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यह खयह खबर "लोकमत" लखनऊ में दिनांक 30 जून 2013 को छपी है ।
यह खयह खबर "लोकमत" लखनऊ में दिनांक 30 जून 2013 को छपी है ।
भ्रष्टाचारी गुरू – 4
चोरगुरू / भ्रष्टाचारीगुरू अनिलउपाध्याय को विद्यापीठ के नाग, साहब ने प्रोफेसर बनवाया
- दिल्ली ब्यूरो-
CHORGURU, ANIL UPADHYAY |
नईदिल्ली। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी में , नकल करके
डीलिट
थीसिस लिखने , और उस पर डीलिट की उपाधि( काशी विद्यापीठ से) पाने
,कटपेस्ट करके अपने नाम से किताब लिखने वाले डा. अनिल कुमार उपाध्याय को
प्रोफेसर बनाने के लिए 23 जून 2013 को साक्षात्कार कराया गया, 26 जून
2013 को एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक करके उनको प्रोफेसर पद पर चयन करने
की मंजूरी दी गई। और 26 जून को ही प्रोफेसर पद पर ज्वाइन करा दिया गया।
उनका बायोडाटा व प्रोफेसर बनाये जाने वाला दस्तावेज विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग , नई दिल्ली को मंजूरी के लिए भेज दिया गया। मालूम हो कि डा. अनिल
कुमार उपाध्याय के नकल करके डीलिट थीसिस लिखने ,किताब लिखने,उसके आधार पर
रीडर बनने , प्रोफेसर बनने के शैक्षणिक कदाचार , दुराचरण,भ्रष्टाचार के
थीसिस लिखने , और उस पर डीलिट की उपाधि( काशी विद्यापीठ से) पाने
,कटपेस्ट करके अपने नाम से किताब लिखने वाले डा. अनिल कुमार उपाध्याय को
प्रोफेसर बनाने के लिए 23 जून 2013 को साक्षात्कार कराया गया, 26 जून
2013 को एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक करके उनको प्रोफेसर पद पर चयन करने
की मंजूरी दी गई। और 26 जून को ही प्रोफेसर पद पर ज्वाइन करा दिया गया।
उनका बायोडाटा व प्रोफेसर बनाये जाने वाला दस्तावेज विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग , नई दिल्ली को मंजूरी के लिए भेज दिया गया। मालूम हो कि डा. अनिल
कुमार उपाध्याय के नकल करके डीलिट थीसिस लिखने ,किताब लिखने,उसके आधार पर
रीडर बनने , प्रोफेसर बनने के शैक्षणिक कदाचार , दुराचरण,भ्रष्टाचार के
SAHABLAL MAURYA |
कर्मो के सप्रमाण शिकायत के बाद 2011 में यूजीसी ने उनका प्रोफेसर पद का
साक्षात्कार स्थगित करा दिया था। अपना आव्जर्वर नहीं भेजा था।चर्चा है कि
इसबार भी आव्जर्वर नहीं भेजा था। उसके बावजूद काशी विद्यापीठ के कुलपति
डा. पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्या ने जिस तरह अति तेजी से डा.
अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनवाया है और मंजूरी के लिए यूजीसी को फाइल
भेजी है उससे भ्रष्टाचारी को लाभ पहुंचाने में इनके सक्रिय सहयोग का
संकेत मिलता है। इसके पीछे कुछ न कुछ तर्क गढ़कर , कुछ सतही कागज को आधार
बनाने की कोशिश की जाने की आशंका है। कुलपति डा. पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्या द्वारा अपने किये धतकर्मों को जायज ठहराने के लिए राज्यपाल या यूजीसी को कुछ न कुछ दस्तावेज भेजा ही होगा। जिसका खुलासा हो ही जायेगा।
साक्षात्कार स्थगित करा दिया था। अपना आव्जर्वर नहीं भेजा था।चर्चा है कि
इसबार भी आव्जर्वर नहीं भेजा था। उसके बावजूद काशी विद्यापीठ के कुलपति
डा. पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्या ने जिस तरह अति तेजी से डा.
अनिल उपाध्याय को प्रोफेसर बनवाया है और मंजूरी के लिए यूजीसी को फाइल
भेजी है उससे भ्रष्टाचारी को लाभ पहुंचाने में इनके सक्रिय सहयोग का
संकेत मिलता है। इसके पीछे कुछ न कुछ तर्क गढ़कर , कुछ सतही कागज को आधार
बनाने की कोशिश की जाने की आशंका है। कुलपति डा. पृथ्वीश नाग और कुलसचिव साहब लाल मौर्या द्वारा अपने किये धतकर्मों को जायज ठहराने के लिए राज्यपाल या यूजीसी को कुछ न कुछ दस्तावेज भेजा ही होगा। जिसका खुलासा हो ही जायेगा।
PRITHVISH NAG |
B.L.JOSHI |