-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
पुलिस अफसर विभूति नारायण राय (VIBHUTI NARAYAN RAI) यूपीए-1 सरकार में वामपंथियों से जोड़-जुगाड़ लगवाकर महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा का कुलपति बने तो लखनऊ से नदीम हसनैन को हसीन सपने दिखा लाकर प्रोवीसी बनाये।तब तक नदीम हसनैन ने विभूति राय के योजनाबद्ध तरीके से बनाये प्रायोजित तथाकथित जनवादी छवि को ही ऊपरी तौर पर देखा – जाना था। उनके असली पुलिसिया चरित्र वर्धा आकर साथ कार्य करके देखा जाना ।जिसमें यह देखा कि किस तरह से विभूति राय ने अपने सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर पद पर नियुक्त कराया, हेड बनाया और उसके तमाम धतकर्मो को उसी तरह तोपने ठपने और उसको बचाने में लगे हैं जिस तरह कोई महाभ्रष्ट पुलिसवाला अपने चहेते चोर-डकैत को बचाता है।और भी तथाकथित धतकर्म उसी अंदाज में अंजाम दे रहा है। विश्वविद्यालय को थाना बना दिया है और सारा समय जुगाड़ लगाने , अपना लाइजनिंग तंत्र बढ़ाने में कर रहा है। विभूति नारायण राय के इस असली चरित्र व तथाकथित धतकर्मो को जान लेने के बाद नदीम हसनैन ने उनसे अलग होना ही उपयुक्त माना । क्योंकि उनके इशारे पर किये जा रहे कार्यों के तमाम दस्तावेज पर हसनैन हस्ताक्षर करके जांच के चक्कर में फंसना नहीं चाहते थे।सो वह वापस लखनऊ चले गये। पुलिसिया कुलपति विभूति ने हसनैन के जाने से खाली हुए पद पर मलयाली अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी बना दिया। कहा जाता है कि जुगाड़ से कुलपति पद पाये विभूति राय ने केन्द्रीय मानव विकास संसाधन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार को पटाने के लिए अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी बनाया है। सुनील कुमार मलयाली हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उनके जिम्मे उच्चशिक्षा का प्रभार है। उनके ही निर्देश पर कई धांधली, कदाचार के मामले में महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वि.वि.,वर्धा को नोटिस गई है और जबाब मांगा गया है। सो शातिर चालाक पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण राय ने मलयाली अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी इसलिए बनाया है ताकि यह मलयाली सुनील कुमार से आरजू करके या अन्य किसी भी तरह से मामले दबवा दे, रफा-दफा करा दे, आगे की लाइन क्लीयर बनाये रखे। यह है विभूति राय का असली तथाकथित महाजुगाड़ी नैतिकता- चाल –चरित्र और चेहरा।