chorguru anil kumar rai ka biodata jisako mgahv wardha me professor pad par niyukti ke liye diya tha |
chorguru anil kumar rai ke biodata ka page 2, jisame diye pahala ,dusara shodh patra(research papers) hi nakal karake likha gaya hai |
Refrence me keval j. kumar ki aur unaki book ka nam nahi hai
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sattachakra.blogspot.in
27-08-2013,08.16a.m.
Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalay ke Antarrashtriya Chorguru Anil Kumar Rai ne shodh patr bhi nakal karake likha hai
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के
अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू ने बहुत से शोधपत्र भी नकल कर लिखा है
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी
विश्वविद्यालय वर्धा के अंतरराष्ट्रीय चोर गुरू अनिल कुमार राय (प्रो.(डा.)अनिल
के. राय अंकित) ने देश विदेश के विद्वानों
आदि की पुस्तकों से सामग्री हूबहू उतारकर,कट-पेस्ट करके (यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष
प्रो. यशपाल इसे नकल करना नहीं, डकैती करना कहते हैं) अंग्रेजी व हिन्दी में लगभग एक दर्जन
पुस्तकें अपने नाम छपवाकर लेखक बना ही है,
कट-पेस्ट , नकलचेपी करके शोध पत्र भी लिखा है। और उन्हे इस तरह की सामग्री छापने वाली अंग्रेजी आदि
पत्रिकाओं में छपवाया भी है । इन्हे
बायोडाटा में लगाकर ,इनके आधार पर नौकरी पाया है। अनिल कुमार राय ने महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा में प्रोफेसर पद के लिए जो बायोडाटा जमा
किया था, उसके पेज 2 ( यूजीसी ने सांसद हर्षवर्धन और सांसद राजेन्द्र सिंह राणा के
यहां इसके बायोडाटा का जो पुलिंदा भेजवाया है उसमें इस पेज के ऊपर कलम से 183 लिखा
है) पर बीच में मोटे शब्दों में शीर्षक रिसर्च पेपर्स लिखा है।इसके नीचे उन तमाम शोध पत्रों के नाम
हैं जिसे अनिल कुमार राय ने लिखा व छपवाया है। जिसमें से उदाहरण के तौर पर पहले व
दूसरे नम्बर पर ही दिये गये शोध पत्रों के, नकलकरके लिखे होने का प्रमाण यहां दिया
जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय चोर गुरू अनिल कुमार राय ने इन दोनों शोध पत्रों की
शुरूआत ही किया है लेखक - केवल जे. कुमार की पुस्तक – “मास कम्युनिकेशन इन इंडिया” प्रकाशक – जैको पब्लिशिंग हाउस,मुंबई, से
सामग्री हूबहू उतारकर । केवल जे. कुमार की यह पुस्तक कापीराइट अधिकार वाली है।
अनिल कुमार राय के बायोडाटा में दिये पहले
शोध पत्र का शीर्षक है – “परफारमेंस
इवैलुएशन आफ लीडिंग टेलीविजन न्यूज चैनेल्स”
। जो कि वाराणसी से प्रकाशित “जर्नल
आफ कम्युनिकेशन स्टडीज” के वाल्यूम 25 ,अंक 3,दिसम्बर 2007 में
छपा है।
यह शोध
पत्र “जर्नल आफ कम्युनिकेशन स्टडीज” के पेज 46 से 52 पर यानी कुल 7 पेज में
छपा है। चोरगुरू अनिल कुमार राय ने इसकी फोटो कापी वर्धा में प्रोफेसर पद के लिए
दिये बायोडाटा के आवेदन में लगाया है , जो यूजीसी के मार्फत मिले इसके बायोडाटा के
दस्तावेजों का पेज 194,195,196,197,198,199,200,201 ( यह पेज नम्बर कलम से ऊपर
दायें कोने में लिखा गया है) है ।अनिल कुमार राय ने अपने इस शोध पत्र का शुरूआती
पौने एक पेज (“जर्नल आफ कम्युनिकेशन स्टडीज” के पेज 46 का ) , केवल जे. कुमार की
पुस्तक “मास कम्युनिकेशन इन इंडिया”
के पेज 222 व 223 से(केवल जे. कुमार की पुस्तक के अलग –अलग संस्करणों में
यह पेज कुछ इधर –उधर हो सकता है) सामग्री
हूबहू उतारकर बनाया है। पेज 46 पर नकल की शुरूआत -इन इंडिया,द होटल इंडस्ट्री
.....से किया है जो कि केवल जे. कुमार की पुस्तक के पेज 222 का पहला पैरा है और.....
