चोरगुरू संरक्षक पुलिसिया कुलपति का एक और कारनामा
-सत्ताचक्र गपशप-
एक भयंकर जुगाड़ी,तथाकथित स्वलाभी जनपुलिसवादी स्वयंभू साहित्यकार पुलिसवाला, लालीपार्टिया जुगाड़ से एक विश्वविद्यालय का कुलपति बना। कुलपति बनने के बाद उसने एक भयंकर शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोर को प्रोफेसर नियुक्त कराया।और उसके बाद उसको इस तरह बचाने लगा जैसे कोई दरोगा अपनी सौन्दर्य रस,पदार्थ रस,चढ़ावा रस से लगायत हरचाहत पूरा करने वाले चहेते चोर को बचाता है।और नौकरी से बर्खास्त होने तक बचाता है।चोर की एक से बढ़कर एक चोरी के बारे प्रमाण बताकर उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहने पर पुलिसवाला जो कुछ कहता है उसका लब्बोलुआब होता है- लागी नाही छूटे रामा , चाहे जिया जाय। यही नहीं उनलोगो पर पुलिसिया अकड़ दिखाने की कोशिश करने लगता है जो लोग चोर को बचाने की उस पुलिसवाले के धतकरम के बारे में कुछ कहते हैं।
वीरेन्द्र सेंगर , आप भी संघियों का साथ देने लगे....:
ऐसे ही एक पुलिसिया कुलपति के तथाकथित धतकरमों और शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर को हरतरह से बचा, बढ़ा रहे कारनामो के खिलाफ दिल्ली के प्रगति मैदान में बीते माह लगे पुस्तक मेले में हस्ताक्षर अभियान चल रहा था। कुछ लोगो ने वरिष्ठ पत्रकार वीरेंन्द्र सेंगर से भी हस्ताक्षर करने के लिए आग्रह किया। वीरेन्द्र सेंगर ने हस्ताक्षर कराने वालो से पूरा विवरण पूछा कि मामला क्या है। पूरी बात जानने के बाद उन्होने उस पर हस्ताक्षर कर दिया।उनके साथी एक और वरिष्ठ पत्रकार ने भी हस्ताक्षर कर दिया। सूत्रो के मुताबिक इसकी सूचना मिलने पर उस महाजुगाड़ी, शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर प्रेमी पुलिसिया कुलपति ने वीरेन्द्र सेंगर को फोन किया। कहा- वीरेन्द्र जी, आप भी संघियों का साथ देने लगे । उनके कहे में आकर मेरे खिलाफ हस्ताक्षर कर दिया।
वीरेन्द्र सेंगर ने पूछा- आप किस संघी की बात कर रहे हैं, किस संघी के कहने पर मैंने हस्ताक्षर किया ?
पुलिसिया कुलपति ने कहा- राहुल देव .......।
इस पर वीरेन्द्र सेंगर ने जबाब दिया- जो लोग हस्ताक्षर करा रहे थे उसमें कोई भी संघ का कार्यकर्ता नहीं था। जो लोग भी हस्ताक्षर करा रहे थे वे जिस मुद्दे पर हस्ताक्षर करा रहे थे वह जायज था ,इसलिए मैंने उस पर हस्ताक्षर किया। रही बात राहुल देव की तो इससे राहुल देव का क्या लेना-देना है, वह तो हस्ताक्षर करा नहीं रहे थे?
पुलसिया कुलपति ने कहा- राहुल देव ने CNEB चैनल पर दिखाया ....................।
वीरेन्द्र सेंगर- राहुल देव ने CNEB न्यूज चैनल पर “चोरगुरू” कार्यक्रम में जो कुछ भी दिखाया है , दिखा रहे हैं उसे आप देखे हैं। उसमें जो कुछ भी दिखाया जा रहा है सब सप्रमाण दिखाया जा रहा है। आप पहले उसे देखिये । बिना देखे कुछ भी मत कहिए।आप जिस मैटर चोर को लाकर प्रोफेसर बनवाये हैं और बचाव कर रहे हैं उसके शैक्षणिक कदाचार के बारे में चैनल ने सप्रमाण दिखाया है, कई जगह छपा है। आपने अब तक उसकी जांच खुद क्यों नहीं की। आप तो बड़े पुलिस अफसर रहे हैं ।
पुलिसिया कुलपति- उससे पूछा था । उसने बताया कि इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध सामग्री को उतारकर किताबें लिखी है।
वीरेन्द्र सेंगर- उसने (शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोर) आपको बताया कि इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध मैटर को उतारकर किताबें लिखा है और आपने मान लिया। आप तो पुलिस में बड़े ओहदे पर रहे हैं, आप उसके कहे को ही सबकुछ मान करके अब तक उसका बचाव कर रहे हैं। इससे क्या संकेत जा रहा है। आपने अब तक खुद क्यों नहीं अखबारो मे छपे प्रमाण, चैनल आदि पर दिखाये प्रमाण को सामने रख कर उससे पूछा। आपने यह तो किया नहीं उल्टे लगातार उसका बचाव करते हुए, उन लोगो के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे हैं जो उस शैक्षणिक कदाचारी के कदाचार और उसको बचाने के आपके कारनामो को उजागर कर रहे हैं।देखिये, इस मुद्दे पर मैं आपके साथ नहीं हूं।
पुलिसिया कुलपति-आप मेरे मित्र हैं, मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी।
वीरेन्द्र सेंगर- मित्रता का मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी गलत काम करते रहें, मैं आपकी तरफदारी करता रहूं। वैसे तो मैं आपका मित्र हूं ही , लेकिन आपके इस तरह के कार्यों का पक्षधर नहीं हूं। पहले आपके बारे में इस तरह की बातें नहीं जानता था। अब प्रमाण देखने के बाद , इस मुद्दे पर तो आपकी तरफदारी नहीं कर सकता।