Friday, December 27, 2013

UGC'S DIAMOND JUBILEE, MANMOHAN JI ! WHO IS RESPONSIBLE FOR CORRUPTION IN EDUCATION

sattachakra.blogspot.in
date27-13-2013, 04-06p.m..





यूजीसी की हीरक जयंती,शिक्षा में भयंकर भ्रष्टाचार की जवाबदेही मनमोहन पर
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। 28 दिसम्बर 1953 को तबके शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का उद्घाटन किया था।28 दिसम्बर 2002 को इसके स्वर्ण जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई ने इसके प्रतीक चिन्ह ( लोगो) को बदलने की जरूरत बताई.। उन्होंने कहा कि 21वीं शदी में शिक्षा के क्षेत्र में उभरती नई चुनौतियों के मद्देनजर यूजीसी एक्ट 1956 में  बदलाव किया जाना चाहिए । यह भी सुझाव दिया कि  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का नाम बदलकर विश्वविद्यालय शिक्षा विकास आयोग  करने पर विचार किया जाना चाहिए। अब 28 दिसम्बर 2013 को विज्ञान भवन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का हीरक जयंती समारोह है। जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि होंगे, मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू सभापतित्व करेंगे और दोनों राज्य मंत्री जितिन प्रसाद व शशि थरूर इसकी शोभा बढ़ायेंगे।
 कहां मौलाना अब्दुल कलाम आजाद,अर्जुन सिंह जैसे लोग हुए शिक्षा मंत्री और कहां पल्लम राजू  जो इस्तीफा देकर भी घर से मंत्रालय चलाते हुए मंत्री बने हुए हैं । और यूजीसी । यही मनमोहन सिंह हैं जिन्होंने राजीव गांधी द्वारा चन्द्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद हाथ जोड़े चन्द्रशेखर से उनके साउथ एवेन्यू वाले आवास पर मिले थे। कहे थे-सर मेरा क्या होगा। चन्द्रशेखर ने इनसे पूछा था,क्या चाहते हैं। मनमोहन ने आग्रह किया सर मुझको यूजीसी का चेयरमैन बनवा दीजिए। और चन्द्रशेखर ने इनको यूजीसी का अध्यक्ष बनवा दिया था। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने के पहले तक मनमोहन सिंह उसपद पर रहे थे। उस मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते भारतीय उच्च शिक्षा को पूरी तरह अमेरिका व यूरोप के हवालेकरने ,उसका बाजार बनाने की कोशिश हुई है। जिसमें तबतक रोड़ा लगा रहा जबतक अर्जुन सिंह मानव संसाधन विकास मंत्री थे। 2009 के बाद तो कपिल सिब्बल,मोंटेक व मनमोहन की तिकड़ी पूरी तरह से इसे अमेरिका के हवाले करने के एजेंडे पर आगे बढ़ने लगी।सिब्बल के हटने के बाद अब तक के सबसे बौने साबित हो रहे शिक्षा मंत्री पल्लम राजू जो कर रहे हैं सबके सामने है। रही सही कसर चर्चित पत्नी ,क्रिकेट घोटाला ,सांसदों को चिकन कहने वाले शशि थरूर और  जितिन प्रसाद पूरा कर रहे हैं। इनके बाद जो रह जा रहा है उसे अपनी पत्नी को लखनऊ विश्वविद्यालय से डेपुटेशन पर लाकर दिल्ली वि.वि. में नौकरी दिलवाने वाले संयुक्त सचिव  ,केन्द्रीय विश्वविद्यालय , अनन्त कुमार सिंह पूरा कर दे रहे हैं। जिनका 7 साल का टर्म 31दिसम्बर 13 को पूरा हो रहा है ,वापस उत्तर प्रदेश जाना है,लेकिन केन्द्र में ही बने रहने के लिए तरह-तरह का जुगाड़ लगा रहे हैं । चर्चा है कि अनंत सिंह की मदद से ही , जिस कुलपति विभूति नारायण राय पर कैग ने भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है,जिसकी जांच सीवीसी करा रही है ( जिस अधिकारी को जांच दिया गया था,उसके मार्फत लीपापोती का इंतजाम हो जाने की चर्चा है),उस विभूति को सर्च कमेटी के अध्यक्ष अशोक वाजपेई के लिखित विरोध दर्ज कराने के बावजूद अगले कुलपति की नियुक्ति तक पद पर बने रहने का इंतजाम हो गया है । और वह आदमी घोटाला के आरोपो के सबूत मिटाने और एक टर्म और पाने के लिए इस पद का वि.वि.संसाधन का उपयोग कर रहा है। बीते 5 साल से कई सांसदों आदि ने विश्वविद्यालयों में नकल करके पी-एचडी,शोध पत्र,पुस्तकें लिखने,उसके आधार पर लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर बनने , नकल करके लिखी गई पुस्तकें विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में खरीदवाने ,विश्वविद्यालयों के कुलपतियों द्वारा ऐसे चोरगुरूओं को नियुक्त करने, संरक्षण देने ( उसमें आईपीएस कुलपति विभूति नारायण राय भी हैं,जो अपने चहेते भ्रष्टाचारी चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर नियुक्त कर निदेशक बना बढ़ा, बचा रहे हैं) की प्रमाण सहित शिकायत राष्ट्रपति,राज्यपाल,शिक्षामंत्री ,शिक्षा सचिव आदि को किया है। टीवी में दिखाया गया,अखबारों में छपा। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। और केवल भाषण देकर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाया जा रहा है। जब छात्र नेट में फेल हो रहे हैं तो राज्य मंत्री शशि थरूर उनको 50 प्रतिशत या उससे कम पर पास करने का दबाव बना रहे थे। जितिन प्रसाद अपने पीए को अपने पास बैठा कर अफसरों से बात करते हैं जिसके चलते कोई अफसर अन्दर की बात बता ही नहीं पाता। ये दोनों अब जो हालत किये हैं उससे सब परेशान हैं। सिब्बल ने यूजीसी में अपने विरादर एक गुप्ता को सचिव बनवाया था। जो कहता था कि डाक्टर ने उसे तनाव नहीं लेने को कहा है। वह कार्यालय में आकर कम्प्यूटर पर ताश खेलते थे । और भी मामले थे। जब शिकायत हुई तो तरह तरह का तर्क देकर इस्तीफा दे दिया । लेकिन बाद में उच्च शिक्षा सचिव अशोक ठाकुर से आग्रह करने लगे थे कि  इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाय।  गुप्ता जौनपुर में अपने रिश्तेदारी में जाते थे,पूर्वांचल विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचारी चोरगुरू प्रोफेसर रामजीलाल से सेमिनार आयोजित करा, उसमें मुख्य अतिथि बनने जैसे काम करते थे, और यात्रा भत्ता यूजीसी से लेते थे।
 विश्वविद्यालयों को फंड देने का काम काम इग्नू के मार्फत किया जाता था। केरल के पिल्लई के इग्नू का कुलपति रहते खूब धांधली हुई। जब चढ़ावा लेकर फंड देने की बहुत शिकायत आई तो अब यह काम यूजीसी को दे दिया गया है। लेकिन इसके लिए जिन 20 लोगों की कमेटी है वह पहले वाली ही है। इनको जबतक हटाकर नई कमेटी नहीं बनेगी, सुधार होने वाला नहीं है । इधर एक कमेटी बना उससे इसके लिए एक अलग स्वतंत्र संस्था खोलने की रिपोर्ट बनवा ली गई है। यानी बेहतरी के बहाने एक और शिक्षा की दुकान चलाने का इंतजाम । इन हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है मनमोहन सिंह,पल्लम राजू,शशि थरूर,जितिन प्रसाद,अशोक ठाकुर,अनंत सिंह ? आप लोग, आप लोगों के मौन या सक्रिय सहयोग से रैकेट बनाकर उच्चशिक्षा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने वाले प्रोफेसर,कुलपति,कुलसचिव,अफसर या जनता ?  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की हीरक जयंती समारोह के अवसर पर छात्रों,अभिभावकों,जनता को इसके जवाब का इंतजार है।
यह खबर  हिन्दी दैनिक,पंजाब केसरी,दिल्ली में दिनांक 26-12-2013 को व अन्य कई राज्य में कई अखबार में छपी है।                                      