सब्सक्रिप्शन चैनेल्स तक हूबहू उतारा है , जो कि केवल जे.कुमार की पुस्तक के
पेज 223 की चौथी पंक्ति है। चोरगुरू ने
रिफरेंस में इस पुस्तक का नाम नहीं दिया है। और देता भी तो इतनी सामग्री नकलचेपी
करके,हूबहू उतारकर नहीं छाप सकता।
अनिल कुमार राय के बायोडाटा में दिये दूसरे
शोध पत्र का शीर्षक है- “इम्पैक्ट
आफ मास मीडिया आन एक्स्ट्रा मैरिटल एफेयर्स” । चोरीकरके लिखा गया यह तथाकथित शोध पत्र एक ओपेन कन्टेंट नेटवर्क की साइट ,”एसोसियेटेड कन्टेंट” में छपा है। जिसपर कोई भी व्यक्ति
किसी भी विषय पर किसी भी फारमेट में कन्टेंट सबमिट कर सकता है।इस तरह शोधपत्र छापने
के लिए और उसको प्रमाण के तौर पर देकर नौकरी पाने के लिए इसका महत्व नहीं है।
लेकिन शैक्षणिक कदाचारी अनिलकुमार राय ने खुद इसमें सबमिट किये या अपने ही जैसे
शैक्षणिक कदाचारी चेले से कराये, चोरी के इस तथाकथित शोधपत्र के इसमें छपने की
फोटोकापी अपने बायोडाटा में लगाया है। जो बायोडाटा में पेज 216 से 225 तक कुल 10
पेज है।इसमें पेज 217,218,219 की सामग्री , केवल जे.कुमार की पुस्तक से हूबहू
उतारी गई है।
इस शोधपत्र की शुरूआती अढाई पेज सामग्री, केवल
जे. कुमार की पुस्तक “मास कम्युनिकेशन इन इंडिया”
के सेक्शन – II ,शीर्षक –“ द मास मीडिया : हिस्ट्री,प्रैक्टिसेज एंड वैल्यूज “ पेज 41,42,43,44 से बीच – बीच में कुछ
पंक्ति छोड़कर बाकी हूबहू उतारकर बनाया है।इसकी शुरूआत किया है – इन इसेंस, द
मास मीडिया.... से , जो केवल जे. कुमार की पुस्तक के पेज 41 की पहली पंक्ति
है।यहां से लगायत लगातार दो पैरा की 18 पंक्ति , इंटरैक्टिव टेक्नालाजी , तक
हूबहू उतार लिया है। चोर गुरू अनिल कुमार राय ने यह करके अपने शोध पत्र का पूरा एक
पेज बना लिया है। केवल जे. कुमार की पुस्तक के पेज 42 का पैरा 1 के, ऐज जनरली, से लगायत 6
पंक्ति , एरिया आफ ए कंट्री , तक और पैरा 3 के , येट अनादर , से पेज
43 की पहली तीन पंक्ति , इवर- न्यू वेज , तक की सामग्री हूबहू उतारकर अपने
शोध पत्र का पूरा दूसरा पेज बनाया है। केवल जे. कुमार की पुस्तक के पेज 43 के पैरा
2 के , माडर्न मास मीडिया , से तीन लाइन , कंट्री टूडेज , तक और पेज
44 का पहला पैरा, इन रूरल से, दूसरे पैरा के अंत तक , चौथे पैरा की
शुरूआत , सिम्बालिक फंक्शन , से ,लिमिनल एक्सपीरियंस , तक की
सामग्री हूबहू उतारकर , अपने शोध पत्र का तीसरा पेज बनाया है। चोरगुरू अनिल
कुमार राय ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय , जौनपुर में लेक्चरर रहने
के दौरान इस तरह के ज्यादेतर शैक्षणिक कदाचार,नकल करके पुस्तकें ,शोधपत्र लिखने
,मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट में घोटाला करने आदि
भ्रष्टाचार,धोखाधड़ी,फरेब,चारसौबीसी,चोरी का काम किया है। जिसकी शुरूआत वहां
कुलपति रहे चोरगुरूओं के पितामह पातंजलि के सहयोग व संरक्षण में किया ।उसके बाद तो
अन्य भ्रष्टाचारी कुलपतियों के सहयोग व संरक्षण में रायपुर व वर्धा में उसका भरपूर
लाभ लेकर मालामाल हुआ है।और अपने ही जैसे शैक्षणिक कदाचारियों का लाभालाभी रैकेट बना लिया है। इसतरह अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के
अंतरराष्ट्रीय चोरगुरू ने यह सब धतकर्म,शैक्षणिक कदाचार ,फ्राड,धोखाधड़ी करने के
बाद भी, पुलिस से कुलपति बने छिनाली फेम वाले विभूति नारायण राय (v.n.rai ips) के संरक्षण , सहयोग के चलते प्रोफेसर ,डीन बना हुआ है। सूत्रों का कहना है
कि भयंकर घोटालों के आरोपी ( कैग रिपोर्ट के मुताबिक ) विभूति नारायण राय अपने और
अपने इस चहेते चोरगुरू को क्लीनचिट दिलाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। तरह-तरह
के उपक्रम कर रहे हैं।