sattachakra.blogspot.in , 24-06-2013 , 4.45 a.m.
यह खबर " लोकमत " , लखनऊ में 23 जून 2013 को पहले पन्ने पर छपी है।
यह खबर " लोकमत " , लखनऊ में 23 जून 2013 को पहले पन्ने पर छपी है।
नकल करके डीलिट करने
वाले अनिल उपाध्याय को काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर बनाने की तैयारी
राजभवन , यूजीसी व
कुलपति,रजिस्ट्रार के सहयोग से भ्रष्टाचारी को
बर्खास्त नहीं करके की जा रही है पदोन्नति
GOVERNOR B.L. J0SHI |
-कृष्णमोहन सिंह
VC DR. PRITHVISH NAG |
. |
REGISTRAR SAHAB LAL MAURYA |
CORRUPTGURU DR. ANIL KUMAR UPADHYAY |
सांसद हर्षवर्धन ने
इस बारे में उ.प्र. के राज्यपाल को 27 फरवरी 2010 को पत्र लिखा था – ...हमारे उच्च शिक्षा के
मंदिरों में इस तरह की अनैतिक और आपराधिक
गतिविधियों को जानकर मैं आपको यह पत्र लिखने को विवश हुआ हूं। उससे भी अधिक
दुख की बात यह है कि इन विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा इस प्रवृति को रोकने की
सशक्त कोशिश के बजाय दोषियों को बचाने की ही कोशिश होती दिखाई दे रही है।....
हर्षवर्धन ने 8
नवम्बर 2012 को उ.प्र. के राज्यपाल से सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर मुलाकात करके
उ.प्र. के कई विश्वविद्यालयों के
चोरगुरूओं के कदाचरण,शैक्षणिक कदाचार का प्रमाण देकर उनको बर्खास्त करने का
आग्रह वाला जो पत्र दिया था उसमें डा.अनिल
कुमार उपाध्याय के शैक्षणिक कदाचार,नकलचेपी कारनामे का भी प्रमाण था। जिसमें लिखा
था – ...आपसे ( राज्यपाल) आग्रह है कि जिन प्राध्यापकों पर शैक्षणिक कदाचार ,नकल करके
पुस्तकें लिखने,पीएचडी शोध प्रबंध लिखने आदि का प्रमाण सहित आरोप लगा है , उनके विरूद्ध एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित
कर उनकी पुस्तकें प्रकाशित एवं वितरित करने वालों और प्राध्यापकों के नकलचेपी कारनामे,शैक्षणिक कदाचार उजागर
करनेवालों को भी बुलाया जाय। जांच की समयावधि सुनिश्चित करके ऐसे शैक्षणिक कदाचार
करने वाले प्राध्यापकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। ज्ञातब्य हो कि एक ऐसे ही
मामले में प्रमाण सहित शिकायत के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया , दिल्ली के रीडर डा. दीपक केम को जामिया प्रशासन ने 13 जून
2011 को बर्खास्त कर दिया । दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी इस बर्खास्तगी को 10
अप्रैल 2012 को अपने फैसले में जायज ठहराया है।
हमें खेद है कि काशी
विद्यापीठ और पूर्वांचल वि.वि. में जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। तर्क दिया
जा रहा है कि जिसके पुस्तक से सामग्री
चुराया गया है वह शिकायत करे , केस, करे, न्यायालय निर्णय करेगा। यानी चोरी करके
पीएचडी शोध व पुस्तकें लिखने वालों , शैक्षणिक कदाचारियों को वि.वि. प्रशासन
लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर बनाता रहे, पदोन्नति करता रहेगा लेकिन ऐसे चोरगुरूओं व
शैक्षणिक कदाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा। इस कृत्य से विद्यार्थियों व
शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में गलत संदेश जा रहा है और अनैतिक व भ्रष्ट
प्राध्यापकों को बढ़ावा मिल रहा है।...