Friday, December 20, 2013

M.P. KE RAJYPAL RAMNARESH YADAV KE OSD KA NAM SHIKSHA GHOTALE ME

SATTACHAKRA.BLOGSPOT.IN
DATE 20-12-2013,TIME 09-05 A.M.
starsamachar,satana/bhopal,19-12-13 page 1
मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के ओएसडी ( आफिसर आन स्पेशल ड्यूटी ) घनराज सिंह का नाम व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में आने और उनके विरूद्ध एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद राजभवन में रहने वालों ,काम करने वालों पर शक की सुई घूम गई है। एसटीएफ ने   पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मी कांत  शर्मा, उनके ओएसडीओ.पी.शुक्ला,पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी आदि  के विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज कराया है। अखबार में छपा है कि  त्रिवेदी ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि बताया शर्मा के ओएसडी शुक्ला को 7 किश्तों में 36 करोड़ रूपये पहुंचाये थे।उसने राज्यपाल  रामनरेश यादव के ओएसडी धनराज सिंह को कितने किश्तों में कितना पहुंचाया था , उसे धनराज ने किसको दिया , इसके बारे में खुलासा नहीं हुआ है।लेकिन धनराज का नाम इस कई सौ करोड़ रूपये के घोटाला में आने के बाद मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्रालय के साथ ही  राजभवन भी चर्चा में आ गया है । और उत्तर प्रदेश के आजमढ़ से लगायत राजभवन के कई लोगों के बारे में तरह-तरह की बातें होने लगी है। यादव के बेटे और एक सहयोगी के बारे में भी लोग कुछ-कुछ कहने लगे हैं।यह भी  चर्चा है कि मध्य प्रदेश में राज्य के विश्वविद्यालयों में  कुलपतियों की नियुक्तियों में भी इसी तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है। इस घोटाले के उजागर होने से , रैकेट बनाकर शिक्षा को भ्रष्टाचार का गढ़ बना देने वाले चोरगुरू/ भ्रष्टाचारी अध्यापकों,कुलसचिवों,कुलपतियों, मंत्रियों,अफसरों उनके नेताओं की धुकधुकी बढ़ गई है।  जौनपुर,वाराणसी,वर्धा,दिल्ली ,लखनऊ,भोपाल,बिलासपुर,रायपुर के ,  कदाचार /भ्रष्टाचार/घोटाले कर  मालामाल होने वाले  ऐसे चेहरों से पूछिए तो पता चलेगा।

