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date 25-04-2017, 4.35PM
प्रधानमंत्री के प्रयास को पलिता लगा रहा प्रो.अनिल के.राय “अंकित”,
उच्चशिक्षा व भाजपा-संघ को भी कर रहा
कलंकित
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 27 मार्च 2017 को ( 09:42 PM , ANI) कहा कि नकल किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं की
जाएगी.....। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री जावडेकर के इस कहे के पहले 2016 में अपने संसदीय
क्षेत्र वाराणसी में काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के एक कार्यक्रम में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने कहा था कि कापी या कट-पेस्ट ( कई – कई चैप्टर या पूरी की
पूरी किताब ही) करके अपने नाम से पुस्तकें छपवाने ,शोध-पत्र लिखने वालों पर कड़ी कार्रवाई करके शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने
की जरूरत है।
एक तरफ प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए इस तरह की बात कह रहे हैं , प्रयास कर रहे हैं ।दूसरी
तरफ उनकी इस सोच व प्रयास को मटियामेट करने का काम कर रहे हैं महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा ( महाराष्ट्र) के
तथाकथित चोरगुरू प्रोफेसर अनिल के. राय “अंकित” उर्फ अनिल कुमार राय “अंकित”।
|
Prof. anil k. rai ankit ( tathakathit CHORGURU) |
जिसने वीर
बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय
, जौनपुर (उ.प्र.) के पत्रकारिता विभाग में
नौकरी करने के दौरान अमेरिका ,यूरोप
व भारत के तमाम नामी विश्वविद्यालयों ,संस्थानों के नामी विद्वानों ,वैज्ञानिकों ,विशेषज्ञों की लिखी कापी राइट वाली पुस्तकों का चैप्टर का चैप्टर ,
हूबहू कट –पेस्ट या कापी करके अपने नाम से अंग्रेजी व हिन्दी में पौने एक दर्जन के लगभग
पुस्तकें (दिल्ली के एक कुख्यात प्रकाशक ,सप्लायर के मार्फत)
छपवाकर व शोध पत्र प्रकाशित कराकर , उसे अपने बायोडाटा
में लगाकर पहले कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि. ,रायपुर के
में रीडर और उसके कुछ ही समय बाद मगांअंहिविवि,वर्धा में अपने सजातीय घनघोर जातिवादी , भ्रष्टाचार
आरोपी कुलपति विभूति नारायण राय से जुगाड़ लगाकर
प्रोफेसर -हेड हो गया। या यूं कहें कि कट-पेस्ट करके अपने नाम से हिन्दी व
अंग्रेजी की दर्जनों पुस्तकें छपवाकर , उसको अपने बायोडाटा में अपनी श्रेष्ठ
बौद्धिक - शैक्षणिक उपलब्धि बताकर , अपने चहेते घनघोर जातिवादी विभूति नारायण राय ( जो पुलिस वाला जुगाड़ लगाकर
म.गां.अं.हि.वि.वि. वर्धा का कुलपति बना तो इस चोर को बनाया हेड) की कृपा से
पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर व हेड बन गया । जिस पुलिस वाले ने धांधली करके इस चोरगुरू अनिल कुमार राय “अंकित” उर्फ अनिल के राय “अंकित” को प्रोफेसर पद पर नियुक्ति किया, उसने जाते - जाते इसके विरूद्ध नकल के सारे प्रमाणों की जांच के नाम पर लीपा - पोती कराता
गया। उसके जाने
के बाद, जब केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार आई तो यह तथाकथित चोर गुरू अपनी खाल बचाने और नकल करके अंग्रेजी व हिन्दी की तमाम किताबें अपने नाम छपवाकर
नौकरी पाने के अपने कारनामे पर लीपा - पोती करवाने , जुगाड़ लगाकर कुलपति बनने के लिए बसपाई , सपाई के बाद भायुमोर्चाई चोला पहन कर ज्ञान संगम - 2017 में भी डुबकी लगाने लगा है।भाजपा व संघ के नेताओं के साथ सटकर अपनी फोटो खिंचवाने लगा है । चर्चा है कि इस जुगाड़ व धौंस से वह मगांअंहिविवि वर्धा के कुलपति गिरीश्वर मिश्र तक पर भारी पड़ने लगा है और अपने विरूद्ध जांच कमेटी को भंग कराने के लिए लाबिंग करने लगा है। जिसके चलते लोग कहने लगे हैं कि इस
