-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय , दामोदर कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर 12वीं में 70 प्रतिशत व उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रो को ही आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने देने का नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। यदि यह हुआ तो 12वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले आईआईटी / इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं ।इससे गांवों व गरीब परिवार के छात्र सबसे ज्यादे प्रभावित होंगे। क्योंकि गांवों में तमाम अभावों के बीच बच्चे मेहनत करके पढ़ते हैं। किसी तरह से 60 – 65 प्रतिशत तक अंक ला पाते हैं । उ.प्र. , बिहार व अन्य कई राज्यों की बोर्ड परीक्षा व सिलेबस इतनी कठिन हैं कि छात्रों को अधिक अंक लाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इन बोर्डों से पास हुए 12 वीं के छात्रों को सीबीएससी से पास हुए छात्रों के अंक की बराबरी में लाना नाइंसाफी होगी। उ.प्र.व अन्य राज्यों के बोर्ड से सीबीएससी सिलेबस व परीक्षा बहुत आसान होती हैं। जिसके चलते सीबीएससी वाले छात्र अधिक अंक लाते हैं। ऐसे में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए 12 वीं में 70 प्रतिशत अंक का बैरियर लगा देने पर उ.प्र.,बिहार.पश्चिम बंगाल, राजस्थान, म.प्र.,उड़ीसा आदि राज्यों के गरीब छात्र आईआईटी में प्रवेश नहीं ले पायेंगे। दामोदर कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आईआईटी में एडमिशन सिर्फ इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर ही नहीं, बल्कि 12वीं के मार्क्स के आधार पर भी हो सकता है। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए बने पैनल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सिफारिश की कि आईआईटी में प्रवेश के लिए 12वीं के अंकों का 70 परसेंट वेटेज होगा और बाकी के 30 प्रतिशत अंकों के लिए पहले की तरह कॉमन इंट्रेंस टेस्ट होगा। इस 30 प्रतिशत मार्क्स के लिए छात्रों को ज्वाइंट इंट्रेंस टेस्ट देना होगा। ये टेस्ट साल में कभी भी लिया जा सकता है।हर साल जून में 12वीं के अंकों और इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर कट ऑफ लिस्ट बनेगी। इस लिस्ट के टॉप 40 हजार छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए एक और टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर आईआईटी में प्रवेश होगा। इस समय आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 4 लाख से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं।
सूत्रो के मुताबिक मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों का तर्क है कि आईआईटी के लिए कोचिंग के बढ़ते धंधे पर रोक लगाने के लिए यह पद्धति अपनाई जायेगी। जबकि कई शिक्षाविदों व तमाम सांसदों का कहना है कि इससे तो गरीब परिवार व गांवों के बच्चे आईआईटी प्रवेश परीक्षा दे ही नहीं पायेंगे। यह तो नियम इलीट परीवार, धनी परीवार के बच्चो के लिए लाभदायक होगा। गांवो व गरीब परिवार के बहुत से छात्र हैं जो 12 वीं में 55 से 65 प्रतिशत अंक पाये थे और आईआईटी व अन्य इंजिनियरिंग परीक्षाओं में पास हुए। दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू हो गई तो ऐसे छात्र तो इंनियरिंग की पढ़ाई ही नहीं कर पायेंगे। और इससे तो कोचिंग क्लास का धंधा और भी फलेगा-फूलेगा। कोचिंग वाले तो 9 वीं कक्षा से ही 12 वीं में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाने व आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने योग्य बनाने का लक्ष्य रख पढाने लगेंगे। शिक्षा का जितना बाजारीकरण हो रहा है कोचिंग का उतना ही मांग बढ़ रहा है, वह घटने वाला नहीं है। इसलिए उसके रोकने के नाम पर दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की योजना बनाना गांव व गरीब परिवार के छात्रो का हक मारना, उनके भविष्य से खेलवाड़ करना होगा।
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय , दामोदर कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर 12वीं में 70 प्रतिशत व उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रो को ही आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने देने का नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। यदि यह हुआ तो 12वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले आईआईटी / इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं ।इससे गांवों व गरीब परिवार के छात्र सबसे ज्यादे प्रभावित होंगे। क्योंकि गांवों में तमाम अभावों के बीच बच्चे मेहनत करके पढ़ते हैं। किसी तरह से 60 – 65 प्रतिशत तक अंक ला पाते हैं । उ.प्र. , बिहार व अन्य कई राज्यों की बोर्ड परीक्षा व सिलेबस इतनी कठिन हैं कि छात्रों को अधिक अंक लाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इन बोर्डों से पास हुए 12 वीं के छात्रों को सीबीएससी से पास हुए छात्रों के अंक की बराबरी में लाना नाइंसाफी होगी। उ.प्र.व अन्य राज्यों के बोर्ड से सीबीएससी सिलेबस व परीक्षा बहुत आसान होती हैं। जिसके चलते सीबीएससी वाले छात्र अधिक अंक लाते हैं। ऐसे में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए 12 वीं में 70 प्रतिशत अंक का बैरियर लगा देने पर उ.प्र.,बिहार.पश्चिम बंगाल, राजस्थान, म.प्र.,उड़ीसा आदि राज्यों के गरीब छात्र आईआईटी में प्रवेश नहीं ले पायेंगे। दामोदर कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आईआईटी में एडमिशन सिर्फ इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर ही नहीं, बल्कि 12वीं के मार्क्स के आधार पर भी हो सकता है। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए बने पैनल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सिफारिश की कि आईआईटी में प्रवेश के लिए 12वीं के अंकों का 70 परसेंट वेटेज होगा और बाकी के 30 प्रतिशत अंकों के लिए पहले की तरह कॉमन इंट्रेंस टेस्ट होगा। इस 30 प्रतिशत मार्क्स के लिए छात्रों को ज्वाइंट इंट्रेंस टेस्ट देना होगा। ये टेस्ट साल में कभी भी लिया जा सकता है।हर साल जून में 12वीं के अंकों और इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर कट ऑफ लिस्ट बनेगी। इस लिस्ट के टॉप 40 हजार छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए एक और टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर आईआईटी में प्रवेश होगा। इस समय आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 4 लाख से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं।
सूत्रो के मुताबिक मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों का तर्क है कि आईआईटी के लिए कोचिंग के बढ़ते धंधे पर रोक लगाने के लिए यह पद्धति अपनाई जायेगी। जबकि कई शिक्षाविदों व तमाम सांसदों का कहना है कि इससे तो गरीब परिवार व गांवों के बच्चे आईआईटी प्रवेश परीक्षा दे ही नहीं पायेंगे। यह तो नियम इलीट परीवार, धनी परीवार के बच्चो के लिए लाभदायक होगा। गांवो व गरीब परिवार के बहुत से छात्र हैं जो 12 वीं में 55 से 65 प्रतिशत अंक पाये थे और आईआईटी व अन्य इंजिनियरिंग परीक्षाओं में पास हुए। दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू हो गई तो ऐसे छात्र तो इंनियरिंग की पढ़ाई ही नहीं कर पायेंगे। और इससे तो कोचिंग क्लास का धंधा और भी फलेगा-फूलेगा। कोचिंग वाले तो 9 वीं कक्षा से ही 12 वीं में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाने व आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने योग्य बनाने का लक्ष्य रख पढाने लगेंगे। शिक्षा का जितना बाजारीकरण हो रहा है कोचिंग का उतना ही मांग बढ़ रहा है, वह घटने वाला नहीं है। इसलिए उसके रोकने के नाम पर दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की योजना बनाना गांव व गरीब परिवार के छात्रो का हक मारना, उनके भविष्य से खेलवाड़ करना होगा।