Friday, November 29, 2013

CORRUPT GURU RAM MOHAN PATHAK KO PROF BANANE KA INTAJAM KIYE CHATURVEDI,TIWARI NE AB APANA GALA BACHANE KE LIYE SAKSHATKAR KARAYA STHAGIT

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Date 29-11-2013 , Time 02.32 P.M.
प्रमाण सहित पत्र लिखे जाने के बाद भ्रष्टाचारी गुरू पाठक को आचार्य बनायेजाने वाला साक्षात्कार स्थगित
भ्रष्टाचारीगुरू राममोहन पाठक को प्रोफेसर बनवाने के चक्कर में अपना गला फंसता देख कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी,कुलसचिव आई.डी. तिवारी ने साक्षात्कार किया स्थगित

गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) ,बिलासपुर के कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी अपने अति प्रिय मूर्तिचोर भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ,पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्त करवाने का पक्का इंतजाम करवा लिये थे। जिसके लिए 30-11-2013 को साक्षात्कार की खानापूर्ति करके भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ज्वाइन कराने की व्यवस्था हो गई थी।
लेकिन कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी द्वारा इस भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन को नियुक्ति, संरक्षण,प्रमोशन का इंतजाम करने का प्रमाण मिलने पर वकील राजीव पाण्डेय और कैलाश गोदुका ने दिनांक 25-11-2013 को राष्ट्रपति,मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी के अधिकारियों को प्रमाण सहित  पत्र लिखकर तुरंत कार्रवाई करने  की मांग की। उसके बाद यह खबर अखबार में छपी, 27 नवम्बर को सत्ताचक्र में लगी।
इस सबके चलते ऊपर से शिकंजा कसता देख अपना गला बचाने के लिए  कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी ने, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के लिए 30-11-2013 को होने वाला  साक्षात्कार , अपरिहार्य कारण के बहाने , सहायक कुलसचिव (प्रशासन) पंडित अभिदीप तिवारी के हस्ताक्षरित आदेश से 28-11-13 की शाम को स्थगित करवा दिया।इसे 29-11-2013 को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करवा दिया।
जिसमें लिखा है-  
                                    सूचना
विश्वविद्यालय के विज्ञापन दिनांक 16-10-2013 के संदर्भ में आचार्य पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग हेतु दिनांक 30-11-2013 को आयोजित होने वाले साक्षात्कार को अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया जाता है।
                                    आदेशानुसार
                                   ह.अभिदीप तिवारी
                            
                              सहायक कुलसचिव(प्रशासन)

प्रमाण देखिए -
28-11-2013 को जारी  30-11-2013 को होने वाला साक्षात्कार स्थगित करने की सूचना




lkshman chaturvedi

ram mohan pathak



20-11-2013 को जारी  30-11-2013 को प्रोफेसर पद के लिए होने वाले साक्षात्कार की सूचना,जिसमें तीसरा नाम राम मोहन का है


 प्रमाण सहित भ्रष्टाचार  के आरोपों,  उसके जांच  आदेशों  की लीपापोती कराने में किस तरह जुटे हैं राममोहन  ? कैसे उनको बचाते रहे हैं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ  के कुलपपति पंडित पृ्थ्वीश नाग और कुलसचिव  ।
 इसके बारे में  इसी में जल्दी ही -






डा.राममोहन पाठक से संबंधित अन्य खबर-





Monday, April 15, 2013

Wednesday, April 10, 2013

Prof.RamMohanPathak ke Research Project Ghotale ki janch ka adesh

Wednesday, April 3, 2013

UGC ne BHRASTACHARI GURU Prof. Ram Mohan Pathak ke ghotalon/bhrastachar ki JANCH ka diya AADESH

·  प्रो.राममोहन पाठक पर मूर्ति चोरी का आरोप ?

