Thursday, December 24, 2009

क्या प्रो.राममोहन पाठक ने शपथ पत्र में सच नहीं लिखा है ?


-सत्ताचक्र-
प्रो.राममोहन पाठक (PRO.RAM MOHAN PATHAK ) महात्मागांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान में दिनांक 29 दिसम्बर 2008 तक निदेशक थे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव के हस्ताक्षर वाले पत्र संख्या-कु0स0/1079/V I –विभागाध्यक्ष / 2008 के बाद उनको निदेशक पद से हटा दिया गया। 30 दिसम्बर 2008 को जारी कुलसचिव के कार्यालय-आदेश में लिखा है-
कार्य परिषद की बैठक दिनांक 27-12-2008 में लिये गये निर्णय एवं कुलपति जी के आदेश दिनांक 30-12-2008 के अनुपालन में प्रो. ओमप्रकाश सिंह को दिनांक 30-12-2008 से 29-12-2011 तक (तीन वर्ष) के लिए चक्रानुक्रम से वरिष्ठताक्रम में मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान का निदेशक नियुक्त किया जाता है।
प्रो. ओम प्रकाश सिंह , प्रो. राम मोहन पाठक से तत्काल कार्यभार प्राप्त कर उसकी सूचना प्रशासन एवं वित्त विभाग को भी दे दें।
डा.(रमाशंकर राम)
कुलसचिव
इस आदेश के बाद से प्रो.ओमप्रकाश सिंह निदेशक हो गये हैं।

लेकिन डा.राम मोहन पाठक ने माननीय न्यायालय सिविल जज (सी.डि.),वाराणसी में तथाकथित फर्जी दस्तावेज के आधार पर राधाकृष्ण मंदिर व जमीन अपने नाम कराने और उसकी मूर्ति चोरी के आरोप वाले मामले में 10 रूपये के स्टैंप पेपर पर दिनांक 06-08-2009 को जो शपथ पत्र दिया है , उसके पेज 13 पैरा 33 में लिखा है – यह कि प्रतिवादी संख्या -1 सम्भ्रांत नागरिक है और काशी विद्यापीठ में प्रोफेसर व निदेशक पद पर कार्यरत है। .......
इसके प्रमाण के तौर पर इनके शपथ –पत्र के पेज 1 और 13 की स्कैन कापी लगी है,देखें-