-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों के कुलपति,प्रोफेसर,रीडर,लेक्चरर गुरूजीलोग किसी कालेज,वि.वि.में सेमिनार में या प्रैक्टिकल परीक्षा लेने या लेक्चर देने जाते हैं तो उसी दौरान पास के किसी और वि.वि. या महाविद्यालय के अपने परिचित विभागाध्यक्ष आदि से कह कर दूसरे दिन प्रैक्टिकल परीक्षा आदि रखवा लेते हैं। ऐसा करके एक साथ दोनों जगह से यात्रा भत्ता ले लेते हैं।इसके लिए गुरूजीलोग आने-जाने का टिकट खरीद कर उसकी फोटो कापी कराकर रख लेते हैं और ओरीजनल टिकट रद्द कराकर रेलवे से रकम वापस ले लेते हैं। उस टिकट की जो फोटोकापी रखे रहते हैं उसे दूसरे वि.वि. या महाविद्यालय में जमाकरके यात्रा-भत्ता ले लेते हैं।इसके अलावा उस महाविद्यालय या वि.वि. से यात्रा-भत्ता तो लेते ही हैं जहां पहले आये और अपने असली यात्रा के टिकट की फोटो कापी दिये। यह धंधा गुरूजी लोगों में आपसी अनैतिकईमानदारी से बहुत दिनों से बहुत जोर-शोर से चल रहा है। शिक्षण संस्थानों, मंत्रालयों के कुछ अफसर भी अपनी सरकारी यात्रा सुविधा या रेलवे के मुफ्त पास से किसी प्रमुख जगह तफरीह करने जाते हैं , लगे हाथ वहां किसी वि.वि. के अपने चहेते किसी प्रोफेसर,विभागाध्यक्ष के विभाग में लेक्चर देकर आने-जाने का सेकेन्ड ए.सी. का किराया और लेक्चर का भुगतान ले लेते हैं। विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों व इसी तरह के तमाम संस्थानों में वहां के संचालक गुरूजीलोगों के एक –दूसरे को लाभ पहुंचाने वाला यह फ्राडगिरी धलड़्ड़े से चल रहा है।जिसमें एक से एक सुनामधन्य गुरूजीलोग शामिल हैं। इस बारे में कई जगह से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिकायत आई है । कई सांसदो ने इस मामले को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संसदीय समिति सदस्यों को बताकर ऐसे फ्राडगुरूजी लोगो को शिक्षण संस्थानों से बर्खास्त करने का सख्त नियम बनाने की जरूरत बताई है। ऐसे भी मामले आये हैं जिसमें इस तरह की सप्रमाण शिकायत मिलने पर भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय प्रशासन इसे दबा दिये। वजह यह है कि अन्दर-अन्दर सब मिले हुए हैं। इस प्रवृति से भी कुछ सांसद और संगठन इस मामले पर कड़ी कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।जिसके चलते मानवसंसाधन विकास मंत्रालय ने इस पर जल्दी ही कुछ करने का आश्वासन दिया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने केन्द्रीय व राज्यों के विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों व अन्य संस्थानों से इस तरह के मामलो के प्रमाण जुटाने शुरू कर दिये हैं। इसके लिए आरटीआई के मार्फत रेलवे से यात्रा करने या नहीं करने,टिकट बेच दिये जाने का प्रमाण ले रहे हैं और एक यात्रा में जितने शिक्षण संस्थानों से गुरूजी अलग-अलग यात्रा-भत्ता लिये हैं उन शिक्षण संस्थानों से उन गुरूजी लोगो को किये गये यात्रा-भत्ता भुगतानकी सत्यापित प्रति लेना शुरू किये हैं। इसके चलते यात्रा-भत्ता फ्राड करने-कराने वाले गुरूजीलोग अपना अनैतिक चरित्र उजागर होने,जगहंसाई,कार्रवाई के डर से बैचैन हैं।