Thursday, April 7, 2011

चोरगुरू अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने की तैयारी किया चोरगुरू संरक्षक कुलपति अवध राम


यही हैं गुरू अनिल कुमार उपाध्याय
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति प्रो.अवध राम को पत्रकारिता विभाग के रीडर हेड , डा. अनिल कुमार उपाध्याय के खिलाफ , प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह की पुस्तक से नकल करके डी.लिट.की थिसिस लिखने और बाद में उसे पुस्तक के रूप में छपवाने की प्रमाण सहित लिखित शिकायत दी गई है। लेकिन इस चोरगुरू संरक्षक कुलपति ने उसकी तय समय में ठीक से जांच कराने के बजाये, चोरगुरू डा. अनिल कुमार उपाध्याय को 09अप्रैल 2011 को प्रोफेसर बनाने की तैयारी कर लिया है। अवध राम का कुलपति पद पर कार्यकाल 14 जुलाई 2011 को पूरा हो रहा है। उसके पहले यह चोरगुरू संरक्षक कुलपति अपने चहेते चोरगुरू डा.अनिल उपाध्याय को उसी तरह बचाता रहा है जैसे म.गां.अं.हि.वि.वि.वर्धा का छिनाली फेम पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय अपने सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय अंकित उर्फ अनिल के.राय अंकित को,वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि.,जौनपुर के चोरगुरू संरक्षक पूर्वकुलपति आर.सी.सारस्वत (सारस्वत 22 नवम्बर 10 को सेवानिवृत हुए ) वि.वि. के अपने चार चहेते चोरगुरूओं को,उनकी लिखी किताबों को छापने व सप्लाई करने वाले को, अवधेश प्रताप वि.वि. रीवा के चोरगुरू संरक्षक कुलपति यादव अपने चहेते एक एक प्रोफेसर चोरगुरू को बचाते रहे हैं।

चोरगुरू संरक्षक कुलपति अवध राम की चोरगुरू अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने की तैयारी की खबर जनसत्ता अखबार के लखनऊ संस्करण में 7 अप्रैल 2011 को छपी है -


नकल करने वाले को प्रोफेसर बनाने की तैयारी!

काशी विद्यापीठ में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से दखल देने की अपील

-आशुतोष सिंह

लखनऊ, 6 अप्रैल। एक विश्वविद्यालय और पत्रकारिता के दो संस्थान। एक संस्थान का अध्यक्ष दूसरे संस्थान के अध्यक्ष की किताब की नकल करके नई किताब लिख देता है। मामला उजागर होने के बाद नकल करने वाले को कोई सजा देने के बजाए उसे तरक्की देने की कवायद शुरु हो चुकी है। आज इस मुददे को लेकर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी और मुख्यमंत्री मायावती से दखल देने की मांग की गई। यह मामला है वाराणसी के काशी विद्यापीठ का। जिसमें महामना मदन मोहन मालवीय संस्थान के निदेशक प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह ने काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता विभाग के रीडर अनिल कुमार उपाध्याय पर अपनी पुस्तक संचार माध्यमों का प्रभाव की सामग्री को चोरी कर अपनी पुस्तक प्रकाशित करने का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच पड़ताल लंबित है। इस बीच आरोपी शिक्षक अनिल कुमार उपाध्याय को रीडर से प्रोफेसर बनाने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।

दूसरे की पुस्तक की सामग्री को लेकर अपने नाम से प्रकाशित कराने के आरोपों से घिरे काशी विद्यापीठ के रीडर अनिल कुमार उपाध्याय की तरक्की रोकने के लिए आज उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री मायावती से अपील की गई। यह अपील संपूर्ण परिवर्तन जनसंगठन के मुखिया कैलाश गोदुका ने की। गोदुका कई वर्षो से आमजन से जुड़े लोगों का सवाल उठाते रहे हैं और एक दौर में आरटीआई विशेषज्ञ अरविंद केजरीवाल उनके साथ काम कर चुके है। गोदुके ने आज जो ज्ञापन भेजा है उसमें कहा गया है कि डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय का प्रमोशन रोका जाए क्योंकि उन्होने दूसरे की पुस्तक से सामग्री चोरी कर अपनी पुस्तक प्रकाशित की है।

गोदुका ने अपने ज्ञापन में आगे कहा कि प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह, महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान में प्रोफेसर, निदेशक के पद पर कार्यरत है। प्रोफेसर सिंह की पुस्तक ‘‘संचार माध्यमों का प्रभाव’’ का प्रकाशन, नई दिल्ली से वर्ष 1993 में हुआ है जिसका कापीराइट प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह के पास है। जबकि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता विभाग में रीडर पद पर कार्यरत डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय वाराणसी की पुस्तक ‘‘पत्रकारिता एवं विकास संचार’’ प्रथम संस्करण वर्ष 2000-2001, में प्रकाशित हुआ।

प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह का आरोप है कि डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय ने प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह की पुस्तक संचार माध्यमों का प्रभावमें प्रकाशित सामग्री को चोरी करके अपनी पुस्तक पत्रकारिता एवं विकास संचारमें हूबहू प्रकाशित कर लिया।

संचार माध्यमों का प्रभावके सबसे महत्वपूर्ण भाग अध्याय 2 के पृष्ठ 70 से 74 व पृष्ठ 97 से 100 पर छपी सामग्री और पृष्ठ 73, 78 एवं 100 पर मुद्रित चार माडल जो प्रोफेसर सिंह ने विकसित किए थे धोखे से ज्यों का त्यों चुराकर अपनी पुस्तक पत्रकारिता एवं विकास संचारके प्रथम संस्करण के क्रमशः पृष्ठ संख्या 66 से 69 व पृष्ठ संख्या 103 से 105 तक प्रकाशित कराया है।

गोदुका ने अपने ज्ञापन में कहा है कि डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय ने अपनी डीलिट में भी चोरी कर संदर्भ लिखे है क्योंकि डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की पुस्तक ‘‘पत्रकारिता एवं विकास संचार’’ डी.लिट की ही थ्रीसिस का प्रकाशन है। यह मामला पहले भी कई बार राज्यपाल एवं कुलाधिपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के सामने पेश किया जा चुका है और इस पर जांच लंबित है।

ज्ञापन में राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि चोरी कर पुस्तक लिखने वाले डाक्टर अनिल कुमार उपाध्याय को इस प्रकरण के निस्तारण तक कोई प्रमोशन न दिया जाए।गोदुका ने इस मामले में जनसत्ता से कहा- सवाल यह है कि जब एक शिक्षक खुद दूसरे शिक्षक की पुस्तक की सामग्री चुरागाएगा तो वह अपने छात्रों को क्या शिक्षा देगा।