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24-08-20013,9.20a.m.
24-08-20013,9.20a.m.
पुलिस (V.N.RAI IPS) बना कुलपति तो चोर(ANIL K. RAI ANKIT) को बनाया हेड
फिर तो जबर चोर सेंध
में गावे,क्योंकि पुलिस वाला उसे बचावे,
और अब कैग द्वारा
घोटाला आरोपों से लथपथ पुलिस वाला एक टर्म
और पाने के लिए अपने को व चोर को क्लीनचिट दिलाने का उपक्रम कर रहा है
chorguru dr.anil k. rai ankit |
नईदिल्ली। केन्द्र
की मनमोहन सरकार में अर्जुन सिंह जब मानव
संसाधन विकास मंत्री थे तो उ.प्र. में आईजी रहे विभूति नारायण राय (
वी.एन.राय,आईपीएस) ने वामपंथियों से जुगाड़ लगवाकर 29 अक्टूबर 2008 को,
महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा(महाराष्ट्र) के कुलपति बन गये। पुलिस जब कुलपति बना तो चोरगुरू
(अनिल के.राय अंकित ) को प्रोफेसर नियुक्त करके हेड बना दिया। चोरगुरू अनिल के राय
अंकित ने देशी –विदेशी विद्वानों की पुस्तकों से सामग्री हूबहू उतारकर यानी
कट-पेस्ट करके अंग्रेजी व हिन्दी में लगभग एक दर्जन पुस्तकें व शोध-पत्र लिखा है। 2009
में उसको प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने के लिए वर्धा में जब साक्षात्कार हुआ था तभी
से उसके नकलचेपी कारनामों की खबरें छपने लगीं। लेकिन छिनालीफेम ( विभूति ने एक
महिला कथाकार को छिनाली कहा था,और बेशर्मी से अपने कहे को जायज ठहरा रहे थे। लेकिन
वामपंथी महिला लेखकों और वृंदाकारंत के
कड़े विरोध और शिकायत पर तबके मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने जब विभूति
से कहा कहा कि एक घंटे के भीतर बिना शर्त लिखित मांफी मांगो नहीं तो कुलपति पद से
बर्खास्त कर दिया जायेगा, तो आईपीएस विभूति नारायण राय ने बिना शर्त लिखित माफी
मांग कर नौकरी बचाई ) वाले पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय उसको शह देते हुए
बचाते रहे। पत्रकारद्वय कृष्णमोहन सिंह और संजय देव ने 2010 के शुरू में ही
सीएनईबी न्यूज चैनल पर “चोर गुरू” नामक कार्यक्रम में
चोरगुरू अनिल के.राय अंकित के एक से बढ़कर एक नकलचेपी कारनामों को कई एपीसोड में
दिखाया था । जिसमें चोरगुरू संरक्षक कुलपति विभूति नारायण राय के करम और बयान भी
दिखाये गये थे कि किस तरह चोर गुरू अनिल के राय का बचाव कर रहे हैं। इस
कुलपति को तबसे अब तक 4 साल में अनिल के. राय के नकल करके पुस्तक आदि लिखने के कईयों ने
प्रमाण सहित पत्र लिखा । लेकिन विभूति नारायण राय उस अनिल के. राय को बचाते
रहे। जबकि डा. अनिल के.राय अंकित के साथ मिलकर नकलकरके पुस्तक लिखने वाले , दिल्ली
के एक ही मुद्रक ,प्रकाशक से छपवाने वाले डा.दीपक केम को जामिया मीलिया इस्लामिया
दिल्ली के कुलपति जंग (आईएएस) ने ( जो इस समय दिल्ली के उप राज्यपाल हैं) , केवल
एक शिकायत मिलने पर , जांच कराकर बर्खास्त कर दिया।उस समय डा. केम जामिया में रीडर
पद पर थे। उसके बाद केम दिल्ली हाई कोर्ट में गये थे। लेकिन हाई कोर्ट के सिंगल
बेंच ,फिर डबल बेंच ने बर्खास्तगी को जायज ठहराया। जंग को चोरगुरू कार्यक्रम में
दिखाई गई दीपक केम के नकल करके पुस्तक लिखने के कारनामे की सीडी भेजी गई थी। अनिल
के.राय अंकित के बारे में भी उसी तरह की
सीडी, महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा(महाराष्ट्र)
के कुलपति विभूति नारायण राय को भी भेजी
गई थी। लेकिन अपने चहेते चोरगुरू को बचाने का मन बना लिये विभूति ने जवाब दिया कि
उस सीडी में कोई आवाज नहीं आ रही है। और प्रमाण भेजने , चोरगुरू कार्यक्रम में
दिखाने के बाद कहने लगे कि वह तो (अनिल के . राय ) कह राय है कि इंटरनेट से फ्री
का, बिना कापीराइटवाला मैटर उतारकर किताब बनाई है। जांच के नाम पर लीपापोती कराने
के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के एक भ्रष्टाचार आरोपी पूर्व कुलपति
सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय जांच कमेटी भी बनाई थी।
उसजांच का क्या हुआ आज तक कुछ पता नहीं चला। तब से अब तक अनिल के.राय अंकित के
विरूद्ध प्रमाण सहित जो भी पत्र गये ,इस पुलिसिया कुलपति ने सबको दबाते हुए
चोरगुरू को बचाने का काम किया। यह सब करने और कैग द्वारा करोड़ो रूपये के घोटालों
,नियुक्तियों में भयंकर धांधली आदि के आरोपों की विभूति का 5 साल का टर्म 28
अक्टूबर 2013 को खत्म हो रहा है। लेकिन एक टर्म और पाने के लिए तरह-तरह के जुगाड़
लगा रहे हैं। राष्ट्रपति भवन से लगायत मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों व कांग्रेसी,वामपंथी
नेताओं के यहां चक्कर काट रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस दौरान वह अपनी व
चहेते चोरगुरू के क्लीनचिट का भी उपक्रम कर रहे हैं।