इसके बाद राज्यपाल
ने 30 नवम्बर 2011 को उनसभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र
भेजवाया था जिसमें शैक्षणिक कदाचारियों के विरूद्ध जांच कराने के लिए लिखा था। उस पत्र का संदर्भ देते हुए सांसद हर्षवर्धन ने
कुलपति , महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को
15 दिसम्बर 2012 को 2 पेज का पत्र लिखा था। यह कि-
.... महात्मा गांधी
काशी विद्यापीठ , वाराणसी के पत्रकारिता विभाग में रीडर डा. अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा
अपनी डीलिट थीसिस (इसी विश्वविद्यालय के एक अन्य पत्रकारिता विभाग, महामना मदन
मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान के निदेशक) में ओमप्रकाश सिंह की पीएचडी की थीसिस, “संचार
माध्यमों का प्रभाव” से काफी
सामग्री हूबहू उतारकर पहले डी.लिट थीसिस लिखी और बाद में उसे “पत्रकारिता
एवं विकास संचार” पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया है।
संबंधित कृत्य से शिक्षा जगत दूषित हो रहा है।
यह वास्तव में बौद्धिक समाज के बुद्धि चोर हैं। आपसे आग्रह है कि अपने स्तर से इस
मामले में प्रभावी कार्रवाई करें।
इसी तरह का पत्र सांसद राजेन्द्रसिंह राणा ने भी लगातार लिखा है। लेकिन काशी विद्यापीठ के कुलपति पृथ्वीश नाग ने एक शैक्षणिक कदाचारी, दुराचरणी प्रो. राममोहन पाठक के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं करके उसको सेवानिवृत्त हो जाने दिया। और दूसरे चोरगुरू शैक्षणिक कदाचारी , दुराचरणी डा. अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने के लिए साक्षात्कार की खानापूर्ति करा रहे हैं। 24 जून 2013 को एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक कराकर 25 या 26 तक उपाध्याय को प्रोफेसर पद का पत्र दे देंगे। अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनाये जाने की प्रक्रिया रोकने के लिए दिल्ली के वकील राजीव रंजन और अरविंद केजरीवाल के साथ परिवर्तन नामक संस्था शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने 20 जून 2013 को राज्यपाल उ.प्र.,कुलपति व कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और अध्यक्ष यूजीसी को शिकायती पत्र ई-मेल किया , उनके कार्यालयों में जमा कराया । इसके बावजूद इनसबके मिलिभगत से चोरगुरू व शैक्षणिक कदाचारी अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनाया जा रहा है।इससे साबित होता है कि शैक्षणिक भ्रष्टाचारियों व भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने में इन सबका सहयोग है। और राज्यपाल,यूजीसी चेयर मैन, इनके मातहत अफसरान ,केन्द्र व राज्य के शिक्षा विभाग के आला अफसर व हुक्मरान जानबूझकर ऐसा करने दे रहे हैं।
इसी तरह का पत्र सांसद राजेन्द्रसिंह राणा ने भी लगातार लिखा है। लेकिन काशी विद्यापीठ के कुलपति पृथ्वीश नाग ने एक शैक्षणिक कदाचारी, दुराचरणी प्रो. राममोहन पाठक के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं करके उसको सेवानिवृत्त हो जाने दिया। और दूसरे चोरगुरू शैक्षणिक कदाचारी , दुराचरणी डा. अनिल कुमार उपाध्याय को प्रोफेसर बनाने के लिए साक्षात्कार की खानापूर्ति करा रहे हैं। 24 जून 2013 को एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक कराकर 25 या 26 तक उपाध्याय को प्रोफेसर पद का पत्र दे देंगे। अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनाये जाने की प्रक्रिया रोकने के लिए दिल्ली के वकील राजीव रंजन और अरविंद केजरीवाल के साथ परिवर्तन नामक संस्था शुरू करने वाले कैलाश गोदुका ने 20 जून 2013 को राज्यपाल उ.प्र.,कुलपति व कुलसचिव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और अध्यक्ष यूजीसी को शिकायती पत्र ई-मेल किया , उनके कार्यालयों में जमा कराया । इसके बावजूद इनसबके मिलिभगत से चोरगुरू व शैक्षणिक कदाचारी अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनाया जा रहा है।इससे साबित होता है कि शैक्षणिक भ्रष्टाचारियों व भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने में इन सबका सहयोग है। और राज्यपाल,यूजीसी चेयर मैन, इनके मातहत अफसरान ,केन्द्र व राज्य के शिक्षा विभाग के आला अफसर व हुक्मरान जानबूझकर ऐसा करने दे रहे हैं।