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date04-03-2014, 09.25P.M.
कितना भ्रष्ट हो गया है उच्च शिक्षा तंत्र
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। उ.प्र. कैडर के आएएस अफसर अनंत सिंह मानव संसाधन विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव थे और
उच्च शिक्षा देख रहे थे। यह उन अफसरों में
से हैं जिनपर उत्तर प्रदेश की मुलायम
सरकार में मुजफ्फर नगर में उत्तराखंड के आंदोलकारियों पर गोली चलवाने आदि का आरोप
लगा था। तब आईपीएस अफसर विभूति नारायण राय जो सत्ता , पद आदि लाभ के लिए वामपंथी आदि
बनते रहे हैं, भी उ.प्र. में ही तैनात थे। वामपंथियों आदि के यहां गणेश परिक्रमा
कर जुगाड़ लगाकर जब विभूति नारायण राय (वीएन राय), महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी
विश्वविद्यालय , वर्धा में कुलपति बने तो चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर
नियुक्त कर दिये। पुलिसिया कुलपति विभूति
नारायण राय ने अपने चहेते चोरगुरू को तो प्रोफेसर, हेड बनाया ही उन
पर कैग ने करोड़ो रूपये के घोटाला का भी आरोप लगाया है। जिसके जांच के लिए कई
लोगों ने यूजीसी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय,प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को सप्रमाण
पत्र लिखा है।सीवीसी ने इसके जांच का आदेश दिया था जिसको मानव संसाधन विकास
मंत्रालय के जांच अधिकारी को पटाकर रफा-दफा कराने की चर्चा है। इतना सब होने के
बावजूद महाजुगाड़ी वीएन राय ने सर्च कमेटी
में अपने में चर्चित कपिला वात्स्यायन और अपने एक और चहेते को रखकर अपना नाम भी जुड़वा
लिया था। जबकि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सर्च कमेटी के अध्यक्ष व मानव संसाधन विकास
मंत्रालय के पूर्व सचिव अशोक वाजपेई ने
वात्स्यान और उनके ही मिजाज वाले एक भ्रष्टाचारी संरक्षक द्वारा घोटाला आरोपी व चोरगुरू संरक्षक वीएन राय
का नाम रिकमेंड करने पर लिखित में विरोध दर्ज करके रिपोर्ट जमा किया था।उसके बाद भी
सर्च कमेटी ने जो नाम सुझाये थे उसमें से किसी को वर्धा का कुलपति नहीं नियुक्त
करके इसी भ्रष्टाचार आरोपी वीएन राय को नये कुलपति की नियुक्ति तक कुलपति बनाये रखने की व्यवस्था
कर दी गई। कहा जाता है कि राय ने यह सब अनंत सिंह के सहयोग से कराया था। जिसके बाद
इन सब का व्यौरा देते हुए अनंत सिंह का
कार्यकाल पूरा होते ही वापस उ.प्र. कैडर में भेजने का पत्र राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री
व मानव संसाधन विकास मंत्री को गया। ताकि किसी न किसी बहाने और एक्सटेंशन
पाने का जुगाड़ लगा रहे अनंत सिंह मानव
संसाधन विकास मंत्रालय में नहीं रहने पावें। उसके बाद उनको एक्सटेंशन नहीं मिला । जिसके कारण
उनको दिसंबर 13 के अंतिम सप्ताह में मानव
संसाधन मंत्रालय से विदा होना पड़ा।
चोर गुरू संरक्षक व घोटाला आरोपी विभूति नारायण
राय के वही संरक्षक व सहयोगी बन गये थे। सो उनके जाने के बाद वीएन राय के जुगाड़ की
मुख्य कड़ी ही टूट गई। उसके बाद वीएन राय
के विरूद्ध राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्री के यहां प्रमाण सहित
शिकायत गई कि जिस आदमी पर घोटाला व भ्रष्टाचार के इतने आरोप हैं , उसको अभी तक कुलपति पद पर क्यों और कैसे बनाये
रखा गया है। जबकि उसका कार्यकाल खत्म हो गया है और सर्च कमेटी ने कई नाम की सूची
दे दी है। उनमें से किसी को क्यों नहीं नियुक्त किया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार
आरोपी को अपने किये घोटाले व भ्रष्टाचार को रफा – दफा कराने के लिए समय क्यों दिया
जा रहा है।उसके बाद 28जनवरी 14 को वीएन राय की वर्धा के कुलपति पद से हटाने का आदेश
हुआ। वरना वह तो दूसरा टर्म पाने के जुगाड़ में साम-दाम,जी-जान से जुटे थे।उधर वर्धा में विद्यानिवास मिश्र के भाी को कुलपति बना दिया गया। उनको भी पटाने के लिए चोरगुरू अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के राय अंकित लग गया है।
इसी तरहसे कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतिलोग
जिनका कार्य काल खत्म हो गया था मंत्रालय के अफसरों , मंत्रियों को किसी न किसी
तरह से खुश करके पद पर बने हुए थे। जब इनकी भी प्रमाण सहित शिकायत राष्ट्रपति ,
प्रधानमंत्री आदि के यहां हुई तब पल्लम राजू और उच्च शिक्षा सचिव ठाकुर के न चाहने
के बावजूद 1 मार्च 14 को सबकी छुट्टी करनी पड़ी और अगले कुलपति की नियुक्ति तक उनके चार्ज विश्वविद्यालयों
के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसरों को देने का आदेश देना पड़ा। शिक्षा का पूरा तंत्र किस तरह भ्रष्ट हो गया है और
कैसे चल रहा है , इसका यह एक छोटा सा प्रमाण है।