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मजदूरी करके पढ़ाई की, बना आईएएस
केरल की हरीथा वी. कुमार टॉपर, जानिए कौन हैं टॉप-10
सिविल सर्विस परीक्षा-2012
के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर दिए गए। केरल की हरीथा वी. कुमार टॉपर हुई हैं।
यानी लगातार तीसरे साल भी महिला ने
ही बाजी मारी। ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर केरल
के ही वी. श्रीराम
हैं, जबकि
राजस्थान की स्तुति चरण को तीसरे स्थान मिला है।
केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2010 की परीक्षा में
दिव्यदर्शी अग्रवाल
और 2011 में
शीना अग्रवाल टॉपर रही थीं। इस साल तो एक और रिकॉर्ड बना। सामान्य के अलावा एससी और एसटी
वर्गो में भी महिलाएं ही अव्वल रहीं।
इस बार की टॉपर हरीथा 2011
बैच की आईआरएस प्रोबेशनर हैं। वह इस वक्त नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम एक्साइज एंड
नारकोटिक्स में ट्रेनिंग ले रहीं हैं।
उन्होंने केरल युनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में डिग्री ली है।
यह कामयाबी उन्हें
चौथे प्रयास में मिली।
टॉप 50 में
करेल के आठ लोग
1991 के
बाद पहली बार केरल से कोई टॉपर हुआ है। बड़ी बात यह है कि मेरिट लिस्ट में दूसरे और चौथे नंबर पर
भी करेल के छात्र हैं। टॉप 50 में राज्य
से 8 लोग
हैं। दूसरे नंबर पर आने वाले केरल के वी. श्रीराम केरल युनिवर्सिटी से एमबीबीएस की डिग्री ली
है। वहीं तीसरा स्थान हासिल करने
वाली स्तुति ने जोधपुर युनिवर्सिटी से बीएससी और आईआईपीएम
दिल्ली से एमबीए किया
है।
इस बार 998
का चयन
इस बार 998 उम्मीदवारों
में 753 पुरुष
और 245 महिलाओं
को आईएएस, आईपीएस
जैसी सर्विस के लिए चुना गया है। टॉप 25
में छह ऐसे हैं जिनका यह यूपीएससी में पहला प्रयास था। नौ का
दूसरा, आठ
का तीसरा और एक-एक का चौथा
और छठा प्रयास था।
ये हैं टॉप-10
1. हरिता
वी कुमार (केरल)
2. वी
श्रीराम (केरल)
3. स्तुति
चरण
4. ए.जॉन
वर्गीज (केरल)
5. रूचिका
कात्याल
6. अरूण
थम्बुराज
7. टी.प्रभुशंकर
8. वंदना
9. चांदनी
सिंह
10. आशीष
गुप्ता
नई दिल्ली/जोधपुर। UPSC 2012 के नतीजों में ऐसे
मेधावी छात्रों ने बाजी मारी है जिन्होंने अभाव में रहकर पढ़ाई की। दृढ़
इच्छाशक्ति और लगन के बूते इन छात्रों ने कामयाबी हासिल की है। इन्होंने
साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। बीकानेर के छोटे से गांव केसर देसर में
रहने वाले चूनाराम जाट ने सिविल
सेवा परीक्षा में 270वां
स्थान प्राप्त करके इस बात को सही साबित किया है।
किसान उदाराम के घर के जन्मे चूनाराम को घर की आर्थिक तंगी के
कारण स्कूल
की पढ़ाई बीच में ही छोडऩी पड़ी थी। तंगहाली के दौर में 10वीं और
12वीं की परीक्षा प्राइवेट देकर उत्तीर्ण की थी। परीक्षा
और किताबों के
खर्च के लिए चूनाराम ने 50 रुपए रोज की दिहाड़ी
में मजदूरी की थी। गांव में
मौजूद समाज के लोगों ने चूनाराम के इस
