Thursday, July 1, 2010

अनिल के.राय चोरगुरू 14 को करा रहा पी-एच.डी., विभूति राय यह अनैतिक ,नियमविरूद्ध है या नहीं ?

चोरगुरू अनिल के.राय अंकित शोध छात्रों से कह रहा-गाइड बदलो या एक माह में शोधप्रबंध जमा करो
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
कोई भी प्रोफेसर अपने निर्देशन में 8 से अधिक छात्रो को शोध नहीं करा सकता ।उसके अधिन शोध कर रहा छात्र जब शोध-प्रबंध जमा कर दे,उसे पी-एच.डी. की डिग्री एवार्ड हो जाये, तब उसकी जगह किसी नये छात्र को शोध निर्देशक अपने अधिन शोध के लिए रख सकता है। यह उसके अधिन प्रोफेसर बनने के पहले और बाद के उसके अधिन सभी शोध –छात्रो को मिलाकर योग है । यानी किसी भी हालत में प्रोफेसर के अधिन 8 से अधिक छात्र शोध नहीं कर सकते । यह यू.जी.सी.का नियम है । लेकिन इस नियम को ठेंगा दिखाते हुए, महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पत्रकारिता विभाग के तथाकथित चोरगुरू प्रोफेसर अनिल के. राय अंकित ( ANIL K. RAI ANKIT ) 14 छात्रो को अपने अधिन शोध करा रहा है। इस चोर गुरू अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ( VIBHUTI NARAYAN RAI ) ही इसको प्रफेसर पद पर लाये। सो वह इसके बारे में नकल से लगायत अन्य शैक्षणिक कदाचार व अनैतिकता के तमाम प्रमाण होने , मौखिक- लिखित शिकायत मिलने के बावजूद इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विभूति नारायण राय आईपीएस हैं, पुलिस अधिकारी रहते जनवाद,वामपंथ के लोगो से भविष्य के लाभ के लिहाज से सम्पर्क बना उनके मार्फत जुगाड़ लगा यूपीए-1 सरकार में, जब मनमोहन सरकार वामपंथियों के सहयोग से चल रही थी, कुलपति बन गये। उसके बाद चोरगुरू अनिल के. राय अंकित को प्रोफेसर पद पर लाये, महाश्वेता देवी के कहने पर कृपाशंकर चौबे को रीडर पद पर लाये। इस चोर गुरू के खिलाफ सप्रमाण जितनी भी शिकायत इस पुलिसिया कुलपति के पास गई, उसके बाबत जो भी आरटीआई गई, विभूति नारायण राय ने लगभग सबको पुलिसिया तरीके से दबाने का काम किया। ऐसा ही एक मामला अनिल अंकित का नियम विरूद्ध 8 से अधिक छात्रों को शोध कराने का भी है।लेकिन विभूति अपने इस प्रिय चोरगुरू को बचाने में लगे हैं।उनको चोरगुरू का ऐसा कोई भी काम अनैतिक,कदाचार नहीं लग रहा है।
इधर इस मामले में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यू.जी.सी. को सप्रमाण पत्र गया है और उस पर जांच कराने की मांग हुई है। जिसके आधार पर , इन दोनों जगह से पत्र म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा गया है, इस पर जबाब मांगा गया है ।इसके बाद चोरगुरू अनिल के. राय अंकित जौनपुर गया था। वहां, वीरबहादुरसिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के अपने 5 शोध छात्रों से कहा कि तुम लोग विभाग के हेड व डीन रामजी लाल (यह भी चोर गुरू है) से कह कर अपना गाइड बदल लो, क्योंकि मैंने वर्धा में 6 से अधिक छात्रों को अपने अधिन शोध के लिए रख लिया है। जब कुछ छात्रो ने किसी तरह यह बात पूर्वांचल वि.वि.के कुलपति से कही तो उन्होंने कहा कि जाकर उससे कहो कि उसके अंडर में पी-एच.डी. के लिए पहले रजिस्ट्रेशन तुम लोग कराये हो, तुम लोगों का पी.एच.डी. पूरा कराने के बाद जब सीट खाली हो तब वह अपने अंडर में वर्धा में छात्रों को शोध करावे। उसके बाद जौनपुर के इन शोधार्थियों ने चोरगुरू अंकित से कहा कि यहां गाइड बदलना मुश्किल है, तब चोरगुरू ने उनसे कहा- चाहे जैसे भी हो गाइड बदलो या एक माह में पी-एच.डी. जमा करो। चोरगुरू अनिल के. राय ने अपने निर्देशन में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन खुला विश्वविद्यालय ,इलाहाबाद के भी 2 छात्रो को पी-एच.डी.कराने के लिए और ग्रामोदय वि.वि. चित्रकूट(म.प्र) के भी दो छात्रो को अपने निर्देशन में पी-एच.डी. के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। चोरगुरू अनिल के.राय अंकित ने वर्धा में अपने निर्देशन में 6 छात्रों को जिस तारीख को शोध कराने के लिए हस्ताक्षर किया उस तारीख को उसके निर्देशन में पहले से ही 8 से अधिक छात्र शोधकर रहे थे। पूर्वांचल वि.वि. में भी यू.जी.सी. का नियम लागू है।वहां भी जब तक एक छात्र का पी-एच.डी. पूरा नहीं हो जाता , सीट खाली नहीं हो जाती , निर्देशक किसी अन्य छात्र को अपने अधिन नहीं रख सकता। चोरगुरू अनिल अंकित जौनपुर में लेक्चरर था। तब वहां हर अध्यपाक अपने अधिन 7 छात्रों को पी-एच.डी. करा सकता था। चोरगुरू अंकित अपने अधिन जौनपुर में तो 7 छात्रो को तो शोध करा ही रहा था, राजर्षि पु.दा..टं.वि.वि.इलाहाबाद में भी 2 छात्रों को शोध करा रहा था।उसके बाद चित्रकूट में 2 छात्रों को अपने अंडर में रजिस्ट्रेशन करवाया । वर्धा आने के बाद यहां भी 6 छात्रों का शोध निर्देशक बन गया।उसके बाद और 2 छात्रों का शोध निर्देशक बना है या नहीं यह जल्दी ही पता चल जायेगा। इस तरह इसके अधिन आज भी लगभग 14 शोध छात्र शोध कर रहे हैं। यदि किसी छात्र से कुछ लिखवा लिया हो तो भी 8 से अधिक छात्र तो इसके अधिन शोध कर ही रहे हैं। जबकि यू.जी.सी. के नियम के अनुसार इसके अधिन 8 छात्र ही शोध कर सकते हैं। क्या पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय अपने चहेते चोरगुरू अनिल राय अंकित के इस कारनामे के बारे में बतायेंगे कि यह अनैतिक है या नहीं ?