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DATE 28-10- 2013, 01.58 P.M.
घोटाला आरोपी
विभूति नारायण राय अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर
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महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा में विभूति का कुलपति पद पर 28 अक्टूबर 13 को 5 साल का टर्म पूरा हो गया।
लेकिन चर्चा है कि जुगाड़ ,सिफारिश और अनंत नारायण सिंह व उनके बास उच्च शिक्षा
सचिव अशोक ठाकुर के सक्रिय सहयोग और कुछ मंत्रियों के मौन समर्थन से इस
घोटाला,भ्रष्टाचार आरोपी विभूति को अगला कुलपति नियुक्त होने तक बने रहने की इजाजत
दे दी गई।
मालूम हो कि
राष्ट्रपति द्वारा नामित अशोक वाजपेई की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी में तीन लोग
थे। बाकी दो नाम वर्धा के एक्जक्यूटिव काउंसिल जिसका अध्यक्ष कुलपति विभूति नारायण
राय है ने दिया था,यानी विभूति ने दिया था। उसने इंदिरा गांधी की चहेती रही और अब
सोनिया की प्रिय होने का दावा करने वाली चर्चित कपिला वात्स्यायन,सिब्बल की चंडीगढ़
लाबी के प्रीतम सिंह का नाम सर्च कमेटी का सदस्य बनाने के लिए दिया था। यानी सोनिया खेमा और मनमोहन -सिब्बल खेमा दोनों को पटाने उनके मार्फत गोटी फिट करने का इंतजाम।और इन
दोनों ने ही जिद करके घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय का नाम सूची में डाला , जबकि
अशोक वाजपेई ने भ्रष्टाचार आरोपी विभूति के नाम का विरोध किया था और उसके विरूद्ध नोट लगाकर सूची के साथ
लगा दिया। इस सर्च कमेटी ने पूरे भारत के हिन्दी विद्वानों में से बहुत मेहनत से खोजने, ढ़ूढ़ने के बाद ये 5 नाम दिया है- 1.पुरूषोत्तम अग्रवाल,2.उदय
नारायण सिंह,3.राधावल्ल्भ त्रिपाठी,4.विभूति नारायण राय,5.गिरीश्वर मिश्र । और इन
पांचो के नाम को कानून मंत्रालय ने क्लीयर कर दिया है। जिसके चलते सर्च कमेटी के दो चर्चित सदस्यों-
कपिला,प्रीतम, मानव संसाधन मंत्रालय के अनंत कुमार सिंह,अशोक ठाकुर,सीवीसी के आदेश
पर जांच कर रहे अफसर,मंत्रालय के जांच विभाग के दो आईएएस अफसरों पर अंगुली उठने
लगी है।
कहा जाता है कि
विभूति नारायण राय की कोशिश व सिफारिश किसी भी तरह से अपने नाम को भी मंत्रालय से राष्ट्रपति के
पास भेजवाने की है। जहां उसको पहली बार कुलपति बनने
के लिए जो तरीका अपनाया उसी तरीके और राष्ट्रपति के बेटे व कुछ सांसदों,महाश्वेता
आदि जैसों की कृपा से फिर अपने नाम पर मंजूरी मिलने का भरोसा है।
लेकिन इस तरह एक बार
फिर भ्रष्टाचार मिटाने उच्चशिक्षा व शिक्षण संस्थाओं , विश्ववविद्यालयों की गुणवत्ता बढ़ाने का भाषण देने
वाले मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के मंत्रियों व अफसरों की कथनी और करनी की असलीयत
उजागर हो गई।