जज्बे को देखते हुए ग्रेजुएशन कराने के लिए आर्थिक सहायता
दी।
चूनाराम ने इस तरह ग्रेजुएशन किया। गांव वालों की मदद से जयपुर
पहुंचा और
राजस्थान यूनिवर्सिटी से एम.ए. उत्तीर्ण किया। चूनाराम का कहना है कि उनके
गुरु नारायण भादू ने तीन साल तक फ्री पढ़ाया था और किताबों के लिए रुपए
भी दिए थे। गांव के ही भगवानाराम और तुलसीराम गोदारा ने पढ़ाई के लिए आर्थिक
मदद की थी। इसके बाद जेआरएफ में स्कॉलरशीप मिली। वर्ष 2009 में चूनाराम
दिल्ली पहुंचे और मुखर्जी नगर में तीन दोस्तों के साथ किराए का कमरा
लेकर रहने लगे। इस दौरान दोस्तों के साथ मिलकर प्रतियोगिता परीक्षाओं की
तैयारी की। इस बीच चूनाराम की एक सरकारी नौकरी भी लगी थी लेकिन सिविल परीक्षा
उत्तीर्ण करने के जुनून के चलते नौकरी करने के बजाय पढ़ाई पर ही फोकस
रखा। चूनाराम के रूम पार्टनर और दोस्त अशोक सुथार और कृष्णकुमार भी चूनाराम
की लग्न और मेहनत से प्रभावित थे। इत्तफाक से इन तीनों दोस्तों को सिविल
परीक्षा में तीसरी बार में एकसाथ सफलता हाथ लगी।
इसी तरह, बिहार
में सुपौल के सुब्रत कुमार सेन ने 93वां
स्थान हासिल किया
है। सुब्रत के पिता सुपौल के सिंगराही में साइकिल की दुकान चलाते हैं। दिल्ली
के भीमराव आंबेडकर कॉलेज से स्नातक करने के बाद सुब्रत फिलहाल मध्यप्रदेश
में बैंक ऑफ इंडिया में पीओ हैं।
'मां
की आखिरी तमन्ना थी, उनका
सपना साकार होते देख खुद पर है गर्व'
इंदौर। 'सरकारी
अफसरों के रुतबे से प्रभावित होकर मैं प्रशासनिक सेवा में नहीं आना चाहता था। न ही इसलिए कि
हर सिग्नल, हर
चौराहे पर दो सिपाही मेरी
गाड़ी की पीली बत्ती देख मुझे सलाम ठोकेंगे। शान-ओ-शौकत के लिए नहीं, बल्कि गरीबों के हित में कुछ करने के
लिए अफसरी चुनी।
यह कहना है यूपीएससी परीक्षा क्वालिफाई कर चुके हितेश चौधरी
का। शुक्रवार
को यूपीएससी 2012 के
रिज़ल्ट में हितेश की 375वीं
रैंक है। सीहोर के
रहनेवाले हितेश ने एसजीएसआईटीएस से इंजीनियरिंग की है। यहीं रहकर उन्होंने
सिविल सर्विसेस एक्जाम की तैयारी भी की। सिटी भास्कर से बातचीत में
उन्होंने एक किस्सा सुनाया जिसने उनके वजूद को झकझोर कर रख दिया।
सेब में जान बस गई- हितेश कहते हैं एक बार मैं मंदिर के बाहर
मैं पैरेंट्स
के आने का इंतजार कर रहा था। एक उम्रदराज़ भिखारी को फलवाले ने एक सेब
दे दिया। भिखारी की आंखें ऐसी चमकीं जैसे खजाना मिल गया हो। उसने एक कागज़
में सेब लपेटकर ऐसे रखा जैसे उसमें जान बस गई हो। फिर सेब को बीच से तोड़ा।
अचानक उसकी चमकती आंखें आंसुओं से भर गईं। वह सेब सड़ा हुआ निकला। इस
घटना ने गरीबों के लिए कुछ करने की मेरी चाहत को और बल दे दिया।
मां को खोया- मुख्य परीक्षा से 20
दिन पहले हितेश की मां गुजर गईं। वे बताते हैं मां का सपना था कि मैं
यूपीएससी क्लीयर करूं। आज मैंने वह ख्वाब
पूरा कर दिया।
अंकिता चक्रवर्ती,
रैंक 17
पिता: डॉक्टर सतीश चक्रवर्ती
मां: डॉक्टर रेनु चक्रवर्ती
अंकिता कहती हैं.. पढ़ना शौक है और पेरेंट्स रोल मॉडल। एम्स, दिल्ली से एमबीबीएस किया है। माता-पिता दोनों