Wednesday, November 27, 2013

CORRUPT GURU RAM MOHAN PATHAK KO KULPATI LAKSHMAN CHATURVEDI NE GURU GHASIDAS VISHWAVIDYALAYA ME PROF NIYUKT KARANE KI KAR LI TAIYARIV.

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date27-11-2013, time 12.59 p.m.

मूर्तिचोर आरोपी भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक को कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी ने गुरू घासीदास वि.वि. में प्रोफेसर नियुक्त कराने की करली तैयारी
30-11-13 को साक्षात्कार कराकर ज्वाइन कराने की  योजना
कार्यकारी कुलसचिव आईडी तिवारी भी राममोहन को नियुक्त कराने में कर रहे सक्रिय सहयोग
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। इसे कहते हैं जानबूझकर मक्खी निगलना। और जब काशी हिन्दू विश्व विद्यालय,वाराणसी  में पढ़ाते रहे  और वाराणसी के  रहने वाले प्रो.लक्ष्मण चतुर्वेदी,बिलासपुर के गुरूघासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.)के कुलपति पद का


अपना कार्यकाल लगभग पूरा होने के पहले, वाराणसी के ही मूर्ति चोर आरोपी भ्रष्टाचारी गुरू, राममोहन पाठक को पत्रकारिता व जनसंचार विभाग में प्रोफेसर नियुक्त करें तो यह तो कहना जायज ही रहेगा। प्रो. लक्ष्मण चतुर्वेदी सच न बोलकर , अपने धतकर्म को जायज ठहराने के लिए कुछ भी कहें पर उनको अपने चहेते भ्रष्टाचारीगुरू राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार आदि के बारे में अच्छी तरह पता है । राम मोहन पाठक पर  नकल करके पी.एच-डी. करने का प्रमाण सहित आरोप लगा है काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की एक जांच कमेटी ने नाजायज तरीके से इसकी जांच में लीपापोती वाली रिपोर्ट दी तो उसके विरूद्ध  नये सिरे से जांच करके पी.एच.डी. निरस्त करने का आवेदन दिया गया है। इसके अलावा इसी राम मोहन ने  वाराणसी में ही आज अखबार समूह में  पूर्ण कालिक,रेगुलर नौकरी करते हुए फ्राड करके , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी से पूर्णकालिक ,रेगुलर एम.ए.हिन्दी,बी.जे.,पी.एच-डी. किया । उसके बाद  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी में रीडर पद पर पूर्णकालिक , रेगुलर नौकरी करते हुए , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) वाराणसी से पूर्णकालिक , रेगुलर एम.जे. का एक वर्ष का कोर्स किया। उसी दौरान वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) वाराणसी में पी.आर.ओ. के पद पर पूर्णकालिक , रेगुलर नियुक्त हो गये तो  विद्यापीठ से रीडर पद से मुक्ति ले ली। इस तरह  राम मोहन ने सुबह 10 बजे से सायं 4 या 5 बजे तक  काशी विद्यापीठ में रीडर पद पर पूर्ण कालिक,रेगुलर  काम करते हुए और उसके बाद बी.एच.यू. में पी.आर.ओ. का पद ज्वाइन करने के बाद पूर्ण कालिक , रेगुलर  काम करते हुए , कैसे सुबह 10 बजे से सायं 4 बजे तक पूर्ण कालिक ,रेगुलर मास्टर आफ जर्नालिज्म किये ? जबकि  बी.एच.यू. के नियम के अनुसार एक जगह पूर्णकालिक नौकरी करते हुए एम.जे. का पूर्ण कालिक कोर्स नहीं किया जा सकता। यह सरासर धोखाधड़ी है। इन डिग्री व आज अखबार के अनुभव के आधार पर ( रीडर पद के लिए जो आवेदन दिये थे वह इसका प्रमाण है)राममोहन पाठक ,पं. विद्यानिवास मिश्रा जब महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति थे तो उनकी   कृपा से वहां रीडर नियुक्त हो गये। और बी.एच.यू. में पी.आर.ओ. की नौकरी करने के बाद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर के लिए आवेदन दिये थे और नियुक्ति वाले फार्म भरे थे उसमें भी राममोहन ने जो लिखा है वह प्रमाण है कि धोखाधड़ी,फ्राड से लिए डिग्री , और पी.एचडी. के आधार पर इन्होंने (राम मोहन पाठक)  ये सब नौकरियां पाईं । उनके विरूद्ध केन्द्रीय  पुस्तकालय के लिए पुस्तक खरीद में घोटाले व अन्य तरह के भी घोटालों के प्रमाण सहित आरोप हैं। राम मोहन पाठक के प्रोफेसर पद से सेवा निवृत होने के पहले ,उनके विरूद्ध  प्रमाण सहित लिखित शिकायत मिलने पर यूजीसी ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को  जांच कराकर  3 माह (जून 13 तक) में  रिपोर्ट देने को कहा था।और उसकी प्रति शिकायतकर्ता को भी देने का आदेश दिया है। उनके विरूद्ध वाराणसी में मूर्ति चोरी का एफआईआर भी दर्ज है।
 बताया जाता है कि गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) ,बिलासपुर के कुलपति  लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव आई.डी तिवारी अपने अति प्रिय राममोहन के इस भ्रष्टाचार,धतकर्मों को अच्छी तरह जानते हैं उसके बाद भी ये दोनों ही मिलकर उनको प्रोफेसर पद पर नियुक्त करवा रहे हैं।और राज्य के वि.वि. महात्मागांधी काशी विद्यापीठ , वाराणसी से सेवानिवृत वाले ( वहां सेवानिवृत का वर्ष कम है । केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत होने की उम्र 65 वर्ष है) 02-04-1951 को पैदा हुए भ्रष्टाचार आरोपी डा. राममोहन पाठक को  कुलपति  लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव आई.डी तिवारी ने गुरू घासीदास वि.वि. में प्रोफेसर नियुक्त कराने का इंतजाम कर दिया है। लक्ष्मण चतुर्वेदी ने अपने इस अति प्रिय भ्रष्टाचार आरोपी को नियुक्त करने की कोशिश तो अप्रैल 13 में ही की थी , लेकिन उस समय कई कारण से इसमें सफल नहीं हो पाये थे। सो अब बाकायदे विज्ञापन निकाल कर , कागजी खानापूर्ति करके भ्रष्टाचार आरोपी को नियुक्त करने की पक्की व्यवस्था करा देना चाहते हैं। ताकि यह  कुछ वर्ष यहां भी ( 65वर्ष के होने तक) अपनी छाप छोड़ सकें। इस योजना के तहत ,  20 नवम्बर 2013 को जारी पत्रांक संख्या 3386/REC/ADMN/2013 के अनुसार प्रोफेसर पद हेतु 30-11-2013 को सुबह होने वाले साक्षात्कार के लिए तीन कंडिडेट बुलाये गये हैं । जिनके नाम हैं 1- विश्वेश्वर राव 2- ज्ञान प्रकाश पांडेय 3- डा.राम मोहन पाठक । विश्वविद्यालय में चर्चा है कि  विश्वेश्वर राव व ज्ञान प्रकाश पाण्डेय तो दिखाने के लिए मात्र डमी कंडिडेट हैं। और जो  इंटरव्यू लेने आने वाले हैं वे सब भी पहले से सेट हैं। चर्चा में एक नाम माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. भोपाल के कुलपति चर्चित कुटियाला का है । जो राममोहन की ही राशिवाले हैं , सो दोनों में मौसेरे भाई की तरह पटती है।
मालूम हो कि चतुर्वेदी का कार्यकाल पूरा होने वाला है। फरवरी 2014 में कोई दूसरे महानुभाव कुलपति बनेंगे। सो जाने के पहले चतुर्वेदी खाली पदों को भरने में जुटे हैं । जिसमें राममोहन जैसों की संख्या ज्यादा होने की संभावना जताई जाने लगी है।
 घोटाला/भ्रष्टाचार आरोपी डा.राम मोहन पाठक को प्रोफेसर नियुक्त करने के लिए कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी और कुलसचिव आईडी तिवारी द्वारा किये जा रहे उपक्रम की कुछ लोगो ने बाकायदे लिखित शिकायत इन दोनों व संबंधित मंत्रालय को की है।   प्रमाण देखें - 













