Sunday, May 1, 2011

तथाकथित चोरगुरूद्वय अनिल कुमार उपाध्याय व राममोहन पाठक का यूजीसी व मंत्रालय में जुगाड़ लगाना सफल नहीं हुआ

दिल्ली पहुंचे थे, कई दिन जुगाड लगाने ,सिफारिश कराने में लगाये

-sattachakra.com-गपशप

नकल करके डिलिट थीसिस लिखने वाले और उस डिलिट के आधार पर अपने को पत्रकारिता में एशिया का पहला डिलिट (d.lit.)होने का हुंकार भरने वाले अनिल कुमार उपाध्याय ( anil kumar upadhyay)को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत करने का सारा इंतजाम, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी (mahatma gandhi kashi vidya peeth,varanasi)के चोरगुरू संरक्षक कुलपति अवध राम (awadh ram))ने कर दिया था। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के दो पत्रकारिता विभाग में से एक में रीडर हेड अनिल कुमार उपाध्याय के खिलाफ नकल करके डिलिट थिसिस लिखने के प्रमाण सहित लिखित शिकायत कुलपति अवध राम को कई बार किया जा चुका है। डेढ़ माह पहले भी हुआ था। सवा साल पहले इसी अनिल उपाध्याय के नकल करके डिलिट करने और फिर उसे पुस्तक के रूप में छपवा लेने के कारनामे एक टीवी चैनल के चोरगुरू कार्यक्रम में दो कड़ियों में तिखाया गया था। उस समय इसी अवध राम को प्रमाण दिखा कर बातचीत भी किया गया था। जिसपर अवध राम ने कैमरे के सामने तो बहुत बड़ी बड़ी बात कही थी कि नकलची अध्यापक के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसके बावजूद इस दोहरे चरित्रवाले कुलपति अवध राम ने कुछ नहीं किया। केवल दिखाने और फेस सेविंग के लिए एक जांच कमेटी गठित कर दिया। जिसकी रिपोर्ट का कुछ पता नहीं।जबकि इसी अवध राम को सारा प्रमाण दिखाकर , भेजकर कहा गया था कि इसकी जांच करावें और उस जांच को आन कैमरा करावें , जिसमें तथाकथित चोरगुरू अनिल उपाध्याय और जिनके पीएचडी थिसिस से अनिल उपाध्याय ने नकल करके अपने डिलिट की थिसिस लिखी है, ये दोनों रहे. दोनो अपना पक्ष रखें। जिन-जिन ने प्रमाण सहित लिखित शिकायत की है उनको भी बुलाया जाय।जांच बैठक आन कैमरा हो।और रिपोर्ट एक माह के भीतर दे दिया जाय।उस रिपोर्ट की कापी उन सबको दिया जाय जिनने प्रमाण सहित लिखित शिकायत की है। लेकिन तथाकथित चोरगुरू संरक्षक कुलपति अवध राम ने यह नहीं किया।उसने उल्टे किया यह कि अनिल उपाध्याय को रीडर से प्रोफेसर पद पर प्रमोशन देने की खानापूर्ति करने के लिए 9 अप्रैल 2011 को साक्षात्कार रखवा दिया। अवध राम ने तो यह करवाकर नकलची अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने का सारा इंतजाम कर ही दिया था। वह तो यूजीसी ने नकलचेपी अनिल कुमार उपाध्याय के नकलचेपी कारनामे का सप्रमाण लिखित शिकायत मिलने पर अपने नामिनी(साक्षात्कार बोर्ड का एक एक्सपर्ट यूजीसी का नामिनी होता है) को इस साक्षात्कार में नहीं जाने का आदेश जारी कर दिया और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से इस नकलचेपी के प्रमाण के बारे में पूछ लिया कि आपके यहां इसकी शिकायत पहले से है,इसबार भी हुई है ,फिर भी यह साक्षात्कार कैसे करा रहे हैं। कहा जाता है कि उ.प्र. के राज्यपाल के यहां से भी कोई पाती आई थी। लेकिन जब यूजीसी का नामित एक्सपर्ट का जाना स्थगित हो गया तो साक्षात्कार खत्म करना कुलपति अवध राम की मजबूरी हो गई। तब जाकर अवध राम ने8 अप्रैल 2011 को अनिल कुमार उपाध्याय को साक्षात्कार रद्द होने की सूचना दिलवाई।उसके बाद अनिल कुमार उपाध्याय व इसी विवि के एक और तथाकथित चोरगुरू राम मोहन पाठक ने लकनऊ से लगायत दिल्ली तक जुगाड़ लगाना शुरू किया।कहा जाता है कि बीते हप्ते दोनो तथाकथित चोरगुरू दिल्ली पहुंचे थे। यूजीसी से लगायत मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक का चक्कर लगाये। यहां के अफसरों से लगायत नेताओं तक की गणेश परिक्रमा व कीर्तन किये। उसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अफसर से यूजीसी के अफसरों को फोन करवाये। लेकिन यूजीसी से जबाब मिल गया कि साहब आप जिसकी सिफारिश कर रहे हैं उनके खिलाफ तो अकाट्य प्रमाण सहित लिखित शिकायत है, यदि उसे दबाकर यहां से नामिनी उस( नकलचेपी अनिल कुमार उपाध्याय) का साक्षात्कार कराने के लिए भेजा गया तो यूजीसी फंस जायेगी। इस जबाब के बाद दोनो तथाकथित चोरगुरू वापस वाराणसी लौट गये।चर्चा है कि अब जांच रिपोर्ट मैनेज करने की कोशिश हो रही है। इधर राममोहन पाठक ( rammohan pathak)फिर वापस दिल्ली आकर अपने को कहीं कुलपति बनवाने के लिए दिग्विजय सिंह ,कलराज मिश्र, राजनाथ सिंह से लगायत तमाम नेताओं,अफसरों,माननीयों के यहां चक्कर लगा रहे हैं।