डॉक्टर हैं, लेकिन
वो मुझे आईएएस बनाना
चाहते थे।
उन्होंने ही प्रोत्साहित किया। यह पहला अटेंप्ट था। दिन में 6 से 7
घंटे तक पढ़ती थी। टीवी पर लोकसभा और राज्यसभा की डिबेट देखती
थी, रोज अखबार
भी पढ़ती थी। सिविल सर्विसेज एग्जाम में यह मायने नहीं रखता कि आप कितना
पढ़ते हैं, बल्कि
इसके मायने ज्यादा हैं कि पढ़ने का तरीका कैसा है और आप तीन घंटे के पेपर में क्या लिखते
हो।
हरप्रीत सिंह,
रैंक 22
हरप्रीत कहते हैं.. तीसरे अटेंप्ट में एग्जाम क्लीयर किया।
कोचिंग के बिलकुल
खिलाफ हूं, इसलिए
किसी भी इंस्टीट्यूट से कोचिंग नहीं ली।
रोज 5 से
6 घंटे
तक सेल्फ स्टडी की। सेंट कबीर स्कूल सेक्टर 26
से 10वीं
और पीयू से एलएलबी की है। जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल लॉ
में पीएचडी कर रहा हूं।
ज्यूडिशियल सर्विसेज एग्जाम दिल्ली में ऑल इंडिया 24वां रैंक हासिल किया है। पिता जसपाल सिंह एडवोकेट हैं।
इसके बावजूद मन ज्यूडिशियल के बजाय
सिविल सर्विसेज की तरफ जाने का है।
पार्थ गुप्ता,
रैंक 59
पार्थ कहते हैं.. मैंने एक साल प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की, वर्क कल्चर पसंद नहीं आया तो आईएएस बनने का
फैसला किया। स्कूलिंग सेंट जॉन्स
स्कूल सेक्टर-26
से और कंप्यूटर इंजीनियरिंग आईआईटी चेन्नई से की है। सिविल सर्विसेज
एग्जाम में यह दूसरा अटेंप्ट था। तय कर लिया था कि हर हाल में यह एग्जाम
क्लीयर करना है। आईएएस ऐसा प्लेटफॉर्म है,
जिससे आप एक बेहतर समाज
की रचना करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पिता एसएस प्रसाद, हरियाणा में हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में प्रिंसिपल
सेक्रेटरी हैं। मां रंजू प्रसाद
पंजाब में पोस्ट मास्टर जनरल हैं।
कृति गर्ग, रैंक 80
कृति कहती हैं.. अपनी बहन तन्वी गर्ग की तरह हमेशा से आईएएस
बनना चाहती थी। तन्वी गर्ग को भी 80वां
रैंक मिला था। इंडियन इकोनॉमिक सर्विसेज में चौथा रैंक
हासिल कर चुकी हूं। अभी दिल्ली में इसकी ट्रेनिंग कर रही हूं। जीएमएसएसएस सेक्टर-35 से 12वीं और
जीसीजी-11 से ग्रेजुएशन की। सिविल सर्विसेज
एग्जाम के लिए हर रोज 5 से 6 घंटे तक सेल्फ स्टडी करती थी।
कृतिका बत्रा,
रैंक 103
कृतिका कहती हैं.. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को रोल
मॉडल मानती
हूं। पढ़ने का बहुत शौक है। आईएएस के लिए पहला अटेंप्ट 2011 में किया।
मां ने हमेशा प्रोत्साहित किया। उनकी वजह से ही सफल हुई हूं। दिन में 7 से 8
घंटे पढ़ाई की। सुबह जल्दी कॉलेज जाना होता था, इसलिए पढ़ाई दिन में ही करती थी, रात को जल्दी सो जाती थी। मां हर्ष
बत्रा, गवर्नमेंट
कॉलेज ऑफ
एजुकेशन-20 की
प्रिंसिपल हैं।
UPSC:गुमला
की तनु प्रिया को 18वां
रांची के पार्थ को 59वां
रैंक
नई दिल्ली/रांची/गुमला/हजारीबाग/धनबाद. सिविल
सर्विस परीक्षा-2012 के नतीजे शुक्रवार को
घोषित कर दिए गए। केरल की हरीथा वी.
