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03.04.2014
क्या चोर गुरू संरक्षक व भ्रष्टाचार ,घोटाला आरोपी रहे विभूति नारायण राय का भी यह हश्र होगा जो एक घोटालेबाज अफसर विभूति का हुआ है?
विभूति नारायण राय ने जोड़-जुगाड़ से कुलपति बनने के बाद अपने प्यारे चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित को प्रोफेसर नियुक्त करके हेड आदि बना दिया।पुलिस अफसर रहे राय पर कई तरह के घोटाले व भ्रष्टाचार का आरोप कैग ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। जिस पर प्रमाण सहित कम्प्लेन हुआ है तो जो जांच कमेटी बनी थी उसके अफसर से लीपा-पोती वाली रिपोर्ट लगवाने की चर्चा है। लेकिन घोटाले का प्रमाण अपनी जगह कायम है। ऐसे में जिसने लीपा-पोती की रिपोर्ट लगाई है उसके और चोरगुरू संरक्षक,घोटाला आरोपी कुलपति रहे विभूति नारायण राय के विरूद्ध नये सिरे से जांच की मांग शुरू हो गई है।संभावना जताई जा रही है कि ठीक से लगे रहने पर चोरगुरूओं व उनके संरक्षक रहे घोटालेबाज कुलपति विभूतियों का भी वही हश्र हो सकता है जो निम्न विभूति का हुआ है -
03.04.2014
क्या चोर गुरू संरक्षक व भ्रष्टाचार ,घोटाला आरोपी रहे विभूति नारायण राय का भी यह हश्र होगा जो एक घोटालेबाज अफसर विभूति का हुआ है?
विभूति नारायण राय ने जोड़-जुगाड़ से कुलपति बनने के बाद अपने प्यारे चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित को प्रोफेसर नियुक्त करके हेड आदि बना दिया।पुलिस अफसर रहे राय पर कई तरह के घोटाले व भ्रष्टाचार का आरोप कैग ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। जिस पर प्रमाण सहित कम्प्लेन हुआ है तो जो जांच कमेटी बनी थी उसके अफसर से लीपा-पोती वाली रिपोर्ट लगवाने की चर्चा है। लेकिन घोटाले का प्रमाण अपनी जगह कायम है। ऐसे में जिसने लीपा-पोती की रिपोर्ट लगाई है उसके और चोरगुरू संरक्षक,घोटाला आरोपी कुलपति रहे विभूति नारायण राय के विरूद्ध नये सिरे से जांच की मांग शुरू हो गई है।संभावना जताई जा रही है कि ठीक से लगे रहने पर चोरगुरूओं व उनके संरक्षक रहे घोटालेबाज कुलपति विभूतियों का भी वही हश्र हो सकता है जो निम्न विभूति का हुआ है -
नई दिल्ली,3फरवरी2014, (जनसत्ता)। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व
सहायक महानिदेशक को दिल्ली की एक अदालत ने 13 लाख रुपए से ज्यादा की बिना हिसाब किताब की संपत्ति रखने के 17 साल पुराने एक मामले में तीन साल कैद और 75 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने मंत्रालय के सरकारी मेडिकल स्टोर विभाग में सहायक
महानिदेशक के तौर पर काम करने वाले विश्व विभूति को इस पद पर रहने के
दौरान अपने और अपने परिवार के नाम पर 72 लाख रुपए से
ज्यादा की राशि जमा करने का दोषी पाया, जबकि निर्दिष्ट
अवधि में उसकी ज्ञात आय 58,17,990 रुपए थी। आरोपी को जेल की सजा सुनाते हुए सीबीआइ के विशेष
न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि किसी भी तरह का कितना भी भ्रष्टाचार
करने वाले को कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार
कभी भी फायदे का सौदा नहीं है। अदालत ने कहा कि अगर भ्रष्ट लोगों को
आसानी से जाने दिया जाएगा तो ईमानदार लोक सेवक हतोत्साहित होंगे और उनका मनोबल
गिरेगा। आजकल भ्रष्टाचार से समाज में असंतुलन ही पैदा नहीं होता बल्कि
इससे एक राष्ट्र के विकास में भी बाधा आती है।’ अदालत ने कहा कि
आरोपी ने प्रथम श्रेणी अधिकारी के तौर पर सरकारी सेवा में प्रवेश
किया। वह मेडिकल स्टोर विभाग में थे और सरकारी नौकरी में रहते
उन्होंने जो संपत्ति एकत्र की वह उनकी आय के ज्ञात श्रोत से अधिक थी।’ न्यायाधीश ने कहा-
‘यह मामला इसलिए और संवेदनशील हो जाता
है क्योंकि दोषी (विभूति) को सरकारी अस्पतालों के लिए दवाएं खरीदने के
काम पर लगाया गया था और ऐसे पद पर रहते हुए भ्रष्ट कार्य करके संपत्ति जमा
करना बहुत गंभीर अपराध है।’अदालत ने हालांकि विभूति की याचिका को स्वीकार करते हुए
उसकी सजा पर 12 दिसंबर तक अमल रोक दिया। इस दौरान उसने पांच लाख रुपए का एक
जमानती बांड और इतनी ही राशि की दो प्रतिभूति राशि जमा कराई। उसके देश
छोड़कर बाहर जाने पर भी रोक लगा दी गई। सीबीआइ ने 15 मई 1996 को विभूति के
खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था कि जून 1985 से मार्च 1995 के दौरान हैदराबाद और दिल्ली में
एडीजी, जीएमएसडी के पद पर
रहते हुए उन्होंने अपने और अपने परिवार के नाम पर भारी संपत्ति एकत्र की।
विभूति को जुलाई 1996 में निलंबित कर दिया गया। उस समय वह कोलकाता में
एडीजी था। छानबीन के बाद जुलाई 1998 में उसके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। विभूति
को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दोषी पाया गया। अदालत ने सीबीआइ की भी
खिंचाई करते हुए जांच एजंसी के जांच के तरीके पर सवाल उठाया।