Thursday, June 9, 2011

महात्मागांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति पद पर डा.नाग की नियुक्ति


तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक हाथ मलते रह गये
sattachakra.com,09june,2011,11.00am
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी (MAHATM GANDHI KASHI VIDYA PEETH,VARANASI)के कुलपति (V C)पद पर डा.नाग ( DR.NAG)की नियुक्ति हो गई। लेकिन वह 30 जुलाई 2011के बाद पदभार ग्रहण करेंगे। डा.नाग ,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी के भूगोल विभाग के छात्र रहे हैं। अभी कोलकाता में सरकारी नौकरी में हैं।जहां से मुक्ति के लिए पहले आवेदन देना पड़ेगा।
सो उन्होंने राजभवन उ.प्र.में पत्र भेजकर इसकी सूचना दे दी है।
तब तक या तो अवध राम ही कुलपति पद पर बने रहेंगे या विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रोफेसर हैदर कार्यकारी कुलपति होंगे।
लखनऊ में चर्चा है कि चोरगुरू संरक्षक कुलपति अवध राम (AWADH RAM)ने 68 वर्ष का होने तक कुलपति पद पर बने रहने के लिए बहुत जुगाड़ लगाया। अपने संरक्षक कांग्रेसी मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा से भी सिफारिश लगाने की कोशिश की ,लेकिन इनके कारनामों ,तथाकथित घोटालों से अवगत हो गये बेनी बाबू ने इस बार तरजीह नहीं दिया।
सूत्रों के अनुसार तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक (PROF. RAM MOHAN PATHAK)ने भी महात्मागांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी का कुलपति बनने के लिए हर तरह का उपक्रम किया। दिग्विजय सिंह से लगायत .प्र. के राज्यपाल जोशी तक के यहां जुगाड़ लगाये ।लेकिन सफल नहीं हुए। क्योंकि नकल करके पीएचडी थिसिस लिखने,विद्यापीठ के लाइब्रेरी का प्रभारी होने के दौरान पुस्तकों को प्रिंट मूल्य से कई गुना अधिक दाम पर खरीदने ,आवास विकास से पत्रकार कोटे में अपनी पत्नी के नाम से बादशाह बाग कालोनी में एक फ्लैट पहले ही ले लेने और उसमें अब भी रहने के बावजूद , उसके नाम से शहर में कोई मकान जमीन नहीं होने का शपथ पत्र देकर उसी आवास विकास परिषद से पत्रकारपुरम में बड़ा प्लाट लेने आदि घोटालों,तथाकथित फर्जीवाड़ा करके वाराणसी का एक मंदिर और जमीन अपने नाम लिखवा लेने आदि के इनके ( राममोहन पाठक)कारनामों की फाइल पहले ही राज्यपाल के यहां पहुंच गई थी। इसके चलते तथाकथित चोरगुरू राममोहन के नाम पर विचार ही नहीं हुआ।