कुमार टॉपर हुई हैं। लगातार तीसरे साल भी महिला ने ही बाजी
मारी। दूसरे नंबर
पर केरल के ही वी. श्रीराम हैं। राजस्थान की स्तुति चरण को तीसरा स्थान
मिला है।
गुमला में एलआईसी के सीनियर ब्रांच मैनेजर विमल किशोर की बेटी
डॉक्टर तनु
प्रिया ने पहले ही प्रयास में 18वां
रैंक हासिल किया है। हरियाणा के
रोहतक में गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज में डॉक्टर हैं। तनु प्रिया
का चयन एडमिनिस्ट्रेटिव
सर्विस के लिए होना तय है। तनु की मां रूना किशोर हाउस वाइफ हैं। रांची में रातू रोड निवासी
पार्थ गुप्ता को 59वां
रैंक मिला है। पार्थ
के पिता एसएस प्रसाद हरियाणा गवर्नमेंट में हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के
प्रिंसिपल सेक्रेटरी और मां अंजू प्रसाद पंजाब में पोस्टमास्टर जनरल हैं।
पार्थ को भी एडमिनिस्ट्रेटिव कैडर मिलना तय है।
इस परीक्षा में पाकुड़ के अजीत वसंत को 72वां रैंक मिला है, जबकि बोकारो के अनुज सिंह को 74वां रैंक मिला है। 2006 में डीपीएस बोकारो से
पास आउट
अनुज ने आईआईटी की परीक्षा में भी बाजी मारी थी। झरिया के मृत्युंजय कुमार
वर्णवाल को 156वां
और धैया के चंद्रमोहन कुमार सिंह को 261वां
रैंक मिला
है। मृत्युंजय ने इंटर तक की पढ़ाई आरएसपी कॉलेज झरिया से की, वहीं चंद्रमोहन आईएसएल एनेक्सी से पासआउट
हैं।
TOPPER: ये
हैं यूपीएसई के 'सूरमा
भोपाली', जो
सोचा बस वही किया अचीव
भोपाल। सिविल सर्विस परीक्षा-2012
के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर दिए गए। भोपाल के अमनबीर सिंह बैंस ने 45वीं और हर्षिता माथुर ने 112वीं रैंक हासिल की है।
अमनबीर आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह
बैंस के पुत्र
हैं। हर्षिता के पिता पीआर माथुर आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वे एडीजी
(विजिलेंस) भोपाल में पदस्थ हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2010 की परीक्षा में दिव्यदर्शी
अग्रवाल और 2011 में
शीना अग्रवाल टॉपर रही थीं।
सक्सेस के लिए बनाए रखें अपना इंट्रेस्ट
सिटी की हर्षिता माथुर ने यूपीएससी एक्जाम में देशभर में 112वीं रैंक हासिल की है। वे नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट
युनिवर्सिटी (एनएलआईयू), भोपाल
से वर्ष
2010 में
लॉ की पढ़ाई कर चुकी हैं। हर्षिता ने सिंगल इंट्रेस्ट एरिया पर फोकस करते हुए यह अचीवमेंट हासिल
किया।
उनके सब्जेक्ट्स लॉ और सोशियोलॉजी थे। हर्षिता ने बताया, 'प्रेशर को हैंडल करते हुए अपना फोकस बनाए रखा और
मैं सफल हो पाई। उन्होंने इसके लिए
कोचिंग नहीं ली थी। उन्होंने मॉक-टेस्ट और अन्य स्टडी मटेरियल
के साथ रिवीजन
करते हुए एक्जाम की प्रिपरेशन की। वे दो साल कॉरपोरेट लॉयर की तरह प्रैक्टिस
भी कर चुकी हैं। उनकी स्कूलिंग कार्मल कॉन्वेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल
से हुई है।
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यूपीएससी एक्जाम में देशभर में 45वीं रैंक प्राप्त
करने वाले अमनबीर सिंह बैंस ने बताया अपना
सक्सेस फंडा
'ये
मेरा दूसरा अटैंप्ट था। एक्जाम के लिए मैंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
