Saturday, November 27, 2010

चोरगुरू संरक्षक कुलपतियों (विभूति,अवध,सारस्वत,यादव)की बनने लगी पत्री

  • -सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
    नकल करके पी.एच-डी.,डि.लिट.शोध-प्रबंध लिखने ,देशी-विदेशी पुस्तकों शोध पत्रों से मैटर हूबहू उतारकर कटपेस्ट करके अपने नाम से किताब छपवाकर लेक्चरर,रीडर व प्रोफेसर बन गये चोरगुरूओं को नियुक्त कर रहे ,इन चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे माडिया में उजागर होने और लिखित शिकायत के बाद भी इन्हे बचा रहे कुलपतियों की कुंडली तैयार होने लगी है।इन कुलपतियों में प्रमुख हैं- सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित को महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि., वर्धा में पत्रकारिता का प्रोफेसर हेड नियुक्त करने और अब बचाने में लगे पुलिसिया कुलपति “छिनाली” फेम विभूति नारायण राय ; वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. ,जौनपुर के पूर्वकुलपति आर.सी.सारस्वत(सारस्वत 22 नवम्बर 10 को सेवानिवृत हुए और अपने रहते वि.वि. के चार चोरगुरूओं को,उनकी लिखी किताबों को छापने व सप्लाई करने वाले को बचाने का हर उपक्रम किये) ;एक प्रोफेसर व एक रीडर चोरगुरू को बचारहे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के कुलपति अवधराम; एक प्रोफेसर चोरगुरू को बचा रहे अवधेश प्रताप वि.वि. रीवा के कुलपति यादव की कुंडली तैयार होने लगी है। राष्ट्रपति व राज्यपालों तथा केन्द्र व राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय में कुलपतियों के खिलाफ नकलचेपी अध्यापकों यानी चोरगुरूओं को बचाने ,जांच कमेटी बनाकर मामला लटकाने,चोरगुरूओं को प्रोमोट करने का प्रमाण का पुलिंदा पहुंचने के बाद फाइल तैयार होने लगी है। चोरगुरूओं व उनकी पुस्तकें छापने-बेचने वाले को बचाने –बढ़ाने वाले जो कुलपति सेवानिवृत हो रहे हैं उनकी भी फाइल बन रही है,ताकि उनको भी पूछताछ के लिए तलब किया जा सके ।पुलिसिया कुलपति“छिनाली” विभूति अपने सजातीय चोरगुरू अनिल राय को बचाने की नैतिकता परवान चढ़ाते हुए अपने गांव जोगहरा ,आजमगढ़(उ.प्र.) में हीना देसाई की हरतरह की व्यवस्था में अपना 60 वां जन्म दिन मना रहे हैं

Sunday, November 21, 2010

नीरा की टाटा,रंजन,बरखा,वीर,कोनीमोझी,एराजा ,तरून,वेनु से बातचीत का टेप outlookindia.com पर

-सत्ताचक्रsattachakra-

radia tapes
Give Your Story To A Paper Which Will Carry It As A Lead Flyer. Isko CNBC Ko Do.’
M.K. Venu, Senior business journalist