चोरगुरू अनिल के. राय “अंकित” के कारण उच्च शिक्षा तो कलंकित हो ही रही है, भाजपा व संघ के नेताओं,
पदाधिकारियों पर भी आरोप लगने लगे हैं
कि कैसे – कैसे अनैतिक , भ्रष्ट
चोरगुरूओं तक को बिना उनकी असलियत का पता लगाये, बढ़ावा देने
लगे हैं। लोग यह भी सवाल करने लगे हैं कि मगांअंहिविवि,वर्धा
के वर्तमान कुलपति गिरीश्वर मिश्र
हिन्दी अखबार में तो
शिक्षा सुधार पर बहुत ही अच्छे – अच्छे लेख लिखते हैं लेकिन अपने विश्वविद्यालय के एक चोरगुरू अनिल कुमार
राय “अंकित” को बार्खास्त नहीं कर रहे हैं,उससे डर रहे हैं। जबकि उनके पास प्रमाण है
कि जिस डा.दीपक केम के साथ मिलकर इस तथाकथित चोरगुरू अनिल के. राय “अंकित” ने एक पुस्तक
लिखी है,
उस दीपक केम को कट-पेस्ट या कापी करके किताब अपने नाम
छपवाने के मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) ,दिल्ली के पत्रकारिता विभाग के रीडर पद से बर्खास्त कर दिया गया । उसके
विरूद्ध वह दिल्ली उच्चन्यायालय में अपील किया था लेकिन वहां भी केस हार गया और
माननीय उच्चन्यायालय ने चोरगुरू डा.दीपक केम के विरूद्ध कड़ी टिप्पणी भी की थी।जिस “चोरगुरू” सिरियल में दीपक केम का कट-पेस्ट कर
पुस्तकें लिखने का मामला टीवी पर उजागर हुआ था ,उसी में प्रो.अनिल
कुमार राय “अंकित” और उनके तमाम संरक्षक भ्रष्टाचारी चोरगुरू प्रोफेसरों , कुलपतियों का भी मामला
उजागर हुआ था ।लेकिन चोरगुरू अनिल के. राय “अंकित” को प्रोफेसर व हेड बनाने वाले उसके आका पुलिस से
बने कुलपति विभूति नारायण राय ने पुलिसिया दाव – पेच छल-
छद्म करके जाते – जाते जांच के नाम पर लीपा-पोती कराते गये
।उनके जाने के बाद यह मिश्र जी कुलपति बने तो इस चोरगुरू के विरूद्ध नये सिरे से
निष्पक्ष जांच कराने की मांग हुई । जिस पर वह कोई कमेटी बनाये। लेकिन तथाकथित
चोरगुरू अनिल कुमार राय “अंकित” इस बीच अपने को बचाने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
में शामिल हो गया और भाजपा व संघ के तमाम
नेताओं की गणेश परिक्रमा करने लगा । कहा जाता है कि विश्वविद्यालय की एक कमेटी में
जो लोग नियुक्त हुए हैं उसके कई लोग अब इसके नकल करके ढेर सारी पुस्तकें लिखने ,उसके आधार पर नौकरी पाने
के कारनामे की जांच को रोकवाने के लिए सक्रिय हो गये हैं, और इसके लिए जांच कमेटी को ही भंग करने का दबाव बनाने लगे
हैं। जिसके दबाव में कुलपति गिरीश्वर मिश्र आ गये हैं। सो इस तरह प्रधानमंत्री व
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के उच्चशिक्षा की
गुणवत्ता सुधारने के प्रयास को चोरगुरू अनिल कुमार राय “अंकित” व उसका समर्थन कर रहे इस वि.वि. की एक उच्च कमेटी के कुछ माननीय सदस्य लोग पलिता लगा रहे हैं। और कुलपति मिश्र भी
चाहे डरकर कहें या संकोच से कहें उसमें सहभागी हो रहे
हैं।
यह खबर नागपुर से प्रकाशित साप्ताहिक अखबार "सेन्ट्रल आब्जर्वर" के अंक , 16-22 अप्रैल 2017 के पृष्ठ 10 पर ,तथा अन्य कई समाचार पत्र में छपी है-
नोटः चोरगुरू प्रो. अनिल कुमार राय "अंकित" व उसके साथी चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामों के बारे में प्रमाण सहित और सामग्री देखने - पढ़ने के लिए इस ब्लाग के निम्न शीर्षक वाली खबरों पर भी क्लिक करें -
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यह खबर 24 अगस्त 09 को स्वदेश इंदौर में बाटम स्टोरी थी।
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क्या पुलिस से कुलपति बने वी.एन. राय
मैटर चोर को हेड बना बचा रहे हैं , देखें
CNEB पर
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