Tuesday, September 17, 2013

CORRUPTGURU,CHORGURU Anil Kumar Rai KO BACHA RAHE APSU REWA ke V.C.,REGISTRAR ?

sattachakra.blogspot.in
date 17-09-13,09.25P.M.
क्या
चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं अवधेशप्रताप सिंह वि.वि.रीवा के कुलपति,कुलसचिव ?
 -कृष्णमोहन सिंह

नईदिल्ली। चोरगुरू अनिल कुमार राय ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय
,रीवा (म.प्र.) से पत्राचार से बी.जे.( बैचलर इन जर्नालिज्म) किया। उसमें पढ़ने के लिए उसको जो
पुस्तिका मिली उसका कई अध्याय हूबहू कट पेस्ट करके,उतारकर अपनी पुस्तक
"संचार के सात सोपान" का अध्याय 7, फिल्मों की दुनिया बना लिया।विश्वविद्यालय के अधिकारियों,संबंधित विभाग के प्रमुख की माफ नहीं की जाने वाली लापरवाही से  पुस्तिका में  भले ही कापी राइट वाला लोगो छूट गया है , लेकिन पुस्तिका में यह भी  कहीं नहीं लिखा है कि यह सामग्री फ्री की है,और इसे कोई भी
जितना चाहे अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप सकता है या कहीं और उपयोग कर सकता है। वैसे भी जिन पुस्तकों में लिका भी हो कि सामग्री मुफ्त की है तब भी कोई व्यक्ति उसको हूबहू अध्याय का अध्याय उतारकर अपने नाम से पुस्तक छाप लेखक नहीं बन सकता , नहीं उसके आधार पर नौकरी व प्रोमोशन ले सकता है। यदि ऐसा करता है तो उसपर नकलकरने का,दूसरे की सम्पत्ति चोरी करने और यदि वह व्यक्ति लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर है तो  उसपर शैक्षणिक कदाचार,शिक्षक के चरित्र के विरूद्ध आचरण,भ्रष्टाचार,420,फोर्जरी का मुकदमा चलाया जा सकता है,नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है। जैसा कि अनिल कुमार राय के मित्र व साथ मिलकर नकल करके पुस्तक लिखने वाले डा. दीपक केम का हुआ। उन्होंने भी नकल करके पुस्तक लिखा था और उसे दिल्ली के उसी प्रेस से छपवाया ,प्रकाशित करवाया था जहां से अनिल कुमार राय ने । लेकिन राय को म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के चोरगुरू संरक्षक  कुलपति वी.एन.राय (आई.पी.एस) ने प्रोफेसर बनाकर बचाने का काम करते रहे हैं, जबकि दीपक केम को जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली के तबके कुलपति नजीब जंग (आई.ए.एस.,इस समय दिल्ली के उपराज्यपाल हैं) ने नकल व शैक्षणिक कदाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया।जिसे दिल्ली हाई कोर्ट के डबल बेंच ने भी जायज ठहराया।
इधर वर्धा के चोरगुरू की हालत तो यह हो गई है कि  पुलिस से कुलपति बने छिनाली फेम वाले विरादर विभूति नाराय राय (V.N.RAI I.P.S.) के संरक्षण में प्रोफेसर और हेड बनने के बाद चोरगुरू
अनिल कुमार राय कहने लगा है कि वह तो फ्री का मैटर है।उसे उतारकर पुस्तक
लिखा है। उसके चलते शैक्षणिक कदाचार ,सामग्री चोरी ,फोर्जरी,शैक्षणिक
भ्रष्टाचार आदि का कोई मामला नहीं बनता।अपने प्रिय चोरगुरू का संरक्षक बने
कुलपति विभूति नारायण राय भी 2009 से उसको उसी के बताये तर्क को तोते की
तरह दुहराते  हुए बचा रहे हैं।
इस चोर गुरू ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ,रीवा (म.प्र.) के पाठ्य
पुस्तिका से सामग्री चुराकर पुस्तक अपने नाम बनवा लिया है और उसका लेखक
बन गया है, जिसको 2009 और 2010 में चोरगुरू नामक टीवी सिरियल में प्रमाण
सहित  दिखाया गया था। विश्वविद्यालय के तबके कुलपति यादव का साक्षात्कार
भी लिया गया था। जिसमें उन्होंने इसकी जांच कराकर चोरगुरू अनिल कुमार राय
के विरूद्ध केस दर्ज  करवाने के लिए कहा था।विश्वविद्यालय के वकील सुशील
कुमार तिवारी ने दिनांक 31-11-2009 को चोरगुरू डा.अनिल कुमार राय  को
नोटिस भी दिया था।उसके बाद से अब तक विश्वविद्यालय के तबके और उनके बाद वाले कुलपति व कुलसचिव
ने  कुछ भी नहीं किया है।  कुलपति ने उस समय पत्रकार संजय देव से चोरगुरू
अनिल कुमार राय की लिखी पुस्तक संचार के सात सोपान प्रमाण के तौर पर ली
थी। बताया जाता  है कि वह पुस्तक और संबंधित दो फाइल कुलसचिव के कार्यालय
से गायब हो गई है। संजय देव ने राज्यपाल,उच्च शिक्षा मंत्री,कुलपति को दिनांक 4 मार्च 2013 को दो पेज का पत्र और उसके साथ 3 पेज वकील तिवारी का पत्र भेजकर मामले की  जांच व कार्रवाई करने की मांग की है।लोकसभा सांसद राजेन्द्रसिंह राणा ने  दिनांक 29-01-13 को और सांसद देवराज सिंह पटेल ने दिनांक 10-01-13 को राज्य पाल,उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति को पत्र लिखकर इस मामले की जल्दी से जल्दी जांच
कराने की मांग की है । यदि जांच हो गई है तो उसकी रिपोर्ट देने को कहा है ।।लेकिन कुलपति और कुलसचिव महोदय उसपर कुंडली मारे बैठे हुए हैं, और यह करके चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचा रहे हैं।
यह खबर स्टार समाचार, सतना , 19-09-2013 को पृष्ठ 8 पर छपी है । शीर्षक है - कुलपति,कुलसचिव बचा रहे हैं नकलची को http://216.15.194.91/epapermain.aspx
इसके अलावा अन्य कई समाचार पत्रों में भी छपी है।


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