मेडिकल
सीट घोटाला में पूर्व मंत्री मसूद को सजा तो शिक्षा घोटाला मामले में
चोरगुरूओं,भ्रष्टाचारी गुरूओं उनके संरक्षक कुलपतियों,कुलसचिवों ,अफसरों को क्यों
नहीं ?
मेडिकल सीट घोटाला: मसूद को चार साल की जेल, सजा सुनते ही सन्न रह गए पूर्व मंत्री
Bhaskar.com | Oct
01, 2013, 17:45PM
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा
घोटाला मामले में सजा सुनाए जाने के बाद एक और नेता की
राजनीति खतरे में पड़ गई है। तीस हजारी की सीबीआई की विशेष अदालत ने 1990-91 में मेडिकल कॉलेजों में उम्मीदवारों को फर्जी ढंग से प्रवेश दिलाने के
मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेसी सांसद रशीद मसूद को चार साल कैद की सजा सुनाई है। सजा का ऐलान
करते ही न्यायाधीश के आदेश पर उन्हें हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
अब मसूद राज्यसभा सदस्य नहीं रह पाएंगे और न ही छह साल तक कोई चुनाव लड़ सकेंगे।मसूद के अलावा मामले में दोषी करार दिए गए दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों को भी चार वर्ष कारावास तथा फर्जी तरीके से एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले नौ छात्रों को एक-एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। छात्रों की तरफ से अदालत में जमानत आवेदन दायर किया गया है। विशेष न्यायाधीश जेपीएस मलिक ने फैसला सुनाए जाने के दौरान मामले की सुनवाई बंद कमरे में की और सजा का ऐलान किया। फैसला सुनते ही रशीद सन्न रह गए।
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...........बहस के
दौरान सीबीआई के वकील ने जज से कहा था कि रशीद मसूद ने काबिल छात्रों का
करियर बिगाड़ा है, उन्हें
कम-से-कम सात साल की सजा जरूर मिलनी चाहिए।
कोर्ट में सजा पर कैसी चली बहस
दोषी करार दिए गए रशीद मसूद ने देश की लंबे समय तक की गई सेवा और खराब सेहत कारणों का हवाला देते हुए अदालत से सजा में नरमी की मांग की, जबकि सीबीआई ने उन्हें कम से कम 7 साल की सजा देने और उन पर भारी जुर्माना लगाने की अपील की। 67 वर्षीय मसूद के वकील ने सजा की अवधि पर दलील देते हुए सीबीआई के स्पेशल जज जे. पी. एस. मलिक से कहा, 'मैं पिछले 30 सालों से संसद सदस्य हूं और मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं। मामले के नेचर, मेरी उम्र और पहले की साफ छवि को ध्यान में रखते हुए मुझे प्रॉबेशन का लाभ दिया जाना चाहिए।'
सीबीआई के वकील वी.एन. ओझा ने हालांकि उनकी प्रॉबेशन की अपील का विरोध करते हुए कहा, 'रशीद मसूद को सात साल से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए क्योंकि अपने रिश्तेदार सहित अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करके उन्होंने काबिल छात्रों का कैरियर बिगाड़ दिया है।'
1990 में वी. पी. सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे मसूद को केंद्रीय पूल से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया गया था।
स्पेशल सीबीआई जज जे. पी. एस. मलिक ने मसूद को आईपीसी की धाराओं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और 486 (जालसाजी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि उन्हें आईपीसी की धारा 471 के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया, जो फर्जी दस्तावेज को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी है।
.................................................................................................................................................दोषी करार दिए गए रशीद मसूद ने देश की लंबे समय तक की गई सेवा और खराब सेहत कारणों का हवाला देते हुए अदालत से सजा में नरमी की मांग की, जबकि सीबीआई ने उन्हें कम से कम 7 साल की सजा देने और उन पर भारी जुर्माना लगाने की अपील की। 67 वर्षीय मसूद के वकील ने सजा की अवधि पर दलील देते हुए सीबीआई के स्पेशल जज जे. पी. एस. मलिक से कहा, 'मैं पिछले 30 सालों से संसद सदस्य हूं और मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं। मामले के नेचर, मेरी उम्र और पहले की साफ छवि को ध्यान में रखते हुए मुझे प्रॉबेशन का लाभ दिया जाना चाहिए।'
सीबीआई के वकील वी.एन. ओझा ने हालांकि उनकी प्रॉबेशन की अपील का विरोध करते हुए कहा, 'रशीद मसूद को सात साल से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए क्योंकि अपने रिश्तेदार सहित अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करके उन्होंने काबिल छात्रों का कैरियर बिगाड़ दिया है।'
1990 में वी. पी. सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे मसूद को केंद्रीय पूल से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया गया था।
स्पेशल सीबीआई जज जे. पी. एस. मलिक ने मसूद को आईपीसी की धाराओं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और 486 (जालसाजी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि उन्हें आईपीसी की धारा 471 के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया, जो फर्जी दस्तावेज को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी है।
ये प्रमाण हैं जो साबित करते हैं कि जब चारा घोटाला मामले में लालू,जगन्नाथ आदि व मेडिकल सीट घोटाला मामले में मसूद व अन्य को सजा हो सकती है तो शिक्षा घोटाला,शैक्षणिक भ्रष्टाचार मामले में वीर बहादुर सिंह वि.वि. जौनपुर ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी,बुंदेलखंड वि.वि. झांसी,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय वि.वि. वर्धा के चोरगुरूओं,शैक्षणिक भ्रष्टाचारियों,उनके संरक्षक कुलपतियों,कुलसचिवों,उनको संरक्षण दे रहे अफसरों को क्यों नहीं ?
देखिए यहां सीबीआई के वकील ने कोर्ट में क्या कहा है-
सीबीआई के वकील वी.एन. ओझा ने हालांकि उनकी प्रॉबेशन की अपील का विरोध करते हुए कहा, 'रशीद मसूद को सात साल से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए क्योंकि अपने रिश्तेदार सहित अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करके उन्होंने काबिल छात्रों का कैरियर बिगाड़ दिया है।'
इस आधार पर तो यही मामला बनता है प्रो.राममोहन पाठक पर म.म.मो.मा.पत्रकारिता संस्थान,काशी विद्यापीठ का निदेशक रहने के दौरान अपने सगे पुत्र का नम्बर बढ़ाने के आरोप वाले मामले में ,अन्य कई शैक्षणिक भ्रष्टाचार के मामले में और उसके लड़के पर भी जो इस समय बिहार में एक वि.वि. में पत्रकारिता का लेक्चरर हो गया है।
इसी तरह का मामला चोरगुरू,शैक्षणिक भ्रष्टाचारी डा. अनिल कुमार राय अंकित और उसको मगांअंहिविवि वर्धा में प्रोफेसर नियुक्त कराकर डीन बनाने और उसको साढ़े चार साल तक बचाते रहने वाले कुलपति छिनाली फेम वाले विभूति नारायण राय आईपीएस पर भी बनता है। वीबसिंपूविवि,मगांकाविपीठ के कुलपतियों ,कुलसचिवों पर उनके संरक्षक अफसरों पर भी बनता है।