- -सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने [ (म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय का साक्षात्कार नया ज्ञानोदय के 10 अगस्त 2010 के सुपर बेवफाई अंक में छपा है। यह साक्षात्कार म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के ही एक कर्मचारी राकेश मिश्र ने लिया – लिखा है। जिसे छापा है रविन्द्र कालिया ने जो ममता कालिया के पति हैं । ममता कालिया को विभूति राय ने कुलपति बनने के बाद वि.वि. की पत्रिका का मोटी पगार पर सर्वेसर्वा बना दिया है ) और अपने इस कहे को अपने गणेशी कीर्तनियों के साथ दो दिन तक टीवी पर कुतर्क दे जायज ठहराने की कोशिश करते रहे , लेकिन जब म.गां.अं.हि.वि.वि. का कुलपति पद जाने की नौबत आई तो नौकरी बचाने के लिए लिखित माफी मांग लेने ] वाले बेशर्म विभूति नारायण राय के बारे में पूर्व मंत्री व राजद सांसद (वैशाली)रघुवंश प्रसाद सिंह ने केन्द्र सरकार से पूछा कि उसे अभी तक क्यो नहीं हटाया (कुलपति पद से) ? रघुवंश प्रसाद सिंह ने शनिवार 21 अगस्त 2010 को लोक सभा में यह सवाल उठाया था ,और सरकार से जबाब मांगा। जिस पर केन्द्रीय विधि मंत्री विरप्पा मोइली ने कहा कि इस मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे,और देखते हैं कि क्या कार्रवाई की जाय। रघुवंश प्रसाद सिंह ने जो कहा उसका लोकसभा द्वारा संपादित अंश निम्न है-
माननीय अध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्यों ने सरकार की प्रशंसा की है कि बड़ा भारी विमैन इंपावरमैंट हो रहा है। महोदया, बुद्धकाल में जब भगवान बुद्ध वैशाली में आये थे, विमैन इंपावरमैंट वहीं वैशाली से शुरू हुआ। मैं वहां से आता हूं इसलिए अधिकारपूर्वक बताना चाहता हूं। जब कभी महिलाओं को इजाजत नहीं थी बौद्धिक संघ में जाने की, वहीं से शुरुआत हुई थी और वहीं से उनकी मां गौतमी, उनकी पत्नी और सभी का प्रवेश हुआ था बौद्ध धर्म के संघ में। लेकिन अब यह दावा इन्होंने किया है और विमैन इंपावरमैंट की बात कर रहे हैं, जिसकी माननीय सदस्य भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। अभी के समय में जितना महिलाओं फर अन्याय, अत्याचार और जुल्म हो रहा है, अबसे पहले कभी नहीं हुआ। मेरा पहला सवाल यह है कि महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है, उसके वाइस चांसलर हैं वीएन राय। क्या लिखा है उन्होंने और महिला लेखकों के प्रति उनकी क्या टिप्पणी है? मैं लज्जित हूं उस शब्द का सदन में उच्चारण करने में कि उन्होंने क्या कहा। … ((व्यवधान)) … सारा देश लाज्जित है। देश भर के 150 लेखकों ने एक साथ कहा कि उसको हटाया जाए। अभी तक सरकार ने क्यों नहीं हटाया है? महिला लेखिका के प्रति किन शब्दों का उच्चारण किया है? एक वाइस चांसलर ने ऐसा किया और क्यों उस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है? हम यह पहला सवाल उठाते हैं। ये कहते हैं कि महिला का सशक्तीकरण कर रहे हैं और कहते हैं कि सभी ऊंचे पदों पर महिलाओं को बैठाएं। सरकार इसका जवाब दे कि क्यों नहीं उसे हटाया गया, जिसने महिला लेखिका के प्रति इस तरह से कुशब्द कहे हैं, अमर्यादित टिप्पणी की है। देश भर में लेख छाप दिया महिला लेखिका के खिलाफ। देश भर के लेखक, साहित्यकार, कलाकार, रचनाकार सब लोग मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।