Saturday, May 21, 2011

जर्मनी,फ्रांस,अमेरिका में हर तीन में से एक विद्यार्थी फीस चुकाने के लिए शरीर बेचते हैं, भारत में भी यही होने वाला है

-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री मनोमहन सिंह(MANMOHAN SINGH),योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिह (MONTEK SINGH)अहलूवालिया और शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल(KAPIL SIBBAL) की अमेरिका-यूरोप (AMERICA-EUROPE)परस्त मंहगी शिक्षा नीति के चलते अब भारत में भी गरीब छात्रों को फीस चुकाने के लिए अपना शरीर बेचना पड़ेगा
बर्लिन के 3,200 छात्रों के बीच सर्वे में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि हर तीन में से एक छात्र अपना फीस चुकाने के लिए सेक्स वर्क (sex work) करता है ।रांयटर न्यूज एजेंसी के मुताबिक बर्लिन हमबोल्ट यूनिवर्सिटी Berlin's Humboldt University के शोधकर्ताओं में एक इवा ब्लूमेनश्चिन (Eva Blumenschein) ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट झटका देने वाला ,चौंकाने वाला है। सर्वे के अनुसार बर्लिन में लगभग 33 प्रतिशत ,फ्रांस में लगभग 29.2 प्रतिशत और किव में लगभग 18.5 प्रतिशत छात्र फीस चुकाने के लिए अपना शरीर बेचते हैं या सेक्स वर्क करते हैं। उनका कहना है कि एजुकेशन रिफार्म के बाद नये कोर्स में वर्क लोड इतना ज्यादे कर दिया गया है कि छात्र कहीं कुछ घंटे नौकरी करके खर्च निकालने की हालत में नहीं हैं। ऐसे में कम समय में अधिक पैसा कमाने का जरिया सेक्स वर्क बन गया है छात्रों को कम समय में इसमें अधिक पैसा मिल जाता है। कालेज या विश्वविद्यालय की मंहगी फीस,हास्टल खर्च चुकाने के लिए छात्र यह कर रहे हैं। जब फीस कम थी और पहले के सिलेबस में वर्क लोड कम था तो छात्र अपना होम वर्क जल्दी पूरा करके कुछ घंटे प्राइवेट नौकरी करके खर्च निकाल लेते थे। छात्र बढ़ी फीस और पढ़े खर्चे को पूरा करने के लिए यदि भारी भरकम लोन मंहगे दर पर लेते हैं और बाद में नौकरी नहीं मिलती है या कोई दुर्घटना आदि हो जाने पर ,लोन की किस्त नहीं चुकानेपर छात्र को बैंकवाले दिवालिया घोषित कराके बीमा कम्पनी से सूद सहित अपना लोन का पैसा ले लेते हैं।एक बैंक छात्र को दिये लोन को किसी और बैंक को मार्टगेज कर देता है,वह आगे किसी और बैंक को मार्टगेज कर देता है। इसी मार्टगेज में ही लोन जितने पर दिया गया होता है उससे काफी मंहगा हो जाता है।छात्र को दिवालिया घोषित कराके बैंक वाले ,बीमा कम्पनियों से अपना ब्याज सहित रकम वसूल लेते हैं। उसके बाद तो छात्र को न तो मकान के लिए ,नही वाहन के लिए बैंक से लोन मिलता है।इन सब हालात से बचने के लिए छात्र बहुत कम लोन लेकर काम चलाने की कोशिश करते हैं। बाकी फीस आदि का खर्च शरीर बेचकर पैसा जुटाते करते हैं।
अब यही हाल भारत में भी होने वाला है। यहां भी अमेरिका व यूरोप के पैटर्न पर मनमोहन ,मोंटेक,कपिल सिब्बल की अमेरिका परस्त तीकड़ी ने शिक्षा को इतना मंहगा कर दिया कि गरीब के बच्चों को पढ़ाई खर्च जुटाना मुश्किल हो गया है।
-यह खबर "पंजाब केसरी",शुक्रवार,20 मई ,2011,दिल्ली के पेज 2 की लीड स्टोरी है।
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