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यूजीसी ने प्रो.राम मोहन पाठक की शोध
परियोजना घोटाले की जांच कराने, 3 माह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया
-कृष्णमोहन सिंह
prof.ram mohan pathak ke bare me eak purani notice |
नईदिल्ली। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,
वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक के तमाम घोटालों व भ्रष्टाचार के आरोप में से एक ,
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से 2003 में मिले लगभग 5 लाख रूपये के मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट में
धांधली,यूजीसी की मंजूरी के बिना ही शीर्षक अंग्रेजी
से हिन्दी में कर देने आदि मामले में जांच का आदेश दे दिया गया। 2006 तक प्रोजेक्ट
पूरा कर लेने की नियत अवधि वाले इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की अंतिम रिपोर्ट जमा करने आदि के लिए 5 से अधिक रिमाइंडर के बाद भी रिपोर्ट व खर्च
का प्रमाण जमा नहीं करने के कई साल से
लगातार प्रमाण सहित शिकायत के बाद 01 अप्रैल 2013 को यूजीसी ने काशी
विद्यापीठ के कुलपति को इसकी जांच कराने का आदेश दिया। जिसमें है कि 3 माह में
जांच कराकर रिपोर्ट यूजीसी को देना होगा। प्रो.
राम मोहन पाठक 01 अप्रैल 2013 को सायं 5 बजे सेवानिवृत हो गये। लेकिन अभी सत्र लाभ
के चलते 31 जून 2013 तक प्रोफेसर का तनख्वाह लेते रहेंगे।चर्चा है कि यदि जांच में
लीपा – पोती नहीं हुई और राममोहन पाठक को अब तक बचाते रहे ,संरक्षण देते रहे
कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने लीपा-पोती नहीं कराई तो भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोपी
राममोहन पाठक नहीं बचेंगे।एक में बचाने की कोशिश की गई तो दूसरे में,तीसरे
में अभियुक्त साबित हो सकते हैं।(यह समाचार मध्य प्रदेश, बिहार,झारखंड के कुछ समाचार पत्रों में छपा है)।