Tuesday, December 23, 2014

BEd will now be a two-year course. IS THIS A NEW TACTIS OF LOOT OF POOR STUDENTS AND THEIR FAMILIES


HRD gives nod for changing norms of national teacher council

, TNN

Akshya .mukul@timesgroup.com




NEW DELHI: One of the first major policy changes in education has been initiated with HRD minister giving the green signal for a complete overhaul of norms and standards of National Council for Teacher Education. This has been done after long deliberations with various stakeholders and also addresses many concerns and recommendations of Justice J S Varma committee appointed by the Supreme Court.

One of the highlights of the changed regulatory regime is that BEd will now be a two-year course. And those aspiring to be teachers can start young. Gujarat model of an integrated four-year course leading to BA and BEd degree will be started immediately after class 12th. Those who want to be primary school teachers can get into two-year diploma in education course after class 12th.

In order to ensure that teacher education does not become an isolated stream, people having done BCom and BTech can also do the two-year BEd course with intense curriculum. Government has created more alternate routes to becoming a teacher. For instance, in-service untrained primary school teachers hired in high numbers in UP and Bihar can now do diploma in education through distance mode. Similarly, primary school teachers already with diploma in education degree can upgrade to BEd through distance mode.

Unqualified secondary school teachers will now have to do a three-year part time BEd course in class room mode during vacations. "Important thing is that almost 20 weeks of practical work has been weaved in the course. Out of 20 weeks they will have to teach for at least 16 weeks. One-fourth of their assessment marks will depend on practical," a senior official said.

For the first time, masters in education (MEd) has also been revamped and specialization has been introduced. Those already with BEd can do two-year MEd with specialization in secondary and senior secondary. And those with diploma in education and graduation degree can do MEd for two years with specialization for elementary education. Catering to a long-standing demand those with MA/MSc degree in any subject can do integrated BEd/MEd for three years with specialization in secondary education.

Changes have also been introduced in the administration of teacher education institutions. Those opening teacher education institutions can do it online and will have to get accreditation from bodies like National Assessment and Accreditation Council. Yoga, information technology and gender has been included in curriculum of all programmes.
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 IS THIS A NEW TACTIS OF LOOT OF POOR STUDENTS AND THEIR FAMILIES ?
many people says yes .

Monday, December 22, 2014

वि.वि. के टीचर 70 तक पढ़ायेंगे,बेरोजगार पीएचडी युवक सिर पीट मोदी - स्मृति गायेंगे



70 साल में रिटायर होंगे वि.वि. अध्यापक
65 के बाद 70 तक संविदा के आधार पर होगी नियुक्ति पेंशन भी लेंगे और संविदा पर नौकरी भी करेंगे, ये शिक्षक दिल्ली एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरम ने किया विरोध शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से बढ़ेगी बेरोजगारी : फोरम
नई दिल्ली (एसएनबी)। दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत देश भर के केन्द्रीय विविद्यालयों के स्थायी शिक्षकों के लिए राहत की खबर है, अब शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 70 साल हो सकती है। मतलब शिक्षक 65 साल की रिटायरमेंट उम्र के बाद भी पढ़ा सकेंगे। अभी केन्द्रीय विविद्यालयों में रिटायरमेंट की एज 65 साल हैं। केन्द्रीय मानव संसाध विकास मंत्री स्मृति जूबिन इरानी ने एक दिसम्बर को राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह के प्रश्न के जबाव में यह बताया है कि केन्द्रीय विविद्यालयों में प्रोफेसरों के दो हजार 316 स्वीकृत पदों में से एक हजार 72 भरे गए हैं। इसमें एक हजार 244 पद अरसे से खाली पड़े हैं। विविद्यालयों में शिक्षकों की इस कमी को देखते हुए खाली पदों की उपलब्धता और फिटनेस के तहत शिक्षकों की 65 वर्ष की आयु से आगे 70 वर्ष की आयु तक संविदा आधार पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति दी गई है। बता दें कि विविद्यालयों एवं कॉलेजों में अयापकों एवं अन्य अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता एवं उच्चतर शिक्षा में मानकों के अनुरक्षण के लिए उपाय संबंधी यूजीसी विनियम 2010 के पैरा 12.2 में विविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि विविद्यालय पण्राली के सभी स्वीकृत-अनुमोदित पदों को तत्काल आधार पर भरा जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरम के चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन ने कहा कि इससे एससी-एसटी ओबीसी के उम्मीदवारों की नियुक्तियां पांच वर्ष बाद होंगी। ऐसी स्थिति में अच्छे दिन परमानेंट टीचर के आए हैं जो 65 के बाद भी 70 वर्ष तक संविदा आधार पर पढ़ायेंगे। उन्होंने कहा सरकार आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती उनका बैकलॉग भरना नहीं चाहती, सरकार के इस फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। टीर्चस फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कला संकाय में बैठक बुलाकर केन्द्रीय मंत्री द्वारा दिए गए इस वक्तव्य पर विरोध जताया है कि जिसमें रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाते हुए शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है। प्रो. हंसराज सुमनका कहना है कि यह उच्च शिक्षा में युवा एससी-एसटी ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों को बेरोजगारी की ओर धकेलने का एक षड़यंत्र किया जा रहा है। प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू समेत देश के केन्द्रीय विविद्यालयों एवं कॉलेजों में शिक्षकों का बैकलॉग हजारों पदों पर खाली पड़ा है। अकेले डीयू में 40 से 50 फीसदी पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं। लेकिन इन्हें भरने के लिए केन्द्र सरकार उचित कदम नहीं उठा रही है। इतना ही नहीं डीओपीटी सकरुलर के अनुसार दो जुलाई 97 के आधार पर कॉलेजों ने 200 पाईट पोस्ट बेस रोस्टर ही नहीं बनाया है और जो नियुक्तियां कॉलेजों व विभागों में हुई है उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप पूरी तरह से हावी रहा है और अब एक नया फार्मला तैयार करके युवा बेरोजगारों को उच्च शिक्षा में आने से रोकना है, उसे शिक्षण के व्यवसाय से बाहर किया जा रहा है।
 * यह खबर 'राष्ट्रीय सहारा' , दिल्ली  में दिनांक 22-12-2014 को पहले पन्ने पर छपी है।
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वि.वि. शिक्षकों के पढ़ाने की उम्र 70 तक किया तो होगा बवाल

