-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र (केन्द्रीय वि.वि. है) के प्रोफेसर अनिल कुमार राय उर्फ
अनिल के. राय अंकित(Dr.ANIL K. RAI ANKIT) के एक और काले कारनामे का सबूत देखें।यह सबूत है विदेशी पुस्तको,शोध-
पत्रो को लगभग हूबहू नकल करके बनाई गयी उनकी अंग्रेजी की लगभग एक दर्जन पुस्तकों में से एक पुस्तक। जिसका नाम है-
SATELLITE MEDIA : CHALLENGES & OPPORTUNITIES
Dr. Anil K. Rai ‘Ankit’
इस पुस्तक का पब्लिशर व डिस्ट्रिब्यूटर्स है-
SHREE PUBLISHERS & DISTRIBUTORS
20,Ansari Road,Daryaganj,
New Delhi-10002 पुस्तक 2006 में प्रकाशित हुई है।
पांच अध्याय व 226 पेज की है। मूल्य रू. 650 है।
अनिल के. राय ने नकल करके लिखी अपनी इसपुस्तक में भी कोई संदर्भ सूची नहीं दी है।
उन्होने यह पुस्तक वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के तबके कुलपति प्रो. के.पी. सिंह को समर्पित की है।
इस पुस्तक की पेज नं 1 से 19 तक की सामग्री
अनिल कुमार राय अंकित ने अपनी इस पुस्तक का पेज 1 से 19 तक का मैटर TRACY LAQUEY की पुस्तक INTERNET COMPAIN A BEGINEER’S GUID TO GLOBAL NETWORKING (2ND EDITION) से नकल किया है। इसके अध्याय-1, WHAT IS INTERNET AND WHY SHOULD YOU KNOW ABOUT IT शीर्षक को बदलकर अपनी पुस्तक में INTERNET IN COMMUNICATION कर दिया है।अपनी पुस्तक में पहला पैराग्राफ छोड़ दिया है और कई जगह से शार्षक हटा दिया है।इसी तरह उस पुस्तक के एक और शार्षक PEELING BACK THE LAYERS:DIFFERENCES BETWEEN NETWORK को बदलकर अपनी पुस्तक के पेज 9 में DIFFERENCES BETWEEN INTERNET AND OTHER ONLINE SERVICES शीर्षक कर लिया है।बाकी मैटर हूबहू उतार लिया है।
पेज नं 19 से 42
अंकित ने अपनी पुस्तक के उक्त पेज में KENNETH J.TURNER,EVAN H. MAGILL,DAVID J MARPHES की पुस्तक SERVICE PROVIEION TECHNOLOGIES FOR NET GENERATION COMMUNICATION SYSTEM के अध्याय -5, BASIC INTERNAT TECHNOLOGY IN SUPPORT COMMUNICATION SERVICES को, केवल चित्र को छोड़कर बाकी पूरा का पूरा मैटर उतार लिया है। अपनी पुस्तक में शीर्षक बदलकर COMMUNICATION THROUGH TECHNOLOGIES कर दिया है।यह पुस्तक SCOTLANG के स्ट्रिंगलिंग वि.वि. की वेवसाइट
http://www.cs.stir.ac.uk/ पर उपलब्ध है।
पेज नं 43 से 51
के दो पैराग्राफ की सामग्री MARC A SMITH और PETER KOLLOCK की पुस्तक COMMUNITIES IN CYBER SPACE के अध्याय 1 से लिया है।
पेज नं. 65 से 81
तक की सामग्री
http://www.hypergene.net/ पर प्रकाशित CHRIS WILLIS AND SHAYNE BOWMAN की पुस्तक WE MEDIA के अध्याय -3, NOW PARTICIPATORY JOURNALISM IS TAKING FORM से लिया है।इसका पहला पैरा छोड़ दिया है और शीर्षक बदलकर ALTERNATIVE AND PARTICIPATORY MEDIA कर दिया है। इस पुस्तक WE MEDIA में अध्याय के अंत में लेखको ने 26 संदर्भो का जिक्र किया है ,लेकिन अनिल के. राय अंकित ने नकल करके बनाई अपनी इस पुस्तक में भी कोई संदर्भ नहीं दिया है।
पेज नं 81 से 93
की सामग्री
http://www.bu.edu/ पर CHRISTOPHER B.DALY द्वारा तैयार की गयी पाठ्य सामग्री INTRODUCTION TO HYPERTEXT WIRITING STYLE को हूबहू उतार लिया है। सिर्फ बीच-बीच में एक पैरा को दूसरे पैरा से मिला दिया है।
पेज नं 93 से 95
की सामग्री
http://www.webreference.com/ पर उपलब्ध लेख OVER COMING THE MOST COMMON MISTAKES WRITING WELL FOR THE WEB से चुराया है।
पेज नं 96 से 107
तक की सामग्री
