कोटा से अधिक छात्रों को शोधकराने वाले अध्यापको पर भी कड़ी कार्रवाई का संकेत
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
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(यह खबर सायं 6 बजे अपडेट की गई है।इसके पहले सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर जो खबर लगी थी उसमें राज्यपाल जोशी द्वारा नकलचेपी आदि मामले में कुलपतियों की बैठक बुलाने की रिपोर्ट थी)
उ.प्र.के राज्यपाल बी.एल.जोशी ने लखनऊ में आज ( 9 नवम्बर 2010) प्रदेश सरकार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई थी। बैठक का जो एजेंडा था उसमें सबसे प्रमुख एजेंडा चोरगुरूओं और उनकी नकलचेपी पुस्तकों को छापने व विश्वविद्यालयों में करोड़ो रूपये की ऐसी पुस्तकें सप्लाई करने वाले प्रकाशकों-सप्लायरों पर कुलपतियों द्वारा अब तक की गई कोई ठोस कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट व समीक्षा रही। इस मामले में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलपति सारस्वत व कुलसचिव बी.एल.आर्या और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति अवध राम को जबाब देना होगा। पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति सारस्वत व कुलसचिव आर्या तो अपने वि.वि. के चोरगुरूओं - प्रो.रामजी लाल, अनिल कुमार राय अंकित (अब “छीनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय की कृपा से हिन्दी वि.वि.वर्धा में प्रोफेसर बन गया है और वहां पुलिसवालाकुलपति इस चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने में जुटा हुआ है । अनिल कुमार राय अंकित यहां पत्रकारिता विभाग का लेक्चरर-हेड रहते एक दर्जन से अधिक अंग्रेजी व हिन्दी की पुस्तकें लगभग पूरी की पूरी कट-पेस्ट करके अपने नाम से छपवाया और उन पुस्तकों को अपने वि.वि. के लाइब्रेरी में सैकड़ो की संख्या में खरीदवाया।) और रीडर एस.के. सिन्हा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, तीनों को बचाने में पूरी तरह जुटे हैं।अखबार , टीवी चैनल पर इस बारे में खबर आने और राज्यपाल के यहां से इसपर कार्रवाई करने के लिए दबाव पड़ा तो सारस्वत व आर्या ने चोरगुरू रामजी लाल के शुभचिन्तक एक व्यक्ति को जांच अधकारी बनाकर जांच सौंप दिया । लेकिन सारस्वत व आर्या ने उस अपने चहेते जांच अधिकारी को वे दस्तावेज नहीं दिये जो इन चोरगुरूओं के कट-पेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम छपवाने के सैकड़ो पेज प्रमाण आन कैमरा, कृष्णमोहन सिंह और संजय देव नामक पत्रकार ने इसी कुलपति-ककुलसचिव को दिया था। जांच अधिकारी ने रामजी लाल ,सिन्हा,अनिल कुमार राय अंकित से एक भी प्रमाण नहीं मांगा नहीं उनसे पूछताछ की। एक टीवी चैनल पर रामजीलाल आदि के बारे में जो दिखाया गया था उसका प्रमाण सीडी उस जांच अधिकारी को रीसिव करा दिया गया था। लेकिन उस जांच अधिकारी ने अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं दिया है। चर्चा है कि सारस्वत –आर्या ने उसे मामले को दबाने व रफा-दफा करने का इशारा कर दिया है। इसबीच कुलपति सारस्वत ने प्रदीप माथुर नामक एक व्यक्ति को 20 हजार रूपये महीने पर अपना एडवाइजर बना लिया है , जो कि माह में एक-दो दिन के लिए आता है और 20 हजार रूपये ले जाता है।यह प्रदीप माथुर वही हैं जिनको चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके लिखी अपनी एक पुस्तक समर्पित की है। यह माथुर भी चोरगुरू रामजीलाल,सिन्हा व अनिल कुमार राय अंकित को बचाने का सलाह सारस्वत व आर्या को दे रहे है। अनिल कुमार राय अंकित के अधिन जौनपुर में लेक्चरर रहते लगभग एक दर्जन और इस समय उसके अंडर में ( पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर ,राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन वि.