अब सवाल यह है कि क्या नरेन्द्र मोदी और उनकी अतिप्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी क्या ज्यादेतर रैकेटियर ,जातिवादी,बीमार लोगों को 70 साल तक अध्यापक बनाये रखकर नेट व पीएचडी करके नौकरी ढ़ूढ़ रहे लाखों युवकों को बेरोजगार बनाये रखना चाहते हैं। युवक ज्यादे मेहनत करके पढायेंगे या वे ज्यादेतर पुराने लोग जो कई तरह की बीमारियों ,राजनीतिक रैकेट ,खेमेबंदी ,शैक्षणिक धांधली में गले तक डुबे हुए हैं वे मेहनत करके पढ़ायेंगे? यदि नरेन्द्र मोदी की सरकार ऐसा करती है तो यह उनकी जानबूझ कर देश के उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों का भविष्य खराब करने की योजना मानी जायेगी। और इसके विरूद्ध देश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवक धरना -प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं। होना तो यह चाहिए कि अन्य विभाग की नौकरियों की तरह विश्वविद्यालय के अध्यापकों की नौकरी भी 58 साल की उम्र में खत्म कर दी जानी चाहिए या उनको सेवानिवृति दे देनी चाहिए। जो आगे कुछ करना चाहते हैं उनको राजनीति में चले जाना चाहिए और जुगाड़ व किसी की कृपा से जैसे आनंदीबेन पटेल 73 साल की उम्र में मुख्यमंत्री हैं या तथाकथित मात्र इंटर पास स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री हैं , वैसे ही नेता ,मंत्री बन जाना चाहिए।
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Monday, December 15, 2014

NO SCHOOL ON CHRISTMAS . MADAM SMRITI IRANI , SEE THIS CIRCULAR



पत्र प्रमाण है कि स्मृति मेहरोत्रा जुबिन ईरानी सच नहीं बोल रही हैं
क्रिसमस दिवस पर छुट्टी के दिन छात्रों को स्कूल पहुंचकर गुडगवर्नेंस डे मनाना, लेख लिखना होगा
- कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने चाहे अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए या तथाकथित बौद्धिक वर्ग को नीचा दिखाने या अपनी ही पार्टी के  नेताओं का मान मर्दन करने के लिए अपनी प्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबिन ईरानी को इस देश का मानव संसाधन विकास मंत्री बना दिया और  नकारा साबित होने के बावजूद उन्हें इस पद पर बनाये हुए हैं, या किसी और कारण से यह तो वह जानें, लेकिन मैडम हर कुछ दिन बाद कुछ नई-नई करामात करके पूरे देश में माखौल का कारण जरूर बन रही हैं। और जब एक्सपोज हो रही हैं तो सीधे मुकर जा रही हैं। लेकिन उनके ही अधीन विभागों से जारी दस्तावेज साबित कर दे रहे हैं कि स्मृति जुबिन ईरानी सच नहीं बोल रही हैं।
स्मृति कह रही हैं कि उन्होंने नवोदय या सीबीएससी के देशभर के सरकारी व निजी सभी विद्यालयों  में  25 दिसम्बर के दिन मदनमोहन मालवीय और अटलबिहारी वाजपेई के जन्मदिन पर स्कूल में उपस्थित रहकर गुड गवर्नेंस डे मनाने व गुडगवर्नेंस पर लेख लिखने के लिए नहीं कहा है, वह तो कहीं से भी आन लाइन लिखा जा सकता है। लेकिन नवोदय विद्यालय समिति के लेटर हेड पर दिनांक 10-12-2014 को जारी निम्न सरकुलर से साफ हो जाता है कि मैडम ईरानी सच नहीं बोल रही हैं। उस दिन के लिए जारी सरकुलर में स्कूलों के लिए जो कार्यक्रम निर्धारित किये गये हैं वे छात्रों ,अध्यापकों आदि के उपस्थित हुए बिना हो ही नहीं सकते।