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राम मोहन पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी  से सेवानिवृत होने के बाद वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि., जौनपुर के कुलपति पंडित सुन्दर लाल से भी घनिष्ठता का लाभ लेकर उनके यहां अपनी गोटी फिट करने का लगभग इंतजाम कर लिया था। लेकिन करप्ट गुरू  को  संरक्षण देने की जल्दीबाजी में पंडित सुन्दर लाल ने   मूर्ति चोर आरोपी राम मोहन पाठक को 11 सितम्बर 2013 को विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण के लिए विशिष्ट अतिथि बनाकर बुला लिया।
जिस पर राज्यपाल पंडित बी.एल. जोशी को एक वकील राजीव पाण्डेय ने प्रमाण सहित शिकायत किया तो वहां से इसकी जांच कराने का आदेश होने के बाद अपने बचाव में पंडित सुंदर लाल ने सुंदर शातिर तर्क देकर अपना गला बचाया। जिसका प्रमाण आपको जल्दी देखने को मिलेगा । उसके पहले पंडित सुंदर लाल  की करप्ट गुरू प्रोमोशन की करनी का निम्न प्रमाण देख लें - 

Wednesday, September 11, 2013


vivekanand ki murti anavaran me mutichor aaropi ram mohan pathak ko vishisht atithi banane par huya complain

Date: Wed, Sep 11, 2013 at 10:59 AM
Subject: report/representation
To: sunder_lal2@rediffmail.com, hgovup@up.nic.in, cm@ugc.ac.in
 


Please find enclosed


Report/Representation regarding invitation to Mr.

Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth, Varanasi as special guest of honour in the function of the Inauguration of Statue of Sh. Vivekananda in the Central Library of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya Jaunpur where it is notable that Mr. Ram Mohan Pathak is accused of stealing statues from a temple and FIR No. 167/10 dated 23.06.2011 u/s 379/419/506 IPC by Desar Devi W/o Sh. Lalji Mishra, Kabir Chaura, Varanasi, is registered against him in P.S. Chetganj Varanasi, and allegations of fraud/corruption and educational misconduct and corruption had been leveled against him.
--

Warm Regards,

Rajeev Ranjan Pandey
Advocate
                    
https://mail.google.com/mail/u/0/images/doc.gif

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To,                 1.Hon’ble Governer of Uttar Pradesh

                                2.Chairman University Grant Commission

 3.Vice Chancellor

                                Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya,
                                Jaunpur.
4.Registrar
                                Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya
                                Jaunpur.
Sub:- Report/Representation regarding invitation to Mr.
Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth, Varanasi as special guest of honour in the function of the Inauguration of Statue of Sh. Vivekananda in the Central Library of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalaya Jaunpur where it is notable that Mr. Ram Mohan Pathak is accused of stealing statues from a temple and FIR No. 167/10 dated 23.06.2011 u/s 379/419/506 IPC by Desar Devi W/o Sh. Lalji Mishra, Kabir Chaura, Varanasi, is registered against him in P.S. Chetganj Varanasi, and allegations of fraud/corruption and educational misconduct and corruption had been leveled against him.
Respected Sir,                                                                                                                                                                                                                             
                It is most humbly submitted that the undersigned has sent several complaints to above captioned all high dignitaries and relevant authorities against Sh. Ram Mohan Pathak, Ex-Professor Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth and Hon’ble Chairman University Grant Commission was pleased to order an enquiry against him in connection of fraud and corruption and the said enquiry is Lingering.
                Moreover Ram Mohan Pathak and his two sons are accused of stealing a statue, fraud and threatening and in this regard a complaint had been lodged at P.S. Chetganj on 23.06.2010 U/s 379/419/506 IPC by one Desar Devi W/o Late Sh. Lalji Mishra Kabirchaura, Varanasi and the case is still in progress.
                Therefore in the light of above stated facts it is very unfortunate to invite such a person as special guest of honour. Moreover inauguration of a statue by a person accused of stealing a statue is ridiculous and unnecessary “Mahimamandan” of a renowned / known accused and is that too in a university is a matter of shame for education system.
                Therefore Hon’ble Governer of Uttar Pradesh is requested to order an enquiry against Sh. Ram Mohan Pathak and seek a plausible explanation from Vice Chancellor of Veer Bahadur Singh Poorvanchal Vishwavidyalay Jaunpur.
                The Vice Chancellor of Veer Bahadur Singh poorvanchal Vishwavidyalay, Jaunpur is requested to cancel the invitation of such person and ask Mr. Ram Mohan Pathak to not to participate in function.
                The Hon,ble Chairman University Grant Commission is requested to expedite the inquiry against Mr. Ram Mohan Pathak so that he may be brought to the book.
                This is for intimation and necessary action.
Rajeev Ranjan Pandey
Advocate
202,A Arunachal
Building, Barakhamba Road,
New Delhi.
Dated : 11.09.2013
Place : Delhi
 
.......................................................................................
 और कुलपति पंडित सुंदर लाल ने मूर्तिचोर आरोपी भ्रष्टाचारी गुरू पंडित राम मोहन पाठक को विश्वविद्यालय का मंच दे प्रोमोट करने का जो उपक्रम किया था ,उसके विरूद्ध राज्यपाल पंडित बी.एल.जोशी को जो शिकायत की गई थी उसपर राजभवन से सुंदर लाल को क्या नोटिस जारी हुई थी प्रमाण देखें -


 राज्यपाल के यहां से यह पत्र आने के बाद पंडित सुंदर लाल ने अपना गला बचाने के लिए  सच्चाई को छिपा कर विनती किया -"...ये शिकायतें मेरे अथवा विश्वविद्यालय के किसी के भी संज्ञान में नहीं थी इसलिए...... "(इसका भी प्रमाण है,जो आगे जल्दी ही दिया जायेगा) । 
इस तरह अपना गला बचाने के बाद पंडित  सुंदर लाल का भ्रष्टाचार आरोपी पंडित राम मोहन पाठक प्रेम विलुप्त हुआ । और अब चाहे दिखावा के लिए ही सही, उसकी छाया से भी दूर भागने लगे हैं।