सब्जेक्ट्स चुने थे। मेरा बचपन से ही
आईएएस बनने का सपना था। यह रास्ता मैंने पापा के काम करने के
तरीके को देखकर
चुना था। मैंने कोई रेगुलर कोचिंग नहीं की। नई दिल्ली में टेस्ट सीरीज
जरूर जॉइन की थी। जब मैं आईआईटी रुड़की में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की
पढ़ाई कर रहा था तभी से एक्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। मैंने इंडियन इंजीनियरिंग
सर्विस का एक्जाम भी दिया था, जिसमें
मेरी ऑल इंडिया रैंक १७ बनी
थी।
हालांकि मेरा विजन शुरू से ही क्लियर था कि मुझे आईएएस में ही
भविष्य तलाशना
था इसलिए मैंने तब जॉइन नहीं किया। आईएएस के लिए मैंने कई आफर्स ठुकराए, लेकिन मेरी फैमिली ने मुझसे कोई शिकायत
नहीं की। सभी ने पूरा सपोर्ट
किया। पेरेंट्स ने कहा- जो सोचा है उसे अचीव करो।
ज्यादा किताबें न पढ़कर मैंने कुछ ही किताबों से पढ़ाई की
लेकिन अच्छी किताबें
पढ़ीं और कम से कम २० बार पढ़ी। आईएएस की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स से मैं यही कहूंगा कि वे
मटेरियल कलेक्ट करने की होड़ में शामिल
न हों और अच्छी किताबें पढ़ें। अब बस यही टारगेट है कि मैं
पापा की ही तरह फियरलेस
होकर काम करूं।
यह कहना था यूपीएससी एक्जाम में देशभर में ४५वीं रैंक सिक्योर
करने वाले
सिटी के अमनबीर सिंह बैंस का। वे आवास एवं पर्यावरण और लोकसेवा प्रबंधन
विभाग के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस के बेटे हैं। अपने बेटे की इस
उपलब्धि पर श्री बैंस ने कहा, 'मेरे
लिए खुशी बात है कि मेरे बेटे का
सपना पूरा हो गया।
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क्रिकेट-फुटबाल के खिलाड़ी ने ठुकराए कई ऑफर, आखिर बन ही गया IAS
कोटा के अनुराग सुजानिया का आईपीएस में चयन हुआ है। सिविल सेवा परीक्षा
में उन्हें रैंक 304 मिली।
आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल
इंजीनियरिंग में बीटेक व एमटेक कर चुके अनुराग 2008-09 में आईआईटी छात्रसंघ के
अध्यक्ष भी रहे।उनके पिता केएल सुजानिया भूजल वैज्ञानिक हैं। मां रमा गृहिणी
हैं। वे मूलत: शाहबाद के पास समरानियां गांव के रहने वाले हैं।
क्रिकेट व फुटबाल के खिलाड़ी अनुराग ने प्रशासनिक सेवा में
जाने के लिए
जापान की कंपनी एनईसी कापरेरेशन से मिले जॉब ऑफर को भी ठुकरा दिया। फिलहाल
वे मनेसर गुड़गांव में इंडियन कॉपरेरेशन लॉ सर्विस एकेडमी में 10 माह की ट्रेनिंग ले रहे हैं। अनुराग ने
बताया कि पेरेंट्स के अलावा अकलंक
स्कूल की टीचर मंजू भार्गव ने प्रशासनिक सेवाओं के लिए उन्हें
बहुत प्रेरित किया।
जोधपुर की बेटी स्तुति चारण को तीसरा
स्थान मिला है। स्तुति ने लाचू कॉलेज से बीएससी की। तीसरे प्रयास में
चयनित स्तुति के पिता रामकरणसिंह
जयपुर में राजस्थान स्टेट वेयर हाउस कॉपरेरेशन में डिप्टी
डायरेक्टर और मां सुमन
स्कूल लेक्चरर हैं।
उनकी छोटी बहन नीति डॉक्टर हैं। स्तुति का तीन माह पहले ही
यूको बैंक में
प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर चयन हो गया था। वे अभी अहमदाबाद में ट्रेनिंग
कर रही हैं। केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2010
की परीक्षा
में एस दिव्यदर्शिनी और 2011 में
