रांची विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचारी गुरू सुशील अंकन हटाये
गये, लेकिन महाचोरगुरू अनिल अंकित को छिनाली विभूति पुलिसिया कुलपति बचा रहा है
वीर
बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी,
मगांअंहिविवि,वर्धा के भ्रष्टाचारी प्रोफेसरों,उनके संरक्षकों की गर्भनाल इन दिनों एक दूसरे से बहुत जोर
से फेवीकोली तरीके से जुड़ गई है
रांची (भाषा + चिप्पी ) । भ्रष्टाचार के संगीन आरापों में घिरे रांची
विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के निदेशक सुशील अंकन को आज उनके पद से तत्काल प्रभाव
से हटा दिया गया। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर
लक्ष्मीनारायण भगत ने बताया कि पत्रकारिता विभाग के निदेशक सुशील अंकन पर पिछले लगभग एक वर्ष के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताओं के अनेक आरोप लगे
हैं जिनकी जांच की जा रही है । इसके अलावा विभाग के छात्रों में कक्षाओं में योग्य अध्यापकों को न बुलाये जाने से भारी रोष था जिसकी उन्होंने लिखित
शिकायत की थी।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं अंकन ने विश्वविद्यालय के आदेशों का उल्लंघन कर घोर अनुशासनहीनता की थी। जिसे देखते हुए शनिवार को पूरे मामले में विचार के लिए पत्रकारिता विभाग की विभागीय परिषद की बैठक बुलायी थी।
लेकिन विभागीय परिषद की बैठक का भीनिदेशक अंकन ने विभाग में रहते हुए बहिष्कार कर दिया जिस पर परिषद ने कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए उनकी आलोचना की थी। परिषद ने अंकन के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी।
निदेशक अंकन ने न सिर्फ परिषद की बैठक का बहिष्कार किया था बल्कि परिषद के वरिष्ठ पत्रकार सदस्यों पर बाहर से बुलाये गये गुंडा तत्वों द्वारा हमला भी करवाया था।
इन सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद 23 -04-13 को कुलपति के नेतृत्व वाली विश्वविद्यालय की कोर समिति ने निदेशक अंकन को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्णय लिया।
उन्होंने बताया कि अब विभाग में किसी योग्य वरिष्ठ पत्रकार को निदेशक के रूप में लाया जायेगा और इस बीच विश्वविद्यालय की मानविकी संकाय की सकायाध्यक्ष सरस्वती मिश्रा को पत्रकारिता विभाग का भी कार्यभार दे दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं अंकन ने विश्वविद्यालय के आदेशों का उल्लंघन कर घोर अनुशासनहीनता की थी। जिसे देखते हुए शनिवार को पूरे मामले में विचार के लिए पत्रकारिता विभाग की विभागीय परिषद की बैठक बुलायी थी।
लेकिन विभागीय परिषद की बैठक का भीनिदेशक अंकन ने विभाग में रहते हुए बहिष्कार कर दिया जिस पर परिषद ने कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए उनकी आलोचना की थी। परिषद ने अंकन के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी।
निदेशक अंकन ने न सिर्फ परिषद की बैठक का बहिष्कार किया था बल्कि परिषद के वरिष्ठ पत्रकार सदस्यों पर बाहर से बुलाये गये गुंडा तत्वों द्वारा हमला भी करवाया था।
इन सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद 23 -04-13 को कुलपति के नेतृत्व वाली विश्वविद्यालय की कोर समिति ने निदेशक अंकन को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्णय लिया।
उन्होंने बताया कि अब विभाग में किसी योग्य वरिष्ठ पत्रकार को निदेशक के रूप में लाया जायेगा और इस बीच विश्वविद्यालय की मानविकी संकाय की सकायाध्यक्ष सरस्वती मिश्रा को पत्रकारिता विभाग का भी कार्यभार दे दिया गया है।
बाहर
से चिप्पी-
एक रांची वि.वि.के कुलपति हैं जो भ्रष्टाचारी प्रोफेसर
को बर्खास्त कर दिये। और मगांअंहिविवि वर्धा के कुलपति छिनाली फेम वाले वीएन राय,महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति
डा.वी नाग,पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के कुलपति सुन्दर लाल हैं जो ( ये तीनो कुलपति )
अपने यहां के भ्रष्टाचारी प्रोफेसरों के संरक्षक बने हुए हैं, और उन्हें बचाने का
हर उपक्रम , तिकड़म कर रहे हैं।
मगांअंहिविवि,वर्धा
में इससे भयंकर भ्रष्टाचारी चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित पत्रकारिता के निदेशक पद
पर है।जब पुलिसवाला बना कुलपति तो चोर को बनाया हेड। तबसे भ्रष्टाचार व करोड़ो रूपये के
घोटालों के आरोपी पुलिसिया कुलपति छिनाली विभूति के भ्रष्टाचारी लाभालाभी हित के
चलते गांधी के नाम की संस्था को कलंकित कर रहा है। यही हालत वीर बहादुर सिंह
पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में है। इन
विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचारी , दुराचरणीगुरू प्रोफेसरों व भ्रष्टाचारी संरक्षक कुलपतियों के चलते
भ्रष्टाचार खूब परवान चढ़ रहा है। चर्चा है कि इन सब भ्रष्टाचारियों, संरक्षकों की गर्भनाल इन
दिनों एक दूसरे से बहुत जोर से जुड़ गई है।