Monday, October 28, 2013

GHOTALA AAROPI V.N.RAI AGALE KULAPTI KI NIYUKTI TAK PAD PAR



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DATE 28-10- 2013, 01.58 P.M.
 
घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के जिस विभूति नारायण राय( V.N.RAI,I.P.S.) पर अपने चहेते सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर लगातार बचाने,बढ़ाने का प्रमाण सहित आरोप है,जिस पर कैग ने अपनी रिपोर्ट में करोड़ो रूपये के घोटाला आदि का आरोप लगाया है ,जिस पर शिकायत के बाद सीवीसी ने जांच का आदेश दिया है,जिसने महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने पर तबके मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा दो घंटे के भीतर बिना शर्त मांफी मांगो नहीं तो बर्खास्त कर दिये जाओगे का कड़ा रूख अपनाने के बाद मांफी मांगकर नौकरी बचाई ,उस विभूति नारायण राय के नाम को उसी कपिल सिब्बल के मंत्रित्व वाले कानून मंत्रालय ने क्लीनचिट दे दी है। कैसे दी है यह एक अलग जांच का विषय है। चर्चा है कि करोड़ो रूपये के घोटाला,जातिवाद,चोरगुरू संरक्षण,नियुक्तियों में धांधली आरोपी विभूति नारायण राय की मदद अनंत कुमार सिंह नामक एक आईएएस अफसर कर रहा है जो बिहार का है लेकिन उ.प्र. कैडर का है,और जिसपर मुलायम सिंह यादव की सरकार के समय उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने वालों पर घनघोर जुर्म करने का आरोप लगा था।जिसमें आंदोलनकारी औरतों के साथ बालात्कार आदि का भी मामला उठा था। उस समय विभूति नारायण राय भी उ.प्र.में पुलिस अफसर थे ।और तबसे दोनों में आपसी हितपोषक संबंध होने की चर्चा है। वही अनंत कुमार सिंह इन दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय में  ज्वाइंट सेक्रेटरी , सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंड लैंग्वेजेज के पद पर हैं। बताया जाता है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी की लगभग सभी फाइल इनके डेस्क से होकर जाती है । सो घोटाला आरोपी विभूति के ये खेवनहारों में से एक बने हुए हैं। बाकी तो मुलायम सरकार में मंत्री रहे और अब सांसद रेवती रमण सिंह ( जो कि विभूति नारायण राय के सजातीय और शुभचिंतक हैं),चर्चित कपिला वात्स्यायन,मनमोहन - सिब्बल की चंडीगढ़ लाबी के प्रीतम सिंह,वर्धा में कृपा शंकर चौबे को रीडर बनवाने वाली महाश्वेता देवी, वर्धा के चांसलर व वामपंथी लाबी वाले नामवर सिंह जैसों से  राष्ट्रपति के बेटे सांसद अभिजित मुखर्जी ,मानव संसाधन राज्य मंत्री  जितिन प्रसाद आदि के  यहां जुगाड़ लगवाकर , महाजुगाड़ी विभूति कुलपति पद पर एक टर्म और पाने की जी-जान से कोशिश कर रहे हैं।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा में विभूति का कुलपति पद पर  28 अक्टूबर 13 को 5 साल का टर्म पूरा हो गया। लेकिन चर्चा है कि जुगाड़ ,सिफारिश और अनंत नारायण सिंह व उनके बास उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर के सक्रिय सहयोग और कुछ मंत्रियों के मौन समर्थन से इस घोटाला,भ्रष्टाचार आरोपी विभूति को अगला कुलपति नियुक्त होने तक बने रहने की इजाजत दे दी गई।         
मालूम हो कि राष्ट्रपति द्वारा नामित अशोक वाजपेई की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी में तीन लोग थे। बाकी दो नाम वर्धा के एक्जक्यूटिव काउंसिल जिसका अध्यक्ष कुलपति विभूति नारायण राय है ने दिया था,यानी विभूति ने दिया था। उसने इंदिरा गांधी की चहेती रही और अब सोनिया की प्रिय होने का दावा करने वाली चर्चित कपिला वात्स्यायन,सिब्बल की चंडीगढ़ लाबी के प्रीतम सिंह का नाम सर्च कमेटी का सदस्य बनाने के लिए दिया था। यानी सोनिया खेमा और मनमोहन -सिब्बल खेमा दोनों को पटाने उनके मार्फत गोटी फिट करने का इंतजाम।और इन दोनों ने ही जिद करके घोटाला आरोपी विभूति नारायण राय का नाम सूची में डाला , जबकि अशोक वाजपेई ने भ्रष्टाचार आरोपी विभूति के नाम का विरोध किया था और उसके विरूद्ध नोट लगाकर सूची के साथ लगा दिया। इस सर्च कमेटी ने पूरे भारत के हिन्दी विद्वानों में से बहुत मेहनत से खोजने,  ढ़ूढ़ने के बाद  ये 5 नाम दिया है- 1.पुरूषोत्तम अग्रवाल,2.उदय नारायण सिंह,3.राधावल्ल्भ त्रिपाठी,4.विभूति नारायण राय,5.गिरीश्वर मिश्र । और इन पांचो के नाम को कानून मंत्रालय ने क्लीयर कर दिया है।  जिसके चलते सर्च कमेटी के दो चर्चित सदस्यों- कपिला,प्रीतम, मानव संसाधन मंत्रालय के अनंत कुमार सिंह,अशोक ठाकुर,सीवीसी के आदेश पर जांच कर रहे अफसर,मंत्रालय के जांच विभाग के दो आईएएस अफसरों पर अंगुली उठने लगी है।
कहा जाता है कि विभूति नारायण राय की कोशिश व सिफारिश किसी भी तरह से अपने नाम को भी मंत्रालय से राष्ट्रपति के पास   भेजवाने की है। जहां उसको पहली बार कुलपति बनने के लिए जो तरीका अपनाया उसी तरीके और राष्ट्रपति के बेटे व कुछ सांसदों,महाश्वेता आदि जैसों की कृपा से फिर अपने नाम पर मंजूरी मिलने का भरोसा है।
लेकिन इस तरह एक बार फिर भ्रष्टाचार मिटाने  उच्चशिक्षा व शिक्षण संस्थाओं , विश्ववविद्यालयों  की गुणवत्ता बढ़ाने का भाषण देने वाले मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के मंत्रियों व अफसरों की कथनी और करनी की असलीयत उजागर हो गई।