Hear it as they spoke it: The Power Tapes
***
M.K. Venu: You saw Rohini’s story. It has come today.
Niira Radia: No, I haven’t seen it. I’m going to see it now. I finished at 1.30 in the night.
MK: But it’s all tucked away. You’re also keeping Manoj Modi’s timings. 2 o’ clock!
NR: It’s tucked away, is it?
MK: Yeah, but in ET you can’t miss it. It is the inside page but it’s the top half, the lead story of the page.
NR: You know this one, Ganapathy has been chasing me but I don’t want to give it to him. I have a letter from the Andhra chief minister.
MK: Hmm.
NR: I don’t want to give it to him, I am scared to give it and find the story killed. What do you think I should do? He has given a scathing attack. He has written to the PM.
MK: The Andhra CM. Two years ago, he used to sing Anil Ambani’s tune. It is a very strong letter, yaar.
NR: Kya karoon yaar. I don’t want it tucked away.
MK: Objective advice. Isko aise akhbar ko do jo isko lead flyer carry kare. Isko CNBC ko do. Then these people will be adequately provoked. If CNBC carries it as a lead 10 times a day, then everyone will start running helter skelter. If I was the editor, Rohini’s story was a clean Page 1, top half, like a lead story. Do you think a letter to the MD is possible? Broadly saying that we congratulate the launch of ET Now and then you can raise this issue that there is this raging controversy that is of national interest and we hope you can take which is, you know, which is in keeping with what Y.S.R. Reddy has written. Aisa karke you should lagao one.
NR: How is Prabhakar Sinha in Times?
MK: My information is that he and his brother Arun Kumar are retainers on the other side. About Arun Kumar, I am quite sure. He and Sandeep Bamzai used to be so openly partisan. I met Shekhar Bhatia at dinner, he used to be executive editor then, he told Sandeep Bamzai ki kam se kam ek hafta to chhod do. At least three to six months, you don’t plug him. This is what Shekhar Bhatia told him publicly.
NR: Yes, I don’t blame him. I met Sukumar and Sanjoy Narayan.
MK: That Sanjoy Narayan has an old friendship with that Tony (Jesudasan), na? They have some great common interests.
Hear it as they spoke it: The Power Tapes
***


Also In This Story
radia tapes
All Lines Are Busy
There was not one pie Niira Radia didn’t have her hand in nor any area—media, corporate or government—she didn’t have a contact in

radia tapes
‘I Know Who Planted In Congress That Azhagiri Knows No English’
A. Raja, Former telecom minister

radia tapes
‘How Do I Make Dad Understand? He Doesn’t Understand...’
Kanimozhi, Rajya Sabha MP

radia tapes
I Am Surprised Raja After All You Did For Him Is Playing This Game’
Ratan Tata, Chairman, Tata Sons

radia tapes
What Do You Want Me To Tell Them (The Congress)? Tell Me. I’ll talk To Them.’
Barkha Dutt, Group editor, English news, NDTV

radia tapes
'Who Do You Want Congress To Talk To? Karunanidhi? I’ll Speak To Ahmed Patel.’
Vir Sanghvi, HT advisory editorial director

radia tapes
‘So, How Did You Find Sunil (Mittal)? What Did You Think Of Him?
Tarun Das, Former CII honcho

‘Mukesh Said, Haan Yaar, Ranjan, Congress To Ab Apni Dukaan Hai’
Ranjan Bhattacharya, Former PM Atal Behari Vajpayee’s foster son-in-law

the PM

Wednesday, November 17, 2010

विभूति नारायण राय ने एक और सजातीय कृष्णकुमार सिंह(राय) को प्रोफेसर नियुक्त किया

-SATTACHAKRAसत्ताचक्र-
महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में अपना कुलपति पद( नौकरी) बचाने के लिए शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल से बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले पुलिस विभूति नारायण राय ( VIBHUTI NARAYAN RAI / V.N.RAI ) ने अपने एक और सजातीय कृष्णकुमार सिंह(राय) को महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा में उसी तरह से प्रोफेसर नियुक्त कर दिया ,जिस तरह से चोरगुरू अनिल के राय अंकित को किया। अपने नाम के आगे राय नहीं लिखकर ,सिंह लिखने वाले कृष्णकुमार उसी जाति के हैं जिस जाति के विभूति राय हैं।विभूति नारायण राय उ.प्र. के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं और कृष्णकुमार सिंह (राय)उसके सटे जिले बलिया के रहने वाले हैं।लगभग दो साल पहले वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के और दो सत्र से महात्मागांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के अन्तर्गत टाउन डिग्री कालेज बलिया में कृष्णकुमार (राय) हिन्दी के रीडर थे। विभूति ने इनको वहां से लाकर प्रोफेसर बनाया है। महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में जिन लोगो का नाम “छिनाली ” विभूति नारायण राय ने अपने समर्थन वाली सूची में दिखाया – बंटवाया था उसमें इस कृष्णकुमार सिंह (राय) का भी नाम था।

