एंडरसन भोपाल से आने के बाद दो दिन दिल्ली रहा, उसे क्यों नहीं गिरप्तार की राजीव सरकार
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।यूनियन कार्बाइड का सीईओ वारेन एंडरसन भोपाल से म.प्र. सरकार की जहाज से दिल्ली आ गया, यहां दो दिन रहा, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला , उनकी चाय पी, गृहमंत्री पी.वी.नरसिंहराव से मिला , कहा जाता है कि उसने केन्द्र सरकार के सर्वोच्च व एक अन्य वी.वी.आई.पी को भी फोन करके धन्यवाद दिया।उसके बाद अपने चार्टर हवाई जहाज से अपने देश अमेरिका चला गया। केन्द्र की राजीव गांधी सरकार ने इस दो दिन में उसको गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? यदि 7 दिसम्बर 84 को एंडरसन को म.प्र. सरकार ने अपने जहाज से दिल्ली भेजा तो केन्द्र की राजीव सरकार ने उस जहाज को दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड क्यों करने दिया ? यदि लैंड करने दिया तो उससे उतरते ही एंडरसन को गिरफ्तार क्यों नहीं कराई? उसे उसके चार्टर विमान को दिल्ली हवाई अड्डे से अमेरिका के लिए उड़ान क्यों भरने दी ? सूत्रो के मुताबिक 7 दिसम्बर 84 को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित यूनियन कार्बाइड के वाताकुनूलित गेस्ट हाउस में गिरफ्तार करके भारी पुलिस सुरक्षा घेरे में रखे गये वारेन एंडरसन को तुरंत छोड़ने और वापस सुरक्षित भेजवाने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने सीधे भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को फोन किया था।उसके बाद भोपाल के एस.पी. और डी.एम. ने उस गेस्ट हाउस में जाकर एंडरसन की जमानत पर छोड़ने की खानापूर्ति करके उसे राजाभोज हवाई अड्डे पर दिल्ली के लिए उड़ान भरने को तैयार राज्यसरकार की हवाई जहाज में बैठा दिया। वह जहाज एंडरसन को 1 घंटे 35 मिनट में दिल्ली हवाई अड्डे पर उतार दिया। जहाज से उतरने के बाद उसे बाइज्जत एअरपोर्ट अथारिटी की एम्बेस्डर कार में एअर पोर्ट के वीआईपी गेट पर लाया गया। जहां एक एम्बेस्डर कार उसका इंतजार कर रही थी। उसमें बैठकर वह अमेरिकी दूतावास द्वारा इंतजाम किये गये जगह पर चला गया। दिल्ली में वह तबके राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला,उनकी चाय पी, राजीव सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कहा जाता है कि उसने अपने देश के राष्ट्रपति के कहने पर दिल्ली के जिस वीवीआईपी ने भोपाल फोन करके उसे छोड़वाया उसको भी धन्यवाद दिया। गृहमंत्री पी.वी. नरसिंह राव से भी मुलाकात की उनकी चाय पी।इस तरह एंडरसन भोपाल से आने के बाद एक दिन दिल्ली में रूकने और यहां मदद करने वालो को धन्यवाद देने के बाद, दिल्ली हवाई अड्डेपर खड़े अपने चार्टर प्लेन से वापस अमेरिका चला गया। इस दो दिन तक राजीव गांधी की सरकार दिल्ली में उसे क्यों नहीं गिरप्तार की, क्यों उसका धन्यवाद स्वीकार करती रही ? वारेन एंडरसन को भोपाल में अर्जुन सिंह ने तो गिरप्तार करवा दिया था, केन्द्र की राजीव सरकार ने उसे क्यों छोड़वाया, क्यों दिल्ली हवाई अड्डे से उसकी जहाज उड़ने दिया? अर्जुन सिंह ने एंडरसन को भोपाल हवाई अड्डे से सीधे न्यूयार्क तो भेजवाया नहीं। एंडरसन तो भोपाल से दिल्ली ही आया, रूका फिर अमेरिका गया।क्या,भोपाल का हवाई अड्डा, दिल्ली का हवाई अड्डा और केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय भी म.प्र. की सरकार और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अधीन थे ? ये तो केन्द्र की राजीव गांधी सरकार के अधीन थे ।ऐसे में एंडरसन को दिल्ली हवाई अड्डे पर 7 दिसम्बर 84 की शाम म.प्र. सरकार के विमान से उतरते ही राजीव गांधी की सरकार ने गिरफ्तार क्यों नहीं कराया? उसके चार्टर प्लेन को जप्त क्यों नहीं कराया?उसको दिल्ली में वीवीआईपी स्वागत राजीव गांधी की सरकार के मंत्रियो आदि ने क्या अर्जुन सिंह के आदेश किया ?