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लेकिन महातिकड़मी , जुगाड़ी, भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक केवल एक जगह के जुगाड़ पर तो निर्भर रहते नहीं है । वह वाराणसी के रहने वाले और बीएचयू में पढ़े व नौकरी किये , इस समय बिलासपुर में कुलपति पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी के यहां भी गोटी फिट करने में लगा हुआ था।जिसके चलते चतुर्वेदी ने पाठक को नियुक्त करने के लिए 30 नवम्बर को साक्षात्कार के लिए बुलाया है।
  इसके बारे में  3 अप्रैल 2013 को ही आशंका व्यक्त की गई थी कि कुलपति पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी अपने प्रिय करप्ट गुरू पंडित राम मोहन पाठक  को गुरू घासीदास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनाने का उपक्रम कर रहे हैं। 
इसका प्रमाण देखें-

Wednesday, April 3, 2013


UGC ne BHRASTACHARI GURU Prof. Ram Mohan Pathak ke ghotalon/bhrastachar ki JANCH ka diya AADESH

Corrupt Guru Protector  V.C., Prof. NAG 
Brastachari Guru Prof.Ram Mohan Pathak


यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरूओं के विरूद्ध कार्रवाई शुरू की
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रो.राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार,घोटालों की जांच कराकर रिपोर्ट 3 माह में देने का आदेश
भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन जांच को ठेंगा दिखा गुरूघासी दास केन्द्रीय वि.वि. के करीबी सजातीय कुलपति की कृपा से वहां कोई मालदार पद पाने के जुगाड़ में
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।लगभग 7-8 साल से जिस विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पर केवल पोस्ट आफिस की तरह काम करने और पुष्पम् पत्रम् व जुगाड़ से 4 लाख से रूपये अधिक वाले मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट बंदर बांट करने,प्रोजेक्ट पूरा करके जमा नहीं करने,प्रोजेक्ट में धांधली करने पर भी कुछ नहीं करने, यदि किसी ने शिकायत की तो केवल नोटिस देकर खानापूर्ति कर देने,अन्य तमाम तरह के घोटालों  और उसकी लीपापोती करने में भरपूर मदद करने का प्रमाण सहित आरोप लगता रहा है।उस यूजीसी में ही  भ्रष्टाचारी प्रोफेसरों, कुलपतियों के लाभालाभी हित वाले पहले से जमे अफसरों की अड़ंगेबाजी व व्यवधान के बावजूद अब विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार गुरूओं,चोरगुरूओं के विरूद्ध जांच व कार्रवाई की पहल शुरू हो गई है। शायद यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नये अध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश के कड़ाई के चलते हुआ हो, लेकिन शुरू तो हुआ।इसका प्रमाण है महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक के भ्रष्टाचार व घोटालों की 2 से 3 माह में जांच कराकर रिपोर्ट देने का आदेश। प्रो.राममोहन पाठक ने आज अखबार समूह में पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU),वाराणसी से रेगुलर,पूर्णकालिक बी.जे.,एम.ए.(हिन्दी),पीएच.डी(हिन्दी)किया है। राममोहन ने 1991 में काशीविद्यापीठ में पूर्णकालिक रीडर पद पर नौकरी करते हुए और उसके बाद काशी हिन्दू वि.वि. में जनसम्पर्क अधिकारी पद पर पूर्णकालिक नौकरी करते हुए काशी हिन्दू वि.वि.से ही पूर्णकालिक,रेगुलर एम.जे.कोर्स किया है।   एक व्यक्ति एक साथ दो जगह कैसे उपस्थित हो सकता है।और दोनों जगह पूर्णकालिक काम कैसे कर सकता है।यह सीधे-सीधे दुराचरण है,अध्यापक के पद की गरिमा के विरूद्ध है,धोखाधड़ी है। यूजीसी ने इस मामले में 01 अप्रैल2013 को काशी विद्यापीठ प्रशासन को , 3 माह में जांच कराकर  रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
प्रो.राममोहन पर काशी विद्यापीठ में भगवानदास केन्द्रीय पुस्तकालय का प्रभारी रहने के दौरान यूजीसी से प्राप्त अनुदान से वर्ष 1998-99में  पुस्तकों की खरीद में घोटाला का प्रमाण सहित आरोप लगा था।यूजीसी ने इसका नये सिरे से जांच कराकर 3 माह में रिपोर्ट देने को कहा है।
 प्रो.राममोहन पाठक को 31 मार्च 2003 को 3 वर्ष के लिए यूजीसी से 4 ,47,580 रूपये का मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट मिला था। उन्होंने पैसा ले लिया, लेकिन प्रोजेक्ट का शीर्षक बिना यूजीसी की मंजूरी के हिन्दी में कर दिया और अब तक पूरा करके यूजीसी में जमा नहीं किया है। शिकायत मिलने के बाद यूजीसी के संबंधित अधिकारी ने कई साल से केवल नोटिस भेजकर खाना पूर्ति किया कि आपने अब तक रिपोर्ट जमा नहीं किया है। सो यूजीसी के नियम के अनुसार पूरी राशि ब्याज सहित रिकवर की जा सकती है। आप पूरी राशि ब्याज सहित वापस कीजिए। 7 साल से यह तमाशा चल रहा है और प्रो. राममोहन पाठक 1 अप्रैल 2013 को सेवानिवृत हो गये।सत्र लाभ मिलने के चलते वह विद्यापीठ में 30 जून 13 तक प्रोफेसर बने रहेंगे। लेकिन अब भी यदि कार्रवाई हो तो पाठक की पेंशन रूक सकती है। इधर यह सब चल रहा है उधर राममोहन पाठक वाराणसी के ही चौबेपुर के निवासी और काशीहिन्दूवि.वि. में भौतिकशास्त्र विभाग में प्रोफेसर रहे और इन दिनों गुरूघासी दास केन्द्रीय वि.वि.,बिलासपुर में कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी(इन पर भी भयंकर भ्रष्टाचार का प्रमाण सहित आरोप लगा है)  की कृपा से वहां के गजानन माधव मुक्तिबोध चेयर में या किसी विभाग में  प्रोफेसर या प्रो.वीसी बनने का जुगाड़ लगा रहे हैं। गजानन चेयर यूजीसी के फंड से चल रहा है। ऐसे में जिस यूजीसी ने भ्रष्टाचारी गुरू राममोहन पाठक के विरूद्ध तीन मामले में जांच का आदेश दिया है, उनको कैसे इस केन्द्रीय वि.वि.में प्रोफेसर या प्रोवीसी या कुछ और बनाये जाने की मंजूरी देगा? 
*यह खबर  ' स्वदेश ' इंदौर में 3 अप्रैल 2013 को पेज 5 पर,' स्टार समाचार ',सतना में 3 अप्रैल 2013 को पेज 8 पर http://www.starsamachar.com/epapermain.aspx,' तथा अन्य  समाचार पत्र में छपी है। 

