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चोर गुरूओं / भ्रष्टाचारी
गुरूओं की नकलचेपी किताबें छापकर , उन अध्यापकों से ही अपनी व अन्य चोर गुरूओं की कटपेस्ट
करके छपवाई गई पुस्तकों की खरीद की संस्तुति कराकर, विश्वविद्यालय के कुलपति व
कुलसचिव को पुष्पम पत्रम चढाकर, करोड़ो रूपये की नकलचेपी पुस्तकें सप्लाई करने वाला
दिल्ली के दरियागंज का प्रशांत जैन फिर सक्रिय हो गया है। चर्चा है कि चोरगुरूओं, भ्रष्टाचारी गुरूओं व उनके संरक्षकों का
तथाकथित प्रमुख गढ़ बनगया वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय , जौनपुर
(उ.प्र.) में कई करोड़ रूपये की पुस्तकें खरीदने की योजना बन गई है। जिसकी सप्लाई
का ठेका लेने के लिए प्रशांत जैन फिरसे सक्रिय हो गया है। चर्चा है कि प्रशांत जैन
विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचारी गुरूओं,उनके संरक्षक कुलपतियों ,कुलसचिवों आदि को पुस्तकों
पर छपे दाम का 50 प्रतिशत तक चढ़ावा दे देता है।यानी यदि 1 करोड़ रूपये की पुस्तकों
की खरीद होती है तो 10 प्रतिशत छूट कागज पर दिखाया जायेगा।यह करके फैस सेविंग किया
जायेगा कि देखिये लाट साहब जी , विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के लिए 10 प्रतिशत छूट पर पुस्तकें खरीदी गईं। एक करोड़
रूपये की खरीद में 10 लाख की बचत कराया। लेकिन भ्रष्टाचारियों का यह रैकेट यह नहीं
खुलासा करता है कि प्रशांत जैन तो 60 प्रतिशत छूट पर पुस्तकें बेचता है। 2009 से प्रशांत जैन ,उसकी सभी कम्पनियों को
काली सूची में डालने और उसकी सप्लाई की गई पुस्तकों की जांच की मांग की जा रही है।
लेकिन पूर्वांचल वि.वि.अब तक कुछ नहीं किया है। और चर्चा है कि इधर सारे चोरगुरू /भ्रष्टाचारी गुरू व उनके पुस्तकों का प्रिंटर,प्रकाशक,सप्लायर प्रशांत जैन फिर से विश्वविद्यालय प्रशासन के आंखों
के तारे बन गये हैं।
इसके बारे में 5 दिसम्बर 2009 को छपी व टीवी पर
चोरगुरू सिरियल में दिखाई गई खबर का अंश देखें-
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CNEB न्यूज चैनल की टीम ने पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति और
रजिस्टार के सामने जब
पूछताछ की तो उसमें सिन्हा ने स्वीकारा है। कैमरा के सामने आने के पहले सिन्हा को
कुलपति और रजिस्टार ने अलग कमरे में ले जाकर कुछ पूछा,समझाया कि क्या
कहना है।लेकिन कैमरे के सामने सिन्हा ने काफी कुछ बता दिया ।सिन्हा ने
साफगोई से सबकुछ बताना शुरू किया तो कुलपति और रजिस्टार थोड़ा असहज हो गये
और सिन्हा को आगाह करते हुए कम बोलने का संकेत किया। फिर भी सिन्हा ने बहुत
कुछ बताया। उन्होने तो यह भी बताया कि जिस प्रशांत जैन की कम्पनी SHREE PUBLISHERS & DISTRIBUTORS के यहां से
किताबें छपवाई हैं उसी के
यहां से मुफ्त में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ,जौनपुर के
डिपार्टमेंट आफ फाइनांसियल स्टडीज का एक जर्नल भी छपता है। इस बारे में पूछने पर
प्रशांत जैन ने कैमरे के सामने स्वीकार किया की वह यह बिजनेस प्रमोशन के
लिए करते हैं। यानी सप्लायर,पब्लिशर,वि.वि. के अधिकारी व शिक्षक सब इस बिजनेस प्रमोशन की एक लाभवाली
कड़ी के अंग बन गये हैं। ईमानदार शिक्षाविद इसे रैकेट कहने लगे हैं। जिसके मार्फत भारत
में प्रेफेसरो,रीडरो,लेक्चररों द्वारा
नकल करके लिखी पुस्तकों का सालाना लगभग 500 करोड़ रूपये का कारोबार हो रहा है। ये किताबें
विश्वविद्यालयों के लाइब्रेरियों में रैकेट के मार्फत बिक रही हैं। जिनपर आन रिकार्ड
केवल 10 से 20 प्रतिशत छूट दिखाया
जाता है। किताबों के छपे दाम का बाकी 40 से 50 प्रतिशत रैकेट में शामिल अफसरो,मास्टरों,लाइब्रेरियनों,क्लर्कों के बीच चढ़ावा चढ़ जाता
है। CNEB के इस
एपीसोड में आप यह भी देखेंगे कि किस तरह नकलचेपी शिक्षकों की लाखो-लाखो- रूपये की
ढ़ेर सारी पुस्तकें,इनसाइक्लोपीडिया
मंगाकर लाइब्रेरी में रखा जाता है। इस तरह की पुस्तकें सप्लाई
करने वाली कम्पनियों में से एक इंडिका और छापने वाली कम्पनी श्री
पब्लिशर के मालिक प्रशांत जैन के मजेदार तर्क भी इस एपीसोड में देखने को मिलेगा।