Tuesday, November 9, 2010

राज्यपाल जोशी ने चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों को दी कड़ी हिदायत

कोटा से अधिक छात्रों को शोधकराने वाले अध्यापको पर भी कड़ी कार्रवाई का संकेत
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
(यह खबर सायं 6 बजे अपडेट की गई है।इसके पहले सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर जो खबर लगी थी उसमें राज्यपाल जोशी द्वारा नकलचेपी आदि मामले में कुलपतियों की बैठक बुलाने की रिपोर्ट थी)
.प्र.के राज्यपाल बी.एल.जोशी ने लखनऊ में आज ( 9 नवम्बर 2010) प्रदेश सरकार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई थी। बैठक का जो एजेंडा था उसमें सबसे प्रमुख एजेंडा चोरगुरूओं और उनकी नकलचेपी पुस्तकों को छापने व विश्वविद्यालयों में करोड़ो रूपये की ऐसी पुस्तकें सप्लाई करने वाले प्रकाशकों-सप्लायरों पर कुलपतियों द्वारा अब तक की गई कोई ठोस कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट व समीक्षा रही। इस मामले में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलपति सारस्वत व कुलसचिव बी.एल.आर्या और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति अवध राम को जबाब देना होगा। पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति सारस्वत व कुलसचिव आर्या तो अपने वि.वि. के चोरगुरूओं - प्रो.रामजी लाल, अनिल कुमार राय अंकित (अब “छीनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय की कृपा से हिन्दी वि.वि.वर्धा में प्रोफेसर बन गया है और वहां पुलिसवालाकुलपति इस चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने में जुटा हुआ है । अनिल कुमार राय अंकित यहां पत्रकारिता विभाग का लेक्चरर-हेड रहते एक दर्जन से अधिक अंग्रेजी व हिन्दी की पुस्तकें लगभग पूरी की पूरी कट-पेस्ट करके अपने नाम से छपवाया और उन पुस्तकों को अपने वि.वि. के लाइब्रेरी में सैकड़ो की संख्या में खरीदवाया।) और रीडर एस.के. सिन्हा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, तीनों को बचाने में पूरी तरह जुटे हैं।अखबार , टीवी चैनल पर इस बारे में खबर आने और राज्यपाल के यहां से इसपर कार्रवाई करने के लिए दबाव पड़ा तो सारस्वत व आर्या ने चोरगुरू रामजी लाल के शुभचिन्तक एक व्यक्ति को जांच अधकारी बनाकर जांच सौंप दिया । लेकिन सारस्वत व आर्या ने उस अपने चहेते जांच अधिकारी को वे दस्तावेज नहीं दिये जो इन चोरगुरूओं के कट-पेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम छपवाने के सैकड़ो पेज प्रमाण आन कैमरा, कृष्णमोहन सिंह और संजय देव नामक पत्रकार ने इसी कुलपति-ककुलसचिव को दिया था। जांच अधिकारी ने रामजी लाल ,सिन्हा,अनिल कुमार राय अंकित से एक भी प्रमाण नहीं मांगा नहीं उनसे पूछताछ की। एक टीवी चैनल पर रामजीलाल आदि के बारे में जो दिखाया गया था उसका प्रमाण सीडी उस जांच अधिकारी को रीसिव करा दिया गया था। लेकिन उस जांच अधिकारी ने अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं दिया है। चर्चा है कि सारस्वत –आर्या ने उसे मामले को दबाने व रफा-दफा करने का इशारा कर दिया है। इसबीच कुलपति सारस्वत ने प्रदीप माथुर नामक एक व्यक्ति को 20 हजार रूपये महीने पर अपना एडवाइजर बना लिया है , जो कि माह में एक-दो दिन के लिए आता है और 20 हजार रूपये ले जाता है।