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date27-13-2013, 04-06p.m..
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-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। 28
दिसम्बर 1953 को तबके शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग का उद्घाटन किया था।28 दिसम्बर 2002 को इसके स्वर्ण जयंती के अवसर पर
प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई ने इसके प्रतीक चिन्ह ( लोगो) को बदलने की जरूरत
बताई.। उन्होंने कहा कि 21वीं शदी में शिक्षा के क्षेत्र में उभरती नई चुनौतियों
के मद्देनजर यूजीसी एक्ट 1956 में बदलाव किया जाना चाहिए । यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर
विश्वविद्यालय शिक्षा विकास आयोग करने पर विचार किया जाना चाहिए। अब 28 दिसम्बर 2013 को विज्ञान भवन में विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग का हीरक जयंती समारोह है। जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य
अतिथि होंगे, मानव संसाधन विकास
मंत्री पल्लम राजू सभापतित्व करेंगे और दोनों राज्य मंत्री जितिन प्रसाद व शशि
थरूर इसकी शोभा बढ़ायेंगे।
कहां मौलाना
अब्दुल कलाम आजाद,अर्जुन सिंह
जैसे लोग हुए शिक्षा मंत्री और कहां पल्लम राजू जो इस्तीफा देकर भी घर से मंत्रालय चलाते हुए मंत्री
बने हुए हैं । और यूजीसी । यही मनमोहन सिंह हैं जिन्होंने राजीव गांधी द्वारा
चन्द्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हाथ जोड़े चन्द्रशेखर से उनके
साउथ एवेन्यू वाले आवास पर मिले थे। कहे थे-सर मेरा क्या होगा। चन्द्रशेखर ने इनसे
पूछा था,क्या चाहते हैं। मनमोहन
ने आग्रह किया – सर मुझको यूजीसी का चेयरमैन बनवा दीजिए। और चन्द्रशेखर
ने इनको यूजीसी का अध्यक्ष बनवा दिया था। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त
मंत्री बनने के पहले तक मनमोहन सिंह उसपद पर रहे थे। उस मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री
रहते भारतीय उच्च शिक्षा को पूरी तरह अमेरिका व यूरोप के हवालेकरने ,उसका बाजार बनाने की कोशिश हुई है। जिसमें
तबतक रोड़ा लगा रहा जबतक अर्जुन सिंह मानव संसाधन विकास मंत्री थे। 2009 के बाद तो
कपिल सिब्बल,मोंटेक व मनमोहन की तिकड़ी
पूरी तरह से इसे अमेरिका के हवाले करने के एजेंडे पर आगे बढ़ने लगी।सिब्बल के हटने
के बाद अब तक के सबसे बौने साबित हो रहे शिक्षा मंत्री पल्लम राजू जो कर रहे हैं
सबके सामने है। रही सही कसर चर्चित पत्नी ,क्रिकेट घोटाला ,सांसदों
को चिकन कहने वाले शशि थरूर और जितिन प्रसाद पूरा कर रहे हैं। इनके बाद जो रह जा रहा है उसे अपनी पत्नी
को लखनऊ विश्वविद्यालय से डेपुटेशन पर लाकर दिल्ली वि.वि. में नौकरी दिलवाने वाले
संयुक्त सचिव ,केन्द्रीय
विश्वविद्यालय , अनन्त कुमार
सिंह पूरा कर दे रहे हैं। जिनका 7 साल का टर्म 31दिसम्बर 13 को पूरा हो रहा है ,वापस उत्तर प्रदेश जाना है,लेकिन केन्द्र में ही बने रहने के लिए तरह-तरह
का जुगाड़ लगा रहे हैं । चर्चा है कि अनंत सिंह की मदद से ही , जिस कुलपति विभूति नारायण राय पर कैग ने भारी
भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है,जिसकी
जांच सीवीसी करा रही है ( जिस अधिकारी को जांच दिया गया था,उसके मार्फत लीपापोती का इंतजाम हो जाने की चर्चा है),उस विभूति को सर्च कमेटी के अध्यक्ष अशोक
