Corrupt Guru Protector V.C., Prof. NAG |
Brastachari Guru Prof.Ram Mohan Pathak |
यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरूओं के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो.राममोहन पाठक के
भ्रष्टाचार,घोटालों की जांच कराकर रिपोर्ट 3 माह में देने का आदेश
भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन जांच को ठेंगा दिखा गुरूघासी
दास केन्द्रीय वि.वि. के करीबी सजातीय कुलपति की कृपा से वहां कोई मालदार पद पाने के जुगाड़ में
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।लगभग 7-8 साल से जिस विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग पर केवल पोस्ट आफिस की तरह काम करने और पुष्पम् –पत्रम् व जुगाड़ से 4 लाख से रूपये अधिक वाले मेजर
रिसर्च प्रोजेक्ट बंदर बांट करने,प्रोजेक्ट पूरा करके जमा नहीं करने,प्रोजेक्ट में
धांधली करने पर भी कुछ नहीं करने, यदि किसी ने शिकायत की तो केवल नोटिस देकर
खानापूर्ति कर देने,अन्य तमाम तरह के घोटालों और उसकी लीपापोती करने में भरपूर मदद करने का
प्रमाण सहित आरोप लगता रहा है।उस यूजीसी में ही भ्रष्टाचारी प्रोफेसरों, कुलपतियों के लाभालाभी
हित वाले पहले से जमे अफसरों की अड़ंगेबाजी व व्यवधान के बावजूद अब
विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार गुरूओं,चोरगुरूओं के विरूद्ध जांच व कार्रवाई की
पहल शुरू हो गई है। शायद यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नये अध्यक्ष प्रो.वेद
प्रकाश के कड़ाई के चलते हुआ हो, लेकिन शुरू तो हुआ।इसका प्रमाण है महात्मा गांधी
काशी विद्यापीठ,वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार व घोटालों की 2 से 3
माह में जांच कराकर रिपोर्ट देने का आदेश। प्रो.राममोहन पाठक ने आज अखबार समूह में
पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU),वाराणसी से रेगुलर,पूर्णकालिक
बी.जे.,एम.ए.(हिन्दी),पीएच.डी(हिन्दी)किया है। राममोहन ने 1991 में काशीविद्यापीठ
में पूर्णकालिक रीडर पद पर नौकरी करते हुए और उसके बाद काशी हिन्दू वि.वि. में
जनसम्पर्क अधिकारी पद पर पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू वि.वि.से ही
पूर्णकालिक,रेगुलर एम.जे.कोर्स किया है। एक
व्यक्ति एक साथ दो जगह कैसे उपस्थित हो सकता है।और दोनों जगह पूर्णकालिक काम कैसे
कर सकता है।यह सीधे-सीधे दुराचरण है,अध्यापक के पद की गरिमा के विरूद्ध
है,धोखाधड़ी है। यूजीसी ने इस मामले में 01 अप्रैल2013 को काशी विद्यापीठ प्रशासन
को , 3 माह में जांच कराकर रिपोर्ट देने
का आदेश दिया है।
प्रो.राममोहन पर काशी विद्यापीठ में भगवानदास
केन्द्रीय पुस्तकालय का प्रभारी रहने के दौरान यूजीसी से प्राप्त अनुदान से वर्ष
1998-99में पुस्तकों की खरीद में घोटाला
का प्रमाण सहित आरोप लगा था।यूजीसी ने इसका नये सिरे से जांच कराकर 3 माह में
रिपोर्ट देने को कहा है।
प्रो.राममोहन
पाठक को 31 मार्च 2003 को 3 वर्ष के लिए यूजीसी से 4 ,47,580 रूपये का मेजर रिसर्च
प्रोजेक्ट मिला था। उन्होंने पैसा ले लिया, लेकिन प्रोजेक्ट का शीर्षक बिना यूजीसी
की मंजूरी के हिन्दी में कर दिया और अब तक पूरा करके यूजीसी में जमा नहीं किया है।
शिकायत मिलने के बाद यूजीसी के संबंधित अधिकारी ने कई साल से केवल नोटिस भेजकर
खाना पूर्ति किया कि आपने अब तक रिपोर्ट जमा नहीं किया है। सो यूजीसी के नियम के
अनुसार पूरी राशि ब्याज सहित रिकवर की जा सकती है। आप पूरी राशि ब्याज सहित वापस
कीजिए। 7 साल से यह तमाशा चल रहा है और प्रो. राममोहन पाठक 1 अप्रैल 2013 को
सेवानिवृत हो गये।सत्र लाभ मिलने के चलते वह विद्यापीठ में 31 जून 13 तक प्रोफेसर
बने रहेंगे। लेकिन अब भी यदि कार्रवाई हो तो पाठक की पेंशन रूक सकती है। इधर यह सब
चल रहा है उधर राममोहन पाठक वाराणसी के ही चौबेपुर के निवासी और काशीहिन्दूवि.वि.
में भौतिकशास्त्र विभाग में प्रोफेसर रहे और इन दिनों गुरूघासी दास केन्द्रीय
वि.वि.,विलासपुर में कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी(इन पर भी भयंकर भ्रष्टाचार का प्रमाण सहित आरोप लगा है) की कृपा से वहां के गजानन माधव
मुक्तिबोध चेयर में या किसी विभाग में प्रोफेसर या प्रो.वीसी बनने का जुगाड़ लगा रहे हैं। गजानन चेयर यूजीसी के फंड
से चल रहा है। ऐसे में जिस यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक के विरूद्ध
तीन मामले में जांच का आदेश दिया है, उनको कैसे इस केन्द्रीय वि.वि.में प्रोफेसर
या प्रो.वीसी या कुछ और बनाये जाने की मंजूरी देगा?
*यह खबर ' स्वदेश ' इंदौर में 3 अप्रैल 2013 को पेज 5 पर,' स्टार समाचार ',सतना में 3 अप्रैल 2013 को पेज 8 पर http://www.starsamachar.com/epapermain.aspx,' तथा अन्य समाचार पत्र में छपी है।
*यह खबर ' स्वदेश ' इंदौर में 3 अप्रैल 2013 को पेज 5 पर,' स्टार समाचार ',सतना में 3 अप्रैल 2013 को पेज 8 पर http://www.starsamachar.com/epapermain.aspx,' तथा अन्य समाचार पत्र में छपी है।