यह प्रदीप माथुर वही हैं जिनको चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके लिखी अपनी एक पुस्तक समर्पित की है। यह माथुर भी चोरगुरू रामजीलाल,सिन्हा व अनिल कुमार राय अंकित को बचाने का सलाह सारस्वत व आर्या को दे रहे है। अनिल कुमार राय अंकित के अधिन जौनपुर में लेक्चरर रहते लगभग एक दर्जन और इस समय उसके अंडर में ( पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर ,राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन वि.वि. इलाहाबाद,ग्रामोदय वि.वि. चित्रकूट, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा में ) कुल 15 से अधिक शोध छात्र, शोध कराने का रजिस्ट्रेशन करवा रखे हैं । जबकि यू.जी.सी . के नियम के अनुसार अनिल कुमार राय लेक्चरर रहते जौनपुर में अपने अधिन 4 और वर्धा में प्रोफेसर रहते 8 शोध छात्रों को ही शोध निर्देशन कर सकता है। कहा जाता है कि प्रदीप माथुर पूर्वांचल वि.वि. से उसके इस धतकर्म की फाइल को ठीक कराने में जुटे हुए हैं। इस तरह पूर्वांचल वि.वि. का कुलपति सारस्वत और कुलसचिव आर्या अपने यहां के चोरगुरूओं और कोटा से बहुत अधिक अपने अधिन शोधकराने वाले अध्यापकों को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर रहे हैं। कुलपति पद पर सारस्वत का टर्म 22 नवम्बर 2010 को पूरा हो रहा है, वह चाहते हैं कि तब तक चोरगुरूओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो। चर्चा है कि चोरगुरूओं की पुस्तकें छापनेवाले , SHREE PUBLISHERS & DISTRIBUTORS, 20 ANSARI ROAD, DARYAGANJ, NEW DELHI-110002 और सप्लायर कम्पनी INDIKA के मालिक प्रशांत जैन व उसके परिजन बीते 5 साल में पूर्वांचल वि.वि. को लगभग 3 करोड़ रूपये की पुस्तकें सप्लाई किये है, जिसमें ज्यादेतर पुस्तकें नकलकरके लिखी गई हैं,इन प्रति पुस्तकों पर सप्लायर जैन घोषित रूप से 60 प्रतिशत तक छूट देता है ( जिसका प्रमाण अपने पास है)। जबकि विश्वविधालयों-महाविद्यालयों में मात्र 5 से 10 प्रतिशत के लगभग छूट देकर ही करोड़ो रूपये की पुस्तकें सप्लाई करता है।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 3 करोड़ रूपये की पुस्तक खरीद में लगभग डेढ़ करोड़ रूपये तो सारस्वत,आर्या, चोरगुरूओं,लाइब्रेरियन,लेखाअफसर आदि की सेवा में चढ़ा होगा।
लगभग यही हाल महात्मा गांधी काशी विधापीठ, वाराणसी का है। वहां के पत्रकारिता के दो विभागों( इस छोटे से विश्वविद्यालय के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता के दो विभाग हैं, दोनो के दो हेड हैं, जबकि पढ़ाई एक ही जैसे कोर्स की होती है) के चोरगुरू राममोहन पाठक व अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा नकल करके पीएचडी ,डीलिट शोध ग्रंथ लिखने और पुस्तकें छपवाने ,उस आधार पर नौकरी-प्रमोशन पाने की सप्रमाण शिकायत कुलपति अवध राम के यहां की गई है। कुलपति राम ने कोई जांच भी बैठाई है , जिसने चोरगुर राममोहन पाठक और अनिल उपाध्याय से उनका लिखित वर्जन भी मांगा था। अभी तक वह जांच चल ही रही है। यहां भी यूजीसी नार्म से अधिक शोध-छात्रों को अपने अधिन शोध कराने का मामला है ,पर अब तक किसी अध्यापक के विरूद्ध् कार्रवाई नहीं हुई।यह हाल है धतकर्मी अध्यापकों और उनके संरक्षक कुलपतियों का। “छिनाल” मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से अपना कुलपति पद बचाने के लिए बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले म.