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।यूनियन कार्बाइड का सीईओ वारेन एंडरसन भोपाल से म.प्र. सरकार की जहाज से दिल्ली आ गया, यहां दो दिन रहा, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला , उनकी चाय पी, गृहमंत्री पी.वी.नरसिंहराव से मिला , कहा जाता है कि उसने केन्द्र सरकार के सर्वोच्च व एक अन्य वी.वी.आई.पी को भी फोन करके धन्यवाद दिया।उसके बाद अपने चार्टर हवाई जहाज से अपने देश अमेरिका चला गया। केन्द्र की राजीव गांधी सरकार ने इस दो दिन में उसको गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? यदि 7 दिसम्बर 84 को एंडरसन को म.प्र. सरकार ने अपने जहाज से दिल्ली भेजा तो केन्द्र की राजीव सरकार ने उस जहाज को दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड क्यों करने दिया ? यदि लैंड करने दिया तो उससे उतरते ही एंडरसन को गिरफ्तार क्यों नहीं कराई? उसे उसके चार्टर विमान को दिल्ली हवाई अड्डे से अमेरिका के लिए उड़ान क्यों भरने दी ? सूत्रो के मुताबिक 7 दिसम्बर 84 को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित यूनियन कार्बाइड के वाताकुनूलित गेस्ट हाउस में गिरफ्तार करके भारी पुलिस सुरक्षा घेरे में रखे गये वारेन एंडरसन को तुरंत छोड़ने और वापस सुरक्षित भेजवाने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने सीधे भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को फोन किया था।उसके बाद भोपाल के एस.पी. और डी.एम. ने उस गेस्ट हाउस में जाकर एंडरसन की जमानत पर छोड़ने की खानापूर्ति करके उसे राजाभोज हवाई अड्डे पर दिल्ली के लिए उड़ान भरने को तैयार राज्यसरकार की हवाई जहाज में बैठा दिया। वह जहाज एंडरसन को 1 घंटे 35 मिनट में दिल्ली हवाई अड्डे पर उतार दिया। जहाज से उतरने के बाद उसे बाइज्जत एअरपोर्ट अथारिटी की एम्बेस्डर कार में एअर पोर्ट के वीआईपी गेट पर लाया गया। जहां एक एम्बेस्डर कार उसका इंतजार कर रही थी। उसमें बैठकर वह अमेरिकी दूतावास द्वारा इंतजाम किये गये जगह पर चला गया। दिल्ली में वह तबके राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से मिला,उनकी चाय पी, राजीव सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कहा जाता है कि उसने अपने देश के राष्ट्रपति के कहने पर दिल्ली के जिस वीवीआईपी ने भोपाल फोन करके उसे छोड़वाया उसको भी धन्यवाद दिया। गृहमंत्री पी.वी. नरसिंह राव से भी मुलाकात की उनकी चाय पी।इस तरह एंडरसन भोपाल से आने के बाद एक दिन दिल्ली में रूकने और यहां मदद करने वालो को धन्यवाद देने के बाद, दिल्ली हवाई अड्डेपर खड़े अपने चार्टर प्लेन से वापस अमेरिका चला गया। इस दो दिन तक राजीव गांधी की सरकार दिल्ली में उसे क्यों नहीं गिरप्तार की, क्यों उसका धन्यवाद स्वीकार करती रही ? वारेन एंडरसन को भोपाल में अर्जुन सिंह ने तो गिरप्तार करवा दिया था, केन्द्र की राजीव सरकार ने उसे क्यों छोड़वाया, क्यों दिल्ली हवाई अड्डे से उसकी जहाज उड़ने दिया? अर्जुन सिंह ने एंडरसन को भोपाल हवाई अड्डे से सीधे न्यूयार्क तो भेजवाया नहीं। एंडरसन तो भोपाल से दिल्ली ही आया, रूका फिर अमेरिका गया।क्या,भोपाल का हवाई अड्डा, दिल्ली का हवाई अड्डा और केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय भी म.प्र. की सरकार और मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अधीन थे ? ये तो केन्द्र की राजीव गांधी सरकार के अधीन थे ।ऐसे में एंडरसन को दिल्ली हवाई अड्डे पर 7 दिसम्बर 84 की शाम म.प्र. सरकार के विमान से उतरते ही राजीव गांधी की सरकार ने गिरफ्तार क्यों नहीं कराया? उसके चार्टर प्लेन को जप्त क्यों नहीं कराया?उसको दिल्ली में वीवीआईपी स्वागत राजीव गांधी की सरकार के मंत्रियो आदि ने क्या अर्जुन सिंह के आदेश किया ?