-सत्ताचक्र गपशप-
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक पत्रकार के नाम पर विश्वविद्यालय बना है। एक महाजुगाड़ी कुटिल व्यक्ति राजनीतिको की चारण वंदना करके उस वि.वि. का कुलपति बना है। कहा जाता है कि जो मात्र एम.ए.किया है और वह भी 54 प्रतिशत से कम अंक से। वह शैक्षणिक कदाचारी चोरगुरूओं और उनके चेलो की जमात को प्रश्रय देने लगा है। काशी के एक राज्य वि.वि. के एक तथाकथित शैक्षणिक कदाचारी छोटे चोरगुरू को उसने एक सेमिनार व वाइवा में बुलवाया था। उसी वि.वि. के एक बड़े चोर गुरू को वह 19 मार्च 2010 को होनेवाली वि.वि.की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में बुलाया है । बड़ा चोर गुरू इस वि.वि. के एकेडमिक काउंसिल का सदस्य है। यह कुटिल कुलपति शैक्षणिक कदाचारी बड़े चोरगुरू के कदाचार के सारे कारनामे अच्छी तरह जान गया है।उसके बावजूद उसे बुला रहा है. उसको एकेडमिक काउंसिल से निकालने की कार्रवाई नहीं कर रहा है। ऐसे कदाचारियों के प्रश्रयदाता भ्रष्टाचार के आरोपी कुटिल कुलपतियो से किस शिक्षा की उम्मीद कीजिएगा। कहा जाता है कि इस भ्रष्टाचार के आरोपी कुटिल कुलपति को, पहले जब वह हरियाणा के विश्वविद्यालयों में था तो काशी के वि.वि. के चोरगुरूवे अपने यहां बुलाते थे और यह अपने यहां उन्हे बुलाता था। सो इन तथाकथित शैक्षणिक कदाचारियों की पहले से ही यारी है। सब मौसेरे भाई पत्रकारिता शिक्षा की ऐसी की तैसी कर रहे हैं। अब देखिए 19मार्च को बड़ा चोरगुरू एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पहुंचता है या नहीं। छोटा चोर गुरू भी रायपुर में एक भाजपा नेता के नाम पर बने पत्रकारिता वि.वि. में एकेडमिक काउंसिल का सदस्य है।उसको वहां सदस्य एक भ्रष्ट नौकरशाह से कुलपति बने कदाचारी ने बनाया है। जिसका टर्म 17 मार्च 2010 को पुरा हो गया है लेकिन राज्य भाजपा नेताओं की आरती कर एक टर्म और के जुगाड़ में है।उसने एक और भयंकर शैक्षणिक कदाचारी मैटरचोर को वि.वि. में रीडर हेड बनाया था । जो महाराष्ट्र में एक अनैतिक, सुरा, सुंदरा,सुंदरी लस्टी कुलपति के दिल में बैठ प्रोफेसर – हेड बन गया है।