Thursday, February 28, 2013

IGNOU KO BHRASTACHAR KA AUR BARA GADH BANANE KI TAIYARIH

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इग्नू को भ्रष्टाचार का और बड़ा गढ़ बनाने की तैयारी

गुलामनबी अपने यसमैन असलम,वामपंथी अपने  दीपांकर,जायसवाल अपने डांडे  को बनवाना चाहते हैं कुलपति
-कृष्णमोहन सिंह
 नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय , मैदान गढ़ी, नई दिल्ली, खुलकर भ्रष्टाचार करने का गढ़ बन गया है। यहां की पाठ्य पुस्तकों की सामग्री हूबहू उतारकर अपने नाम से पुस्तकें छपवाने  , दूरस्त शिक्षा विकास फंड देने में घूसखोरी , इसके देशी-विदेशी केन्द्रों में धांधली,नियुक्तियों में धांधली के एक से बढ़कर एक नमूने हैं। चर्चा है कि नेताओं , नौकरशाहों , नौकरशाह बन गये अध्यापकों के एक वर्ग की लाबी द्वारा  अपने चहेते चर्चितों में से एक को कुलपति बनवाकर इसे भ्रष्टाचार का और बड़ा गढ़ बनाने की तैयारी हो रही है।
  बताया जाता है कि इसको शैक्षणिक कदाचार व भ्रष्टाचार का गढ़ बनाने में लंबे समय तक कुलपति रहे राजशेखर पिल्लई का सबसे अधिक योगदान रहा।  केरल के पिल्लई ने सोनिया – मनमोहन की सरकार में लगभग 8 साल तक सबसे पावरफुल रही केरलाइट नौकरशाहों तथा मानवसंसाधन मंत्रालय में रहे केरलाइट नौकरशाह सुनील कुमार( जिनकी  पत्नी को पिल्लई ने पहले छत्तीसगढ़ के सेंटर में नियुक्त किया फिर  दिल्ली में प्रोफेसर के रैंक में नियुक्ति दे दी) के लाभालाभी सहयोग के चलते जमकर कदाचार किया। केन्द्र सरकार की मंजूरी के बिना ही ,  केवल कहने के लिए जो   विदेशी विश्वविद्यालय थे उनसे एमओयू साइन करते रहे। उस पिल्लई के शैक्षणिक कदाचारों,भ्रष्टाचार की सीबीआई  जांच हो रही थी। लेकिन जिस तरह से यूजीसी के अध्यक्ष रहते उसे भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने के आरोपी थोराट ने अपने विरूद्ध सीबीआई जांच को, जुगाड़ लगाकर लीपापोती करा , अपने चहेते सांसदों से सोनिया के यहां कई बार पैरवी कराकर भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद (ICSSR) के चेयरमैन बन गये, उसी तरह पिल्लई ने भी केरल लाबी का जुगाड़ लगाकर  अपने विरूद्ध सीबीआई जांच में लीपा-पोती करवा कर केरल में किसी  विभाग में सचिव पद पर नियुक्ति करा ली है। 
 पिल्लई के जाने के बाद रिक्त हुए इग्नू के कुलपति पद के लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी बनी थी उसने कई नाम दे दिये थे। जबकि तबके मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल केवल अपनी जाति के अपने एक चहेते व एक अन्य के नाम की सूची चाहते थे। वह हुआ नहीं और कई नाम की सूची आ गई तो  सिब्बल ने वह कई नामों वाली  सूची तबकि राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के पास नहीं भेजा। क्योंकि कपिल सिब्बल को डर था कि प्रतिभा देवी पाटिल उन नामों में से उसको इग्नू का कुलपति बना सकती हैं जिसको उनके पति  सिफारिश करते।  सो इस डर से सिब्बल ने उस स्क्रीनिंग कमेटी व उसकी सूची को ही रद्द कर दिया और नई स्क्रीनिंग कमेटी बना दी। उसके बाद कपिल सिब्बल से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ले लिया गया और उनकी जगह पल्लम राजू को यह पद दे दिया गया। जो नई कमेटी बनी है उसने भी अपना अलग ही खेल किया। उसने भी जो तीन नाम दिये हैं उन तीनों पर तीकड़मबाज और किसी न किसी तरह मालदार शैक्षणिक प्रशासनिक पद के लोभी होने व अन्य आरोप हैं।हालत यह हो गई है कि इस यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों , नेताओं व अपनी जाति के सांसदों तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कुछ अफसरों से सांठगांठ करके  कुछ प्रोफेसर एक बड़ा रैकेट बना लिये हैं, और एक तरह से शिक्षा माफिया की तरह हो गये हैं।देश की गरीब जनता से शिक्षा कर के नाम पर उगाही जा रहे कर से चलाई जा रही शिक्षा की उन्नति की तमाम योजनाओं और शिक्षण संस्थाओं में बड़े मालदार पदों पर नियुक्तियों  में ये सब एक दूसरे को हर तरह से लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कोई भी कमेटी बन रही है घूमफिर कर 10 से 15 प्रोफेसरों  आदि में से ही नाम आता है। ऐसे ही महानुभावों की बनी कमेटी ने इग्नू के कुलपति पद के लिए पूरे भारत से बहुत ढ़ूंढ़ने के बाद इग्नू के असलम, जेएनयू में रहे दीपांकर और आआईटी कानपुर के निदेशक रहे डांडे के नाम की सूची मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दी है। इसमें स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के चहेते असलम, वामपंथियों के चहेते दीपांकर और कुछ नौकरशाहों व घोटालों के आरोपी कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के चहेते  डांडे हैं। इन तीनों के आका लोग  कारू का खजाना  के रूप में चर्चित हो गये इग्नू  में अपने यसमैन को कुलपति बनवाने के लिए एड़ी – चोटी का जोर लगा दिये हैं। जबकि इन तीनों में से किसी का भी कद व अनुभव इग्नू जैसी विश्वस्तरीय संस्था को भ्रष्टाचार के गढ़ से शिक्षा का गढ़ बनाने लायक नहीं हैं। चर्चा है कि पिल्लई तो इग्नू को भ्रष्टाचार का गढ़ बनाकर गये ही , यदि इनमें से  भी कोई कुलपति बना तो यह और भी रसातल में जायेगा।