AISA LAGATA HAI JAISE MODI KO SMRITI KO KUCHH DENA HAI - MADHU KISHWAR

ऐसा लगता है जैसे मोदी को स्मृति का कुछ देना है- मधु किश्वर


अगर स्मृति को राहुल गांधी का सामना करने का ईनाम मिला तो फिर कोई अजय अग्रवाल की बात क्यों नहीं करता जिन्होंने सोनिया गांधी का सामना किया और दो लाख वोट पाए
'स्मृति ईरानी तो उनमें से हैं जो बड़े-बड़ों के भरोसे रहती हैं। पहले प्रमोद महाजन थे, फिर गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी आए और अब मोदी,अमित शाह हैं।'
नई दिल्ली। गुजरात में नरेन्द्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब उनके काम सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर को बहुत ही अच्छे लगे। इतने ज्यादे की मोदी व उनके गुणगान में एक किताब ही लिख दिया। लेकिन वही मधु किश्वर उस समय बिफर पड़ीं जब मोदी ने इंटर पास अपनी प्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी को इस देश का मानव संसाधन विकास मंत्री बना दिया। वैसे तो मैडम को मानव संसाधन विकास मंत्री बनवाने में अमित शाह का भी बहुत बड़ा हाथ है । लेकिन बनाया तो मोदी ने ही। सो मधु किश्वर ने केंद्र सरकार में मोदी की मंत्री स्मृति ईरानी की काबिलियत पर सवाल उठा दिया ।और अब कहती हैं कि लगता है मोदी पर किसी ने काला जादू कर दिया है ।
एक अंग्रेजी न्यूज साइट को दिए इंटरव्यू में किश्वर से जब पूछा गया कि मोदी को लेकर अपनी निराशा पर आप क्या कहेंगी तो उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है किसने उन पर काला जादू कर दिया है। न्यूज साइट स्क्रॉल के मुताबिक किश्वर ने कहा, 'गुजरात सरकार की जो तारीफ मैंने की थी, मैं आज भी उस पर कायम हूं। यह पूरी तरह सच थी। उन्हें (मोदी को) गुजरात में किए काम का ईनाम भी मिला और आज वह प्रधानमंत्री हैं। लेकिन इसके बाद एक नया अध्याय शुरू होता है। अब उनका नया आकलन होगा। लेकिन जो सब हो रहा है वह किसी को समझ नहीं आ रहा, मुझे भी नहीं। यह काला जादू है जो किसी ने कर दिया है। मुझे यकीन नहीं होता कि ऐसा हो रहा है। शायद मोदी की अभी तक पकड़ नहीं बनी है। शायद दिल्ली ने उन्हें भटका दिया है। लेकिन अभी कोई फैसला सुनाना बहुत जल्दबाजी होगी। मैं अभी इंतजार कर रही हूं। मैं अभी दूरी बनाए हुए हूं।'
लोकसभा चुनावों के दौरान मधु किश्वर की किताब 'मोदीनामा' की काफी चर्चा हुई थी। इस किताब में उन्होंने मोदी के गुजरात में किए काम की खूब तारीफ की थी। लेकिन बाद में उन्होंने स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए जाने की जमकर आलोचना की। इस बारे में उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है जैसे मोदी को स्मृति का कुछ देना है। लेकिन मैं व्यवस्थित तरीके से साबित कर सकती हूं उनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है। वह बीजेपी की उपाध्यक्ष थीं लेकिन ऐसी एक भी सीट नहीं है जहां से वह एक चुनाव भी जीत सकें। वह तो वरुण गांधी तक नहीं हैं जो न सिर्फ चुनाव जीतते हैं बल्कि विधायकों के चुनाव जितवाते भी हैं। वह संगठन खड़ा करने वालीं अमित शाह नहीं हैं। वह बस रटवाए गए भाषण देती हैं। अगर उन्हें राहुल गांधी का सामना करने का ईनाम मिला तो फिर कोई अजय अग्रवाल की बात क्यों नहीं करता जिन्होंने सोनिया गांधी का सामना किया और दो लाख वोट पाए? स्मृति ईरानी तो उनमें से हैं जो बड़े-बड़ों के भरोसे रहती हैं। पहले प्रमोद महाजन थे, फिर गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी आए और अब मोदी हैं।' अमित शाह भी।
किश्वर ने अपने बारे में कहा कि वह तो अरुण शौरी जैसी हैं जो उचित आलोचना करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि वह न तो भाजपा से किसी तरह जुड़ी हैं और न ही किसी तरह का फायदा चाहती हैं या उठा रही हैं।