वाजपेई के लिखित विरोध दर्ज कराने के बावजूद अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर बने
रहने का इंतजाम हो गया है । और वह आदमी घोटाला के आरोपो के सबूत मिटाने और एक टर्म
और पाने के लिए इस पद का वि.वि.संसाधन का उपयोग कर रहा है। बीते 5 साल से कई
सांसदों आदि ने विश्वविद्यालयों में नकल करके पी-एचडी,शोध पत्र,पुस्तकें लिखने,उसके
आधार पर लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर बनने , नकल करके लिखी गई पुस्तकें विश्वविद्यालय के
पुस्तकालयों में खरीदवाने ,विश्वविद्यालयों
के कुलपतियों द्वारा ऐसे चोरगुरूओं को नियुक्त करने, संरक्षण देने ( उसमें आईपीएस कुलपति विभूति नारायण राय
भी हैं,जो अपने चहेते भ्रष्टाचारी चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर निदेशक
बना बढ़ा, बचा रहे हैं) की प्रमाण सहित शिकायत राष्ट्रपति,राज्यपाल,शिक्षामंत्री ,शिक्षा
सचिव आदि को किया है। टीवी में दिखाया गया,अखबारों में छपा। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। और केवल भाषण देकर उच्च
शिक्षा में गुणवत्ता लाया जा रहा है। जब छात्र नेट में फेल हो रहे हैं तो राज्य
मंत्री शशि थरूर उनको 50 प्रतिशत या उससे कम पर पास करने का दबाव बना रहे थे।
जितिन प्रसाद अपने पीए को अपने पास बैठा कर अफसरों से बात करते हैं जिसके चलते कोई
अफसर अन्दर की बात बता ही नहीं पाता। ये दोनों अब जो हालत किये हैं उससे सब परेशान
हैं। सिब्बल ने यूजीसी में अपने विरादर एक गुप्ता को सचिव बनवाया था। जो कहता था
कि डाक्टर ने उसे तनाव नहीं लेने को कहा है। वह कार्यालय में आकर कम्प्यूटर पर ताश
खेलते थे । और भी मामले थे। जब शिकायत हुई तो तरह –तरह का तर्क
देकर इस्तीफा दे दिया । लेकिन बाद में उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर से आग्रह करने
लगे थे कि इस्तीफा मंजूर
नहीं किया जाय। गुप्ता
जौनपुर में अपने रिश्तेदारी में जाते थे,पूर्वांचल विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचारी चोरगुरू प्रोफेसर रामजीलाल से
सेमिनार आयोजित करा, उसमें मुख्य
अतिथि बनने जैसे काम करते थे, और
यात्रा –भत्ता यूजीसी से लेते थे।
विश्वविद्यालयों
को फंड देने का काम काम इग्नू के मार्फत किया जाता था। केरल के पिल्लई के इग्नू का
कुलपति रहते खूब धांधली हुई। जब चढ़ावा लेकर फंड देने की बहुत शिकायत आई तो अब यह
काम यूजीसी को दे दिया गया है। लेकिन इसके लिए जिन 20 लोगों की कमेटी है वह पहले
वाली ही है। इनको जबतक हटाकर नई कमेटी नहीं बनेगी, सुधार होने वाला नहीं है । इधर एक कमेटी बना उससे इसके
लिए एक अलग स्वतंत्र संस्था खोलने की रिपोर्ट बनवा ली गई है। यानी बेहतरी के बहाने एक
और शिक्षा की दुकान चलाने का इंतजाम । इन हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है मनमोहन
सिंह,पल्लम राजू,शशि थरूर,जितिन प्रसाद,अशोक ठाकुर,अनंत सिंह ? आप लोग, आप लोगों
के मौन या सक्रिय सहयोग से रैकेट बनाकर उच्चशिक्षा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने
वाले प्रोफेसर,कुलपति,कुलसचिव,अफसर या जनता ? विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की हीरक जयंती
समारोह के अवसर पर छात्रों,अभिभावकों,जनता को इसके जवाब का इंतजार है।
यह खबर हिन्दी दैनिक,पंजाब केसरी,दिल्ली में दिनांक 26-12-2013 को व अन्य कई राज्य में कई अखबार में छपी है।