यह खबर स्वदेश- इंदौर में दिनांक 4-11-09 के पहले पेज पर छपी है।
कुलपति वी.एन.राय का चहेता नकलची प्रोफेसर अनिल कुमार राय ने शोध–पत्र भी नकल करके लिखा
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने अपने विरादर जिस नकलची अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित को विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग का प्रोफेसर और हेड नियुक्त किया, कराया है,और उसके नकल के कारनामे अखबार व टी.वी. में उजागर होने के बाद भी उसे लगातार बचा रहे हैं।खबर लिखनेवाले पत्रकारो और छापने वाले अखबरो को ब्लैकमेलर कह रहे हैं। उस विभूति नारायण राय के चहेते नकलची अनिल के.राय अंकित ने देशी ,विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरो,वैज्ञानिको आदि के पुस्तको,शोध-पत्रो से सामग्री हूबहू उतारकर अपने नाम से अंग्रेजी व हिन्दी में लगभग एक दर्जन किताबें तो छपवाई ही हैं, नकल करके अंग्रेजी में शोध-पत्र भी अपने नाम छाप लिया है। जिसका एक उदाहरण है- “PERFORMANCE EVALUATION OF LEADING TELEVISION NEWS CHANNELS” (A Study of Eastern Uttar Pradesh) नामक शोध-पत्र। अनिल के. राय ने अपने इस शोध पत्र के शुरूआत से ही यानी पहली पंक्ति- In India,the hotel industry, public and private sector companies housing, colonies,high-rise ……से लेकर 20 वीं लाइन के …hundred subscription channels. तक का मैटर “MASS COMMUNICATION IN INDIA” नामक पुस्तक के पेज222 के पहले पैरा से लगायत पेज 223 के चौथी लाइन तक से हूबहू उतार लिया है। इस पुस्तक के लेखक हैं- केवल जे. कुमार । पुस्तक कापी राइट वाली है और जैको पब्लिशर द्वारा 1994 में प्रकाशित है। अनिल के. राय ने इस पुस्तक से चुराकर लिखे अपने इस शोध-पत्र को 24 दिसम्बर 2007 को अपने ब्लाग raianilankit.blogspot.com पर लगाया है। जो प्रिन्ट करने पर पेज 20 पर आ रहा है। अनिल के. राय ने अपने इस शोध पत्र में जो 11 रिफरेन्स दिया है उसमें कहीं भी केवल जे. कुमार, उनकी पुस्तक व पेज नम्बर नहीं दिया है।
नई दिल्ली। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने अपने विरादर जिस नकलची अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित को विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग का प्रोफेसर और हेड नियुक्त किया, कराया है,और उसके नकल के कारनामे अखबार व टी.वी. में उजागर होने के बाद भी उसे लगातार बचा रहे हैं।खबर लिखनेवाले पत्रकारो और छापने वाले अखबरो को ब्लैकमेलर कह रहे हैं। उस विभूति नारायण राय के चहेते नकलची अनिल के.राय अंकित ने देशी ,विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरो,वैज्ञानिको आदि के पुस्तको,शोध-पत्रो से सामग्री हूबहू उतारकर अपने नाम से अंग्रेजी व हिन्दी में लगभग एक दर्जन किताबें तो छपवाई ही हैं, नकल करके अंग्रेजी में शोध-पत्र भी अपने नाम छाप लिया है। जिसका एक उदाहरण है- “PERFORMANCE EVALUATION OF LEADING TELEVISION NEWS CHANNELS” (A Study of Eastern Uttar Pradesh) नामक शोध-पत्र। अनिल के. राय ने अपने इस शोध पत्र के शुरूआत से ही यानी पहली पंक्ति- In India,the hotel industry, public and private sector companies housing, colonies,high-rise ……से लेकर 20 वीं लाइन के …hundred subscription channels. तक का मैटर “MASS COMMUNICATION IN INDIA” नामक पुस्तक के पेज222 के पहले पैरा से लगायत पेज 223 के चौथी लाइन तक से हूबहू उतार लिया है। इस पुस्तक के लेखक हैं- केवल जे. कुमार । पुस्तक कापी राइट वाली है और जैको पब्लिशर द्वारा 1994 में प्रकाशित है। अनिल के. राय ने इस पुस्तक से चुराकर लिखे अपने इस शोध-पत्र को 24 दिसम्बर 2007 को अपने ब्लाग raianilankit.blogspot.com पर लगाया है। जो प्रिन्ट करने पर पेज 20 पर आ रहा है। अनिल के. राय ने अपने इस शोध पत्र में जो 11 रिफरेन्स दिया है उसमें कहीं भी केवल जे. कुमार, उनकी पुस्तक व पेज नम्बर नहीं दिया है।