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 गुरूघासी दास विश्वविद्यालय , बिलासपुर के कुलपति  लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव आईडी तिवारी द्वारा भ्रष्टाचार आरोपी राम मोहन पाठक को प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए बनाई गई साक्षात्कार सूची से नाम (डा.राम मोहन पाठक का) तुरंत हटाने की मांग करते हुए वकील राजीव पाण्डेय ने पत्र लिखा है । प्रमाण देखें-  



 इस मामले में 28-11-2013 व 29-11-2013 का डवलपमेंट देखें-
साक्षात्कार स्थगित
भ्रष्टाचारीगुरू पाठक को चतुर्वेदी,तिवारी नहीं बना पायेंगे प्रोफेसर   

गुरू घासीदास विश्वविद्यालय ( केन्द्रीय वि.वि.) ,बिलासपुर के कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी अपने अति प्रिय मूर्तिचोर भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ,पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर पद पर नियुक्त करवाने का पक्का इंतजाम करवा लिये थे। जिसके लिए 30-11-2013 को साक्षात्कार की खानापूर्ति करके भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन पाठक को ज्वाइन कराने की व्यवस्था हो गई थी।
लेकिन कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी द्वार इस भ्रष्टाचारीगुरू पंडित राममोहन को नियुक्ति, संरक्षण,प्रमोशन का इंतजाम करने का प्रमाण मिलने पर वकील राजीव पाण्डेय और कैलाश गोदुका ने दिनांक 25-11-2013 को राष्ट्रपति,मानव संसाधन विकास मंत्रालय व यूजीसी के अधिकारियों को प्रमाण सहित  पत्र लिखकर तुरंत कार्रवाई करने  की मांग की। उसके बाद यह खबर अखबार में छपी, 27 नवम्बर को सत्ताचक्र में लगी।
इस सबके चलते ऊपर से शिकंजा कसता देख अपना गला बचाने के लिए  कुलपति  पंडित लक्ष्मण चतुर्वेदी और कार्यकारी कुलसचिव पंडित आई.डी तिवारी ने, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के लिए 30-11-2013 को होने वाला  साक्षात्कार , अपरिहार्य कारण के बहाने , सहायक कुलसचिव (प्रशासन) पंडित अभिदीप तिवारी के हस्ताक्षरित आदेश से 28-11-13 की शाम को स्थगित करवा दिया।इसे 29-11-2013 को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करवा दिया।
जिसमें लिखा है-  
                                    सूचना
विश्वविद्यालय के विज्ञापन दिनांक 16-10-2013 के संदर्भ में आचार्य पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग हेतु दिनांक 30-11-2013 को आयोजित होने वाले साक्षात्कार को अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया जाता है।
                                    आदेशानुसार
                                   ह.अभिदीप तिवारी
                            
                              सहायक कुलसचिव(प्रशासन)

प्रमाण देखिए -




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·  प्रो.राममोहन पाठक पर मूर्ति चोरी का आरोप ?