस सुरक्षित भेजवाने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने सीधे भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को फोन किया था।उसके बाद भोपाल के एस.पी. और डी.एम. ने उस गेस्ट हाउस में जाकर एंडरसन की जमानत पर छोड़ने की खानापूर्ति करके उसे राजाभोज हवाई अड्डे पर दिल्ली के लिए उड़ान भरने को तैयार राज्यसरकार की हवाई जहाज में बैठा दिया। वह जहाज एंडरसन को 1 घंटे 35 मिनट में दिल्ली हवाई अड्डे पर उतार दिया। जहाज से उतरने के बाद उसे बाइज्जत एअरपोर्ट अथारिटी की एम्बेस्डर कार में एअर पोर्ट के वीआईपी गेट पर लाया गया। जहां एक एम्बेस्डर कार उसका इंतजार कर रही थी। उसमें बैठकर वह अमेरिकी दूतावास द्वारा इंतजाम किये गये जगह पर चला गया। दिल्ली में वह तबके राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला,उनकी चाय पी, राजीव सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कहा जाता है कि उसने अपने देश के राष्ट्रपति के कहने पर दिल्ली के जिस वीवीआईपी ने भोपाल फोन करके उसे छोड़वाया उसको भी धन्यवाद दिया। गृहमंत्री पी.वी. नरसिंह राव से भी मुलाकात की उनकी चाय पी।इस तरह एंडरसन भोपाल से आने के बाद एक दिन दिल्ली में रूकने और यहां मदद करने वालो को धन्यवाद देने के बाद, दिल्ली हवाई अड्डेपर खड़े अपने चार्टर प्लेन से वापस अमेरिका चला गया। इस दो दिन तक राजीव गांधी की सरकार दिल्ली में उसे क्यों नहीं गिरप्तार की, क्यों उसका धन्यवाद स्वीकार करती रही ? वारेन एंडरसन को भोपाल में अर्जुन सिंह ने तो गिरप्तार करवा दिया था, केन्द्र की राजीव सरकार ने उसे क्यों छोड़वाया, क्यों दिल्ली हवाई अड्डे से उसकी जहाज उड़ने दिया? अर्जुन सिंह ने एंडरसन को भोपाल हवाई अड्डे से सीधे न्यूयार्क तो भेजवाया नहीं। एंडरसन तो भोपाल से दिल्ली ही आया, रूका फिर अमेरिका गया।क्या,भोपाल का हवाई अड्डा, दिल्ली का हवाई अड्डा और केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय भी म.प्र. की सरकार और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अधीन थे ? ये तो केन्द्र की राजीव गांधी सरकार के अधीन थे ।ऐसे में एंडरसन को दिल्ली हवाई अड्डे पर 7 दिसम्बर 84 की शाम म.प्र. सरकार के विमान से उतरते ही राजीव गांधी की सरकार ने गिरफ्तार क्यों नहीं कराया? उसके चार्टर प्लेन को जप्त क्यों नहीं कराया?उसको दिल्ली में वीवीआईपी स्वागत राजीव गांधी की सरकार के मंत्रियो आदि ने क्या अर्जुन सिंह के आदेश किया ?

Saturday, June 12, 2010

Rajiv govt bailed out Anderson: CIA note
TNN, Jun 12, 2010, 12.47am IST
NEW DELHI: The suspicion that orders from the Rajiv Gandhi government at the Centre led to Union Carbide boss Warren Anderson being released from the custody of Madhya Pradesh police has been further strengthened by a declassified CIA report. The central government was "quick to release the Union Carbide chairman from house arrest yesterday", said the report going back to December 8, 1984. Giving an explanation for Centre's intervention, it says: "New Delhi believes state officials were overly eager to score political points against the company." Interestingly, it refers to media reports to conclude that both Centre and state governments were looking to "deflect the blame on the subsidiary", the observation suggesting that the American intelligence agency did not hold the MNC primarily responsible for the worst-ever industrial disaster. Though the report, not surprisingly, skips any reference to diplomatic intervention as has been alleged in some quarters, it makes a strong suggestion that in releasing Anderson, Arjun Singh, the then CM of Madhya Pradesh, acted on the Centre's orders. The report notes that criticism over the Bhopal disaster was directed at the Indian subsidiary of Union Carbide and the central government for inadequate safety measures and poor relief, and that a case of negligence has been filed. Since the note is written some 26 years ago and declassified only in January 2002, it reflects what must be the honest assessment of the CIA station in New Delhi.

Centre hastened release of Anderson: CIA document
PTI
Friday, June 11, 2010 22:11 IST
New Delhi: The Rajiv Gandhi government had hastened the release of the then Union Carbide chief Warren Anderson from house arrest, according to United States' Central Intelligence Agency.
"The central government's quick release of the Union Carbide Chairman from house arrest yesterday, however, suggests that New Delhi believes state officials were overly eager to score political points against the company..." a CIA document declassified in January, 2002 says.
According to the East Asia Brief for December, 1984, issued on December 8 that year, "with Indian national elections just over two weeks away, both state and central government politicians are trying to deflect blame from themselves to the subsidiary and to wring compensation from its parent company."
It said public outcry almost certainly will force the new government to "move cautiously" in developing future foreign investment and industrial policies "and relations with multinationals -- especially US -- firms."
According to the report, the "incident" is not likely to have a "major effect" on the Lok Sabha election.

