महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के पत्रकारिता विभाग के रीडर- हेड तथाकथित चोरगुरू अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोन्नति करके प्रोफेसर बनाने की तैयारी सफल नहीं हो पायी। इस विश्व विद्यालय के तथाकथित चोरगुरू संरक्षक कुलपति प्रो.अवध राम ने सप्रमाण लिखित शिकायत के बावजूद , नकलचेपी अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए साक्षात्कार की खानापूर्ति 9 अप्रैल 2011 को की जानी थी। लेकिन इस बाबत और तथाकथित चोरगुरू अनिल उपाध्याय के नकलचेपी कारनामो की सप्रमाण शिकायत राज्यपाल ,मुख्यमंत्री,यूजीसी आदि के यहां पहुंच जाने और वहां से आदेश आ जाने के बाद साक्षात्कार रद्द करना पड़ा।एक अन्य अध्यापक की पी.एच-डी. थिसिस (शोध)से पन्ना का पन्ना हूबहू उतारकर अपनी डि.लिट. थिसिस लिखने ,फिर उसे किताब के रूप में भी दो बार छपवा लेने वाले रीडर –हेड डा.अनिल कुमार उपाध्याय को 8 अप्रैल 2011 को साक्षात्कार रद्द किये जाने की पाती दे दी गयी। इसी विश्व विद्यालय के दूसरे पत्रकारिता विभाग के एक प्रोफेसर राममोहन मोहन पाठक पर भी नकल करके पी-एच.डी. थिसिस लिखने का आरोप है। चर्चा है कि विश्व विद्यालय में राममोहन पाठक को बड़ा चोरगुरू और अनिल कुमार उपाध्याय को छोटा चोरगुरू कहा जाने लगा है। दोनो ही नकलची गुरू कई दिनो से हर तरह से लगे हुए थे कि किसी भी तरह से 9 अप्रैल 11 को साक्षात्कार व प्रोमोशन हो जाय। इसके लिए जगह-जगह हाथ-पांव मार रहे थे।