http://www.oreilly.com/ पर 224 पेज की 30 डालर मूल्य की पुस्तक INFORMATION ARCHITECTURE FOR THE WORLD WIDE WEB के अध्याय -2 से उतारा है।
पेज नं 137 से 165
तक की सामग्री AMERICAN SOCITY FOR INFORMATION SCIENCE & TECHNOLOGY के लिए CHUN WEI CHOO द्वारा लिखित पुस्तक INFORMATION MANAGEMANT FOR THE INTELLIGENT ORGATION के अध्याय -1 ,THE INTELLIGENT ORGATION, अध्याय-2 A PROCESS MODEL OF INFORMATION MANAGEMANT और अध्याय-3 MANAGER’S AS INFORMATION USES से उतारा है। इसमें केवल अध्याय-2 के माडल व अध्याय-3 के अंत के पैराग्राफ को छोड़ दिया है।
पेज नं 182 से 187
अंकित ने वेव साइट
http://www.shirky.com/ पर Clay Shirky’s के लिखे लेख को ही पूरा का पूरा हूबहू उतार अपनी पुस्तक का पेज नं 182 से 187 बना लिया है।
पेज नं 188 से 226
इसने
http://www.archives.obs-us.com/ पर उपलब्ध पुस्तक THE INTERNET CAMPANION के अध्याय -3 के YOUR INVISIBLE AUDIENCE शीर्षक की सामग्री को अपनी पुस्तक के पेज नं 188 पर METHODS OF CYBER COMMUNICATION शीर्षक लिखकर उतार लिया है। इसी तरह अध्याय-3 के शुरू के तीन पैरा को छोड़कर आगे की सामग्री अपनी पुस्तक के पेज नं 191 पर ELECTRONIC MAIL शीर्षक लिखकर उतारा है। अध्याय-5 के दो पैरा को छोड़कर बाकी मैटर हूबहू उतार कर अपनी पुस्तक का पेज 209 से 226 बनाया है।
अंतरराष्ट्रीय नकलची अनिल के. राय अंकित ने नकल करके बनाई गई इस पुस्तक में पेज नं 121 में इंटरनेट कापीराइट के बारे में भी लिखा है। यह कि सुप्रीम कोर्ट आफ यूनाइटेड स्टेट का निर्णय है कि किसी वेवसाइट का फार्मेट तक भी कापी नही किया जा सकता। उसी अंकित ने किताब का किताब हूबहू उतारकर अपने नाम छाप लिया है।
अनिल के राय अंकित ने अपनी इस पुस्तक को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के तबके कुलपति प्रो. के.पी. सिंह को समर्पित किया है। इस बारे में प्रो.के.पी.सिंह का कहना है- मुझको तो इसका पता ही नही है। यह तो मुझको बिना बताये ही अपनी किताब मुझे समर्पित किया है।इस आदमी को तो शिक्षा जगत में बैन कर दिया जाना चाहिए। यू.जी.सी. से पूरे भारत के सभी शिक्षा संस्थानो में सूचना चली जानी चाहिए कि अंकित ने नकल करके इतनी पुस्तके लिखी है। इनको कहीं भी इन्ट्री नही दी जाय। कहीं भी नौकरी न दी जाय।.के.पी. सिंह का कहना है कि जो व्यक्ति इतनी पुस्तके नकल करके लिखा है उसके खिलाफ तो वहां के कुलपति को तुरंत जांच बैठा कर हप्ते भर में कार्रवाई कर देना चाहिए।आरोप सही पाये जाने पर उसको नौकरी से निकालकर उसके खिलाफ फ्राड.मैटर चोरी व कापी राइट एक्ट में केस दर्ज कराना चाहिए।
के.पी. सिंह का कहना है कि मीडिया में अंकित के नकल करके किताबे लिखने के इतने प्रमाण आ जाने के बाद भी वर्धा वि.वि. के कुलपति इनको अभी तक नौकरी पर कैसे रखे हुए हैं ? वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के कुलपति को भी इनके खिलाफ जांच कराना चाहिए। आरोप सही पाये जाने पर नौकरी से निकालकर केस दर्ज कराना चाहिए। पूर्वांचल वि.वि. से तो यह तीन साल की छुट्टी लेकर पहले कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि. रायपुर और उसके बाद महात्मा गांधी वि.वि. वर्धा गये हैं।तीनो विश्व विद्यालयों के कुलपतियो को इनके खिलाफ जांच और केस दर्ज करानी चाहिए।ऐसे व्यक्ति को तो पूरी तरह एक्सपोज करके,उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।क्योंकि शिक्षा जैसे प्रोफेशन को यह कलंकित कर रहा है।ऐसा नकलची व्यक्ति छात्रो को क्या शिक्षा देगा ?