वि. इलाहाबाद,ग्रामोदय वि.वि. चित्रकूट, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा में ) कुल 15 से अधिक शोध छात्र, शोध कराने का रजिस्ट्रेशन करवा रखे हैं । जबकि यू.जी.सी . के नियम के अनुसार अनिल कुमार राय लेक्चरर रहते जौनपुर में अपने अधिन 4 और वर्धा में प्रोफेसर रहते 8 शोध छात्रों को ही शोध निर्देशन कर सकता है। कहा जाता है कि प्रदीप माथुर पूर्वांचल वि.वि. से उसके इस धतकर्म की फाइल को ठीक कराने में जुटे हुए हैं। इस तरह पूर्वांचल वि.वि. का कुलपति सारस्वत और कुलसचिव आर्या अपने यहां के चोरगुरूओं और कोटा से बहुत अधिक अपने अधिन शोधकराने वाले अध्यापकों को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर रहे हैं। कुलपति पद पर सारस्वत का टर्म 22 नवम्बर 2010 को पूरा हो रहा है, वह चाहते हैं कि तब तक चोरगुरूओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो। चर्चा है कि चोरगुरूओं की पुस्तकें छापनेवाले , SHREE PUBLISHERS & DISTRIBUTORS, 20 ANSARI ROAD, DARYAGANJ, NEW DELHI-110002 और सप्लायर कम्पनी INDIKA के मालिक प्रशांत जैन व उसके परिजन बीते 5 साल में पूर्वांचल वि.वि. को लगभग 3 करोड़ रूपये की पुस्तकें सप्लाई किये है, जिसमें ज्यादेतर पुस्तकें नकलकरके लिखी गई हैं,इन प्रति पुस्तकों पर सप्लायर जैन घोषित रूप से 60 प्रतिशत तक छूट देता है ( जिसका प्रमाण अपने पास है)। जबकि विश्वविधालयों-महाविद्यालयों में मात्र 5 से 10 प्रतिशत के लगभग छूट देकर ही करोड़ो रूपये की पुस्तकें सप्लाई करता है।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि 3 करोड़ रूपये की पुस्तक खरीद में लगभग डेढ़ करोड़ रूपये तो सारस्वत,आर्या, चोरगुरूओं,लाइब्रेरियन,लेखाअफसर आदि की सेवा में चढ़ा होगा।
लगभग यही हाल महात्मा गांधी काशी विधापीठ, वाराणसी का है। वहां के पत्रकारिता के दो विभागों( इस छोटे से विश्वविद्यालय के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता के दो विभाग हैं, दोनो के दो हेड हैं, जबकि पढ़ाई एक ही जैसे कोर्स की होती है) के चोरगुरू राममोहन पाठक व अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा नकल करके पीएचडी ,डीलिट शोध ग्रंथ लिखने और पुस्तकें छपवाने ,उस आधार पर नौकरी-प्रमोशन पाने की सप्रमाण शिकायत कुलपति अवध राम के यहां की गई है। कुलपति राम ने कोई जांच भी बैठाई है , जिसने चोरगुर राममोहन पाठक और अनिल उपाध्याय से उनका लिखित वर्जन भी मांगा था। अभी तक वह जांच चल ही रही है। यहां भी यूजीसी नार्म से अधिक शोध-छात्रों को अपने अधिन शोध कराने का मामला है ,पर अब तक किसी अध्यापक के विरूद्ध् कार्रवाई नहीं हुई।यह हाल है धतकर्मी अध्यापकों और उनके संरक्षक कुलपतियों का। “छिनाल” मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से अपना कुलपति पद बचाने के लिए बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले म.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय तो अपने प्रिय चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर ही रहे हैं।