Wednesday, June 23, 2010

क्या गडकरी की कृपा से जे.एस. राजपूत बनना चाहते कुलपति ?

-सत्ताचक्रSATTACHAKRA-
जुगाड़ लगाकर न केवल अपने पद पाने बल्कि बेटी व दामाद को पद दिलवाने और सत्ता के साथ रंग बदलने की कला कोई जे.एस. राजपूत (J.S.RAJPUT) से सीखे। जब अर्जुन सिंह केन्द्रीय शिक्षा मंत्री थे तो उनकी परिक्रमा व वंदना कर जे.एस राजपूत मालदार पद पा गये। जब केन्द्र में भाजपा की सरकार आई तो वह डा. मुरली मनोहर जोशी की गणेश परिक्रमा करने लगे और सबसे बड़े भगवाई बन गये। इस दौरान एनसीईआरटी के निदेशक रहते इन्होने अपनी सगी बेटी को लाभ पहुंचाने से लगायत अन्य जो कर्म किये उसे आज भी लोग याद करते हैं। बेटी वाला मामला तुल पकड़ने लगा तो जुगाड़ लगवाकर उसको यूजीसी में मोटी पगार पर पक्की नौकरी लगवा दिया। सूत्रो के मुताबिक उसका और ग्रेड बढ़वाने के लिए तबके शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी तक से यूजीसी के अधिकारी के यहां फोन करवाया । लेकिन अधिकारी ने जब यह बताया कि उनकी जो डिग्री है उससे अधिक लाभ ,सेलरी व योग्यतावाला पद पहले ही दे दिया गया है,आप कहें तो पूरी फाइल लाकर दिखा दूं,,उसके बाद जोशी ने कहा था कि उनको तो कुछ और बताया गया है।इस तरह वाजपेयी सरकार के समय एनसीईआरटी के निदेशक रहते जे.एस. राजपूत ने खूब भगवा झंडा लहराया। भाजपा सरकार के बाद जब यूपीए-1 की सरकार बनी और अर्जुन सिंह फिर केन्द्रीय शिक्षामंत्री बने तो जे.एस राजपूत ने फिर उनके दरबार में हाजिरी लगाई। लेकिन इस बार अर्जुन सिंह को इनकी मौसम के हिसाब से रंग बदलने की काबिलियत का अच्छी तरह पता चल गया था। सो उन्होने इस बार इनको घास नहीं डाला। तो राजपूत ने अखबारों में उनके खिलाफ घुमाफिराकर लेख लिखना शुरू कर दिया। इधर एक कोई विदेशी पुरस्कार था जो जे.एस. राजपूत को मिलना था उसकी मंजूरी की फाइल शिक्षा मंत्रालय में धूल फांकती रही। इस बीच राजपूत ने अंदर-अंदर अर्जुन सिंह को प्रसन्न करने की सारी हिकमत, जुगाड़ लगा लिया लेकिन बात बनी नहीं। जब यूपीए-1 का कार्यकाल कुछ माह रह गया था तब अर्जुन सिंह के यहां जे.एस.राजपूत सपत्निक गये और सब कुछ क्लियर कर देने का आग्रह किये। राजपूत ने उनसे यह भी आग्रह किया आप यू.जी.सी.में मेम्बर बनवा दीजिए तो समझूंगा कि आपने माफ कर दिया । सूत्रो के मुताबिक अर्जुन सिंह ने पुरस्कार वाली फाइल तो क्लियर करा दी लेकिन यू.जी.सी. का मेम्बर नहीं बनवाया। यूपीए-2 में कपिल सिब्बल केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री हो गये तो जे.एस राजपूत कई माह तक उनकी प्रशंसा में लेख लिखते रहे। कई जगह से जुगाड़ लगवाए कि सिब्बल उनको कहीं कुलपति बनवा दें या उस रैंक में दिल्ली में ही कहीं निदेशक बनवा दें। लेकिन सिब्बल ने उनको तरजीह नहीं दिया तो मनमसोसकर अब फिर भाजपा नेताओं की परिक्रमा करने लगे हैं। सूत्रो के मुताबिक जे.एस.राजपूत एक वि.वि. के प्रोवाइसचांसलर के साथ 7 जून 2010 के लगभग नागपुर गये थे। वहां वह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिले। चर्चा है कि राजपूत अब गडकरी की कृपा से म.प्र.या छत्तीसगढ़ के किसी विश्वविद्यालय में कुलपति या भाजपाशासित राज्यों में किसी आयोग में मोटे मालदार पद पर तैनाती चाहते हैं।