Friday, May 6, 2011

VIBHUTI NARAIN RAI IPS ( विभूति नारायण राय )का उतरता नकाब आहिस्ता..आहिस्ता..

Sattachakra.com, 04 may 2011, 05.16pm

जामिया मिलिया इस्लामिया (JAMIA MILLIA ISLAMIA) ने चोरी की सामग्री से किताब लिखने वाले शिक्षक दीपक केम को बर्खास्त करने का महत्वपूर्ण फैसला किया हैलेकिन उसी दीपक केम के साथ मिलकर नकलचेपी करम करके अपने नाम से पुस्तक छपवाने वाले अनिल के राय अंकित (ANIL K RAI ANKIT) को उनके सजातीय कुलपति विभूति नारायण राय( VIBHUTI NARAIN RAI IPS) बेशर्मी से बचा बढ़ा रहे हैं।इन दिनों पूरी दुनिया में चोरी की सामग्री से किताबें लिखने व शोध की डिग्री लेने की घटनाएं तेजी के साथ बढ़ी है। दुनिया इससे परेशान है। भारत में भी लाखो ऐसी किताबें है जो नकल करके छपवायी गई हैं। वे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रही हैं। इसी तरह हजारों की तादाद में नकल या चोरी की सामग्री से शोध पूरा कर डिग्रियां ले ली जाती है और फिर वही डिग्रीधारी विश्वविद्यालयों में नौकरी पा लेता है और अपने विद्यार्थियों के बीच नकल और चोरी की संस्कृति को बढ़ावा देता हैपत्रकारद्वय कृष्णमोहन सिंह व संजय देव ने पिछले दिनों देश के कई ऐसे चोर गुरूओं की पोल समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनल के कार्यक्रम के जरिये खोली । इनमें एक दीपक केम (DEEPAK KEM) भी था। अचरज है कि दीपक केम ने अनिल कुमार राय अंकित के साथ मिलकर किताब लिखी थी लेकिन अनिल कुमार राय अंकित के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। ये महोदय वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय (MGAHU,VARDHA))में जनसंचार विभाग में प्रोफेसर और विभाग प्रमुख हैं। दीपक केम को तो चोरी की सामग्री से एक किताब लिखने और एक किताब में सहयोगी होने का आरोप है, जबकि अनिल कुमार राय अंकित उर्फ अनिल के राय अंकित (ANIL K RAI ANKIT )के खिलाफ दर्जानों ऐसी किताबें लिखने का आरोप सप्रमाण लगा है। उन आरोपों को समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनल के चोर गुरू कार्यक्रम में पुष्ट किया गया था। वर्धा स्थित विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय (VIBHUTI NARAIN RAI IPS / V N RAI) आई पीएस अधिकारी है। साम्प्रदायिकता के विरोध और वामपंथ पक्षधर होने का लाभालाभी अभिनय करके उन्होने अपना सामाजिक मुखौटा बना रखा है। इसकी आड़ में उनके कामकाज और व्यवहार का मुल्यांकन नहीं किया जाता है। जबकि वे घोर जातिवादी है। विभूति राय को अनिल कुमार राय की नियुक्ति के समय ही ये पता था कि उसने चोरी करके अपने बायोडाटा में दी गई किताबें लिखी है। लेकिन स्वजातीय व क्षेत्र का होने के कारण उन्होने उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। एक बार तो उन्होने ये घोषणा कर दी थी कि वे एक जांच कमेटी बनाकर इसकी जांच करवाएंगे। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी में कुलपति पद पर रहते हुए बहुत घोटाला करने के आरोपी एक व्यक्ति,जिसके खिलाफ राज्यपाल के आदेश पर जांच चल रही है,उस व्यक्ति की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय जांच कमेटी भी बनाई। जो अबतक एक कदम भी हिल नहीं सकी। विभूति राय ने सबसे पहले ये कहा था कि अनिल के राय के खिलाफ एक पैरा भी चोरी करने का सबूत पेश किया जाता है तो वे उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। लेकिन जब उन्हें सबूत उपलब्ध करा दिया गया तो वे भी चोरगुरू अनिल के राय की जुबान बोलते हुए, उसकी हां में हां मिलाते हुए मुंह चुराने लगे हैं। लेकिन बड़े जतन से ओढ़ा गया उनका (V N RAI IPS ) यह नकाब अब आहिस्ता-आहिस्ता उतरने लगा है ,और उसके पीछे बहुत दिनो से ढ़का उनका असली चेहरा आहिस्ता आहिस्ता ही सही ,उजागर होने लगा है