दिखाने के लिए तो “छिनाली” विभूति ने भी फरवरी 2010 में , भ्रष्टाचार में गले तक फंसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति की एक सदस्यीय जांच कमेटी बना दिया था । उस जांच कमेटी ने अभी तक कुछ नहीं किया । वह कमेटी है भी या खत्म हो गई या उससे कुछ अपने अनुसार लिखवार कर चोरगुरू अनिल राय और उसके पुलिसिया कुलपति संरक्षक विभूति राय ने ले लिया ,इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति , जांच अधिकारी और वर्धा के कुलपति और जांच अधिकारी को पत्र दिया गया था कि चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे की जांच आन कैमरा कराई जाय जिसमें उन सबको बुलाया जाय जिनने चोरगुरूओं की करनी उजागर किया है । आन कैमरा जांच अधिकारी सुनवाई करे , जहां कुलपति भी उपस्थित रहे और वहां चोर गुरू अपनी पुस्तक मैटर चोरी नहीं करके लिखने का प्रमाण दें और जिनने चोर गुरूओं के चोरी के कारनामों का खुलासा किया है वे लोग उनके नकलचेपी किताबें लिखने का प्रमाण दें। यह पूरा रिकार्ड हो। लेकिन किसी भी जांच अघिकारी और कुलपति ने ऐसा नहीं कराया,उस “छिनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति राय ने भी नहीं जो अपने को बहुत ही तथाकथित नैतिक होने का अभिनय करके वामपंथियों से जुगाड़ लगाकर कुलपति बने। बुंदेल खंड वि.वि. झांसी के कुलपति रहे और दिल्ली वि.वि. के बर्खास्त प्रोफेसर रमेश चन्द्रा ने भी कट-पेस्ट करके वालूम की वालूम,कई दर्जन पुस्तकें अपने नाम छपवा लिये हैं। उन्होंने सामग्री लाकर उसी वि.वि. के एक रीडर श्रीवास्तव को दिया और कहा कि हमारे नाम पुस्तक बना दो , जो मैटर बचे उसको उनकी रिश्तेदार सविता (तब उसी वि.वि. में लेक्चरर थी इस समय जामिया मीलिया,दिल्ली में रीडर है)और अपने नाम से पुस्तकें बना लो। श्रीवास्तव ने ऐसा ही किया ( यह बात श्रीवास्तव ने आन कैमरा कहा है , जिसका प्रमाण अपने पास है)।इन सब पर बुंदेलखंड वि.वि. ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की।
इस तरह के बहुत से चोरगुरूओं का कच्चा चिट्ठा अभी और है। पूर्वांचल वि.वि जौनपुर तो चोरगुरूओं और कटपेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम बनाने ,छपवाने वाले अध्यापकों का गढ़ जैसा हो गया है। नकल करके पुस्तकें लिखने वाला प्रो. प्रेम चंद पातंजलि जब पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर का कुलपति बना और अपने जैसे ही कई चोरगुरूओं को लाकर अध्यापक आदि पद पर नियुक्त किया , तभी से पूर्वांचल वि.वि. चोरगुरूओं , उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने-सप्लाई करनेवालों का गढ़ बनता गया।
आज की बैठक में राज्यपाल बी.एल.जोशी ने ऐसे चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों के अब तक के कारनामों की जो रिपोर्ट ली,उसकी समीक्षा की ,उस पर राजभवन से जल्दी ही कुछ और कड़े निर्देश जारी होने का अनुमान है। लेकिन नेताओं,मंत्रियों,नौकरशाहों की चरणवंदना और गणेश परिक्रमा करके,तथाकथित भारी चढ़ावा चढ़ा कुलपति बनने वाले कई महानुभाव लोग अपने बचने और अपने चहेते चोरगुरूओं व उनके नकलचेपी पुस्तकों को छापने-सप्लाई करने वाले को बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद आदि हर उपक्रम शुरू कर दिये हैं।ऐसे में देखिए राज्यपाल जोशी क्या कर पाते हैं।
लगभग यही हाल महात्मा गांधी काशी विधापीठ, वाराणसी का है। वहां के पत्रकारिता के दो विभागों( इस छोटे से विश्वविद्यालय के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता के दो विभाग हैं, दोनो के दो हेड हैं, जबकि पढ़ाई एक ही जैसे कोर्स की होती है) के चोरगुरू राममोहन पाठक व अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा नकल करके पीएचडी ,डीलिट शोध ग्रंथ लिखने और पुस्तकें छपवाने ,उस आधार पर नौकरी-प्रमोशन पाने की सप्रमाण शिकायत कुलपति अवध राम के यहां की गई है। कुलपति राम ने कोई जांच भी बैठाई है , जिसने चोरगुर राममोहन पाठक और अनिल उपाध्याय से उनका लिखित वर्जन भी मांगा था। अभी तक वह जांच चल ही रही है। यहां भी यूजीसी नार्म से अधिक शोध-छात्रों को अपने अधिन शोध कराने का मामला है ,पर अब तक किसी अध्यापक के विरूद्ध् कार्रवाई नहीं हुई।