- जामिया मिलिया इस्लामिया(JAMIA MILLIA ISLAMIA), दिल्ली के सेंटर फार कल्चर एंड मीडिया गवर्नेस विभाग के रीडर चोरगुरु डा. दीपक केम(DEEPAK KEM) को नकल करके पुस्तकें लिखने के मामले में बर्खास्त कर दिया गया। चोरगुरु दीपक केम और चोरगुरु अनिल के राय अंकित (ANIL K RAI ANKIT)ने मिलकर कटपेस्ट करके जो किताब अपने नाम बनाई है उसका पृष्ठवार चोरी के दस्तावेज सहित खुलासा पत्रकारद्वय कृष्णमोहन सिंह व संजय देव ने अपने खोजपरक कार्यक्रम "चोरगुरू" में किया।
उसकी सीडी, जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति के यहां भेजकर कार्रवाई करने की मांग की गई। जामिया के कुलपति ने जांच कराई। इसमें दीपक केम द्वारा इंटरनेट से सामग्री कटपेस्ट करके अपने नाम पुस्तकें छपवाने के कारनामे सच पाये गये। उसके बाद चोरगुरु दीपक केम की बर्खास्तगी पर कार्यकारिणी ने मुहर लगा दी। मालूम हो कि दीपक केम के पिता यूजीसी में साढ़े तीन साल पहले तक सेक्रेटरी थे। अभी यूजीसी के ही एक विभाग नाक में कुलपति रैंक के पद पर निदेशक हैं। इस पद पर उनकी नियुक्ति यू.जी.सी. के तबके चेयरमैन थोराट (THORAT)ने की है। कैसे की है, इसकी स्टोरी बाद में। इसी तरह बड़े केम ने अपने पुत्र दीपक और उनकी पत्नी को किस तरह आगे बढाया है, दीपक को प्रोफेसर बनवाने के लिए कहां-कहां जुगाड़ भिड़ा रहे थे, कैसे यू.जी.सी. आदि का प्रोजेक्ट दिलवाया जाता रहा है, इसके बारे में बाद में। पहले दीपक केम के नकल करके कई किताबें लिखने के कारनामों पर।
दीपक केम ने, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा(MGAHU,VARDHA) के जनसंचार विभाग में अपने सजातीय पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय (VIBHUTI NARAIN RAI IPS/ V N RAI) )की कृपा से जुलाई 09 में प्रोफेसर नियुक्त हुए व हेड बने, अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के. राय अंकित( ANIL K RAI ANKIT) के साथ मिलकर PHOTOGRAPHY PRINCIPLES AND PRACTICES नामक 2500 रूपये की किताब ,कापीपेस्ट करके अपने नाम छपवाई है। इसे श्रीपब्लिशर व डिस्ट्रीब्यूटर, दरियागंज, दिल्ली ने छापा है। इसमें 22 चैप्टर हैं। ये 22 चैप्टर तीन विदेशी पुस्तकों के चैप्टर से चैप्टर तक हूबहू उतार कर बनाये गये हैं। नकलचेपी दीपक केम और अनिल के. राय अंकित की इस पुस्तक में ढेर सारी फोटो भी है। इसके चयन में भी केम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी दीपक केम के मार्फत इनके पिता यानी बड़े केम से जुगाड़ लगाकर अनिल के. राय अंकित ने यूजीसी (UGC)का एक प्रोजेक्ट लिया है।
इसमें भी एक प्रोजेक्ट फेलो को, नियुक्त करने के एक साल बैक डेट से सेलरी दिलाने का आर्डर कराने का धांधली किया है। इसमें यू.जी.सी. का एक कर्मचारी भी शामिल है। मालूम हो कि जिस तरह चोरगुरू दीपक केम के नकलचेपी कारनामे की सीडी जामिया के कुलपति के यहां भेज कर कार्रवाई करने की मांग की गई थी, उसी तरह चोरगुरू अनिल के राय अंकित के नकलची कारनामे की सीडी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि, वर्धा(MGAHU,VARDHA) के कुलपति विभूति नाराय़ण राय ( VIBHUTI NARAIN RAI IPS / V N RAI ) के यहां भेजकर कार्रवाई की मांग की गई थी। जामिया के कुलपति ने तो चोरगुरू दीपक केम को बर्खास्त कर दिया, लेकिन उसी मामले में हिन्दी विवि के कुलपति विभूति नाराय़ण राय ने अपने सजातीय चोरगुरू अनिल के राय को लगातार बचाने ,बढ़ाने और पदप्रभार देने का काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि इसकी वजह यह है कि पुलिस अफसर विभूति नारायण राय जब वामपंथी होने का अभिनय करके वामपंथियों से जोड़-जुगाड़ लगवा कुलपति बने तो इस अपने सजातीय चोर को लाकर प्रोफेसर और हेड बना दिये। सो अब यह पुलिसिया कुलपति अपने चहेते इस चोरगुरू को बचाने-बढ़ाने में जी-जान से जुटा है। लेकिन चोरगुरू अनिल के राय अंकित के पार्टनर दीपक केम की बर्खास्तगी से अनिल के राय अंकित और उसके संरक्षक पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय की असलियत तो उजागर हो ही गई।