Monday, December 22, 2014

वि.वि. के टीचर 70 तक पढ़ायेंगे,बेरोजगार पीएचडी युवक सिर पीट मोदी - स्मृति गायेंगे



70 साल में रिटायर होंगे वि.वि. अध्यापक
65 के बाद 70 तक संविदा के आधार पर होगी नियुक्ति पेंशन भी लेंगे और संविदा पर नौकरी भी करेंगे, ये शिक्षक दिल्ली एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरम ने किया विरोध शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से बढ़ेगी बेरोजगारी : फोरम
नई दिल्ली (एसएनबी)। दिल्ली यूनिवर्सिटी समेत देश भर के केन्द्रीय विविद्यालयों के स्थायी शिक्षकों के लिए राहत की खबर है, अब शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 70 साल हो सकती है। मतलब शिक्षक 65 साल की रिटायरमेंट उम्र के बाद भी पढ़ा सकेंगे। अभी केन्द्रीय विविद्यालयों में रिटायरमेंट की एज 65 साल हैं। केन्द्रीय मानव संसाध विकास मंत्री स्मृति जूबिन इरानी ने एक दिसम्बर को राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह के प्रश्न के जबाव में यह बताया है कि केन्द्रीय विविद्यालयों में प्रोफेसरों के दो हजार 316 स्वीकृत पदों में से एक हजार 72 भरे गए हैं। इसमें एक हजार 244 पद अरसे से खाली पड़े हैं। विविद्यालयों में शिक्षकों की इस कमी को देखते हुए खाली पदों की उपलब्धता और फिटनेस के तहत शिक्षकों की 65 वर्ष की आयु से आगे 70 वर्ष की आयु तक संविदा आधार पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति दी गई है। बता दें कि विविद्यालयों एवं कॉलेजों में अयापकों एवं अन्य अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता एवं उच्चतर शिक्षा में मानकों के अनुरक्षण के लिए उपाय संबंधी यूजीसी विनियम 2010 के पैरा 12.2 में विविद्यालय अनुदान आयोग ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि विविद्यालय पण्राली के सभी स्वीकृत-अनुमोदित पदों को तत्काल आधार पर भरा जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी-एसटी ओबीसी टीर्चस फोरम के चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन ने कहा कि इससे एससी-एसटी ओबीसी के उम्मीदवारों की नियुक्तियां पांच वर्ष बाद होंगी। ऐसी स्थिति में अच्छे दिन परमानेंट टीचर के आए हैं जो 65 के बाद भी 70 वर्ष तक संविदा आधार पर पढ़ायेंगे। उन्होंने कहा सरकार आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती उनका बैकलॉग भरना नहीं चाहती, सरकार के इस फैसले का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। टीर्चस फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कला संकाय में बैठक बुलाकर केन्द्रीय मंत्री द्वारा दिए गए इस वक्तव्य पर विरोध जताया है कि जिसमें रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाते हुए शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है। प्रो. हंसराज सुमनका कहना है कि यह उच्च शिक्षा में युवा एससी-एसटी ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों को बेरोजगारी की ओर धकेलने का एक षड़यंत्र किया जा रहा है। प्रो. सुमन ने बताया है कि डीयू समेत देश के केन्द्रीय विविद्यालयों एवं कॉलेजों में शिक्षकों का बैकलॉग हजारों पदों पर खाली पड़ा है। अकेले डीयू में 40 से 50 फीसदी पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं। लेकिन इन्हें भरने के लिए केन्द्र सरकार उचित कदम नहीं उठा रही है। इतना ही नहीं डीओपीटी सकरुलर के अनुसार दो जुलाई 97 के आधार पर कॉलेजों ने 200 पाईट पोस्ट बेस रोस्टर ही नहीं बनाया है और जो नियुक्तियां कॉलेजों व विभागों में हुई है उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप पूरी तरह से हावी रहा है और अब एक नया फार्मला तैयार करके युवा बेरोजगारों को उच्च शिक्षा में आने से रोकना है, उसे शिक्षण के व्यवसाय से बाहर किया जा रहा है।
 * यह खबर 'राष्ट्रीय सहारा' , दिल्ली  में दिनांक 22-12-2014 को पहले पन्ने पर छपी है।
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वि.वि. शिक्षकों के पढ़ाने की उम्र 70 तक किया तो होगा बवाल

अब सवाल यह है कि क्या नरेन्द्र मोदी और उनकी अतिप्रिय स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी क्या ज्यादेतर रैकेटियर ,जातिवादी,बीमार लोगों को 70 साल तक अध्यापक बनाये रखकर नेट व पीएचडी करके नौकरी ढ़ूढ़ रहे लाखों युवकों को बेरोजगार बनाये रखना चाहते हैं। युवक ज्यादे मेहनत करके पढायेंगे या वे ज्यादेतर पुराने लोग जो कई तरह की बीमारियों ,राजनीतिक रैकेट ,खेमेबंदी ,शैक्षणिक धांधली में गले तक डुबे हुए हैं वे मेहनत करके पढ़ायेंगे? यदि नरेन्द्र मोदी की सरकार ऐसा करती है तो यह उनकी जानबूझ कर देश के उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों का भविष्य खराब करने की योजना मानी जायेगी। और इसके विरूद्ध देश के पढ़े लिखे बेरोजगार युवक धरना -प्रदर्शन शुरू कर सकते हैं। होना तो यह चाहिए कि अन्य विभाग की नौकरियों की तरह विश्वविद्यालय के अध्यापकों की नौकरी भी 58 साल की उम्र में खत्म कर दी जानी चाहिए या उनको सेवानिवृति दे देनी चाहिए। जो आगे कुछ करना चाहते हैं उनको राजनीति में चले जाना चाहिए और जुगाड़ व किसी की कृपा से जैसे आनंदीबेन पटेल 73 साल की उम्र में मुख्यमंत्री हैं या तथाकथित मात्र इंटर पास स्मृति मेहरोत्रा जुबीन ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री हैं , वैसे ही नेता ,मंत्री बन जाना चाहिए।
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