यह हाल है धतकर्मी अध्यापकों और उनके संरक्षक कुलपतियों का। “छिनाल” मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से अपना कुलपति पद बचाने के लिए बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले म.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय तो अपने प्रिय चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर ही रहे हैं।दिखाने के लिए तो “छिनाली” विभूति ने भी फरवरी 2010 में , भ्रष्टाचार में गले तक फंसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति की एक सदस्यीय जांच कमेटी बना दिया था । उस जांच कमेटी ने अभी तक कुछ नहीं किया । वह कमेटी है भी या खत्म हो गई या उससे कुछ अपने अनुसार लिखवार कर चोरगुरू अनिल राय और उसके पुलिसिया कुलपति संरक्षक विभूति राय ने ले लिया ,इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति , जांच अधिकारी और वर्धा के कुलपति और जांच अधिकारी को पत्र दिया गया था कि चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे की जांच आन कैमरा कराई जाय जिसमें उन सबको बुलाया जाय जिनने चोरगुरूओं की करनी उजागर किया है । आन कैमरा जांच अधिकारी सुनवाई करे , जहां कुलपति भी उपस्थित रहे और वहां चोर गुरू अपनी पुस्तक मैटर चोरी नहीं करके लिखने का प्रमाण दें और जिनने चोर गुरूओं के चोरी के कारनामों का खुलासा किया है वे लोग उनके नकलचेपी किताबें लिखने का प्रमाण दें। यह पूरा रिकार्ड हो। लेकिन किसी भी जांच अघिकारी और कुलपति ने ऐसा नहीं कराया,उस “छिनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति राय ने भी नहीं जो अपने को बहुत ही तथाकथित नैतिक होने का अभिनय करके वामपंथियों से जुगाड़ लगाकर कुलपति बने। बुंदेल खंड वि.वि. झांसी के कुलपति रहे और दिल्ली वि.वि. के बर्खास्त प्रोफेसर रमेश चन्द्रा ने भी कट-पेस्ट करके वालूम की वालूम,कई दर्जन पुस्तकें अपने नाम छपवा लिये हैं। उन्होंने सामग्री लाकर उसी वि.वि. के एक रीडर श्रीवास्तव को दिया और कहा कि हमारे नाम पुस्तक बना दो , जो मैटर बचे उसको उनकी रिश्तेदार सविता (तब उसी वि.वि. में लेक्चरर थी इस समय जामिया मीलिया,दिल्ली में रीडर है)और अपने नाम से पुस्तकें बना लो। श्रीवास्तव ने ऐसा ही किया ( यह बात श्रीवास्तव ने आन कैमरा कहा है , जिसका प्रमाण अपने पास है)।इन सब पर बुंदेलखंड वि.वि. ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की।
इस तरह के बहुत से चोरगुरूओं का कच्चा चिट्ठा अभी और है। पूर्वांचल वि.वि जौनपुर तो चोरगुरूओं और कटपेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम बनाने ,छपवाने वाले अध्यापकों का गढ़ जैसा हो गया है। नकल करके पुस्तकें लिखने वाला प्रो. प्रेम चंद पातंजलि जब पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर का कुलपति बना और अपने जैसे ही कई चोरगुरूओं को लाकर अध्यापक आदि पद पर नियुक्त किया , तभी से पूर्वांचल वि.वि. चोरगुरूओं , उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने-सप्लाई करनेवालों का गढ़ बनता गया।
आज की बैठक में राज्यपाल बी.एल.जोशी ने ऐसे चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों के अब तक के कारनामों की जो रिपोर्ट ली,उसकी समीक्षा की ,उस पर राजभवन से जल्दी ही कुछ और कड़े निर्देश जारी होने का अनुमान है। लेकिन नेताओं,मंत्रियों,नौकरशाहों की चरणवंदना और गणेश परिक्रमा करके,तथाकथित भारी चढ़ावा चढ़ा कुलपति बनने वाले कई महानुभाव लोग अपने बचने और अपने चहेते चोरगुरूओं व उनके नकलचेपी पुस्तकों को छापने-सप्लाई करने वाले को बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद आदि हर उपक्रम शुरू कर दिये हैं।ऐसे में देखिए राज्यपाल जोशी क्या कर पाते हैं।