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय तो अपने प्रिय चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर ही रहे हैं।दिखाने के लिए तो “छिनाली” विभूति ने भी फरवरी 2010 में , भ्रष्टाचार में गले तक फंसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति की एक सदस्यीय जांच कमेटी बना दिया था । उस जांच कमेटी ने अभी तक कुछ नहीं किया । वह कमेटी है भी या खत्म हो गई या उससे कुछ अपने अनुसार लिखवार कर चोरगुरू अनिल राय और उसके पुलिसिया कुलपति संरक्षक विभूति राय ने ले लिया ,इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति , जांच अधिकारी और वर्धा के कुलपति और जांच अधिकारी को पत्र दिया गया था कि चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे की जांच आन कैमरा कराई जाय जिसमें उन सबको बुलाया जाय जिनने चोरगुरूओं की करनी उजागर किया है । आन कैमरा जांच अधिकारी सुनवाई करे , जहां कुलपति भी उपस्थित रहे और वहां चोर गुरू अपनी पुस्तक मैटर चोरी नहीं करके लिखने का प्रमाण दें और जिनने चोर गुरूओं के चोरी के कारनामों का खुलासा किया है वे लोग उनके नकलचेपी किताबें लिखने का प्रमाण दें। यह पूरा रिकार्ड हो। लेकिन किसी भी जांच अघिकारी और कुलपति ने ऐसा नहीं कराया,उस “छिनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति राय ने भी नहीं जो अपने को बहुत ही तथाकथित नैतिक होने का अभिनय करके वामपंथियों से जुगाड़ लगाकर कुलपति बने। बुंदेल खंड वि.वि. झांसी के कुलपति रहे और दिल्ली वि.वि. के बर्खास्त प्रोफेसर रमेश चन्द्रा ने भी कट-पेस्ट करके वालूम की वालूम,कई दर्जन पुस्तकें अपने नाम छपवा लिये हैं। उन्होंने सामग्री लाकर उसी वि.वि. के एक रीडर श्रीवास्तव को दिया और कहा कि हमारे नाम पुस्तक बना दो , जो मैटर बचे उसको उनकी रिश्तेदार सविता (तब उसी वि.वि. में लेक्चरर थी इस समय जामिया मीलिया,दिल्ली में रीडर है)और अपने नाम से पुस्तकें बना लो। श्रीवास्तव ने ऐसा ही किया ( यह बात श्रीवास्तव ने आन कैमरा कहा है , जिसका प्रमाण अपने पास है)।इन सब पर बुंदेलखंड वि.वि. ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की।
इस तरह के बहुत से चोरगुरूओं का कच्चा चिट्ठा अभी और है। पूर्वांचल वि.वि जौनपुर तो चोरगुरूओं और कटपेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम बनाने ,छपवाने वाले अध्यापकों का गढ़ जैसा हो गया है। नकल करके पुस्तकें लिखने वाला प्रो. प्रेम चंद पातंजलि जब पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर का कुलपति बना और अपने जैसे ही कई चोरगुरूओं को लाकर अध्यापक आदि पद पर नियुक्त किया , तभी से पूर्वांचल वि.वि. चोरगुरूओं , उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने-सप्लाई करनेवालों का गढ़ बनता गया।
आज की बैठक में राज्यपाल बी.एल.जोशी ने ऐसे चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों के अब तक के कारनामों की जो रिपोर्ट ली,उसकी समीक्षा की ,उस पर राजभवन से जल्दी ही कुछ और कड़े निर्देश जारी होने का अनुमान है। लेकिन नेताओं,मंत्रियों,नौकरशाहों की चरणवंदना और गणेश परिक्रमा करके,तथाकथित भारी चढ़ावा चढ़ा कुलपति बनने वाले कई महानुभाव लोग अपने बचने और अपने चहेते चोरगुरूओं व उनके नकलचेपी पुस्तकों को छापने-सप्लाई करने वाले को बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद आदि हर उपक्रम शुरू कर दिये हैं।ऐसे में देखिए राज्यपाल जोशी क्या कर पाते हैं।