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यूजीसी रिव्यू कमेटी के
आमंत्रितों में ज्यादेतर चोरगुरू ,भ्रष्टाचारी
5 व 6 अगस्त 14 को हुई बैठक में
किसी ने भी शिक्षण संस्थानों से चोरगुरूओं को बर्खास्त करने,भ्रष्टाचारी शिक्षकों को
मंत्रालयों ,विश्वविद्यालयों के किसी कमेटी में नहीं रखने का सुझाव नहीं दिया , यानी चोरगुरूओं,भ्रष्टाचारीगुरूओं की चांदी रहेगी, रैकेट चलता रहेगा
ऐसे में कैसे होगा नरेन्द्र मोदी का उच्च शिक्षा को भ्रष्टाचार मुक्त करने ,गुणवत्ता सुधारने का सपना साकार ?
-कृष्णमोहन सिंह
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। सूत्रों के मुताबिक
5 और 6 अगस्त 2014 को यूजीसी रिव्यू कमेटी की हुई बैठक में जो चोरगुरू और
भ्रष्टाचार आरोपित मास्टरजी लोग थे उनने देशी –विदेशी
विद्वानों,प्रोफेसरों आदि की कापी राइट वाली पुस्तकों ,शोधपत्रों आदि से हूबहू कटपेस्ट करके अपने
नाम से किताब छपवा लेने वाले,शोध पत्र बना लेने वाले ,पीएचडी थीसिस लिखने वाले और उसके बदौलत नौकरी ,प्रमोशन पाने,हेड व कुलपति बनने वाले ,उन नकल करके लिखी पुस्तकों
को विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में
बिकवाने वाले लेक्चररों,प्रोफेसरों,कुलपतियों को बर्खास्त करके शिक्षा में सुधार करने के बारे में एक शब्द नहीं बोले।
यह भी नहीं कहा कि जिन कुलपतियों, प्रोफेसरों , अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के प्रमाण सहित गंभीर आरोप हैं उनको राज्य व
केन्द्र के शिक्षा मंत्रालय व विश्वविद्यालयों के किसी भी कमेटी में नहीं रखा
जाये। क्योंकि इनमें से ज्यादेतर तो ऐसे ही हैं।ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी के उच्च शिक्षा विजन को कैसे सफलता मिलेगी ?
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