sattachakra
पिछले साल पहली अप्रैल को जामिया मिलिया की कार्यकारी परिषद ने
दीपक की बर्खास्तगी का फैसला किया, रीडर पद से 13 जून 2011 को वह बर्खास्त हो गये, उनकी अपील को हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने 10 अप्रैल
2012 को खारिज करते हुए एक जज के फैसले को सही ठहराया। लेकिन
कमाल देखिए, ढाई माह बाद ही दीपक केम आई.आई.आई.टी. में डिप्टी रजिस्ट्रार बन गये। सूत्रों के अनुसार इस नियुक्ति में उनके
रसूखदार पिता टी.आर.केम और उनके साथ
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) में काम कर चुके तथा इस समय आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक मुरली धर तिवारी की दोस्ती का अहम रोल है।
दीपक केम की इस नियुक्ति के बारे में आई.आई.आई.टी. के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि दीपक केम ने
जुलाई 2012 मध्य में डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर ज्वाइन किया है। यह पूछने पर कि
क्या आपको मालूम है कि दीपक केम पर नकल करके पुस्तक अपने नाम छपवाने का आरोप साबित
हुआ है और इसके चलते ही उनको जामिया मीलिया वि.वि. से रीडर पद से 13 जून 2011 को बर्खास्त कर दिया गया तथा इस बर्खास्तगी को उच्च न्यायालय के दो
जजों की बेंच ने भी उचित बताया है। इस पर उस अधिकारी ने अनभिज्ञता जताई।
जामिया वि.वि. से बर्खास्त चोरगुरू दीपक केम बना आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद में डिप्टी रजिस्ट्रार
अप्रैल में दिल्ली हाइकोर्ट ने दीपक केम की बर्खास्तगी जायज ठहराया, जुलाई में हो गये इलाहाबाद में स्थापित
यह जानते हुए भी
आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक मुरली धर तिवारी ने किया यह कारनामा
आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक
मुरली धर तिवारी और दीपक केम के पिता टी.आर.केम ने यूजीसी में एक साथ काम किया है
- कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। मैटर चुरा कर किताब लिखने का आरोप सिद्ध होने पर दिल्ली
के जामिया मिलिया इस्लामिया वि.वि. ने अपने जिस रीडर दीपक केम को सेवा से बर्खास्त किया, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जिन केम साहब की बर्खास्तगी को उचित ठहराया,
उन्हीं दीपक केम को इलाहाबाद के आई.आई.आई.टी. में डिप्टी रजिस्ट्रार
पद पर नियुक्त कर दिया गया है।
Dr. DEEPAK KEM |
Dr M.D.TIWARI |
दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला इस लिंक पर कोई भी देख सकता हैः http://indiankanoon.org/doc/ 3836253 लेकिन इसकी फुर्सत आई.आई.आई.टी. के अधिकारियों को कहाँ। चोरगुरू डा.दीपक केम की बर्खास्तगी को
सही कहते हुए उच्चन्यायालय ने फैसले में लिखा है कि अपील कर्ता (दीपक केम ) ने अन्य के परिश्रम को अपना (कार्य) बताया है। कहीं भी यह कृत्य, विशेषकर जामिया में वह जिस पद पर वह रहे, कतई क्षमा योग्य नहीं है। इसके लिए एक मात्र दंड उनकी सेवा समाप्त
करना था।
न्यायालय ने दीपक केम बनाम जामिया मिलिया मामले में 10-04-12 को दिये फैसले
में दीपक केम की बर्खास्तगी को जायज करार देते हुए प्लेजिएरिज्म पर “मार्क ट्वेन”
को भी कोट किया है। मार्क
ट्वेन ने कहा है-“NOTHING IS
OURS BUT OUR LANGUAGE, OUR PHRASING. IF A MAN TAKES THAT FROM ME
(KNOWINGLY,PURPOSELY) HE IS A THIEF.” यानी हमारी भाषा-शैली-मुहावरों के अलावा तो हमारा कुछ भी नहीं और जो
भी जानबूझ कर हमसे वह छीनता है, वह चोर है।
इस सिलसिले में यह जानना भी रोचक होगा कि तमाम घोटालों के आरोपी और
दीपक केम के पिता टी.आर.केम इस समय यूजीसी की एक
ईकाई, सी.ई.सी.
