Tuesday, August 3, 2010

छिनाल मामला : नौकरी बचाने के लिए विभूति ने माफी मांगी

-सत्ताचक्रsattachakra-

नईदिल्ली।महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में पहले तो पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय बेशर्मी से अपने कहे को जायज ठहराने की धृष्टता,दुष्टता व दुसाहस करते रहे।लेकिन महिला लेखिकाओं का विरोध जब भारी पड़ने लगा है और उसके चलते मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने म.गां.अं.हि.वि.वि. ,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति को बुलाकर कहा कि माफी मांगो नहीं तो कार्रवाई होगी, तो कुलपति पद जाने के डर से इस तथाकथित सेकुलर जातिवादी जनवादी विभूति ने माफी मांग लिया। सूत्रो के मुताबिक उसको यह सुझाव अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार कुरूप ने दिया। सुनील कुमार ने संदेश दिलवा दिया कि विभूति जी आप माफी मांग लीजिए ,वरना आपका कुलपति पद जा सकता है। सो कुलपति पद से हटाये जाने के डर से पुलिस कुलपति विभूति ने मांफी मांग ली। सूत्रो के मुताबिक अब इस माफी मामले को तोपने –ढ़पने के लिए विभूति मंडली यह प्रचारित करने में जुट गई है कि विभूति ने म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के शांति-अहिंसा विभाग में लेक्चरर राकेश मिश्रा से बेवफाई विषय पर नया ज्ञानोदय पत्रिका के लिए साक्षात्कार में महिला लेखिकाओं के लिए छिनाल शब्द कहा ही नहीं था। राकेश मिश्रा ने अपनी तरफ से जोड़ दिया। यह भी कहलवाया जा रहा है कि राकेश मिश्रा ने तो साक्षात्कार को आडियो रिकार्डर में रिकार्ड भी नहीं किया था। तो इसमें तो सारा दोष राकेश मिश्रा और ज्ञानोदय के सम्पादक रवीन्द्र कालिया का है।विभूति नारायण राय तो बेकसूर हैं। सो जो कहा ही नहीं उसके लिए यदि मांफी मांग भी लिये तो यह तो उनका बड़प्पन है। विभूति मंडली यह प्रचारित कर रही है। लेकिन इसकी काट और असलीयत उजागर करने के लिए महिला लेखिकाओं ने राकेश मिश्रा के उस डायरी को मंगवाने और उसकी फोरेंसिक जांच कराने की मांग की है जिस पर राकेश ने विभूति राय का साक्षात्कार नोट किया था। यदि राकेश मिश्रा यह कहता है कि उसने साक्षात्कार नोट नहीं किया है तो उसको सस्पेंड करके उसके खिलाफ कदाचार के मामले की जांच कराकर हटाने की मांग होगी।इसके साथ ही विभूति और सजातीय खुफिया पुलिस अफसर भरत भारद्वाज को वि.वि. में लाकर पत्रिका पुस्तक वार्ता का सम्पादक बनाये के उस कहे का टेप मंगाने की बात हुई है जो दोनों ने स्टार चैनेल पर छिनाल ( विभूति राय के कहे) की तरफदारी में लगातार बिना रूके कुतर्क पर कुतर्क दिये थे।