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उ.प्र. के राज्यपाल राम नाईक जी ! सभी प्रोफेसरों
,कुलपतियों आदि की सेवानिवृति उम्र 58 करें,ताकि बेरोजगारों को नौकरी मिले ।
राज्य के सभी
प्रोफेसरों, रीडरों, लेक्चररों के शोध पत्र, पीएचडी,डिलिट थिसिस, पुस्तकों की जांच
करायें , जो नकल करके लिखे हों उनको बर्खास्त करें,जेल भेजवायें। जो नेट का फर्जी
प्रमाण पत्र लगाकर महाविद्यालयों ,विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहें हैं,उनकी जांच
कराकर जेल भेजवाइये।इसके बारे में काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के कुलपति और वीर
बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. के कुलपतियों से पूछें कि वहां कैसे चोरगुरूओं को
बचाया,क्लिनचीट और प्रमोशन दिलवाया गया। विद्यापीठ में कैसे चोरगुरू से सौदा कर लिया
गया।कैसे काशी विद्यापीठ के तथाकथित जातिवादी व राजनीतिक चोला बदलने में माहिर जुगाड़ी कुलपति ने अपने प्रोफेसर चोरगुरू को सेवानिवृत हो जाने दिया।
किसी को उदाहरण चाहिए तो
देखे कि कैसे चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि 58 साल में सेवानिवृत
होंगे कर्मचारी।
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58 साल
में ही रिटायर होंगे कर्मचारी
Jan 21, 2015, 06.30AM IST
http://navbharattimes.indiatimes.com/state/punjab-and-haryana/chandigarh/employees-will-retire-in-58-years/articleshow/45956923.cms
प्रमुख संवाददाता,
चंडीगढ़हरियाणा के सरकारी कर्मचारी 58 साल की उम्र में ही रिटायर होंगे। हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने संबंधी कर्मचारियों की याचिका को खारिज कर दिया। यह कर्मचारी वर्ग के लिए एक बड़ा झटका है। रिटायरमेंट एज को बीजेपी सरकार ने 60 से घटाकर 58 कर दिया था। 60 साल में रिटायरमेंट करने का फैसला पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकार ने अपने शासनकाल के अंतिम दिनों में लिया था।
कर्मचारियों ने कुछ समय पहले मौजूदा बीजेपी सरकार के रिटायरमेंट एज घटाने संबंधी फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन कर्मचारियों को पूर्ववर्ती सरकार ने शासनकाल के अंतिम दिनों में रिटायरमेंट एज बढ़ाकर एक बड़ा तोहफा दिया था। कर्मचारी खुश थे लेकिन मौजूदा सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के तमाम फैसलों की समीक्षा करने का हवाला देते हुए पूर्व सरकार के फैसले को पलट दिया था।
अदालत पहुंचे कर्मचारियों ने अपनी याचिका में इस बात को आधार बनाया था कि बीजेपी सरकार ने राजनीतिक कारणों से रिटायरमेंट एज घटाई है। इनका यह भी कहना था कि आईएएस, ज्यूडिशरी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल है तो इसी को आधार बनाकर पूर्व सरकार ने रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़ाकर 60 की थी। इस कर्मचारियों का एक आधार यह भी था कि रिटायरमेंट की उम्र को घटाने वाली खट्टर कैबिनेट में सदस्यों की संख्या कम होने के कारण यह असंवैधानिक है। इस तरह रिटायरमेंट की उम्र को घटाने का फैसला भी पूरी तरह गलत है।
दूसरी ओर मनोहर लाल खट्टर सरकार ने अपने फैसले को पूरी तरह कानून सम्मत करार देते हुए इसे वाजिब करार दिया था। कर्मचारियों को अदालत से मामले में न्याय मिलने की आस थी। सबसे ज्यादा दिलचस्पी उन कर्मचारियों को लगी रही जो आने वाले समय में रिटायर होने वाले हैं।
पिछली सरकार पर सवाल खड़े
हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट एज घटाने के मौजूदा सरकार के फैसले को जायज ठहराते हुए पूर्ववर्ती सरकार के समय लिए गए फैसले पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट का मानना था कि राज्य में चुनाव होने वाले थे और आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू होने वाली थी। ऐसे में तत्कालीन सरकार द्वारा रिटायरमेंट एज पर फैसला लेने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक विशेष वर्ग का वोट हासिल करने के लिए किया गया था। अदालत का यह भी मानना था कि पूर्व सरकार ने इस बारे में केवल दिशा निर्देश दिए थे और उन्हें विधायी नहीं माना जा सकता। ऐसे में कर्मचारियों को 60 साल की रिटायरमेंट एज बढ़ाने का अधिकार ही नहीं बनता था।