(कन्सोर्टियम फार एजुकेशन
कम्यूनिकेशन), अरूणा आसफ अली मार्ग,नई दिल्ली में निदेशक हैं और अढ़ाई माह बाद 5 साल का कार्यकाल पूरा होने
के चलते विदा होने वाले हैं। लेकिन उस पद पर और पाँच साल, अपनी उम्र के 70 साल ,तक बने रहने के
लिए तरह-तरह की तिकड़म में जुटे हैं, राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बड़े केम साहब ने अपने इस 'चोर-गुरू' पुत्र को अपनी संस्था सी.ई.सी. के अधीन काम करने वाले ई.एम.आर.सी. (एजुकेशनल मल्टी मीडिया रिसर्च सेंटर), रूड़की में प्रोफेसर / निदेशक
नियुक्त कराने की भी तैयारी कर ली थी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनुमति के
बिना ही 2 जुलाई 2012 को विज्ञापन निकलवा कर अपने लड़के दीपक केम का नाम स्क्रीनिंग
कमेटी से पास करा लिया था। 13 अगस्त 2012 को साक्षात्कार करवाने, उसका सेलेक्शन करवाने, उस पर 14 को सी.ई.सी. की बोर्ड की बैठक में
सहमति की मुहर लगाने का इंतजाम कर लिया था। इसके बारे में शिकायत मिलने पर यूजीसी ने
सेवानिवृत होने के पहले 9 पदों पर अपनों को भरने की योजना बना लिये डा.तिलक राज
केम की पहल पर रोक लगा दी है।और उनसे
दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा कि कितने पदों के लिए कब विज्ञापन निकाले,ये पद कब
खाली हुए, किस तारीख को कौन सा पद खाली हुआ , पद अनुसार आवेदन जमा करने की अंतिम
तारीख क्या थी,हर पद के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए, किस पद के लिए कितने आवेदक
थे इसकी सूची । लेकिन डा.टीआर केम ने यूजीसी को आज तक यह सब दस्तावेज नहीं दिया
है। उल्टे साम-ताम-दंड-भेद और तिकड़म करते हुए पूरा जोर लगा दिये हैं कि यूजीसी 9 पदों पर साक्षात्कार कराने की
अनुमति तो दे ही दे, उनका कार्यकाल अगले
और 5 साल के लिए बढ़ा दे। चर्चा है कि केम
इसके लिए सीईसी गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष
जब्बार पटेल से भी पैरवी करा रहे हैं।पूणे के जब्बार पटेल को राकांपा प्रमुख व
कृषि मंत्री शरद ने सीईसी गवर्निंग बोर्ड का अध्यक्ष बनवाया है। सो जब्बार पटेल
अपने आका पवार के पावर के बदौलत तमाम घोटालों व भ्रष्टाचार आरोपी डा. टीआर केम को
70 साल तक की उम्र तक सीईसी निदेशक बनाये रखने पर आमादा हैं, और इसके लिए तरह –तरह के उपक्रम कर रहे हैं। लेकिन इसकी सूचना मिलने पर अरविंद केजरीवाल के साथ परिवर्तन संस्था
शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने कई सांसदों को पत्र लिखा। जिस पर लोकसभा सांसद
राजेन्द्र सिंह राणा ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख को 09 अगस्त 2012 को पत्र लिख टी.आर.केम की इस करनी और तमाम घोटालों के आरोपों की तुरंत जाँच कराने का आग्रह
किया।और दूबारा
पत्र लिखकर इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई और बैठकों का विवरण मांगा है। इसके बारे में राणा ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल
को भी पत्र लिखकर इस मामले की जांच का आग्रह किया है।
कैलाश गोदुका ने भी दिल्ली उच्चन्यायालय के फैसले की प्रति संलग्न
करते हुए 13 अगस्त 2012 को कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर जामिया से बर्खास्त दीपक केम की आई.आई.आई.टी. ,इलाहाबाद में डिप्टी
रजिस्ट्रार पद की नियुक्ति को निरस्त करवाने की अपील की है।
जानकार बताते हैं कि आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद के निदेशक डा. मुरली धर तिवारी ने दीपक केम
के बारे में सबकुछ जानते हुए भी उनको डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर रखवाया है। तिवारी
जी को पता था कि दीपक केम ने विदेशी लेखक की किताब से
काफी मात्रा में सामग्री हूबहू कटपेस्ट करके “डेमोक्रेसी एंड मीडिया” नामक किताब
बनाई थी, इसमें सी. एडविन बेकर की
विश्व प्रसिद्ध किताब मीडिया, मार्केट्स एंड डेमोक्रेसी से
ढेरों पेज का मैटर चुराया गया था, और इसी के चलते जामिया वि.वि.के सेंटर फार कल्चर, मीडिया एंड गवर्नेंस के रीडर पद से डा. दीपक
केम बर्खास्त हुए थे ।यह खबर पंजाब केसरी ,दिल्ली में दिनांक 19 सितम्बर 2012 को पेज 3 पर छपी है