शीना अग्रवाल टॉपर रही थीं।
इस साल तो एक और रिकॉर्ड बना। सामान्य के अलावा एससी और एसटी
वर्गो में
भी महिलाएं ही अव्वल रहीं। इस बार की टॉपर हरीथा 2011
बैच की आईआरएस
प्रोबेशनर हैं। वह इस वक्त नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम एक्साइज एंड
नारकोटिक्स में
ट्रेनिंग ले रहीं हैं। उन्होंने केरल युनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में डिग्री
ली है। यह कामयाबी उन्हें चौथे प्रयास में मिली।
एमबीए होकर भी स्तुति ने चुने एग्रीकल्चर व बॉटनी सब्जेक्ट
आईएएस परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल करने वाली जोधपुर की
स्तुति चारण (बारहठ)
ने प्री एग्जाम से लेकर मुख्य परीक्षा तक खुद ही तैयारी की। स्तुति ने
बॉटनी, जूलॉजी
व बायोटेक में बीएससी किया। वे एचआर और मार्केटिंग में एमबीए (आईआईपीएम दिल्ली से) भी हैं।
खास बात यह रही कि स्तुति ने आईएएस परीक्षा में बॉटनी के साथ एग्रीकल्चर
विषय चुना। आमतौर पर आईएएस परीक्षा में टॉप रैंक पर इंजीनियरिंग या
आर्ट्स विषय के अभ्यर्थी रहते हैं,
लेकिन स्तुति गैर परंपरागत विषयों के साथ टॉप थ्री में जगह बनाने में सफल
रहीं।
स्तुति अभी भी अहमदाबाद में हैं। अपनी सफलता के बारे में
भास्कर के साथ
बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके मन में हमेशा ऐसे विषयों के साथ आईएएस
परीक्षा में सफलता हासिल करने की इच्छा थी,
जो बहुत कम लोग चुनते
हैं। एग्रीकल्चर विषय चुनने के पीछे उनकी भावना यह थी कि हमारे
देश में आधी आबादी
का जीवन इसी से चलता है, जबकि
जीडीपी में योगदान महज 3.3 प्रतिशत है।
वे इस क्षेत्र में कुछ करना चाहती हैं। स्तुति का कहना है कि सफलता इस बात
पर निर्भर नहीं करती कि विषय क्या है,
सफलता तब मिलती है जब हम उस विषय को गंभीरता से लेते हैं।
इसलिए गैर परंपरागत विषयों के साथ भी उन्हें कोई परेशानी नहीं
हुई।
एक अनपढ़ किसान ने अपने बेटे को बना दिया IAS
अजमेर.नागौर जिले में परबतसर तहसील के लखिया गांव में रहने
वाले एक किसान
के बेटे गंगाराम पूनिया का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में हुआ
है।
पूनिया ने 287 वीं
रैंक हासिल की है। यह सफलता उन्हें दूसरे प्रयास में मिली है। वर्तमान में वह राजसमंद
जिले में महिला विकास अधिकारी के पद
पर कार्यरत हैं। उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया
है।
कर्जा लेकर कोचिंग के लिए भेजा
गंगाराम ने बताया कि उसके पिता भंवर लाल किसान हैं। पिता ने
खुद अनपढ़ होते
हुए भी बच्चों को पढ़ाया। गंगाराम ने पहले प्रयास में सफलता नहीं मिलने
पर उनके पिता भंवर लाल ने कर्जा लेकर कोचिंग के लिए फिर भेजा।
उन्होंने बताया कि 7
से 8 घंटे
नियमित पढ़ाई कर अपने बनाए नोट्स पर
विशेष ध्यान दिया। आइएएस मुख्य परीक्षा में राजनीति विज्ञान
एवं संस्कृत विषय
थे। दोनों विषयों का गहन अध्ययन कर विषय पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली रखी थी।
गंगाराम ने बताया कि उन्होंने बीए तक ही पढ़ाई है। बीएम में राजनीति विज्ञान, संस्कृत एवं अंग्रेजी विषय थे। आइएएस बनने
पर उनका लक्ष्य आखरी पंक्ति
में खड़े व्यक्ति को न्याय दिलाने का रहेगा।