-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। 2-जी स्पेक्ट्रम महाघोटाले का जाल अब कांग्रेस के गले के चारो तरफ भी लिपटने लगा है । सो परेशान कांग्रेसी अब यह पता लगाने लगे हैं कि क्या तत्कालीन वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम ने सुनील मित्तल के किये या किसी से कराये शिकायत को आधार बनाकर नीरा राडिया की फोन टेपिंग के आदेश दिलवाये।कहा जाता है कि पी.चिदम्बरम की भारती एअरटेल कम्पनी के विवादास्पद मालिक सुनील मित्तल से बहुत घनिष्टता है। चिदम्बरम के बारे में यह भी चर्चा है कि वह सुनील मित्तल आदि की जीएसएम कम्पनियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में मोटी फीस पर वकील भी रहे हैं। जब टाटा ने अपनी कम्पनियों के खिलाफ की जा रही लाबिंग की काट के लिए लाबिस्ट नीरा राडिया व उसकी कम्पनी वैष्णवी को लगभग 60 + 20 करोड़ रूपये सालाना का ठेका दिया और नीरा राडिया ने अपने क्लाइंट रतन टाटा के लिए हर स्तर पर जोरदार लाबिंग शुरू की तो सुनील मित्तल की कम्पनी को परेशानी होने लगी। कहा जाता है कि उसी के बाद नीरा राडिया के खिलाफ वित्त मंत्रालय में लिखित शिकायत पहुंचती है । सोनिया गांधी की यूपीए -2 की मनमोहनी सरकार ने नीरा राडिया फोन टेपिंग मामले में रतन टाटा की यचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में 10 दिसम्बर 2010 को जो हलफाना दिया है उसके मुताबिक-
“नीरा राडिया के फोन टेप करने के आदेश इनकम टैक्स के डायरेक्टरेट जनरल ने दिया था। यह आदेश 16 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय को मिली उस शिकायत के बाद दिया गया जिसमें आरोप लगाया गया था कि नीरा राडिया ने नौ साल की छोटी सी अवधि में 300 करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। शिकायत में यह भी कहा गया था कि नीरा राडिया विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं।“
मालूम हो कि 2007 तक मुकेश अंबानी ने अपनी कम्पनियों की लाबिंग का ठेका भी लगभग 60 करोड़ रूपये सालाना पर नीरा राडिया व उसकी कम्पनी वैष्णवी को दे दिया था। तब कम्पनियों के बंटवारे के घमासान के बाद अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी के बीच गैस के बंटवारे को लेकर घमासान छिड़ा हुआ था। सो चर्चा है कि है कि नीरा राडिया इसके चलते अनिल अंबानी और उनके लाबिस्ट टोनी जसुदासन की आंखो की भी किरकिरी बन गई । कहा जाता है कि इधर से भी नीरा राडिया के खिलाफ शिकायत कराई गई होगी।
लेकिन शिकायत चाहे जिनने किया हो , उस शिकायत को आधार बनाकर नीरा राडिया का फोन टेपिंग तो पी.चिदम्बरम के वित्त मंत्री रहते ही हुआ। सोनिया गांधी की यूपीए-1 की मनमोहनी सरकार में 22 मई 2009 तक पी.चिदम्बरम वित्त मंत्री थे। 23 मई 2009 से प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री हैं। 23 मई 2009 को पी.चिदम्बरम को वित्त मंत्री पद से हटाकर गृह मंत्री बनाया गया। खुफिया एजेंसी आई.बी. इसी गृह मंत्रालय के अधीन है। कहा जाता है कि पी.चिदम्बरम ने गृह मंत्री बनने के बाद नीरा राडिया फोन टेपिंग मामले में आई.बी. को सक्रिय कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सोनिया की मनमोहनी सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें नीरा राडिया का फोन टेप कराने की जो दलील दी है उसका तिथिवार फाइल व फोन टेपिंग आदेश ,आई.बी. को आदेश आदि का व्यौरा देखने पर काफी कुछ स्पष्ट हो जाता है कि किस मंत्री की अति सक्रियता के कारण नीरा राडिया का फोन टेप हुआ है।
अब मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि शिकायत मिली थी कि नीरा राडिया विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। उनके फोन टेपिंग में बातचीत काफी कुछ सेंसिटिव होने का पता चलने पर इसकी आगे की जांच व फोन टेपिंग के लिए आई.बी. को भी आदेश दे दिया गया। तब से आई.बी. यह साबित करने का साक्ष्य जुटाने में लगी है कि नीरा राडिया भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं।
अब सवाल यह होने लगा है कि जब नीरा राडिया पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने , विदेशी खुफिया एजेंसियों का एजेंट होने का आरोप लगाकर जांच हो रही है ,पूछताछ हो रही है तो क्या उनको सालाना लगभग 200 करोड़ रूपये का लाबिंग या जनसम्पर्क का ठेका देने वाले रतन टाटा,मुकेश अंबानी , देवेश्वर , विजय मल्या से भी विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट (आरोपी नीरा राडिया) से घनिष्ठता,बात करने , ठेका देने के चलते पूछताछ , गिरफ्तारी होगी, इनपर देशद्रोही से संबंध रखने-मदद करने उसकी कम्पनियों के साथ अरबों का धंधा करने के चलते देशद्रोह का मुकमा चलेगा ? सोनिया मोइनो गांधी की मनमोहनी सरकार में यह हिम्मत है ? कांग्रसी ही कहने लगे हैं कि यह हुआ तो सरकार ही गिर जायेगी।