Thursday, May 20, 2010

पुलिसिया कुलपति विभूति राय के खिलाफ अनुसूचित जाति आयोग में मामला

-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के तथाकथित सेकुलर जातिवादी महाजुगाड़ी पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय उर्फ वी.एन. राय(VIBHUTI NARAYAN RAI) के खिलाफ प्रोफेसर लेले कारूण्यकारा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली में शिकायत किया है। जिसमें विभूति नारायण राय पर दलित लेले को तरह – तरह से प्रताड़ित करने आदि का आरोप लगाया गया है। कहा जाता है कि दारू मांस सब भक्षण करने वाले विभूति नारायण राय अपने तथाकथित जनवादी चोले के पी.आर. वाले सम्पर्को से जुगाड़ लगाकर महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा में महात्मा गांधी के नाम पर बने विश्वविद्यालय में कुलपति हो गये। और उसके बाद यहां अपनी पुलिसिया मनमानी शुरू कर दिये हैं। दलित लेले को उन्होने तीन नोटिस दिया । जब मामला तूल पकड़ा और विभूति का असली चेहरा सामने आने लगा तो चतुर विभूति ने फेस सेविंग के लिए रांची वि.वि. के एक पूर्व कुलपति जो आदिवासी हैं, को वर्धा में भाषण देने आदि के बहाने आमंत्रित कर लिया। कुछ तथाकथित दलित लेखकों को सेमिनार आदि के बहाने बुलाकर लेले मामले में अपनी तरफदारी में माहौल बनाने की कोशिश किये। विभूति नारायण राय का यह पुराना पुलिसिया साम सम्पर्की तरीका है। कुछ तथाकथित दलित लेखकों ने विभूति सेवा से प्रसन्न हो अहो विभूति गान करने भी लगे ,पर ज्यादे दिन तक नहीं गा पाये। क्योंकि मामला जब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में गया है और विभूति का तथाकथित नकलची अनिल राय ,तथाकथित साहित्यिक भट्ट अजित राय आदि रायवादी व थानेदारी वाला असली चेहरा सबके सामने आने लगा है।