Saturday, June 5, 2010

पत्रकार हरिशंकर राज्यसभा उम्मीदवारी की चाहत में शिबू को साथ लेकर राजनाथ के घर गये थे

-सत्ताचक्र(SATTACHAKRA)गपशप-

नईदिल्ली। कांग्रेस की मालकिन और उनके चहेते मैनेजरो की मनमानी से परेशान होकर झारखंड विकास मोर्चा प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने और अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी शुरू कर दी। सूत्रो के मुताबिक इसकी जड़ राज्य सभा की उम्मीदवारी है। दिल्ली में कांग्रेसी मैनेजरो की बाबूलाल से बात हुई। दोनो तरफ से अपने –अपने उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई। बाबूलाल ने कहा कि रांची जाकर अपने विधायकों से बात करके बताते हैं।उधर बाबूलाल मरांडी हवाई जहाज पर रांची के लिए बैठे ,इधर कांग्रेस ने देशी दारू के धंधे वाले खानदान के एक खरबपति धीरज साहू को झारखंड से राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया। यह खबर मिलते ही आहत बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने तक के बारे में विचार शुरू कर दिया।जिसके लिए उन्होंने 5 मई को अपरान्ह अपने विधायकों के साथ बैठक की। आहत बाबूलाल ने कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने की मुद्रा में कहा- हम शादी करके पत्नी की तरह रह सकते हैं,रखैल की तरह नहीं। गटबंधन टूट सकता है की सूचना मिलते ही कांग्रेसी मैनेजर अहमद पटेल ने रांची बाबूलाल मरांडी को फोन किया , कहा- मरांडी जी आप अपना उम्मीदवार खड़ा कीजिए , कांग्रेस सपोर्ट करेगी। इस पर बाबूलाल ने कहा – अहमद पटेल जी, आपलोग पहले गठबंधनधर्म नहीं निभाये, अपनीमनमानी किये , और अब गठबंधन टूटने की नौबत आने पर कह रहे हैं कि अपना उम्मीदवार खड़ा कीजिए । उधर झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष किसी उद्योगपति गोयनका को कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का दूसरा प्रत्याशी बनाने के लिए साथ लेकर घूम रहे हैं। उन्होने गोयनका को समर्थन करने के लिए झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी से बात किया तो बाबूलाल ने उनको खूब हड़काया।कहा जाता है कि गोयनका को समर्थन के लिए भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष ने झामुमो नेता शिबू सोरेन को भी फोन किया था।
इधर राज्यसभा उम्मीदवार बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिये पत्रकार हरिशंकर व्यास ने आग्रह करके शिबू सोरेन को 4 मई को रांची से दिल्ली बुलाया। शिबू सोरेन अपने विधायकों को बताये बिना दिल्ली आ गये। हरिशंकर व्यास उनको साथ लेकर रात लगभग 10 बजे पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के आवास पर गये। वहां राजनाथ सिंह ने शिबू सोरेन से कहा कि झामुमो यदि हरिशंकर व्यास को राज्यसभा का उम्मीदवार बना दे तो भाजपा सपोर्ट कर सकती है। सूत्रो का कहना है कि हरिशंकर व्यास ने कांग्रेसी मैनेजर अहमद पटेल से भी समर्थन के लिए बात की, लेकिन अहमद ने कोई आश्वासन नहीं दिया।कहा जाता है कि हरिशंकर व्यास ने शिबू से कहा है कि उनको झामूमो राज्य सभा का उम्मीदवार बना दे, बदले में वह कांग्रेस या भाजपा जिसके साथ कहे सरकार बनवा देंगे। इस सबके बारे में जब झामुमो विधायकों को पता चला तो उनने 4मई को रांची से फोन करके शिबू सोरेन की खूब ऐसी की तैसी की।और इसकी काट के लिए 5मई को के.डी. सिंह को झामुमो का राज्यसभा का प्रत्याशी , आजसु व 3 निर्दलियों के समर्थन से घोषित कर दिया।उनके दबाव में शिबू की एक नहीं चली। इधर भाजपा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किसी उद्योगपति अग्रवाल को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। कहा जाता है कि अग्रवालजी खूब पुष्पम-पत्रम चढ़ा रहे हैं। अग्रवाल की लाबिंग के लिए आजसू के विधायकों को प्रसन्न करके 3-4 मई को दिल्ली लाया गया था, भाजपा अध्यक्ष गडकरी से मिलवाया गया।कहा जाता है कि अग्रवाल ने झारखंड भाजपा अध्यक्ष रघुबर दास को 3 डोलची भूल चढ़ा कर संतुष्ट कर दिया है । सो रघुबर दास भी अग्रवाल –अग्रवाल जप रहे हैं। इधर झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष किसी उद्योगपति गोयनका को कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का दूसरा प्रत्याशी बनाने के लिए साथ लेकर घूम रहे हैं। उन्होने गोयनका को समर्थन करने के लिए झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी से बात किया तो बाबूलाल ने उनको खूब हड़काया।कहा जाता है कि गोयनका को समर्थन के लिए भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष ने झामुमो नेता शिबू सोरेन को भी फोन किया था।

Tuesday, June 1, 2010